भोजन की छवियों को देखने पर हमारे मस्तिष्क का क्या होता है? यह शोध बताता है
भोजन की छवियों को देखने पर हमारे मस्तिष्क का क्या होता है? यह शोध बताता है
क्या आपने कभी सोचा है कि रेस्तरां में परोसे जाने वाले भोजन की ड्रेसिंग और प्रस्तुति पर जोर क्यों दिया जाता है, कभी-कभी इसके स्वाद से कहीं ज्यादा? मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने पाया है कि न केवल भोजन का स्वाद हमारी स्वाद कलियों को प्रभावित करता है, बल्कि दृश्य उपस्थिति भी हमारे मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से में प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है। रिपोर्टों एमआईटी…
व्यंजन छतीसों छाड़ कर पाया साक अलूणा। थाल नहीं था विदूर के, धनि जीमत दौंना।।
भावार्थ:- एक समय भगवान कृष्ण (तीन लोक के धनी) कौरवों तथा पाण्डवों का समझौता करवाने के लिए इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) आए। उस समय दुर्योधन राजा था। लेकिन दुर्योधन ने भगवान की सलाह को नहीं माना। जिसमें श्री कृष्णचन्द्र जी ने कहा था कि आप पाण्डवों को आधा राज दे दो। लड़ाई अच्छी नहीं होती। अंत में यह भी कह दिया था कि पाण्डवों को केवल पाँच (5) गाँव दे दो। परंतु दुर्योधन इस बात पर भी तैयार नहीं हुआ और कहा कि सूई की नौंक के बराबर भी स्थान पाण्डवों के लिए नहीं है। आपने मेरे (दुर्योधन के) यहाँ खाना खाना है क्योंकि राजा लोग राजाओं के घर भोजन करते शोभा देते हैं। श्री कृष्ण जी ने देखा कि यहाँ भाव नहीं है। केवल औपचारिकता (थ्वतउंसजल) है। श्री कृष्ण जी श्रद्धालु भक्त विदुर जी के घर (झौपड़ी) पर पहुँच गए। विदुर द्वारा भोजन के लिए प्रार्थना करने पर भगवान ने कहा कि भूख लगी है। जो बना है वही लाओ। यह कह मिट्टी के दौने में स्वयं शाक (जो बिना नमक वाला था) डाल कर खाने लगे। यह देखकर विदुर जी शर्म के मारे अपने भाग्य को कोस भी रहे हैं और सराह भी रहे हैं। कोस तो इसलिए रहे हैं कि मैं इतना निर्धन हूँ कि भगवान को स्वादिष्ट भोजन नहीं करा सका। मालिक क्या इस गरीब के घर बार-2 आते हैं? सराह इसलिए रहा था कि मैं कितना सौभाग्यशाली हूँ कि स्वयं त्रिलोक स्वामी भगवान चल कर दर्शन देने आए हैं। न जाने कौन से जन्म का कोई शुभ कर्म उदय हुआ है जो मालिक को इतने प्यार से देख पाया हूँ।
कबीर, साधु भूखा भाव का, धन का भूखा ना। जो कोई भूखा धन का, वो तो साधु ना।। विशेष:- उस दिन कौरवों ने श्री कृष्ण जी को अपने राजमहल में भोजन करने का न्योता दे रखा था। पाण्डवों ने भी अपने घर भोजन करने का न्योता दे रखा था। भक्त विदुर जी ने भी अपने घर भोजन करने का न्योता दे रखा था। श्री कृष्ण जी कौरवों के दुव्र्यव्हार से दुःखी होकर यह विचार करके कि मैं यदि पाण्डवों के घर भोजन खाऊँगा तो विदुर को दुःख होगा। यदि विदुर के घर भोजन खाऊँगा तो पाण्डव दुःखी होंगे। सीधे द्वारिका को चले गए। भक्त विदुर जी को आशा नहीं थी कि श्री कृष्ण जी मेरे घर आऐंगे क्योंकि श्री कृष्ण पाण्डवों के रिश्तेदार (अर्जुन के साले) होने के कारण बहुत बार हस्तिनापुर (वर्तमान में पुरानी दिल्ली) में आया और रूका करते थे। विदुर भक्त भी प्रत्येक बार अपने घर आने की कहते थे। कार्य की अधिकता समय के अभाव से पहले कभी भी श्री कृष्ण विदुर जी के घर चाहकर भी नहीं जा पाए थे। उस बार भी विदुर जी को श्री कृष्ण जी के अपने घर आने की आशा शून्य थी। इसलिए विशेष तैयारी नहीं की थी। पूर्ण परमात्मा ने अपने ���क्त विदुर का सम्मान जगत में बढ़ाने के लिए श्री कृष्ण रूप धारण करके विदुर भक्त के घर बिना नमक (अलुणां) साग खाया था। महिमा श्री कृष्ण जी की हुई जो आज तक उदाहरण है। समर्थ को अपनी महिमा बनाने की इच्छा नहीं है। भक्ति को बढ़ावा देना उद्देश्य रहता है। आगे की कथा से भी यही स्पष्ट होगा कि सुपच सुदर्शन के रूप में परमेश्वर कबीर जी ही गए थे।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
प्रश्न 29:- (परमेश्वर जी का) फिर आप जी तो उस किसान के पुत्र वाला ही कार्य कर रहे हो जो पिता की आज्ञा की अवहेलना करके मनमानी विधि से गलत बीज गलत समय पर फसल बीजकर मूर्खता का प्रमाण दे रहा है। जिसे आपने मूर्ख कहा है। क्या आप जी उस किसान के मूर्ख पुत्र से कम हैं?
धर्मदास जी बोले: हे जिन्दा! आप मुसलमान फकीर हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म की भक्ति क्रिया व मन्त्रों को गलत कह रहे हो।
उत्तर: (कबीर जी का जिन्दा रुप में) हे स्वामी धर्मदास जी! मैं कुछ नहीं कह रहा, आपके धर्मग्रन्थ कह रहे हैं कि आप के धर्म के धर्मगुरु आप जी को शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करा रहे हैं जो आपकी गीता के अध्याय 16 श्लोक 23-24 में भी कहा है कि हे अर्जुन! जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करता है अर्थात् मनमाने मन्त्र जाप करता है, मनमाने श्राद्ध कर्म व पिण्डोदक कर्म व व्रत आदि करता है, उसको न तो कोई सिद्धि प्राप्त हो सकती, न सुख ही प्राप्त होगा और न गति अर्थात् मुक्ति मिलेगी, इसलिए व्यर्थ है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि इससे तेरे लिए कत्र्तव्य अर्थात् जो भक्ति कर्म करने चाहिए तथा अकत्र्तव्य (जो भक्ति कर्म न करने चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। उन शास्त्रों में बताए भक्ति कर्म को करने से ही लाभ होगा।
धर्मदास जी: हे जिन्दा! तू अपनी जुबान बन्द करले, मुझसे और नहीं सुना जाता। जिन्दा रुप में प्रकट परमेश्वर ने कहा, हे वैष्णव महात्मा धर्मदास जी! सत्य इतनी कड़वी होती है जितना नीम, परन्तु रोगी को कड़वी औषधि न चाहते हुए भी सेवन करनी चाहिए। उसी में उसका हित है। यदि आप नाराज होते हो तो मैं चला। इतना कहकर परमात्मा (जिन्दा रुप धारी) अन्तध्र्यान हो गए। धर्मदास को बहुत आश्चर्य हुआ तथा सोचने लगा कि यह कोई सामान्य सन्त नहीं था। यह पूर्ण विद्वान सिद्ध पुरूष लगता है। मुसलमान होकर हिन्दू शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान है। यह कोई देव हो सकता है। धर्मदास जी अन्दर से मान रहे थे कि मैं गीता शास्त्र के विरुद्ध साधना कर रहा हूँ। परन्तु अभिमानवश स्वीकार नहीं कर रहे थे। जब परमात्मा अन्तध्र्यान हो गए तो पूर्ण रुप से टूट गए कि मेरी भक्ति गीता के विरुद्ध है। मैं भगवान की आज्ञा की अवहेलना कर रहा हूँ। मेरे गुरु श्री रुपदास जी को भी वास्तविक भक्ति विधि का ज्ञान नहीं है। अब तो इस भक्ति को करना, न करना बराबर है, व्यर्थ है। बहुत दुःखी मन से इधर-उधर देखने लगा तथा अन्दर से हृदय से पुकार करने लगा कि मैं कैसा नासमझ हूँ। सर्व सत्य देखकर भी एक परमात्मा तुल्य महात्मा को अपनी नासमझी तथा हठ के कारण खो दिया। हे परमात्मा! एंक बार वही सन्त फिर से मिले तो मैं अपना हठ छोड़कर नम्र भाव से सर्वज्ञान समझूँगा। दिन में कई बार हृदय से पुकार करके रात्रि में सो गया। सारी रात्रि करवट लेता रहा। सोचता रहा हे परमात्मा! यह क्या हुआ। सर्व साधना शास्त्रविरुद्ध कर रहा हूँ। उस ���रिश्ते ने मेरी आँखें खोल दी। मेरी आयु 60 वर्ष हो चुकी है। अब पता नहीं वह देव (जिन्दा रुपी) पुनः मिलेगा कि नहीं। प्रातः काल वक्त से उठा। पहले खाना बनाने लगा। उस दिन भक्ति की कोई क्रिया नहीं की। पहले दिन जंगल से कुछ लकड़ियाँ तोड़कर रखी थी। उनको चूल्हे में जलाकर भोजन बनाने लगा। एक लकड़ी मोटी थी। वह बीचो-बीच थोथी थी। उसमें अनेकों चीटियाँ थीं। जब वह लकड़ी जलते-जलते छोटी रह गई तब उसका पिछला हिस्सा धर्मदास जी को दिखाई दिया तो देखा उस लकड़ी के अन्तिम भाग में कुछ तरल पानी-सा जल रहा है। चीटियाँ निकलने की कोशिश कर रही थी, वे उस तरल पदार्थ में गिरकर जलकर मर रही थी। कुछ अगले हिस्से में अग्नि से जलकर मर रही थी। धर्मदास जी ने विचार किया। यह लकड़ी बहुत जल चुकी है, इसमें अनेकों चीटियाँ जलकर भष्म हो गई है। उसी समय अग्नि बुझा दी। विचार करने लगा कि इस पापयुक्त भोजन को मैं नहीं खाऊँगा। किसी साधु सन्त को खिलाकर मैं उपवास रखूँगा। इससे मेरे पाप कम हो जाएंगे। यह विचार करके सर्व भोजन एक थाल में रखकर साधु की खोज में चल पड़ा। परमेश्वर कबीर जी ने अन्य वेशभूषा बनाई जो हिन्दू सन्त की होती है। एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। धर्मदास जी ने साधु को देखा। उनके सामने भोजन का थाल रखकर कहा कि हे महात्मा जी! भोजन खाओ। साधु रुप में परमात्मा ने कहा कि लाओ धर्मदास! भूख लगी है। अपने नाम से सम्बोधन सुनकर धर्मदास को आश्चर्य तो हुआ परंतु अधिक ध्यान नहीं दिया। साधु रुप में विराजमान परमात्मा ने अपने लोटे से कुछ जल हाथ में लिया तथा कुछ वाणी अपने मुख से उच्चारण करके भोजन पर जल छिड़क दिया। सर्वभोजन की चींटियाँ बन गई। चींटियों से थाली काली हो गई। चींटियाँ अपने अण्डों को मुख में लेकर थाली से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी। परमात्मा भी उसी जिन्दा महात्मा के रुप में हो गए। तब कहा कि हे धर्मदास वैष्णव संत! आप बता रहे थे कि हम कोई जीव हिंसा नहीं करते, आपसे तो कसाई भी कम हिंसक है। आपने तो करोड़ों जीवों की हिंसा कर दी। धर्मदास जी उसी समय साधु के चरणों में गिर गया तथा पूर्व दिन हुई गलती की क्षमा माँगी तथा प्रार्थना कि की हे प्रभु! मुझ अज्ञानी को क्षमा करो। मैं कहीं का नहीं रहा क्योंकि पहले वाली साधना पूर्ण रुप से शास्त्र विरुद्ध है। उसे करने का कोई लाभ नहीं, यह आप जी ने गीता से ही प्रमाणित कर दिया। शास्त्र अनुकूल साधना किस से मिले, यह आप ही बता सकते हैं। मैं आप से पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान सुनने का इच्छुक हूँ। कृपया मुझ किंकर पर दया करके मुझे वह ज्ञान सुनाऐं जिससे मेरा मोक्ष हो सके।
व्रत करना गीता अनुसार कैसा है
परमेश्वर (जिन्दा साधु के रुप में) बोले कि हे धर्मदास! आप एकादशी का व्रत करते हो। श्रीमद्भगवत् गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में मना किया है कि हे अर्जुन! यह योग (भक्ति) न तो अधिक खाने वाले का और न ही बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात् यह भक्ति न ही व्रत रखने वाले, न अधिक सोने वाले की तथा न अधिक जागने वाले की सफल होती है। इस श्लोक में व्रत रखना पूर्ण रुप से मना है। देख अपनी गीता खोलकर, धर्मदास जी को गीता के श्लोक याद भी थे क्योंकि प्रतिदिन पाठ किया करता था। फिर भी सोचा कि कहीं जिन्दा सन्त नाराज न हो जाए, इसलिए गीता खोलकर अध्याय 6 श्लोक 16 पढ़ा तथा स्वीकारा कि आपने मेरी आँखें खोल दी जिन्दा। आप तो परमात्मा के स्वरुप लगते हो।
पेश है फोटोकाॅपी गीता अध्याय 6 श्लोक 16 की:-
Gita Adhyay 6 Shlok 16
यह फोटोकाॅपी गीता अध्याय 6 श्लोक 16 की है। गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित तथा श्री जयदयाल गोयन्दका द्वारा अनुवादित है। इसमें स्पष्ट कहा है कि योग यानि साधना उनकी सफल नहीं होती जो बिल्कुल कुछ नहीं खाते यानि व्रत रखते हैं।
‘‘श्राद्ध-पिण्डदान गीता अनुसार कैसा है?‘‘
आप श्राद्ध व पिण्डदान करते हो। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में स्पष्ट किया है कि भूत पूजने वाले भूतों को प्राप्त होंगे। श्राद्ध करना, पिण्डदान करना यह भूत पूजा है, यह व्यर्थ साधना है।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
मित्र का अर्थ तब ही समझ आता है जब हम माता पिता के संरक्षण से थोड़ी थोड़ी देर के लिए बाहर निकलते हैं। जब हम माता पिता के साथ नहीं, आस पड़ोस के बच्चों के साथ खेलना आरम्भ करते हैं ; तब वे कुछ पल हमारे लिए दिन के सबसे सुंदर पल होते हैं। फिर हम स्कूल जाना आरम्भ करते हैं। पढ़ाई करते हैं, खेल सीखते हैं पर तब ही सबसे अच्छा अपने मित्रों के विषय में ही बात करना लगता है। स्कूल की दोस्ती भी संरक्षित होती है। विद्यालय के प्रांगण से बाहर नहीं जाते।
फिर महाविद्यालय में आकर दोस्तों के साथ जैसे पंख मिल जाते हैं। कक्षाओं के बाद, कभी कभी बीच में भी, कॉलेज से बाहर जा सकते हैं। ऐसी स्वतंत्रता का अनुभव इससे पहले नहीं हुआ होता। मेरे अनुभव में तो तब ही हुआ था। कॉलेज में जाकर मानो हम बहुत बड़े हो गए थे। बहुत रोमांच होता था बताने में कि हम कॉलेज में पढ़ते हैं। पढ़ने से अधिक अच्छा लगता था, नार्थ कैम्पस की गलियों में घूमना। बंग्लो रोड की दुकानों में जाना और सबसे अच्छा चाचा के छोले भठूरे खाना। तब तक हम खुद कमाते नहीं थे, जितनी भी सीमित पॉकेट मनी होती थी उसके हिसाब से कई बार दोस्त भी बँट जाते थे।
कॉलेज की बात करते ही अपने मित्र दीपेश की बात होती है। उसी के साथ नोर्थ कैम्पस का आनंद उठाया था। उससे सबसे पहले २४ साल पहले मिलना हुआ था। यही दिन थे जुलाई के। खाखी रंग की पैंटस और काले रंग की बॉन जोवी की टी शर्ट। उससे मिलते ही ऐसा लगा था कि मैं उसे हमेशा से जानती हूँ। बातों बातों मे पता चला था कि मेरे स्कूल के सहपाठी प्रियकांत का वह पड़ोसी है और बचपन का यार। मेरे सहपाठी के पिता हमारे स्कूल के टीचर भी थे। बस ऐसे ही एक और तार जुड़ गया था उस दोस्ती में।
कॉलेज के सभी सहपाठी बहुत अच्छे थे लेकिन पिछले चौबीस वर्षों में यदि कोई एक कॉलेज का दोस्त मेरे हर सुख दुख का साक्षी रहा है तो वह दीपेश। चाहे मेरे नेट का इम्तिहान हो या मेरे बच्चों का जन्दिन; ऐसा कभी नहीं हुआ कि उसने मेरे लिए दुआ न भेजी हो। दिल का एकदम साफ, सबको जितना भी बेबाक दिखे, भीतर से बहुत शर्मीला। सपने देखने से बहुत डरता था वो। मेरा ही दोस्त नहीं था वो, यारों का यार था, क्रिकेट खेलता था, गाना गाता था, अभिनय करता था, सबको हंसाता था पर मन से बहुत अकेला था और गम्भीर भी। बिना किसी प्रयास के दीपेश, मैं और सोनाली की मित्रत्रयी सी बन गई थी।
हमारी क्लास में बहुत सारे छात्र दिल्ली के बाहर से थे, हम एक जैसे से स्कूलों से थे और दिल्ली से, इसलिए भी हमारी कई बातें मिलती थीं। हम तीनों के साथ कभी गगनदीप होती, कभी टीना, कभी नितिन, कभी लवलेश। लेकिन हम तीनों अधिकतर साथ रहते थे। मैं और सोनाली मिल कर दीपेश को बहुत तंग करते थे। जैसे ही उसे किसी लड़की को देखते, देखते तो बस उसे कैसे लजाया जाए, हमसे बेहतर कोई नहीं जानता था। वो जितना सभी के सामने बेफिक्र बनता था उतना ही वह सबकी चिंता करता था।
वह अपने माता पिता, भाई भाभी आदि की बहुत बातें बताता था। माँ से उसे खास लगाव था और पापा लीवर के मरीज़ थे इसलिए उनकी बहुत चिंता भी करता था। मेरा तो डांस पार्टनर था। कॉलेज में कोई जैम सेशन ऐसा नहीं था जिसमें मैं और दीपेश आरम्भ से अंत तक नहीं रहते थे। मैं उसका मुकाबला तो नहीं कर सकती थी क्योंकि वह बहुत अच्छा डांसर था लेकिन वो मेरा साथ भरपूर निभाता था।
उसका स्वभाव ही ऐसा था, दूसरे को बेहतर महसूस कराना, मदद करना, हमेशा मुस्कुराना। वो इतना निस्वार्थ व्यवहार करता था कि कई बार लोग उसकी अवहेलना करते भी नहीं चूकते थे। वह दिखाता नहीं था लेकिन बहुत स्वाभिमानी था। मैं और सोनाली जब जब उससे भविष्य की बात करते, वह बाहर से हंसता पर अंदर से एक दुखी स्वर में बताता कि उसे दो -तीन ज्योतिषियों ने बताया है कि वह तीस या बत्तीस की उम्र में मर जाएगा। हम दोनों कभी उसे हंस कर, कभी प्यार से, कभी डाँट कर इस वहम को अपने दिल से निकालने को कहते।
वह इतना अच्छा क्रिकेटर था कि उसका सलेक्शन हिन्दू कॉलेज की क्रिकेट टीम में हो गया। उसे स्पोर्टस टीचर ने खुद बुला कर टीम में लिया। हम सब उसके लिए बहुत प्रसन्न थे। एक दिन आकर उसने बताया कि उसने टीम छोड़ दी है। बहुत पूछने पर कारण बताया कि क्रिकेट खेलने के लिए मंहगे जूते इत्यादि चाहिए होते हैं। वह अपने माता पिता से इन सबकी मांग नहीं करेगा। यह उसका स्वाभिमान था पर हमें उस समय नादानी लगी। हमने बहुत समझाने की कोशिश की कि अपना निर्णय वापिस लेले और अध्यापक से बात करके देखे, पर उसने नहीं मानी और बात को खत्म किया कहकर कि “अरे! तीस में तो मर जाना है मुझे” हिन्दू कॉलेज में एक संगीत का कार्यक्रम होता था, “तराना”।
उसने प्रथम वर्ष में ही तब नए गायक मिक्का का गाना “ सावन में लग गई आग” गाया और सभी उसके दीवाने हो गए। सभी को गाना इतना अच्छा लगा कि उसे दोबारा गाने को कहा गया। सभी उसे पहचानने लगे और मैं और सोनाली इतराने लगे कि दीपेश हमारा दोस्त है। जिस दिन दीपेश नहीं आता था, दिन बहुत बोरिंग होता था। वह आता था तो बहुत मस्ती होती थी। वह इतने लोगों की एक्टिंग कर के दिखाता, कभी गाना गाता। क्लास की लम्बी सीट पर बैठ जाता और अपना पसंदीदा गाना, “प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है” ऐसे गाता जैसे पियानो बजा बजा कर ��ा रहा हो।
हिन्दी साहित्य में तो उसकी प्रथम वर्ष में दाल नहीं गली, इसलिए दूसरे वर्ष से उसने बी ए पास में दाखिला ले लिया।
लेकिन इससे हमारी मित्रत्रयी पर कोई असर नहीं पड़ा। वो कई बार सोनाली और मेरा इंतज़ार क्लास के बाहर करता और हम तीनों अपने अपने सुख दुख सांझा करते। ऐसा कुछ नहीं था जो हमें एक दूसरे के बारे में ना पता हो। १९-२० साल की उम्र हमारे लिए बहुत बड़ी थी, हमारे छोटे छोटे संघर्ष भी हमारे लिए बहुत बड़े थे। घण्टों हम ऐसे विचारकों की तरह बात करते कि दुनिया बदल देंगे।
दीपेश ने तीन साल के कॉलेज के बाद अपने भाई के साथ मिलकर छोटा सा प्लास्टिक थैलों का बिज़नस शुरु किया, एक डांस क्लास भी जोइन की। सोनाली और मैं दूर हो गए लेकिन दीपेश हम दोनों से कभी दूर नहीं हुआ। उसे हम दोनों का न मिलना खलता था पर वह हम दोनों से अलग अलग हमेशा मिलने आता। मेरे घर में मेरे माता पिता, दादी, दीदी, जीजाजी, मेरी बचपन की सहेलियाँ, मेरे मामा के बच्चे, सभी के लिए दीपेश अपने घर का ही नाम हो गया था।
दीपेश ने मुम्बई जाने की सोची, श्यामक डावर की डांस क्लास में छात्र से इंस्ट्रकटर बन गया। फिरसे उसे एक मौका मिला, श्यामक डावर के ग्रुप के साथ विदेश जाने का। लेकिन उसके पास पासपोर्ट ही नहीं था। वह डांस क्लास के साथ साथ हर रोज़ ऑडिशन देता, मुंबई में रहना आसान नहीं था लेकिन उसने कई उसी के जैसे स्ट्रगलिंग एक्टर के साथ एक घर किराये पे लिया। कई बार साथ रहने वालों ने, कई बार यूं ही खुद को उसको अपना दोस्त कहने वालों ने, उसका फायद उठाया, बहुत बार उसके पैसे चोरी हुए, जेब कटी, पर वह हारा नहीं। जुटे रहना बहुत मुश्किल था। मैं अपनी पी एच डी के सिलसिले में मुम्बई गई। मैं, मेरी डॉक्टर सहेली प्रीति और मेरे मामा की बेटी अपराजिता। हम तीनों दीपेश के साथ एसल वल्ड गए। मुझे और दीपेश को रेन डांस वाला इलाका दिखा और हम जुट गए कॉलेज की यादें ताज़ा करने में। बहुत देर तक डांस करते रहे, दीपेश तो दीपेश था; एक सामय ऐसा आया कि उस जगह पर सभी लोग एक घेरा बना कर खड़े हो गए और दीपेश को नाचते कुछ ऐसे देखते रहे जैसे कोई सुपरस्टार नाच रहा हो और हर गाने के बाद ताली बजाने लगे।
मैं मुम्बई में अपनी दोस्त स्वाती के घर लगभग एक महीने रही। दीपेश मुम्बई के दूसरे छोर पर रहता था लेकिन हर दूसरे दिन हमसे मिलने आता था। ऐसा कोई केफे कॉफी डे नहीं जिसमें दीपेश, अपराजिता और मैं उस एक महीने में ना बैठें हों। तब उसे छोटे मोटे रोल मिलने शुरू हो गए थे, पर कोई पहचान नहीं मिली थी। पैसे की तंगी भी थी। पर तब भी उसका ज़ोर हमेशा इस बात पर होता था कि अपनी कॉफी के पैसे खुद ही देगा। कई बार जब मैं चुपचाप से पैसे दे आती थी तो उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था।
उसने नया फोन लिया, तब नोकिया के फोन चलते थे। हम बांद्रा गए , पानी में खेलते रहे, कुछ ग़रीब बच्चे वहाँ खेल रहे थे और हमसे पैसे मांग रहे थे। दीपेश ने उनसे कहा, “पैसे बाद में दूंगा पहले दीदी और मेरे साथ फोटो खिचवाओ”। उन सभी बच्चों को दीपेश ने बहुत प्यार किया और उनके साथ पानी में खेलते खेलते इतना मग्न हो गया कि जेब में रखा नया फोन पानी से भर गया। ऐसा था दीपेश। उससे ज़्यादा मलाल मुझे और अपराजिता को हुआ। वो तो बस अपने पर हंसता रहा और हमें सांत्वना देता रहा।
२००६ नवम्बर में मेरी शादी पक्की हुई, तब तक वह मुंबई में बिज़ी होना शुरू हो गया था। लेकिन उसने दस पंद्रह दिन की छुट्टी ली। वो मेरा ही नहीं मेरे पति का भी उतना ही दोस्त था। शादी से पहले शायद १-२ सप्ताह के लिए हम हर रोज़ संगीत पर होने वाले कार्यक्रम की तैयारी करते। हम तब तक छब्बीस साल के हो चुके थे पर उसके साथ मिलर हरकतें बचपने से भरी ही करते थे। हंस हंस कर हमारा बुरा हाल हो जाता। दीपेश पूरे घर के लोगों का भी डांस टीचर था। उसने मेरे माता पिता के साथ, मेरी बहन के साथ, सहेली के साथ, सभी का साथ निभाया। ब्राइड मेड का कॉनसेप्ट यदि मेरी शादी में होता तो दीपेश, मेरी चार पाँच सहेलियों के साथ छटी ब्राइड मेड ही होता।
परिवार के सभी सदस्यों के लिए दीपेश घर का ही बच्चा था। सभी को कभी लगा ही नहीं कि वह बाहर का है। बाहर का था भी नहीं। शादी के बाद भी जब लड़की फेरा लगाने आती है तब भी वहीं था, भाइयों के साथ। कभी मेरी सहेली, कभी भाई, तो आशिर्वादों के लड़ी लगाने में घर का बुज़ुर्ग बन जाता था।
जब दीपेश इकत्तीस साल का हुआ तब हर साल की तरह हमने फोन पर बात की और मैंने उससे कहा कि देख, “ अब तू जिंदा है और जीता ही रहेगा, उस ज्योतिष की बात को मन से निकाल अपना घर बसा”।
क्योंकि जब भी उससे शादी की बात करो तब भी यही कहता था कि नहीं मेरा जीवन लम्बा नहीं है।
पर शायद बत्तीस साल के बाद, उसकी सोच में बदलाव आने लगा, उसने शायद वो डर अपने भीतर से निकाल दिया। उसे एफ आई आर सीरियल से और मलखान के रूप में शौहरत मिलना लगी थी।
वो मुझे सोनाली के खुशहाल होने की बात बताता, प्रियकांत के बारे में भी बताता। दीपेश एक बार दोस्त कहलाये जाने पर दोस्ती छोड़ता नहीं था। वह मेरे मामा के घर भी जाता था जब भी दिल्ली जाता था। मेरे अन्य दोस्तों से भि मिलता था।
उसके लिए एकटर बनना उस दिन सफल हुआ, जब वह अपनी माँ को शिरडी लेकर गया और भीड़ में पुजारी जी ने उसे पहचान लिया और उसकी माँ को अधिक देर के लिए दर्शन की अनुमति दे दी। उस दिन उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। मुझे याद है कैसे गर्व से उसने इस बात को बताया था। वह पुजारी के पहचानने से नहीं, अपनी माँ की आँखों में उसके लिए प्रेम देख कर ऐसा आशवस्त हुआ था।
मैं अमेरिका से जब भारत जाती, वह अपने बिज़ी शुटिंग से समय निकाल कर मिलने ज़रूर आता। २०१७ में जब मैं मुम्बई गई तब मैं अपनी दोस्त स्वाती के घर परिवार सहित रूकी। स्वाती के बच्चों की मेरे बच्चों के साथ दोस्ती है। पर यह बात दीपेश को बहुत चुभी क्योंकि अब तक उसने मुम्बई में अपना घर बना लिया था। अपनी गाड़ी बना ली थी। वह चहाता था कि हम उसके घर रूकें। २०१७ के बाद से जब हमारी फोन पर बात होती वह तोते कि तरह एक ही बात रटता, “अब जब तू मुम्बई आएगी तो मेरे घर ही रुकेगी सबके साथ”।
जब उसने घर बनाया था तो एक एक कमरा वीडियो कॉल करके दिखाया था। वो इस बात से बहुत खुश था कि उसकी माँ उसके घर आकर रहती हैं। माँ ने उसे शादी करने के लिए भी राज़ी कर लिया था। बहुत ही प्यारी नेहा से जब उसकी शादी हुई तब भी उसने बहुत आग्रह किया था उसकी शादी पर आने का लेकिन मैं दो छोटे बच्चों को छोड़ कर नहीं जा पाई। उसका मलाल बहुत हुआ पर फिर तय किया कि २०२० में जरूर आउंगी। किसे पता था कि महामारी ऐसी आएगी कि जाएगी ही नहीं। २०२१ में संक्रांति १४ जनवरी के शुभ दिन छोटे दीपेश “मीत” का जन्म हुआ। दीपेश ने तब भी बार बार यही कहा कि अब तू आएगी तो मेरे घर रहान ही पड़ेगा। मीत और नेहा भी हैं अब तो।
उसने कभी अपनी मुसीबतों का बयान नहीं किया, उसने कभी अपने आप को दीन हीन नहीं बताया। कभी कुछ मांगा ही नहीं। पर हमेशा दिया, हर फोन कॉल में, हर मुलाकात में दुआ ही देता था। इस साल फरवरी में उसकी माँ नहीं रहीं। तब शायद दूसरी बार उसे इतना दुखी पाया, वो अकसर अपना दुख पी जाया करता था लेकिन माँ का जाना उससे सहा नहीं जा रहा था। उसे बहुत अच्छा लगता था कि अब वह माँ के लिए बहुत कुछ कर सकता है। उसके ही घर पर माँ ने दम तोड़ा। पिता और बड़े भाई तो कुछ वर्ष पहले जा चुके थे। इससे पहले जब उसने अपना दुख सांझा किया था वह था प्रियकांत की मृत्यु पर। वही प्रियकांत जो मेरा स्कूल का क्लासमेट था। प्रियकांत को जब दिल का दौरा पड़ा, तब दीपेश ही उसे हस्पताल लेकर गया, उसी ने दिल्ली से उसके माता पिता को बुलाया, उसी ने बार बार यह पता होने पर भी कि प्रियकांत का बचना मुश्किल है, उसकी पत्नी को सांत्वना दी। प्रियकांत की जुड़वा बेटियाँ तब मात्र एक वर्ष की थीं। मैंने इससे पहले दीपेश को कभी इतना दुखी नहीं महसूस किया था। क्योंकि मैं प्रियकांत को जानती थी इसलिए उसकी मृत्यु काल की एक एक बात दीपेश ने मुझे कुछ ऐसे बताई थी कि मुझे लगता है मैं भी उस समय हस्पताल में थी। दीपेश को बार बार बुज़ुर्ग माता पिता और नन्ही बच्चियों का ख्याल आता रहा। उसने उस दिन जीवन की नश्वरता और व्यर्थता पर बहुत बात की। उसने इससे पहले भी परिवार में पिता और भाई की मृत्यु देखी थी, लेकिन मित्र को जाते देखना, वो भी इतने करीब से, भीतर तक बहुत घाव छोड़ जाता है। दीपेश अकसर जीवन के छोटा होने की और अपनी आयु की बात करता था। पतानहीं ऐसा क्या था जो उसे भविष्य के बारे में सोचने से रोकता था। जैसे उसे कुछ पता था।
पिछली बार जब उससे बात हुई तो पहली बार उसने भविष्य की बात की। उसने बताया कि वेब सीरीज़ के कुछ मौके उसे मिलने वाले हैं। मीत के लिए उसे अभी क्या क्या करना है। इतनी अधिक भविष्य की बातें इससे पहले कभी नहीं की थीं। बस हमसे हमारे बारे में ही पूछता था। अपनी बहुत कम कहता था। लगभग १६ -१७ साल तक मुम्बई में मेहनत करने के बाद, उसे इस वर्ष बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड भी मिला। हर रोज़ इंस्टाग्राम पर कोई रील लगाता था, सभी को हंसाता था। उसमें भी यदि उसका संदेश देखो तो बार बार यही कहता था “गॉड ब्लेस यू आल” सब कुछ तो ठीक चल रहा था, जैसा चलना चाहिए था पर फिर यह कैसा कहर? मुझे सोनाली का रोते हुए फोन आया कि यह क्या हो गया? हमारे जूनियर विदित ने हम दोनों को दीपेश के जाने की खबर दी। ये कैसा मज़ाक किया विधाता ने उसके साथ? पहली बार उसने अपने भविष्य के लिए इतना कुछ गड़ा और उसे अपने पास बुला लिया! उसका बेटा अभी डेढ़ साल का ही है, नेहा उससे उम्र में बहुत छोटी है। उन्होंने ऐसा क्या किया जो इतना भीषण दुख मिल गया। जीवन अचानक से इतना कलिष्ठ क्यों हो गया? पिछले चौबीस साल में दीपेश ने हमेशा हंसाया और आज सभी को रोता छोड़ गया! वो प्रियकांत की बेटियों के लिए चिंता करता था, लेकिन अब उसका अपना बेटा भी बस उतना ही बड़ा है।
जब जब ऐसी असमय मृत्यु होती है तब तब कितने प्रश्न मन में कौंधते हैं। तब तब बहुत कुछ व्यर्थ सा लगने लगता है। लेकिन हम भूल जाते हैं और फिर वही भौतिकतावादी बन कर किसी मायावी जंजाल में खो जाते हैं। दीपेश जाते जाते भी कितान कुछ सिखा गया, पर अबकी बार हंसा नहीं पाया। शायद खुद ही जीवन की हंसी उड़ा गया। जाते ही मुझे और सोनाली को मिलवा गया। अपने जाने से हमें अपने अंदर झांकने को कह गया। आंकने को कह गया कि क्या मन मुटाव, अहम, चोरी, कपट, मुनाफा, घाटा; व्यर्थ हैं समय गंवाने के लिए?
वो बत��� गया कि जीवन छोटा सही, फिर भी बड़ा हो सकता है। कितना धन कमाया, कितनी भौतिक चीज़े संजोई कोई याद नहीं करेगा। किस किस के दिल को छूआ और उसमें घर बनाया बस वही याद रहेगा। उसने अपने पीछे जो छोड़ा वह प्यार हमें हमेशा याद रहेगा। पतानही मैं कभी उन गानों को सुन पाउंगी जो उसे गाते सुने थे। पतानहीं कभी उन गानों पे थिरक पाउंगी जो उसके साथ परफोर्म किए थे।
इतनी जल्दी एक सच्चे मित्र को अलविदा कहना होगा सोचा नहीं था। करोना काल ने जीवन की क्षणभंगुरता को बहुत करीब से दिखा दिया है लेकिन ऐसी खबर के लिए कभी भी कोई तैयार नहीं होता। उसका मुस्कुराता चेहरा हमेशा स्मृतियों में भी मुस्कुराएगा। उसने कितनी ही ज़िंदगियों को अपनी कला से छुआ है, उनके साथ भी वह हमेशा रहेगा। अपने बेटे में भी कहीं न कहीं तो वो अब हमेशा जीएगा। बस हमें दिख नहीं पाएगा। अगली बार मुम्बई जाना कैसा रूखा होगा।
जीवन रुकता नहीं है, अभी भी दीपेश के बिना चलता रहेगा, लेकिन ऐसा अनमोल, सच्चा , निस्वार्थ मित्र फिरसे कहाँ मिलेगा? ऐसा लगा कि बहुत कुछ अधूरा छोड़ गया है वो, पर शायद यही जीवन है, जितना है उतना पूरा है।
सम्पूर्ण जीने की सोच दे गया। टीवी जगत का सितारा अब तारों में ही मिला गया। जीवन समझने की नहीं जीने की चीज़ है यह भी बता गया। बहुत से सवाल मथने के लिए छोड़ गया। एक बहुत अच्छा इंसान पृथ्वी से मिट गया।
पांच साल बाद के.डी. हॉस्पिटल में लौटी श्यामलाल की याददाश्त
पांच साल बाद के.डी. हॉस्पिटल में लौटी श्यामलाल की याददाश्त
मथुरा। ब्रज क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों में शुमार के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर का न्यूरोलॉजी विभाग मस्तिष्क रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। न्यूरोफिजीशियन डॉ. प्रिंस अग्रवाल के प्रयासों से जहां गांव बसई, मथुरा निवासी 72 वर्षीय श्यामलाल की लगभग पांच साल बाद याददाश्त लौटी वहीं भरना कलां, मथुरा निवासी 70 वर्षीय कलुआ के काम करना बंद कर चुके हाथ-पैरों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। जानकारी के अनुसार लगभग पांच साल पहले गांव बसई, मथुरा निवासी श्यामलाल की याददाश्त चली गई थी। याददाश्त जाने के बाद वह किसी को पहचान भी नहीं पाता था। सुध-बुध खो चुका श्यामलाल एक साल से चलने-फिरने यहां तक कि उठने-बैठने में भी असमर्थ हो गया। इस दरम्यान परिजनों ने उसे कई चिकित्सकों को दिखाया लेकिन कहीं लाभ नहीं मिला। आखिरकार एक दिन परिजन श्यामलाल को के.डी. हॉस्पिटल लाए। न्यूरोफिजीशियन डॉ. प्रिंस अग्रवाल ने श्यामलाल की पूर्व की जांचों को देखने के बाद परिजनों को भरोसा दिलाया कि उनकी याददाश्त जरूरी लौटेगी।
डॉ. अग्रवाल की सूझबूझ और उपचार से एक सप्ताह के अंदर ही श्यामलाल की याददाश्त लौट आई तथा लाचार हो चुके हाथ-पैर भी काम करने लगे। न्यूरो फिजीशियन डॉ. प्रिंस अग्रवाल का कहना है कि श्यामलाल स्ट्रोक आने से अपनी सुधबुध खो बैठे थे। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक चिकित्सा की आपात स्थिति है जिस पर तत्काल नैदानिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। स्ट्रोक के दौरान समय बहुत कीमती होता है, हम निदान और उपचार में जितनी देरी करेंगे, नुकसान उतना ही अधिक होगा। पांच साल बाद श्यामलाल की चेतना लौटने से परिजन बेहद खुश हैं। परिजनों ने इसके लिए के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन तथा न्यूरोफिजीशियन डॉ. प्रिंस अग्रवाल का आभार मानते हुए कहा कि यहां नहीं आते तो शायद वह कभी नहीं ठीक हो पाते। श्यामलाल के पुत्र का कहना है कि उनके पिता का यहां बहुत कम खर्च में उपचार हुआ है। इसी तरह भरना कलां, मथुरा निवासी कलुआ (70 वर्ष) को एक अप्रैल, 2024 को पूर्ण बेहोशी की हालत में के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। वृद्ध ने जहां खाना-पीना छोड़ दिया था वहीं चलने-फिरने में भी असमर्थ था लेकिन डॉ. प्रिंस अग्रवाल के प्रयासों से अब वृद्ध पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर जा चुका है। डॉ. प्रिंस अग्रवाल का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में हर तरह की आधुनिकतम चिकित्सा सुविधाएं, विशेषज्ञ चिकित्सक तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों के होने से हर तरह का उपचार सहजता से होता है। यहां मिर्गी (दौरे), फॉलिस (पैरालिसिस), सिरदर्द, लकवा, दिमाग के इंफेक्शन, कम्पन, कमर दर्द, गर्दन दर्द, नसों की सभी बीमारियां, दिमाग की ब्लीडिंग, पार्किन्सन, बेहोशी, नींद विकार आदि का सफल उपचार किया जा रहा है। डॉ. प्रिंस अग्रवाल अपनी काबिलियत से अब तक दो सौ से अधिक मस्तिष्क रोगियों के लिए भगवान साबित हो चुके हैं। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल का कहना है कि ब्रजवासियों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा का लाभ देना ही के.डी. हॉस्पिटल का एकमात्र उद्देश्य है। डॉ. अग्रवाल का कहना है कि के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर चिकित्सा-शिक्षा के क्षेत्र में नजीर बने यही मेरा प्रयास है।
तिहाड़ के सेल में अकेले रखे गए... जेल में मुलाकात के लिए किन 6 लोगों के CM केजरीवाल ने दिए नाम
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल पहुंच गए हैं। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में ईडी की रिमांड खत्म होने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें सोमवार को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अधिकारियों ने बताया कि एशिया की सबसे बड़ी जेल में बंद होने वाले पहले मौजूदा मुख्यमंत्री केजरीवाल को जेल नंबर 2 में रखा गया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, उन्हें घर का बना खाना दिया जाएगा। सीएम केजरीवाल अपनी कोठरी में चौबीस घंटे सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेंगे। वह टीवी देख सकते हैं और किताबें पढ़ सकते हैं। केजरीवाल को जो पुस्तकें प्रदान की जाएंगी उनमें हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत शामिल हैं। इनके अलावा ‘हाऊ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ इन किताबों में शामिल हैं। उन्हें एक धार्मिक लॉकेट पहनने की भी अनुमति होगी।
जेल नंबर-2 में रहेंगे सीएम केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने छह लोगों की सूची दी है जिनसे वह तिहाड़ जेल में नियमानुसार मिलना चाहेंगे। इस सूची में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल, उनके बेटे और बेटी शामिल हैं। इनके अलावा उनके निजी सचिव बिभव कुमार और आम आदमी पार्टी के महासचिव (संगठन) संदीप पाठक का नाम भी इसमें शामिल है। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि केजरीवाल को तिहाड़ जेल लाया गया और उन्हें जेल नंबर 2 में रखा जाएगा। उनकी मेडिकल जांच की गई। बाद में उन्हें उस कोठरी में भेज दिया गया जहां वह अकेले रह रहे हैं।
केजरीवाल को मिलेगा घर का बना खाना
अधिकारियों ने बताया कि जेल नियमों के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल को घर का बना खाना मुहैया कराया जाएगा। हालांकि, उनके लिए चाय, खाना और टीवी देखने का समय अन्य कैदियों की तरह ही होगा। किसी भी कैदी के लिए सुबह की शुरुआत 7 से 8 बजे के बीच चाय, बिस्कुट और नाश्ते के साथ से होती है। दोपहर के खाने में या तो चपाती या चावल के साथ दाल और एक सब्जी होती है। उन्होंने कहा कि वार्ड दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक बंद रहते हैं। शाम 4 बजे फिर चाय दी जाती है। रात का खाना शाम 7 बजे तक परोसा जाता है जिसमें - दाल, चावल, चपाती और सब्जी होती है।
मेडिकल जांच में कम निकला केजरीवाल का शुगर लेवल
अधिकारी ने बताया कि तिहाड़ जेल में मेडिकल जांच के दौरान सीएम केजरीवाल का 'शुगर लेवल' थोड़ा कम था। जेल डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें दवाएं दी गई हैं। इससे पहले, केजरीवाल को दो बार गिरफ्तार किया गया था और तिहाड़ जेल भेजा गया था। पहली बार 2012 में अन्ना हजारे की ओर से चलाए गए भ्रष्टाचार रोधी आंदोलन के दौरान, जब उन्हें कई अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया था और जेल नंबर 1 में रखा गया था। दूसरा 2014 में नितिन गडकरी की ओर से दायर मानहानि के मामले में जब उन्हें जेल नंबर 4 में रखा गया था।
केजरीवाल की कोठरी में लगा है सीसीटीवी कैमरा
केजरीवाल की कोठरी में सीसीटीवी कैमरा लगा है और उन पर 24 घंटे नजर रखी जाएगी। जेल नियमावली के अनुसार, अन्य कैदियों की तरह उनकी कोठरी और वार्ड में एक टीवी भी प्रदान किया गया है। तिहाड़ की जेल नंबर 2 में खाद्य उत्पाद और फर्नीचर की फैक्ट्री और मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स भी हैं। पिछले साल अक्टूबर में इसी मामले में गिरफ्तार किए गए आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को पहले जेल नंबर 2 में रखा गया था, लेकिन हाल ही में उन्हें जेल नंबर 5 में शिफ्ट कर दिया गया था। इसी मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल नंबर एक में बंद हैं। भारत राष्ट्र समिति की नेता के. कविता महिला जेल की जेल नंबर 6 में हैं। http://dlvr.it/T4wnlM
[3/4, 6:12 PM] Om Prakash Das: ��हाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, असम सहित देश के कईराज्यों से आये 1.5 लाख से भी ज्यादा लोग संत रामपाल जी महाराज द्वारा कराए जा रहे भंडारे में पहुंचे। जिन्हें शुद्ध देसी घी से बना पौष्टिक भण्डारा कराया गया। आपको बता दें, यह भण्डारा संत रामपाल जी के सानिध्य में 24 घंटे निरंतर चल रहा है।
[3/4, 6:30 PM] Om Prakash Das: #अयोध्याभंडारा_By_संतरामपालजी
विश्व प्रसिद्ध संत रामपाल जी महाराज ही दुनिया में एक मात्र संत है जो पूरे विश्व को निःशुल्क भण्डारा करवा सकते है।
जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में देखने को मिल रहा है, जहां संत रामपाल जी महाराज द्वारा लाखों लोगों को देसी घी से निर्मित भण्डारा निःशुल्क करवाया जा रहा है।
[3/6, 6:20 PM] Chiranjividas: 👇 *Instagram सेवा matter 👇*
[3/7, 6:23 PM] Bhupesh Das Bhusrega: #MysteryOfGodShiva
शिव जी अविनाशी व पूर्ण परमात्मा नहीं हैं।
कबीर परमात्मा ही अविनाशी हैं जो सतलोक के मालिक हैं।
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[3/8, 6:21 PM] Om Prakash Das: #शिवजी_किसका_ध्यान_धरते_हैं
शिवरात्रि पर जानिए भगवान शिव जी की कितनी आयु है? जानने के लिए डाउनलोड करें Sant Rampal Ji Maharaj App और पढ़ें पुस्तक "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण।
[3/8, 6:21 PM] Om Prakash Das: #शिवजी_किसका_ध्यान_धरते_हैं
शिवरात्रि पर जानिए शिव जी समाधि में किसका ध्यान लगाते हैं?
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[3/11, 6:09 PM] Bhupesh Das Bhusrega: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
जीवनी हजरत मुहम्मद
(सल्लाहु अलैहि वसल्लम, लेखक - मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी, पृष्ठ नं. 307 में प्रमाण है कि हजरत मुहम्मद जी ने मुसलमानों को खून-खराबा ना करने तथा ब्याज तक भी नहीं लेने का सन्देश दिया है। फिर भी मुस्लमान धर्म में मांस का भक्षण किया जाता है जो कि अल्लाह के विधान के विरुद्ध है।
Baakhabar Sant Rampal Ji
[3/11, 6:09 PM] Bhupesh Das Bhusrega: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
हजरत मुहम्मद जी के अनुसार मुसलमान वह पवित्र आत्मा है जो किसी को दुखी न करे, तम्बाखू, शराब व मांस को पीना व खाना तो दूर छुए भी नहीं, ब्याज भी न ले। लेकिन वर्तमान में मुस्लिम भाई उनका अनुकरण नहीं करते।
Baakhabar Sant Rampal Ji
[3/11, 6:09 PM] Bhupesh Das Bhusrega: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरत-अर रूम-30 की आयत नं. 11:-
अल्लाह पहली बार सृष्टि (खिलकित) को उत्पन्न करता है। फिर उसे दोहराएगा। (पुनरावृत्ति करेगा।)
Baakhabar Sant Rampal Ji
https://youtu.be/bOU_lkr2v0M?si=zOAuXlgU3Slo2se3
[3/11, 6:09 PM] Bhupesh Das Bhusrega: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
पवित्र कुरआन मजीद का अमृत ज्ञान पाक आत्मा हजरत मुहम्मद जी को मिला। हजरत मुहम्मद जी थे तो कुरआन का ज्ञान हमारे बीच में है। इसलिए नबी मुहम्मद जी का अनुभव कुरआन मजीद से कम महत्व नहीं रखता।
Baakhabar Sant Rampal Ji
https://youtu.be/bOU_lkr2v0M?si=zOAuXlgU3Slo2se3
[3/11, 6:17 PM] Kamini: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
Baakhabar Sant Rampal Ji
It is written in the Quran Surah Al-Furqan 25 verses 52 to 59 that God Kabir created the universe in six days and sat on the throne on the seventh day. By which God becomes real.
https://youtu.be/bOU_lkr2v0M?si=zOAuXlgU3Slo2se3
[3/11, 6:17 PM] Kamini: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
Baakhabar Sant Rampal Ji
Intoxication & gambling are prohibited in the Holy Quran.
Surah Al-Baqarah – 2 verse no. 219 :—
There is something wrong with alcohol & gambling, it is a great sin.
https://youtu.be/bOU_lkr2v0M?si=zOAuXlgU3Slo2se3
[3/11, 6:17 PM] Kamini: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
Today, Baakhabar is present on Earth. Who is He, and where is He?
Baakhabar Sant Rampal Ji
https://youtu.be/bOU_lkr2v0M?si=zOAuXlgU3Slo2se3
[3/11, 6:17 PM] Kamini: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
Allimul gaab basahadati til Kabir rulmutalu fajaile amaal That "KABIR ALLAH" is the Knower of all things and manifestations, and He is of a glorious status.
Baakhabar Sant Rampal Ji
https://youtu.be/bOU_lkr2v0M?si=zOAuXlgU3Slo2se3
[3/11, 10:00 PM] +91 88277 47596: गोविन्द दास
🙏🙏
[3/12, 7:23 AM] Om Prakash Das: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
क़ुरान सूरह अल-फुरकान 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा। जिस से परमात्मा साकार सिद्ध होता है।
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[3/12, 6:02 PM] Kamini: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
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It is written in the Quran Surah Al-Furqan 25 verses 52 to 59 that God Kabir created the universe in six days and sat on the throne on the seventh day. By which God becomes real.
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[3/13, 7:01 AM] Om Prakash Das: 📋आज की सेवा के लिए हमें एक बोर्ड बनाना है, जिसका नाम इस प्रकार से लिख सकते हैं - 👇🏼
[3/13, 7:21 AM] Om Prakash Das: पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरः अल बकरा-2 की आयत नं. 243:-
तुमने उन लोगों के हाल पर भी कुछ विचार किया जो मौत के डर से अपने घर-बार छोड़कर निकले थे और हजारों की तादाद में थे। अल्लाह ने उनसे कहा मर जाओ। फिर उसने उनको दोबारा जीवन प्रदान किया। हकीकत यह है कि अल्लाह इंसान पर बड़ी दया
[3/13, 7:22 AM] Om Prakash Das: पवित्र कुरआन मजीद का अमृत ज्ञान पाक आत्मा हजरत मुहम्मद जी को मिला। हजरत मुहम्मद जी थे तो कुरआन का ज्ञान हमारे बीच में है। इसलिए नबी मुहम्मद जी का अनुभव कुरआन मजीद से कम महत्व नहीं रखता।
[3/13, 7:22 AM] Om Prakash Das: अल्लाह का आदेश मांस खाने का नहीं है ,कुरआन मजीद में माँस खाने की आज्ञा है, परंतु सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले कादर अल्लाह ने बाईबल ग्रंथ में उत्पत्ति विषय के अध्याय में मनुष्यों के खाने के लिए बीज
वाले छोटे—छोटे पेड़ (पौधे) तथा फलदार वृक्षों के फल बताए हैं। मांस खाने के लिए नहीं।
[3/13, 7:22 AM] Om Prakash Das: सूक्ष्मवेद में कहा है कि :—
वही मोहम्मद वही महादेव, वही आदम वही ब्रह्मा।
दास गरीब दूसरा कोई नहीं, देख आपने घरमा॥
मुसलमान धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद जी भगवान शिव के लोक से आए, पुण्यकर्मी आत्मा थे जो परंपरागत साधना ही एक गुफा में बैठकर किया करते थे। शिव जी का एक गण जो ग्यारह रूद्रों में से एक है, वह मुहम्मद जी से उस गुफा में मिले। उन्हीं की भाषा (अरबी भाषा) में काल प्रभु अर्थात् ब्रह्म का संदेश सुनाया। उसी रूद्र को मुसलमान जबरिल फरिश्ता कहते हैं जो नेक फरिश्ता माना जाता है।
[3/14, 7:17 AM] Om Prakash Das: 🌙सूक्ष्मवेद में कहा है कि :—
वही मोहम्मद वही महादेव, वही आदम वही ब्रह्मा।
दास गरीब दूसरा कोई नहीं, देख आपने घरमा॥
मुसलमान धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद जी भगवान शिव के लोक से आए, पुण्यकर्मी आत्मा थे जो परंपरागत साधना ही एक गुफा में बैठकर किया करते थे। शिव जी का एक गण जो ग्यारह रूद्रों में से एक है, वह मुहम्मद जी से उस गुफा में मिले। उन्हीं की भाषा (अरबी भाषा) में काल प्रभु अर्थात् ब्रह्म का संदेश सुनाया। उसी रूद्र को मुसलमान जबरिल फरिश्ता कहते हैं जो नेक फरिश्ता माना जाता है।
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[3/14, 7:17 AM] Om Prakash Das: 🌙बाईबल तथा कुरआन का ज्ञानदाता एक है।
जिस अल्लाह ने ''कुरआन‘‘ का पवित्र ज्ञान हजरत मुहम्मद पर उतारा। उसी ने पाक ''जबूर‘‘ का ज्ञान हजरत दाऊद पर, पाक ''तौरेत‘‘ का ज्ञान हजरत मूसा पर तथा पाक ''इंजिल‘‘ का ज्ञान हजरत ईसा पर उतारा था। इन सबका अल्लाह एक ही है।
प्रमाण :— कुरआन मजीद की सुरा अल् मुअमिनून नं. 23 आयत नं. 49
और मूसा को हमने किताब प्रदान की ताकि लोग उससे मार्गदर्शन प्राप्त करें।
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[3/14, 7:17 AM] Om Prakash Das: #क्या_कहती_है_पाक_कुरान
कुरान में अल्लाह का असली नाम कबीर है।👇
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[3/14, 7:31 AM] Om Prakash Das: Baakhabar Sant Rampal Ji
It is written in the Quran Surah Al-Furqan 25 verses 52 to 59 that God Kabir created the universe in six days and sat on the throne on the seventh day. By which God becomes real.
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➡️Must Listen to the spiritual discourses of Saint Rampal Ji :-
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[3/15, 7:11 AM] Om Prakash Das: #SantGaribdasJiMaharaj
संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जरप्रांत-हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ।
फाल्गुन मास की सुदी द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे परम अक्षर ब्रह्म (परमेश्वर कबीर साहिब) दस वर्षीय गरीबदास जी को जिन्दा महात्मा के वेश में मिले और ज्ञानोपदेश दिया।
6Days Left For Bodh Diwas
[3/15, 7:11 AM] Om Prakash Das: #SantGaribdasJiMaharaj
संत गरीबदास जी का बोध दिवस
फाल्गुन सुदी द्वादशी सन् 1727 को संत गरीबदास जी को उपदेश प्राप्त हुआ जिसका प्रमाण कबीर सागर में मिलता है। बारहवां पंथ गरीबदास पंथ है।
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[3/15, 7:11 AM] Om Prakash Das: #SantGaribdasJiMaharaj
संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमात्मा गरीबदास जी को मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए। तब गरीबदास जी ने बताया कि काशी में जो 120 वर्ष कबीर जुलाहा की भूमिका करके गए वह स्वयं परमात्मा है।
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[3/15, 7:11 AM] Om Prakash Das: #SantGaribdasJiMaharaj
संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार कबीर परमेश्वर है।
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[3/15, 7:35 AM] Kamini: Must know about #SantGaribdasJiMaharaj
When Sant Garib Das Ji Maharaj Ji was a 10 year old child, God Kabir came from Satlok and met him and introduced him to his place Satlok.
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[3/15, 7:35 AM] Kamini: Saint Garibdas Ji took initiation from Kabir Ji and then He delivered the True Spiritual Knowledge to us. Because this Spiritual Knowledge is essential in understanding the true meaning of this Human life, which is given to us to attain salvation.
संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जरप्रांत-हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ।
फाल्गुन मास की सुदी द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे परम अक्षर ब्रह्म (परमेश्वर कबीर साहिब) दस वर्षीय गरीबदास जी को जिन्दा महात्मा के वेश में मिले और ज्ञानोपदेश दिया।
संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार कबीर परमेश्वर है।
डायबिटीज पेशेंट क्या खाये ,क्या न खाये कैसे करे डायबिटीज को कंट्रोल
आजकल इस भागती दौड़ती तनाव भरी जिंदगी में लोगो के पास समय से खाना खाने ,आराम करने और सोने के लिए वक्त ही नहीं है। इस अनियमितता का असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है और कई बीमारिया पैदा हो जाती है। जिसमे डायबिटिक भी एक है जिसकी मुख्या वजह हमारी ख़राब लाइफ स्टाइल और तनाव है यह ऐसी बीमारी है जो धीरे धीरे हमारे शरीर के अन्य भागो को प्रभावित करना शुरू कर देती है। इसीलिए डायबिटीज को साइलेंट किलर (Silent Killer) भी कहा जाता है। डायबिटीज धीरे धीरे आंखों (Eye), किडनी (kidney), लिवर (Liver), हार्ट (Heart) और पैरों प्रभावित करने लगता है. पहले उम्रदराज लोगो को डायबिटीज होता था, लेकिन अब छोटे छोटे बच्चों में भी डायबिटीज (Diabetes in Kids) की समस्या देखने को मिल रही है।
इन राशिवालों के लिए शानदार रहेगा ये हफ्ता, धन, प्रेम व व्यापार में मिलेगी सफलता
साप्ताहिक राशिफल 12 राशियों के लिए बेहद शुभ है।
मेष राशि (Aries)- मेष राशि वालों के आने वाला सप्ताह अच्छा रहेगा. इस वीक में आपको किस्मत का साथ मिलेगा. लंबे समय से प्लैनिंग का अच्छा रिजल्ट मिलेगा. आपका ध्यान इस वीक अपने करियर और बिजनेस पर रहेगा. ऑफिस में सहयोगियों का साथ मिलेगा. वीक के बीच में आप ट्रैवल कर सकते हैं. इस वीक आप किसी की तरफ अट्रैक्ट हो सकते हैं. शादीशुदा जीवन में खुशियां आएगी. लव रिलेशन स्टॉग होंगे. पार्टनर के साथ बेहतर रिश्ते बनेंगे.साथ ही हेल्थ भी आपकी नार्मल रहेगी. फैमली में सब के साथ आप गुड टाइम स्पेंड करेंगे.
वृषभ राशि (Taurus)- वृषभ राशि वालों के लिए नया वीक उतार-चढ़ाव वाला रहेगा. आज ऑफिस में आपको कुछ जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. जिससे मन थोड़ा परेशान रह सकता है. इस वीक आपका अपने भाई-बहनों के साथ किसी बात को लेकर मतभेद हो सकता है. इस वीक किसी भी बात को तूल ना दें. बिजनेस में इस वीक आपको आपका विरोधी कड़ मुकाबला दे सकता है. इस वीक अपनी डाइट का अच्छे से ख्याल रखें. बाहर का खाना ना खाएं. लव रिलेशन अच्छे रहेंगे. इस वीक आपको अपने पिता का सपोर्ट मिलेगा.
मिथुन राशि (Gemini)- मिथुन राशि वालों के लिए आने वाला सप्ताह बहुत नए अवसर लेकर आएगा. इस वीक आपको अपने करियर में ग्रोथ के नए अवसर मिलेंगे. इस वीक आप किसी लाभ देने वाली योजना के साथ जुड़ सकते हैं. इस वीक आपका पैसा घर के रेनोवेशन पर खर्च हो सकता है. जिस वजह से आपको पैसों कि किल्लत हो सकती है. वाहन चलाते वक्त सावधानी बरतें. लव के लिहाज से यह वीक आपके लिए लकी रहेगा. लव पार्टनर के साथ नजदीकियां बढ़ेंगी. शादीशुदा लाइफ में खुशियां आएगी. इस वीक हेल्थ को लेकर सावधान रहें, कोई पुरानी बीमारी एक बार फिर उभर सकती है.
कर्क राशि (Cancer)- कर्क राशि वालों को इस सप्ताह पास के फायदे में दूर के नुकसान से बचना होगा. अपने करियर और बिजनेस में हर कदम को बहुत सोच समझ क उठाएं. ऑफिस में किसी भी काम में लापरवाही न बरतें वरना आपको बॉस के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है. फैमली में किसी के साथ मतभेद ना लाएं. इस वीक अपनी हेल्थ को लेकर एलर्ट रहें. महिलाओं का समय पूजा-पाठ में बित सकता है. लव रिलेशन को बेहतर बनाने के लिए आपको अपने लव पार्टनर की भावनाओं को अनदेखा करने के बचना होगा. शादीशुदा लाइफ में मधुरता बनी रहेगी.
सिंह राशि (Leo)- सिंह राशि वालों के लिए नया वीक दूसरों की चिंता में बितेगा. किसी के साथ नये संबंध बनाते समय पुराने संबंधों की उपेक्षा करने से बचें. कोर्ट-कचहरी में चल रहे मामलों को बाहर ही सुलझाएं. बिजनेस में लोगों पर विश्वास बहुत जल्दी ना करें आर्थिक नुकसान उठना पड़ सकता है. इस वीक आप कहीं जानें का प्लान कर सकते हैं. ट्रैवल करते समय सामान और सेहत का विशेष ख्याल रखें. लाइफ के मुश्किल समय में आपका पार्टनर हर पल आपके साथ खड़ा रहेगा. जिससे आप सुकून और अच्छा फील करेंगे.
कन्या राशि (Virgo)- कन्या राशि वालों के लिए नया सप्ताह किस्मत वाला रहेगा. इस वीक बिजनेस में आपको मन चाहा लाभ मिलेगा. जॉब में मेहनत के बॉस से आपको शाबासी मिल सकती है. जिससे आपका मन प्रसन्न रहेगा. वीकएंड पर गुड न्यूज मिलेगी. जिससे फैमली में खुशी का माहौल रहेगा. इस वीक आपको बच्चों से जुड़ी कोई बड़ी उपलब्धि आपके मान-सम्मान का बड़ा कारण बनेगी. लव रिलेशन स्टॉग होंगे और दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ेगा. लव पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करेंगे. हेल्थ अच्छी रहेगी.
तुला राशि (Libra)- तुला राशि वालों के लिए नया सप्ताह शुभ रहेगा. इस वीक आपके सोचे हुए काम पूरे होंगे जिससे आपका कॉन्फिडेंस बहुत शानदार रहेगा. पुशतैनी प्रॉपर्टी का मामला कोर्ट-कचहरी में चल रहा है तो वह आपसी समझौते से सुलझ जाएगा. स्टूडेंट्स को अपनी मेहनत का फल जरुर मिलेगा. संतान पक्ष की कोई उपलब्धि आपकी खुशियों और मान सम्मान का कारण बनेगी. लव रिलेशन में आपसी विश्वास और निकटता बढ़ेगी. लव पार्टनर के साथ अच्छे रिलेशन स्थापित होंगे.
वृश्चिक राशि (Scorpio)- वृश्चिक राशि वाले नए सप्ताह में कोई भी फैसला गुस्से या आक्रोश में लेने से बचें. वरना आपको इस बात नुकसान आपको उठाना पड़ सकता है. वर्कप्लेस पर काम के बोझ के चलते इस वीक आप टेंशन में रहेंगे. इस वीक छोटी-मोटी बातों को तूल दें, अपने काम पर फोकस करना बेहतर रहेगा. हेल्थ का ख्याल रखें, बिमारी की चमेट में आ सकते हैं.सेहत और दिनचर्या सही रखें. इस वीक बिजनेस में थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. लव पार्टनर की बातों और भावनाओं को अनदेखा ना करें.
धनु राशि (Sagittarius)- धनु राशि वालों के लिए नया वीक अच्छा रहेगा. आपको इस वीक भाग्य का साथ मिलेगा. इस वीक आपके सोचे हुए काम तेजी से पूरे होंगे. ऑफिस में आपके काम की तारीफ होगी. इस वीक आपको कोई जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इस वीक बिजनेस में की गई यात्राएं सफल होंगी. इस वीक आप थोड़ी थकान महसूस कर सकते हैं.घर के किसी प्रिय व्यक्ति की सेहत भी आपकी चिंता का बड़ा कारण बनेगी. लव रिलेशन स्टॉग होंगे. लव पार्टनर के साथ आपका ताल-मेल शानदार रहेगा.
मकर राशि (Capricorn)- मकर राशि वालों के लिए नया सप्ताह बहुत धैर्य रखने वाला होगा. बिजनेस में आगे बढ़ना चाहते तो सोच समझ कर पैसा का निवेश करें. किसी से सलाह जरुर लें. इस वीक वाहन चलाते समय सावधानी बरतें. इस वीक ध्यान रखें पास के फायदे में दूर का नुकसान कर बैठें. पुश्तैनी प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद गहरा सकते हैं. बड़ा फैसला लेने की हजाय उसे अगले सप्ताह के लिए टाल दें. लव रिलेशन में इस वीक गलतफैहमी पैदा हो सकती है. पार्टनर की हेल्थ को लेकर आप टेंशन में रहेंगे.
कुंभ राशि (Aquarius)- कुंभ राशि वाले इस नए वीक में किसी पर भी जरुरत से ज्यादा विश्वास ना करें. आपके काम बिगड़ सकते हैं. प्रॉपर्टी से जुड़े काम करना चाहते हैं तो आपको सफलता मिलेगी. बच्चों का ज्यादा से ज्यादा समय मौज-मस्ती में बितेगा. घर में किसी के आने से खुशी का माहौल रहेगा.इस सप्ताह आप चोट-चपेट या फिर मौसमी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. लव का प्रपोजल देना चाहते है तो इस वीक इंतजार करें, वरना बनती बात बिगड़ सकती है.
मीन राशि (Pisces)- मीन राशि वालों के लिए नया सप्ताह शानदार रहेगा. इस वीक मनचाही सफलता आपको मिलेगी. जिससे आपको लाभ भी होगा. अगर आप लंब समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे तो आपको जरुर मिलेगा. स्टूडेंट्स को सुखद समाचार की प्राप्ति होगी. बिजनेस में इस वीक प्रगति नजर आएगी.महिलाओं के लिए सप्ताह थोड़ा कठिन हो सकता है. लव रिलेशन स्टॉग होंगे. पार्टनर के साथ हंसी -खुशी पल बिताएंगेय फैमली के साथ आप बाहर घूमने का प्लान कर सकते हैं.
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प्रश्न : (बाबा जिन्दा रुप में भगवान जी का) हे धर्मदास जी! गीता शास्त्र आप के परमपिता भगवान कृष्ण उर्फ विष्णु जी का अनुभव तथा आपको आदेश है कि इस गीता शास्त्र में लिखे मेरे अनुभव को पढ़कर इसके अनुसार भक्ति क्रिया करोगे तो मोक्ष प्राप्त
करोगे। क्या आप जी गीता में लिखे श्री कृष्ण जी के आदेशानुसार भक्ति कर रहे हो? क्या गीता में वे मन्त्र जाप करने के लिए लिखा है जो आप जी के गुरुजी ने आप जी को जाप करने के लिए दिए हैं? (हरे राम-हरे राम, राम-राम हरे-हरे, हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे, ओम नमः शिवाय, ओम भगवते वासुदेवाय नमः, राधे-राधे श्याम मिलादे, गायत्री
मन्त्र तथा विष्णु सहंस्रनाम) क्या गीता जी में एकादशी का व्रत करने तथा श्राद्ध कर्म करने, पिण्डोदक क्रिया करने का आदेश है?
उत्तर :- (धर्मदास जी का) नहीं है।
प्रश्न :- (परमेश्वर जी का) फिर आप जी तो उस किसान के पुत्र वाला ही कार्य कर रहे हो जो पिता की आज्ञा की अवहेलना करके मनमानी विधि से गलत बीज गलत समय पर फसल बीजकर मूर्खता का प्रमाण दे रहा है। जिसे आपने मूर्ख कहा है। क्या आप जी उस किसान के मूर्ख पुत्र से कम हैं?
धर्मदास जी बोले : हे जिन्दा! आप मुसलमान फकीर हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म की भक्ति क्रिया व मन्त्रों में दोष निकाल रहे हो।
उत्तर : (कबीर जी का जिन्दा रुप में) हे स्वामी धर्मदास जी! मैं कुछ नहीं कह रहा, आपके धर्मग्रन्थ कह रहे हैं कि आपके धर्म के धर्मगुरु आप जी को शास्त्राविधि त्यागकर मनमाना आचरण करवा रहे हैं जो आपकी गीता के अध्याय 16 श्लोक 23-24 में भी कहा
है कि हे अर्जुन! जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है अर्थात् मनमाने मन्त्र जाप कर रहा है, मनमाने श्राद्ध कर्म व पिण्डोदक कर्म व व्रत आदि कर रहा
है, उसको न तो कोई सिद्धि प्राप्त हो सकती, न सुख ही प्राप्त होगा और न गति अर्थात् मुक्ति मिलेगी, इसलिए व्यर्थ है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि इससे तेरे लिए कर्त्तव्य अर्थात् जो भक्ति कर्म करने चाहिए तथा अकर्त्तव्य (जो भक्ति कर्म न करने चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। उन शास्त्रों में बताए भक्ति कर्म को करने से ही लाभ होगा।
धर्मदास जी : हे जिन्दा! तू अपनी जुबान बन्द कर ले, मुझसे और नहीं सुना जाता। जिन्दा रुप में प्रकट परमेश्वर ने कहा, हे वैष्णव महात्मा धर्मदास जी! सत्य इतनी कड़वी
होती है जितना नीम, परन्तु रोगी को कड़वी औषधि न चाहते हुए भी सेवन करनी चाहिए। उसी में उसका हित है। यदि आप नाराज होते हो तो मैं चला। इतना कहकर परमात्मा (जिन्दा रुप धारी) अन्तर्ध्यान हो गए। धर्मदास को बहुत आश्चर्य हुआ तथा सोचने लगा कि यह कोई सामान्य सन्त नहीं था। यह पूर्ण विद्वान लगता है। मुसलमान होकर हिन्दू शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान है। यह कोई देव हो सकता है। धर्मदास जी अन्दर से मान रहे थे कि मैं गीता
शास्त्र के विरुद्ध साधना कर रहा हूँ। परन्तु अभिमानवश स्वीकार नहीं कर रहे थे। जब परमात्मा अन्तर्ध्यान हो गए तो पूर्ण रुप से टूट गए कि मेरी भक्ति गीता के विरुद्ध है। मैं भगवान की आज्ञा की अवहेलना कर रहा हूँ। मेरे गुरु श्री रुपदास जी को भी वास्तविक
भक्ति विधि का ज्ञान नहीं है। अब तो इस भक्ति को करना, न करना बराबर है, व्यर्थ है। बहुत दुखी मन से इधर-उधर देखने लगा तथा अन्दर से हृदय से पुकार करने लगा कि मैं
कैसा नासमझ हूँ। सर्व सत्य देखकर भी एक परमात्मा तुल्य महात्मा को अपनी नासमझी तथा हठ के कारण खो दिया। हे परमात्मा! एक बार वही सन्त फिर से मिले तो मैं अपना
हठ छोड़कर नम्र भाव से सर्वज्ञान समझूंगा। दिन में कई बार हृदय से पुकार करके रात्रि में सो गया। सारी रात्रि करवट लेता रहा। सोचता रहा हे परमात्मा! यह क्या हुआ। सर्व साधना शास्त्र विरुद्ध कर रहा हूँ। मेरी आँखें खोल दी उस फरिस्ते ने। मेरी आयु 60 वर्ष हो चुकी है। अब पता नहीं वह देव (जिन्दा रुपी) पुनः मिलेगा कि नहीं।
प्रातः काल वक्त से उठा। पहले खाना बनाने लगा। उस दिन भक्ति की कोई क्रिया नहीं की। पहले दिन जंगल से कुछ लकडि़याँ तोड़कर रखी थी। उनको चूल्हे में जलाकर भोजन बनाने लगा। एक लकड़ी मोटी थी। वह बीचो-बीच थोथी थी। उसमें अनेकां चीटियाँ थीं। जब वह लकड़ी जलते-जलते छोटी रह गई तब उसका पिछला हिस्सा धर्मदास जी को
दिखाई दिया तो देखा उस लकड़ी के अन्तिम भाग में कुछ तरल पानी-सा जल रहा है। चीटियाँ निकलने की कोशिश कर रही थी, वे उस तरल पदार्थ में गिरकर जलकर मर रही
थी। कुछ अगले हिस्से में अग्नि से जलकर मर रही थी। धर्मदास जी ने विचार किया। यह लकड़ी बहुत जल चुकी है, इसमें अनेकों चीटियाँ जलकर भस्म हो गई है। उसी समय अग्नि
बुझा दी। विचार करने लगा कि इस पापयुक्त भोजन को मैं नहीं खाऊँगा। किसी साधु सन्त को खिलाकर मैं उपवास रखूँगा। इससे मेरे पाप कम हो जाएंगे। यह विचार करके सर्व भोजन एक थाल में रखकर साधु की खोज में चल पड़ा। परमेश्वर कबीर जी ने अन्य वेशभूषा बनाई जो हिन्दू सन्त की होती है। एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। धर्मदास जी ने साधु को देखा। उनके सामने भोजन का थाल रखकर कहा कि हे महात्मा जी! भोजन खाओ। साधु रुप में परमात्मा ने कहा कि लाओ धर्मदास! भूख लगी है। अपने नाम से सम्बोधन सुनकर धर्मदास को आश्चर्य तो हुआ परंतु अधिक ध्यान नहीं दिया। साधु रुप में विराजमान परमात्मा ने
अपने लोटे से कुछ जल हाथ में लिया तथा कुछ वाणी अपने मुख से उच्चारण करके भोजन पर जल छिड़क दिया। सर्वभोजन की चींटियाँ बन गई। चींटियों से थाली काली हो गई। चींटियाँ अपने अण्डों को मुख में लेकर थाली से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
परमात्मा भी उसी जिन्दा महात्मा के रुप में हो गए। तब कहा कि हे धर्मदास वैष्णव संत! आप बता रहे थे कि हम कोई जीव हिंसा नहीं करते, आपसे तो कसाई भी कम हिंसक है। आपने तो करोड़ों जीवों की हिंसा कर दी। धर्मदास जी उसी समय साधु के चरणों में गिर गया तथा पूर्व दिन हुई गलती की क्षमा माँगी तथा प्रार्थना की कि हे प्रभु! मुझ अज्ञानी को क्षमा करो। मैं कहीं का नहीं रहा क्योंकि पहले वाली साधना पूर्ण रुप से शास्त्र विरुद्ध है।
उसे करने का कोई लाभ नहीं, यह आप जी ने गीता से ही प्रमाणित कर दिया। शास्त्र अनुकूल साधना किस से मिले, यह आप ही बता सकते हैं। मैं आपसे पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान सुनने का इच्छुक हूँ। कृपया मुझ किंकर पर दया करके मुझे वह ज्ञान सुनाऐ जिससे मेरा मोक्ष हो सके।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
प्रश्न : (बाबा जिन्दा रुप में भगवान जी का) हे धर्मदास जी! गीता शास्त्र आप के परमपिता भगवान कृष्ण उर्फ विष्णु जी का अनुभव तथा आपको आदेश है कि इस गीता शास्त्र में लिखे मेरे अनुभव को पढ़कर इसके अनुसार भक्ति क्रिया करोगे तो मोक्ष प्राप्त
करोगे। क्या आप जी गीता में लिखे श्री कृष्ण जी के आदेशानुसार भक्ति कर रहे हो? क्या गीता में वे मन्त्र जाप करने के लिए लिखा है जो आप जी के गुरुजी ने आप जी को जाप करने के लिए दिए हैं? (हरे राम-हरे राम, राम-राम हरे-हरे, हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्ण-कृष्ण, हरे-हरे, ओम नमः शिवाय, ओम भगवते वासुदेवाय नमः, राधे-राधे श्याम मिलादे, गायत्री
मन्त्र तथा विष्णु सहंस्रनाम) क्या गीता जी में एकादशी का व्रत करने तथा श्राद्ध कर्म करने, पिण्डोदक क्रिया करने का आदेश है?
उत्तर :- (धर्मदास जी का) नहीं है।
प्रश्न :- (परमेश्वर जी का) फिर आप जी तो उस किसान के पुत्र वाला ही कार्य कर रहे हो जो पिता की आज्ञा की अवहेलना करके मनमानी विधि से गलत बीज गलत समय पर फसल बीजकर मूर्खता का प्रमाण दे रहा है। जिसे आपने मूर्ख कहा है। क्या आप जी उस किसान के मूर्ख पुत्र से कम हैं?
धर्मदास जी बोले : हे जिन्दा! आप मुसलमान फकीर हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म की भक्ति क्रिया व मन्त्रों में दोष निकाल रहे हो।
उत्तर : (कबीर जी का जिन्दा रुप में) हे स्वामी धर्मदास जी! मैं कुछ नहीं कह रहा, आपके धर्मग्रन्थ कह रहे हैं कि आपके धर्म के धर्मगुरु आप जी को शास्त्राविधि त्यागकर मनमाना आचरण करवा रहे ह���ं जो आपकी गीता के अध्याय 16 श्लोक 23-24 में भी कहा
है कि हे अर्जुन! जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण कर रहा है अर्थात् मनमाने मन्त्र जाप कर रहा है, मनमाने श्राद्ध कर्म व पिण्डोदक कर्म व व्रत आदि कर रहा
है, उसको न तो कोई सिद्धि प्राप्त हो सकती, न सुख ही प्राप्त होगा और न गति अर्थात् मुक्ति मिलेगी, इसलिए व्यर्थ है। गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि इससे तेरे लिए कर्त्तव्य अर्थात् जो भक्ति कर्म करने चाहिए तथा अकर्त्तव्य (जो भक्ति कर्म न करने चाहिए) की व्यवस्था में शास्त्र ही प्रमाण हैं। उन शास्त्रों में बताए भक्ति कर्म को करने से ही लाभ होगा।
धर्मदास जी : हे जिन्दा! तू अपनी जुबान बन्द कर ले, मुझसे और नहीं सुना जाता। जिन्दा रुप में प्रकट परमेश्वर ने कहा, हे वैष्णव महात्मा धर्मदास जी! सत्य इतनी कड़वी
होती है जितना नीम, परन्तु रोगी को कड़वी औषधि न चाहते हुए भी सेवन करनी चाहिए। उसी में उसका हित है। यदि आप नाराज होते हो तो मैं चला। इतना कहकर परमात्मा (जिन्दा रुप धारी) अन्तर्ध्यान हो गए। धर्मदास को बहुत आश्चर्य हुआ तथा सोचने लगा कि यह कोई सामान्य सन्त नहीं था। यह पूर्ण विद्वान लगता है। मुसलमान होकर हिन्दू शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान है। यह कोई देव हो सकता है। धर्मदास जी अन्दर से मान रहे थे कि मैं गीता
शास्त्र के विरुद्ध साधना कर रहा हूँ। परन्तु अभिमानवश स्वीकार नहीं कर रहे थे। जब परमात्मा अन्तर्ध्यान हो गए तो पूर्ण रुप से टूट गए कि मेरी भक्ति गीता के विरुद्ध है। मैं भगवान की आज्ञा की अवहेलना कर रहा हूँ। मेरे गुरु श्री रुपदास जी को भी वास्तविक
भक्ति विधि का ज्ञान नहीं है। अब तो इस भक्ति को करना, न करना बराबर है, व्यर्थ है। बहुत दुखी मन से इधर-उधर देखने लगा तथा अन्दर से हृदय से पुकार करने लगा कि मैं
कैसा नासमझ हूँ। सर्व सत्य देखकर भी एक परमात्मा तुल्य महात्मा को अपनी नासमझी तथा हठ के कारण खो दिया। हे परमात्मा! एक बार वही सन्त फिर से मिले तो मैं अपना
हठ छोड़कर नम्र भाव से सर्वज्ञान समझूंगा। दिन में कई बार हृदय से पुकार करके रात्रि में सो गया। सारी रात्रि करवट लेता रहा। सोचता रहा हे परमात्मा! यह क्या हुआ। सर्व साधना शास्त्र विरुद्ध कर रहा हूँ। मेरी आँखें खोल दी उस फरिस्ते ने। मेरी आयु 60 वर्ष हो चुकी है। अब पता नहीं वह देव (जिन्दा रुपी) पुनः मिलेगा कि नहीं।
प्रातः काल वक्त से उठा। पहले खाना बनाने लगा। उस दिन भक्ति की कोई क्रिया नहीं की। पहले दिन जंगल से कुछ लकडि़याँ तोड़कर रखी थी। उनको चूल्हे में जलाकर भोजन बनाने लगा। एक लकड़ी मोटी थी। वह बीचो-बीच थोथी थी। उसमें अनेकां चीटियाँ थीं। जब वह लकड़ी जलते-जलते छोटी रह गई तब उसका पिछला हिस्सा धर्मदास जी को
दिखाई दिया तो देखा उस लकड़ी के अन्तिम भाग में कुछ तरल पानी-सा जल रहा है। चीटियाँ निकलने की कोशिश कर रही थी, वे उस तरल पदार्थ में गिरकर जलकर मर रही
थी। कुछ अगले हिस्से में अग्नि से जलकर मर रही थी। धर्मदास जी ने विचार किया। यह लकड़ी बहुत जल चुकी है, इसमें अनेकों चीटियाँ जलकर भस्म हो गई है। उसी समय अग्नि
बुझा दी। विचार करने लगा कि इस पापयुक्त भोजन को मैं नहीं खाऊँगा। किसी साधु सन्त को खिलाकर मैं उपवास रखूँगा। इससे मेरे पाप कम हो जाएंगे। यह विचार करके सर्व भोजन एक थाल में रखकर साधु की खोज में चल पड़ा। परमेश्वर कबीर जी ने अन्य वेशभूषा बनाई जो हिन्दू सन्त की होती है। एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। धर्मदास जी ने साधु को देखा। उनके सामने भोजन का थाल रखकर कहा कि हे महात्मा जी! भोजन खाओ। साधु रुप में परमात्मा ने कहा कि लाओ धर्मदास! भूख लगी है। अपने नाम से सम्बोधन सुनकर धर्मदास को आश्चर्य तो हुआ परंतु अधिक ध्यान नहीं दिया। साधु रुप में विराजमान परमात्मा ने
अपने लोटे से कुछ जल हाथ में लिया तथा कुछ वाणी अपने मुख से उच्चारण करके भोजन पर जल छिड़क दिया। सर्वभोजन की चींटियाँ बन गई। चींटियों से थाली काली हो गई। चींटियाँ अपने अण्डों को मुख में लेकर थाली से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
परमात्मा भी उसी जिन्दा महात्मा के रुप में हो गए। तब कहा कि हे धर्मदास वैष्णव संत! आप बता रहे थे कि हम कोई जीव हिंसा नहीं करते, आपसे तो कसाई भी कम हिंसक है। आपने तो करोड़ों जीवों की हिंसा कर दी। धर्मदास जी उसी समय साधु के चरणों में गिर गया तथा पूर्व दिन हुई गलती की क्षमा माँगी तथा प्रार्थना की कि हे प्रभु! मुझ अज्ञानी को क्षमा करो। मैं कहीं का नहीं रहा क्योंकि पहले वाली साधना पूर्ण रुप से शास्त्र विरुद्ध है।
उसे करने का कोई लाभ नहीं, यह आप जी ने गीता से ही प्रमाणित कर दिया। शास्त्र अनुकूल साधना किस से मिले, यह आप ही बता सकते हैं। मैं आपसे पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान सुनने का इच्छुक हूँ। कृपया मुझ किंकर पर दया करके मुझे वह ज्ञान सुनाऐ जिससे मेरा मोक्ष हो सके।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
आज दिनांक - 29 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग और आज दिनांक - 29 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग और संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि
दिन - सोमवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - माघ
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्थी पूर्ण रात्रि तक (वृद्धि तिथि)
नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी शाम 06:57 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग - शोभन सुबह 09:44 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहु काल - सुबह 08:44 से 10:07 तक
सूर्योदय - 07:21
सूर्यास्त - 06:25
दिशा शूल - पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:29 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:18 तक
व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 09:19)
विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संकष्ट चतुर्थी - 29 जनवरी
क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि
गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।
इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखना एक शुभ सपना माना जाता है। यह सपना कई अलग-अलग चीजों का प्रतीक हो सकता है, जैसे:
ससुर के साथ अच्छे संबंध। सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखना ससुर के साथ अच्छे संबंधों का संकेत हो सकता है। यह सपना इस बात का संकेत हो सकता है कि आप ससुर से प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।
ससुर की सेहत। सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखना ससुर की सेहत का भी संकेत हो सकता है। यह सपना इस बात का संकेत हो सकता है कि ससुर स्वस्थ और खुश हैं।
आपक��� अपने जीवन में खुशी और समृद्धि। सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखना आपके अपने जीवन में खुशी और समृद्धि का भी संकेत हो सकता है। यह सपना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके जीवन में जल्द ही कुछ अच्छा होने वाला है।
सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखने का सपना देख रहे व्यक्ति के जीवन परिस्थितियों के आधार पर, इस सपने का अर्थ और अधिक विशिष्ट हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति अपने ससुर से तनाव में है, तो सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखना इस बात का संकेत हो सकता है कि तनाव कम होने वाला है।
यदि आप सपने में ससुर को खाना खाते हुए देख रहे हैं, तो आपको इस सपने के अर्थ को समझने की कोशिश करनी चाहिए। यह सपना आपके जीवन में होने वाले कुछ अच्छे बदलावों का संकेत हो सकता है।
यहां कुछ विशिष्ट उदाहरण दिए गए हैं कि सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखने का क्या अर्थ हो सकता है:
अगर आप सपने में देखते हैं कि आपके ससुर बहुत अच्छे से खा रहे हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके जीवन में जल्द ही कुछ अच्छा होने वाला है।
अगर आप सपने में देखते हैं कि आपके ससुर कुछ अजीब खा रहे हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको अपने जीवन में कुछ बदलाव करने की जरूरत है।
अगर आप सपने में देखते हैं कि आपके ससुर खाना नहीं खा रहे हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको अपने ससुर से बात करने की जरूरत है।
अंततः, सपने में ससुर को खाना खाते हुए देखना का अर्थ व्यक्तिगत है। यह सपना आपके जीवन में होने वाली घटनाओं और आपके अपने विचारों और भावनाओं के आधार पर अलग-अलग अर्थ हो सकता है।
किशोरी की केडी हॉस्पिटल में हुई मुश्किल सर्जरी जन्मजात डाइफ्रामेटिक हर्निया का शिकार थी नेहा
किशोरी की केडी हॉस्पिटल में हुई मुश्किल सर्जरी जन्मजात डाइफ्रामेटिक हर्निया का शिकार थी नेहा
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा और उनकी टीम के प्रयासों से 12 वर्षीय किशोरी नेहा को जन्मजात परेशानी से निजात मिल गई है। चिकित्सकों ने डाइफ्रामेटिक हर्निया का जटिल ऑपरेशन कर किशोरी के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है। अब किशोरी पूरी तरह से स्वस्थ है। खाना खा रही है तथा उसे सांस लेने में भी कोई परेशानी नहीं है।
विगत दिवस असहनीय पेट दर्द से परेशान नेहा को उसके परिजन के.डी. हॉस्पिटल की इमरजेंसी में लेकर आए। उस समय उसे पेट दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके चेस्ट एक्सरे तथा अल्ट्रासाउण्ड को देखने से पता चला कि किशोरी के बाईं ओर के फेफड़े में पानी भरा हुआ है लेकिन डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने जब उसका चेस्ट एक्सरे देखा तो उन्हें लगा कि फेफड़े में पानी भरा न होकर उसके कोई दूसरी बीमारी है यानी आमाशय डाइफ्रेम के छेद द्वारा ऊपर चेस्ट में चढ़ गया है।
किशोरी नेहा की बेरियम मील जांच करवाने के बाद डॉ. शर्मा का संदेह सही साबित हुआ, उसे डाइफ्रामेटिक हर्निया थी। उन्होंने परिजनों से तत्काल सर्जरी कराने की सलाह दी। परिजनों की स्वीकृति के बाद डॉ. शर्मा द्वारा उसका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान पाया गया कि आमाशय डाइफ्राम के छिद्र से ऊपर चेस्ट में चढ़ा हुआ है तथा आंतों में भी रुकावट है। डॉ. शर्मा द्वारा डाइफ्राम के छिद्र का थोड़ा हिस्सा काटकर आमाशय को नीचे यथास्थान लाया गया। आमाशय ने फेफड़े को दबा रखा था अतः उसे सही किया गया। इस मुश्किल ऑपरेशन में डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का सहयोग डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. हैंकी तथा डॉ. दिलशेक ने किया। इस ऑपरेशन पर शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का कहना है कि इस उम्र में ऐसी जन्मजात विकृति के बहुत कम मामले सामने आते हैं। जन्मजात डाइफ्रामेटिक हर्निया (सीडीएच) के चलते श्वसन संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं क्योंकि सीडीएच फेफड़ों को एक संकुचित अवस्था में बढ़ने के लिए मजबूर करता है। डॉ. शर्मा का कहना है कि अब नेहा पूरी तरह स्वस्थ है तथा भविष्य में उसे इस प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी। उसे छुट्टी दे दी गई है। किशोरी के स्वस्थ होने से परिजन खुश हैं तथा के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन तथा चिकित्सकों का आभार माना।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने किशोरी नेहा की सफल सर्जरी के लिए डॉ. श्याम बिहारी शर्मा तथा उनकी टीम की सराहना करते हुए बधाई दी।