अक्षर पटेल, मोहम्मद शमी को एशिया कप के लिए भारत की टीम में होना चाहिए था: पूर्व भारतीय कप्तान
अक्षर पटेल, मोहम्मद शमी को एशिया कप के लिए भारत की टीम में होना चाहिए था: पूर्व भारतीय कप्तान
भूतपूर्व भारत कप्तान और बीसीसीआई की चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष क्रिस श्रीकांत 27 अगस्त से यूएई में होने वाले एशिया कप के लिए अक्षर पटेल को टीम में स्टैंडबाय के रूप में रखे जाने से नाखुश हैं।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर को गेंदबाजी ऑलराउंडर के लिए बुरा लगता है, जिन्होंने हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला के क्लीन स्वीप में कुछ बेहतरीन पारियां खेली और महत्वपूर्ण विकेट लिए।
अक्षर को 15…
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ए री सखी मोरे पिया घर आए, भाग लगे इस आंगन को।
अपने पिया के मैं बल-बल जाऊं, चरन लगायो निर्धन को।
मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा मांग सजाए।
देख सूरतिया अपने पिया की, हार गई मैं तन मन को।
जिसका पिया संग बीते सावन, उस दुल्हन की रैन सुहागन।
जिस सावन में पिया घर नाहीं, आग लगे उस सावन को।
अपने पिया को मैं किस विध पाऊं, लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊं।
तुम ही जतन करो ऐ री सखी री, मैं मन भाऊं साजन को।
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Sometimes i think agar bhagwan jii mujhe darshan de toh mein unse kya kahunga....
Then i think about that one song,
"मैं तो भूल गयी कुछ भी कहना,
तोरी प्रीत में रोवत है नैना...
.
मैं तो भूल गयी सब सुख चैना,
मोरे जबसे लडे तुम संग नैना"
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कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे
चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे
खाइयों ना तू नैना मोहे
पिया के मिलान की आस ।।
this line smears into your chest & rips the soul out of you. the way a.r rehman sir and irshad kamil sir manifest the pain of a lover who's dead inside & can see the death going to land on his chest in front of his eyes.
the lover's requesting the crow 'kaaga' - the carrier of death, the scavenger to eat the flesh with care & spare the eyes because he's waiting to meet his muse for the last time.
aghhhhhh ! the pain in the verse still sends the shivers down my spine.
- apollo
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कागा कागा रे मोरी इतनी अरज तोसे चुन चुन खाइयो मांस
अरजिया रे खाइयों ना तू नैना मोरे,
खाइयों ना तू नैना मोहे,
पिया के मिलन की आस।
Oh crow when I'll die, i request you to eat my fleshes selectively, and I kindly request you to not eat my eyes because I yearn to see my beloved with me.
Beautiful right? Yes it is they have put some magic in their songs.
Naadan parindey, rockstar
By Mohit Chauhan and A.R Rehman,
Written by Irshad kamil
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#ज्ञानगंगा_Part4
‘अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की महत्वपूर्ण भविष्यवाणी।‘
अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणियों में कई बार भारत का जिक्र किया है। ‘द फाल आॅफ सेंशेसनल कल्चर’ नाम की अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि सन् 2000 आते-आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा। लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगा। दुराचार पराकाष्ठा पर होगा। पश्चिमी देशों के विलासितापूर्ण जीवन जीने वालों में निराशा, बैचेनी और अशांति होगी। अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेगी। जिससे उनमें आपसी कटुता बढ़ेगी। चारों ओर हिंसा और बर्बरता का वातावरण होगा। ऐसा वातावरण होगा की चारों ओर हाहाकार मच जाएगा। लेकिन भारत से उठने वाली एक नई विचारधारा इस घातक वातावरण को समाप्त कर देगी। वह विचारधारा वैज्ञानिक दृष्टि से सामंजस्य और भाईचारे का महत्व समझाएगी, वह यह भी समझाएगी कि धर्म और विज्ञान में आपस में विरोध नहीं है। आध्यात्मिकता की उच्चता और भौतिकता का खोखलापन सबके सामने उजागर करेगी। मध्यमवर्ग उस विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित होगा। यह वर्ग समाज के सभी वर्गों को अच्छे समाज के निर्माण के लिए उत्प्रेरित करेगा। यह विचारधारा पूरे विश्व में चमत्कारी परिवर्तन लाएगी।
मुझे अपनी छठी अतींद्रिय शक्ति से यह एहसास हो रहा है कि इस विचारधारा को जन्म देने वाला वह महान संत भारत में जन्म ले चुका है। उस संत के ओजस्वी व्यक्तित्व का प्रभाव सब को चमत्कृत करेगा। उसकी विचारधारा अध्यात्म के कम होते जा रहे प्रभाव को फिर से नई स्फूर्ति देगी। चारों ओर आध्यात्मिक वातावरण होगा।
संत की विचा���धारा से प्रभावित लोग विश्व के कल्याण के लिए पश्चिम की ओर चलेंगे। धीरे-धीरे एशिया, यूरोप और अमेरिका पर पूरी तरह छा जाएगें। उस संत की विचारधारा से पूरा विश्व प्रभावित होगा और उनके चरण चिन्हों पर चलेगा। पश्चिमी देश के लोग उन्हें ईसा, मुसलमान उन्हें एक सच्चा रहनुमा और एशिया के लोग उन्हें भगवान का अवतार मानेंगे।
उस महान संत की विचारधारा से बौद्धिक क्रांति होगी। बुद्धिजीवियों की मान्यताएं बदलंेगी। उनमें ईश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास की कोंपले फूटेंगी। फ्लोरेंस के अनुसार वह संत भारत में जन्म ले चुकें हैं। वह इस संत से काफी प्रभावित थी। अपनी एक दूसरी पुस्तक ‘गोल्डन लाइट आॅफ न्यू एरा’ में भी उन्होंने लिखा है। ‘‘जब मैं ध्यान लगाती हूँ तो अक्सर एक संत को देखती हूँ। गौर वर्ण का है। सफेद बाल हैं। उसके मुख पर न दाढ़ी है, न मूछ है। उस संत के ललाट पर गजब का तेज होता है। उनके ललाट पर आकाश से एक नक्षत्र के प्रकाश की किरणें निरंतर बरसती रहती हैं। मैं देखती हूँ कि वह संत अपनी कल्याणकारी विचारधारा तथा अपने सत् चरित्र प्रबल अनुयायियों की शक्ति से सम्पूर्ण विश्व में नए ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं।
वह संत अपनी शक्ति निरंतर बढ़ा रहे हैं। उनमें इतनी शक्ति है कि वह प्राकृतिक परिवर्तन भी कर सकते हैं। वह अपना कार्य वैज्ञानिक ढंग से करेंगे। उनकी कृपा और प्रयत्नों से मानवीय सभ्यता में नई जागृति आएगी। विश्व के समस्त जनसमूह में नई चेतना का संचार होगा। लोकशक्ति का एक नया रूप उभर कर सामने आएगा जो सत्ताधारियों की मनमानियों पर अंकुश लगा देगा।’’
मनोचिकित्सक तथा सम्मोहन कला के विश्व प्रसिद्धज्ञाता डाॅ. मोरे बर्सटीन की फ्लोरेंस से अच्छी दोस्ती थी। एक बार फ्लोरेंस ने उनसे भी कहा था। ‘‘डाॅक्टर वह समय बड़ी तेजी से नजदीक आ रहा है जब सत्ता लोलुप राजनेताओं की अपेक्षा आप जैसे समाजसेवकों की बातें समाज अधिक ध्यान से सुनेगा। 21 वीं सदी के आते आते एक नई विचारधारा पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। हर राष्ट्र में सच्चरित्र धार्मिक लोगों का संगठन लोगों के दिमाग में बैठी गलत मान्यताओं को बदल देगा। यह विचारधारा भारत से प्रस्फुटित होंगी। वहीं से पूरे विश्व में फैलेगी। मैं उस पवित्रा स्थान पर एक प्रचंड तपस्वी को देख रही हूँ। जिसका तेज बड़ी तेजी से फैल रहा है। मनुष्य में सोए देवत्व को जगाने तथा धरती का स्वर्ग जैसा बनाने के लिए वह संत दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं।
एक पत्रकार ने 1964 में फ्लोरेंस से पूछा था कि क्या वह दुनिया का भविष्य बता सकती है। फ्लोरेंस ने इसके जवाब में कहा था 1970 की शुरूवात व्यापक उथल-पुथल के साथ होगी। 1979.80 के बाद ऐसे-ऐसे भूकंप आऐंगे की न्यूजर्सी का कुछ हिस्सा तथा यूरोप का और एशिया के कई देशों के स्थान भूकंप से विदीर्ण हो जाएंगे। कुछ जलमग्न भी हो जाऐंगे। तृतीय विश्वयुद्ध का आतंक सबके दिमाग में बैठ जाएगा और वे इस युद्ध की तैयारी करेंगे, लेकिन भारतीय राजनेता अपने प्रभाव और बुद्धि से तीसरे विश्वयुद्ध को टालने में सफल हो जाऐंगे। तीसरे विश्वयुद्ध के शुरू होने तक भारत के शासन की बागडोर आध्यात्मिक प्रवृत्ति के लोगों के हाथ में होगी, इसलिए उनके प्रभाव से विश्वयुद्ध टलेगा। वे शासक एक महान संत के ओजस्वी तथा क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित होंगे। वे उस संत के प्रति उसी तरह समर्पित होंगे जैसे वाशिंगटन स्वतंत्राता एवं मानवता के प्रति समर्पित थे।’’ अमेरिका के शहर न्यूजर्सी की रहने वाली फ्लोरेंस सचमुच एक विलक्षण महिला थी। एक बार नेबेल नाम के व्यक्ति ने टी.वी. कार्यक्रम के दौरान उनसे बोला, ‘‘आप भारत में जन्म ले चुके संत के बारे में तो अक्सर बताती रहती हैं। मैं अपने बारे में कुछ जानना चाहता हूँ बताइए।’’
फ्लोरेंस ने उसके दाहिने हाथ को थाम लिया और बोली, ‘‘आप बहुत जल्द किसी दूसरे राज्य से प्रसारण करेंगे।’’ नेबेल एक प्रसारण सेवा के कर्मचारी थे। फ्लोरेंस की इस बात पर वह हंसने लगे। कुछ क्षण बाद बोले ‘‘आपने मुझसे यह अच्छा मजाक किया। यदि हमारी कंपनी के अधिकारी इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे तो मैं दूसरे राज्य में जाऊ या नहीं, फिलहाल अपनी कंपनी से तुरंत निकाल दिया जाऊंगा।’’
कुछ ही मिनटों के बाद टी.वी. के कंट्रोल रूम का फोन घनघना उठा। फोन नेबेल के लिए था। उनकी कंपनी के जनरल मैनेजर उनसे बात करना चाहते थे। नेबेल ने जब फोन उठाया तो उन्होंने कहा हमने न्यूयार्क से प्रसारण करने का काम शुरू करने का निर्णय लिया है वहां तुम्हें ही भेजा जाएगा। अभी यह बात गुप्त रखना इसकी घोषणा कल की जाएगी। मैं टी.वी. पर फ्लोरेंस के साथ तुम्हारी बातचीत देख रहा था। फ्लोरेंस ने तुम्हारे विषय में जो बताया है वह पूरी तरह सच है। आश्चर्य है कि उन्हें यह बात कैसे मालूम हो गई ?’’ नेबेल फ्लोरेंस का चेहरा देखता रह गया।
कुछ पत्राकारों ने उनसे एक बार पूछा था कि वह भविष्य को कैसे देख लेती हैं तथा गायब व्यक्ति या वस्तुओं का पता कैसे लगा लेती हैं, तो फ्लोरेंस ने बताया,‘‘मुझे स्वयं नहीं मालूम कि ऐसा कैसे सम्भव हो जाता है। मैं भविष्य के विषय में एक बहुत महत्वपूर्ण बात बता रहीं हूँ। 20 वीं शताब्दी के अंत में भारतवर्ष से एक प्रकाश निकलेगा। यह प्रकाश पूरी दुनिया को उन दैवी शक्तियों के विषय में जानकारी देगा, जो अब तक हम सभी के लिए रहस्यमय बनी हुई हैं। (देवी शक्तियों की जानकारी जो सन्त रामपाल दास जी महाराज द्वारा बताई गई हैं। कृप्या पढ़ें इसी पुस्तक के पृष्ठ 20 पर ‘‘सृष्टि रचना’’) एक दिव्य महापुरूष द्वारा यह प्रकाश पूरे विश्व में फैलेगा। वह सभी को सत् मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा। समस्त दुनिया में एक नयी सोच की ज्योति फैलेगी। जब मैं ध्यानावस्था में होती हूँ तो अक्सर यह दिव्य महापुरूष मुझे दिखाई देते हैं।’’
फ्लोरेंस ने बार-बार इस संत या दिव्य महापुरूष का जिक्र किया है। साथ ही यह भी बताया है कि उत्तरी भारतवर्ष के एक पवित्र स्थान पर वह मौजूद हैं। सज्जनों उपरोक्त भविष्यवाणी तथा वर्तमान वाणी है जो परम सन्त रामपाल महाराज जी पर खरी उतरती है तथा इसी का समर्थन अन्य भविष्यवाणियाँ भी करती है। जो आगे लिखी हैं।
‘‘भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रमाण’’
‘‘एक महापुरूष के विषय में भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रजाद भक्त की भविष्यवाणी’’ भाई बाले वाली जन्म साखी में लिखा गया विवरण स्पष्ट करता है कि संत रामपाल दास जी महाराज ही वह अवतार है जिन्हें परमेश्वर कबीर जी तथा संत नानक जी के पश्चात् पंजाब की धरती पर अवतरित होना था। सन्त रामपाल दास जी महाराज 8 सितम्बर सन् 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा प्रान्त (उस समय पंजाब प्रान्त) भारत की पवित्रा धरती पर श्री नन्द राम जाट के घर जाट वर्ण में श्रीमति इन्द्रा देवी की कोख से जन्में।
इस विषय में ’’जन्म साखी भाई बाले वाली’’ हिन्दी वाली में जिसके प्रकाशक हैं:- भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह एण्ड कम्पनी पुस्तकां वाले, बाजार माई सेवां, अमृतसर (पंजाब) तथा पंजाबी वाली के प्रकाशक है:- भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह पुस्तकां वाले गली-8 बाग रामानन्द अमृतसर (पंजाब)।
इसमें लिखा अमर लेख इस प्रकार है:- एक समय भाई बाला तथा मरदाना को साथ लेकर सतगुरु नानक देव जी भक��त प्रजाद जी के लोक में गए। जो पृथ्वी से कई लाख कोस दूर अन्तरिक्ष में है। प्रजाद ने कहा कि हे नानक जी! आप को परमात्मा ने दिव्य दृष्टि दी तथा कलयुग में बड़ा भक्त बनाया है। आप का कलयुग में बहुत प्रताप होगा। यहां पर (प्रजाद के लोक में) पहले कबीर जी आये थे या आज आप आये हो एक और आयेगा जो आप दोनों जैसा ही महापुरूष होगा। इन तीनों के अतिरिक्त यहां मेरे लोक में कोई नहीं आ सकता। भक्त बहुत हो चुके हैं आगे भी होगें परन्तु यहां मेरे लोक में वही पहुँच सकता है, जो इन जैसी महिमा वाला होगा और कोई नहीं। इसलिए इन तीनों के अतिरिक्त यहां कोई नहीं आ सकता। मरदाने ने पूछा कि हे प्रजाद जी! कबीर जी जुलाहा थे, नानक जी खत्राी हैं, वह तीसरा किस वर्ण (जाति) से तथा किस धरती पर अवतरित होगा।
प्रजाद भक्त ने कहा भाई सुन:- नानक जी के सच्चखण्ड जाने के सैकड़ों वर्ष पश्चात् पंजाब की धरती पर जाट वर्ण में जन्म लेगा तथा उसका प्रचार क्षेत्रा शहर बरवाला होगा। (लेख समाप्त)
विवेचन:- संत रामपाल दास जी महाराज वही अवतार हैं जो अन्य प्रमाणों के साथ-2 जन्म साखी में लिखे वर्णन पर खरे उतरते हैं। जन्म साखी में ‘‘सौ वर्ष के पश्चात्’’ लिखा है। यहां पर सैकड़ों वर्ष पश्चात् कहा गया था जिसको पंजाबी भाषा में लिखते समय सौ वर्ष ही लिख दिया। क्योंकि मर्दाना ने पूछा था कि वह कौन से युग में नजदीक ही आयेगा? तब भक्त प्रजाद ने कहा कि श्री नानक जी के सैकड़ों वर्ष पश्चात् कलयुग में ही वह संत जाट वर्ण में जन्म लेगा। इसी लिए यहां सौ वर्ष के स्थान पर सैकड़ों वर्षों ही न्यायोचित है तथा प्रचार क्षेत्रा बरवाला के स्थान पर बटाला लिखा गया है। इसके दो कारण हो सकते हैं कि ‘‘शहर बरवाला’’ जिला हिसार हरियाणा (उस समय पंजाब) प्रान्त में सुप्रसिद्ध नहीं था तथा बटाला शहर पंजाब प्रान्त में प्रसिद्ध था। लेखनकर्ता ने इस कारण से ‘‘बरवाला’’ के स्थान पर ‘‘बटाला’’ लिख दिया दूसरा प्रिन्ट करते समय ‘‘अतअूसल’’ की जगह ‘‘अजूसल’’ प्रिंट हो गया है। एक और विशेष विचारणीय पहलू है कि पंजाब के बटाला शहर में कोई भी जाट संत नहीं हुआ है। जो इन महापुरूषों (परमेश्वर कबीर देव जी व श्री नानक देव जी) के समान महिमावान तथा इनके समान ज्ञानवान हुआ हो। इस आधार से तथा अन्य प्रमाणों के आधार से तथा इस जन्म साखी के आधार से स्पष्ट है कि वह तीसरे महापुरूष संत रामपाल दास जी महाराज हैं तथा इनका आध्यात्मिक ज्ञान भी इन दोनों महापुरूषों (परमेश्वर कबीर जी तथा श्री नानक देव जी) से मेल खाता है। आप देखेंगे दोनों फोटो कापी जो जन्म साखी भाई बाले वाली जो कि एक पंजाबी भाषा में है तथा दूसरी हिन्दी में है जो कि पंजाबी भाषा से ही अनुवादित है। इसमें कुछ प्रकरण ठीक नहीं लिखा है। जैसे पंजाबी भाषा में लिखा है कि ‘‘जो इस जीहा कोई होवेगा तां एथे पहुँचेगा होर दा एथे पहुँचण दा कम नही’’ परन्तु हिन्दी वाली जन्म साखी में यह विवरण नहीं है जो बहुत महत्वपूर्ण है। इससे सिद्ध है कि लिखते समय कुछ प्रकरण बदल जाता है। फिर भी ढेर सारे प्रमाण जो इस पुस्तक में अन्य महापुरूषों के द्वारा सन्त रामपाल दास जी के विषय में कहे हैं वे भी इसी को प्रमाणित करते हैं।
विशेष:- यदि कोई यह कहे कि जन्म साखी में लिखी व्याख्या सन्त गरीबदास जी गांव छुड़ानी वाले के लिए हैं। क्योंकि वे भी जाट जाति से थे तथा छुड़ानी गांव भी पहले पंजाब प्रांत के अन्तर्गत आता था। यह भी उचित नहीं लगती क्योंकि संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी ‘‘असुर निकंदन रमैणी’’ में कहा है कि ‘‘सतगुरु दिल्ली मण्डल आयसी, सूती धरनी सूम जगायसी’’ भावार्थ है कि संत गरीबदास जी के सतगुरु पूज्य कबीर साहेब जी थे। पुराना रोहतक जिला (सोनीपत, रोहतक तथा झज्जर को मिला कर एक जिला रोहतक था) दिल्ली मण्डल में लगता था। यह किसी राजा के आधीन नहीं था। अग्रेंजो के शासन काल में दिल्ली के आधीन था। सन्त गरीबदास जी ने स्पष्ट किया है कि सतगुरु (परमेश्वर कबीर जी) दिल्ली मण्डल में आऐंगे भक्तिहीन प्राणियों को जगाऐंगे सत्यभक्ति कराऐंगे। (ध्यान रहे कबीर सागर में काल के दूतों ने मिलावट करके सत्य को न जानकर अपनी अटकल बाजी से असत्य प्रमाण दिए हैं। उसका नाश करने के लिए परमेश्वर कबीर जी ने अपने अंश अवतार सन्त गरीब दास जी द्वारा यथार्थ ज्ञान प्रचार करवाया है। जो सन्त गरीब दास जी की अमृतवाणी रूप में है। इसी बात की पुष्टि ‘‘कबीर सागर के सम्पादक कबीर पंथी श्री युगलानन्द बिहारी जी की उस टिप्पणी से होती है जो उन्होंने अनुराग सागर तथा ज्ञान सागर की भूमिका में की है कहा है कि कबीर पंथियों ने ही कबीर पंथ के ग्रन्थों का नाश कर रखा है। अपने-2 मते अनुसार फेर बदल करके अपने मत को जोड़ा है। मेरे पास अनुराग सागर तथा ज्ञान सागर की कई-2 प्रतियाँ रखी हैं। जिनमें से एक दूसरे से मेल नहीं खा रही हैं।)
सन्त रामपाल दास जी महाराज का जन्म श्री नन्द राम जाट के घर 8 सितम्बर 1951 को गांव-धनाना जिला सोनीपत (उस समय जिला रोहतक) में हुआ था। जो वर्तमान हरियाणा तथा पंजाब प्रांत मिलकर, उस समय एक ही ‘पंजाब’ प्रांत था। परमेश्वर कबीर जी ने भी कहा था कि जिस समय कलयुग 5500 वर्ष बीत चुका होगा मैं गरीबदास वाले बारहवें पंथ में आगे स्वयं आऊँगा। सन्त गरीबदास जी द्वारा मेरी (कबीर परमेश्वर की) महिमा की वाणी प्रकट होगी तथा गरीबदास वाले बारहवें पंथ तक के साधक मुझे आधार बनाकर वाणी को समझने की कोशिश करेंगे परन्तु वाणी को न समझ कर सतनाम तथा सारनाम से वंचित रहने के कारण असंख्य जन्म तक सत्यलोक प्राप्ति नहीं कर सकते। उसी बारहवें पंथ (गरीबदास जी वाले पंथ) में मैं (परमेश्वर कबीर जी) ही स्वयं चलकर आऊँगा। तब सन्त गरीबदास जी द्वारा प्रकट की गई वाणी को मैं (कबीर परमेश्वर) प्रकट होकर समझाऊँगा। इस से सिद्ध हुआ कि जन्म साखी में जिस जाट सन्त के विषय में कहा है निरविवाद रूप से वह संत रामपाल दास जी महाराज जी ही हैं। फिर भी हम संत गरीबदास जी का विशेष आदर करते हैं। क्योंकि उन्होंने परमेश्वर कबीर जी का अमर संदेश सुनाया है।
यदि कोई भ्रम उत्पन्न करे की दस गुरु साहिबानों में से भी किसी की ओर संकेत हो सकता है। इसके लिए स्मरण रहे कि दस सिख गुरु साहिबानों में से कोई भी जाट वर्ण से नहीं थे। दूसरे सिख गुरु श्री अंगद देव जी खत्राी थे। तीसरे गुरु जी श्री अमर दास जी भी खत्राी थे। चौथे गुरु जी श्री रामदास जी खत्राी थे तथा पांचवें गुरु जी श्री अर्जुन देव जी से लेकर दसवें तथा अन्तिम श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी तक श्री गुरु रामदास जी की सन्तान अर्थात् खत्राी थे। फिर भी हम सभी सिख गुरु साहिबानों का विशेष आदर करते हैं।
संत रामपाल दास जी महाराज कहते हैं:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा, हिन्दु मुसलिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है:-
जाति ना पूछो संत की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान।।
कृप्या प्रमाण के लिए देखें फोटो कापी जन्म साखी पंजाबी गुरुमुखी (पंजाबी भाषा) वाली तथा हिन्दी वाली दोनों में आप जी सहज में समझ सकते हो कि वास्तविक्ता क्या है। जन्म साखियों के प्रकाशक हैं:- भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह अमृतसर (पंजाब)। कृप्या ��ेखें फोटो कापी जन्म साखी भाई बाले वाली पंजाबी भाषा वाली के पृष्ठ 272 की।
कृप्या देखें फोटो कापी जन्म साखी भाई बाले वाली पंजाबी भाषा वाली के पृष्ठ 273 की।
कृप्या देखें फोटो कापी जन्म साखी भाई बाले वाली हिन्दी वाली के पृष्ठ 305 की प्रश्न: एक संस्कृत के विद्वान शास्त्राी ने कहा कि आप के गुरु संत रामपाल दास जी महाराज संस्कृत नहीं पढ़े हैं। आप कहते हो कि उन्होंने श्री मद्भगवत् गीता का यथार्थ अनुवाद करके भक्तों को बताते हैं। यह कभी नहीं हो सकता। उत्तर: सन्त रामपाल दास जी महाराज के भक्त ने उत्तर दिया शास्त्राी जी उसी को परमेश्वर का अवतार कहते हैं। जो भाषा का ज्ञान न होते हुए यथार्थ अनुवाद कर दें। क्योंकि परमेश्वर सर्वज्ञ है। उन्हीं गुणों से युक्त उसका भेजा हुआ अवतार होता है। वह अवतार सन्त रामपाल दास जी महाराज जी हैं। आप तो केवल वेदों और गीता के अनुवाद से अचम्भित हैं। सन्त रामपाल दास जी महाराज ने तो बाईबल तथा कुरान को यथार्थ रूप में बताया है। जिसे ईसाई धर्म के वर्तमान के फादर व पादरी तथा मुसलमान धर्म के मुल्ला व काजी भी नहीं समझ सके।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-Inquiry
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दक्षिण अफ्रीका इस साल के टी 20 विश्व कप के लिए फाफ डु प्लेस��स पर विचार कर सकता है: मोर्ने मोर्के
दक्षिण अफ्रीका इस साल के टी 20 विश्व कप के लिए फाफ डु प्लेसिस पर विचार कर सकता है: मोर्ने मोर्के
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्कल चाहते हैं कि 37 वर्षीय करिश्माई बल्लेबाज फाफ डु प्लेसिस को आगामी आईसीसी टी20 में मौका दिया जाए। दुनिया ऑस्ट्रेलिया में कप, जिस तरह से वह दुनिया भर में आकर्षक घरेलू टी 20 लीग में प्रदर्शन कर रहा है। डु प्लेसिस के पास अब खेलने का अनुबंध नहीं है क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए), लेकिन शीर्ष क्रम के बल्लेबाज ने दिखाया है कि उसके पास अभी भी उच्चतम स्तर…
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