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#ब्रह्म संवत का साल
newsguruworld · 1 year
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ब्रह्म संवत का साल🔥💯🔥#shorts #viral #new
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babitasainisblog · 11 months
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🥏कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस के उपलक्ष में पूरे विश्व को निमंत्रण🥏
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में जेष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे l
उनको नीरू नीमा नाम के दंपत्ति उठाकर अपने घर ले गए थे l
उनकी परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई थी l
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 मैं लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है l
इस वर्ष कबीर प्रकट दिवस पर 2,3,4 जून को भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर दहेज मुक्त विवाह का आयोजन किया जायेगा इस अवसर पर विश्व के सभी लोग सादर आमंत्रित हैं l
इसका सीधा प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
Sant Rampal Ji Maharaj YouTube चैनल
@SaintRampalJiM Twitter पर
और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj फेसबुक पेज पर भी इस प्रोग्राम को लाइव देख सकते हैं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#Biggest_Bhandara_Of_TheWorld
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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dularidasi · 2 years
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#14जून_कबीरसाहेब_प्रकट_दिवस
आज से लगभग 600 साल पहले कबीर परमेश्वर जी काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 ( सन्1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे ।
14 जून 2022 को कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस है
#KabirPrakatDiwas
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dharmarajdas · 11 months
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🔮कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
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🔮कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
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akks-posts · 11 months
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कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
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seedharam · 11 months
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🔮कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
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अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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bhimsthings · 11 months
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🔮कबीर परमेश्वर जी का प्रकट दिवस🔮
समाज में तत्वज्ञान के अभाव में लोग शंका करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा धाणक पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सच्चाई तो यही है कि वेदों में कविर्देव काशी वाला जुलाहा पूर्ण परमात्मा है।
आप जी से निवेदन है सच्चाई को समझने की कोशिश करें दंत कथा पर विश्वास न करें हम हम आपको प्रमाण सहित बता रहे हैं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सृष्टि का मालिक है
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
नीमा नामक पति-पत्नी जो हिदू से जबरन मुसलमान बना दिए थे परंतु उनकी आस्था भगवान शिव में ही थी वे प्रतिदिन लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी l एक बार नीरू नीमा स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शिव से प्रार्थना कर रही थी कि हे भगवान शिव आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें। आप के घर में क्या कमी है भगवान हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के ताने सुन-सुन कर आत्मा बहुत दुखी हो रही है । हम से ऐसी कौन सी गलती हो गई जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। यह
कह कर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है यदि भाग्य में संतान होती तो भगवान शिव अवश्य संतान देते। आप रो-रो कर आंखें खराब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की भी आंखें भर आईं।
जब लहरतारा तालाब पर पहुंचे तो पहले स्नान नीमा ने किया फिर नीरू स्नान करने लगे तो नीमा ने देखा कमल के फूल पर एक बच्चा लेट रहा है और अपने एक पैर के अंगूठे को मुंह में चूस रहा है नीरू से कहने लगी देखो जी बच्चा है डूब जाएगा नीरू ने जैसे ही देखा कमल के फूल सहित बच्चे को उठा लिया l
जब उसको घर लेकर आए तो देखने वाले भी हैरान रह गए
काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर l
कोई कहे ब्रह्मा विष्णु है कोई कहे इंद्र कुबेर ll
जब नीरू नीमा बालक रूप मैं परमात्मा को घर लेकर आए थे उस समय मुल्ला और काजी लड़के का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ लेकर नीरू के घर गए l
काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पेज पर पहली लाइन में कबीरन् लिखा था। काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो ऊंचे घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।
काजियों ने फिर कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे उसके अलावा कुछ नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान खोल डाली जिस भी पेज को खोलते उसी मैं कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो। काजियों ने अपने साथ लाई कुरान को वहीं पटक दिया तथा चले गए।
परमेश्वर की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।
अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।टेक।।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक ह्नै दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।
जुलहा को सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
पांच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानूं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
अधर दीप (सतलोक) गगन गुफा में, तहां निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी, धरता ध्यान हमारा।।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।
5 वर्ष की आयु में ही कबीर जी ने अपने लीलामय शरीर से वहां के जाने-माने संतों के साथ आध्यात्मिक विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया था। कोई भी संत या ऋषि उनके आध्यात्मिक ज्ञान का उत्तर कभी नहीं दे सके।
कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज इस धरती पर अवतरित हुए हैं आपसे निवेदन है संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण कराएं।
#KabirPrakatDiwas
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#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
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shridharpandit · 11 months
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#कबीरजी_का_कलयुगमें_प्राकट्य
3 Days Left Kabir Prakat Diwas।🧩626वें कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस पर पूरा विश्व आमंत्रित है।🧩
आज से लगभग 626 वर्ष पूर्व कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। 
कबीर साहेब के प्राकट्य के इस उपलक्ष्य में हर साल संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस मनाते हैं। हर साल की तरह इस साल भी उनके द्वारा कबीर प्रकट दिवस समारोह उत्सव में 3 दिन तक गरीबदास जी महाराज की अमर वाणी का अखंड पाठ और विशाल भंडारा आयोजित किया जा रहा है।
इस वर्ष भी कबीर प्रकट दिवस पर 2-4 जून तक भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ किया जा रहा है।
इस महासमागम में पूरा विश्व आमंत्रित है। संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 2 से 4 जून 2023 को उनके 10 सतलोक आश्रमों में तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, विशाल सत्संग समारोह तथा निःशुल्क नामदीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। संत रामपाल जी महाराज एक स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं जिसमें ना छुआछात है ना जाति-पाती ना अमीरी-गरीबी का भेद है। आप भी इस अद्वितीय समागम के साक्षी बनिए।
व्यक्तिगत रूप से आश्रम में आने में असमर्थ लोगों के लिए पाठ प्रकाश का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनलों और फेसबुक के माध्यम से किया जाएगा।
इस भव्य समागम में शामिल होकर इस समागम की शोभा बढ़ाएं। इस समागम का लाइव प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
Sant Rampal Ji Maharaj YouTube चैनल
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और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj फेसबुक पेज पर भी इस प्रोग्राम को लाइव देख सकते हैं।
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saltysandwichnerd · 11 months
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🥏कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस के उपलक्ष में पूरे विश्व को निमंत्रण🥏
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में जेष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे l
उनको नीरू नीमा नाम के दंपत्ति उठाकर अपने घर ले गए थे l
उनकी परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई थी l
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 मैं लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है l
इस वर्ष कबीर प्रकट दिवस पर 2,3,4 जून को भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर दहेज मुक्त विवाह का आयोजन किया जायेगा इस अवसर पर विश्व के सभी लोग सादर आमंत्रित हैं l
इसका सीधा प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
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और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj फेसबुक पेज पर भी इस प्रोग्राम को लाइव देख सकते हैं।
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pramanand-ji · 11 months
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🥏कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस के उपलक्ष में पूरे विश्व को निमंत्रण🥏
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 600 साल पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में जेष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे l
उनको नीरू नीमा नाम के दंपत्ति उठाकर अपने घर ले गए थे l
उनकी परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई थी l
जैसा वेदों मैं प्रमाण है l
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 मैं लिखा है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है l
इस वर्ष कबीर प्रकट दिवस पर 2,3,4 जून को भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर दहेज मुक्त विवाह का आयोज�� किया जायेगा इस अवसर पर विश्व के सभी लोग सादर आमंत्रित हैं l
इसका सीधा प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
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arvindkumarsstuff · 11 months
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🧩626वें कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस पर पूरा विश्व आमंत्रित है।🧩
आज से लगभग 626 वर्ष पूर्व कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। 
कबीर साहेब के प्राकट्य के इस उपलक्ष्य में हर साल संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस मनाते हैं। हर साल की तरह इस साल भी उनके द्वारा कबीर प्रकट दिवस समारोह उत्सव में 3 दिन तक गरीबदास जी महाराज की अमर वाणी का अखंड पाठ और विशाल भंडारा आयोजित किया जा रहा है।
इस वर्ष भी कबीर प्रकट दिवस पर 2-4 जून तक भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ किया जा रहा है।
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meenumeenu · 11 months
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gulshan4670 · 11 months
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आज से लगभग 626 वर्ष पूर्व कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। 
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इस वर्ष भी कबीर प्रकट दिवस पर 2-4 जून तक भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ किया जा रहा है।
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seedharam · 11 months
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🧩626वें कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस पर पूरा विश्व आमंत्रित है।🧩
आज से लगभग 626 वर्ष पूर्व कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। 
कबीर साहेब के प्राकट्य के इस उपलक्ष्य में हर साल संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस मनाते हैं। हर साल की तरह इस साल भी उनके द्वारा कबीर प्रकट दिवस समारोह उत्सव में 3 दिन तक गरीबदास जी महाराज की अमर वाणी का अखंड पाठ और विशाल भंडारा आयोजित किया जा रहा है।
इस वर्ष भी कबीर प्रकट दिवस पर 2-4 जून तक भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों के सतलोक आश्रमों जैसे रोहतक (हरियाणा), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), भिवानी (हरियाणा), मुंडका (दिल्ली), शामली (उत्तर प्रदेश), खमाणों (पंजाब), धुरी (पंजाब), सोजत (राजस्थान), बैतूल (मध्य प्रदेश), तथा जनकपुर (नेपाल) में भी संत गरीबदास जी की अमृत वाणी का अखंड पाठ किया जा रहा है।
इस महासमागम में पूरा विश्व आमंत्रित है। संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 2 से 4 जून 2023 को उनके 10 सतलोक आश्रमों में तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, विशाल सत्संग समारोह तथा निःशुल्क नामदीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं। संत रामपाल जी महाराज एक स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं जिसमें ना छुआछात है ना जाति-पाती ना अमीरी-गरीबी का भेद है। आप भी इस अद्वितीय समागम के साक्षी बनिए।
व्यक्तिगत रूप से आश्रम में आने में असमर्थ लोगों के लिए पाठ प्रकाश का सीधा प्रसारण यूट्यूब चैनलों और फेसबुक के माध्यम से किया जाएगा।
इस भव्य समागम में शामिल होकर इस समागम की शोभा बढ़ाएं। इस समागम का लाइव प्रसारण साधना TV पर सुबह 9:15 बजे किया जायेगा तथा
Sant Rampal Ji Maharaj YouTube चैनल
@SaintRampalJiM Twitter पर
और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj फेसबुक पेज पर भी इस प्रोग्राम को लाइव देख सकते हैं।
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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