हिन्दू नववर्ष का विक्रम संवत 2081 में प्रवेश Hindu Navavarsh
नववर्ष संपूर्ण जगत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी भिन्न-भिन्न होती है। इस साल 2024 में हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2081, पिंगल संवत्सर का स्वागत मंगलवार 9 अप्रैल 2024 के दिन किया जायेगा। हिन्दू धर
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हिन्दू नववर्ष 2024
नववर्ष संपूर्ण जगत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी भिन्न-भिन्न होती है। भिन्न-भिन्न संप्रदायों के नववर्ष समारोह भी भिन्न-भिन्न होते हैं और भिन्न-भिन्न संस्कृतियों में इसका महत्व भी भिन्न-भिन्न होता ही है।
हिन्दू नववर्ष 2024, विक्रमी संवत 2081.
मंगलवार, 9 अप्रैल 2024.
प्रतिपदा तिथि…
परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सशरीर सतलोक गए थे। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
09.04.2024, लखनऊ | 'हिन्दू नववर्ष' नव संवत्सर (विक्रम संवत 2081 प्रारम्भ) के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने दीप प्रज्जवलन करके भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा पुष्प अर्पित करके, हिन्दू नव वर्ष पर्व मनाया l
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “हिंदू धर्म में नववर्ष को विशेष महत्व दिया जाता है । नया साल हमें नई संभावनाओं के साथ नई शुरुआत करने का अवसर प्रदान करता है । इसके साथ ही यह हमें हमारे आदर्श, संस्कृति और परंपराओं को निभाने हेतु प्रेरित करता है । यह हमें पुरानी गलतियों से सीखने, नए लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपने जीवन को सशक्त बनाने के लिए नये उत्साह के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है । इस नए वर्ष में हम सभी को अपने स्वप्नों की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए । हमें अपने जीवन में नई उत्सुकता, नई सोच और नई कर्मठता के साथ काम करना चाहिए तथा अपने समाज और देश के विकास में योगदान देने हेतु प्रतिबद्ध होना चाहिए । इस नव वर्ष के अवसर पर हम आपके जीवन में सफलता, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं तथा आपसे अपील करते हैं कि आप देश के एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए जनहित में हमेशा अपना योगदान प्रदान करते रहें |"
🛸माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को कबीर साहेब ने एक चादर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चादर पर दो इं�� मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी देर में आकाशवाणी हुई कि मैं तो सतलोक जा रहा हूँ। जब लोगों ने देखा तो कबीर साहेब का शरीर वहाँ नहीं था बल्कि वहाँ शरीर के बराबर फूल मिले।
परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सशरीर सतलोक गए थे। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त
Satsang Ishwar TV | 20-02-2024 | Episode: 2304 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
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#जा_का_पाया_नहीं_शरीरा
परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सशरीर सतलोक गए थे। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
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हिन्दू नववर्ष का विक्रम संवत 2081 में प्रवेश Hindu Navavarsh
नववर्ष संपूर्ण जगत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी भिन्न-भिन्न होती है। इस साल 2024 में हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2081, पिंगल संवत्सर का स्वागत मंगलवार 9 अप्रैल 2024 के दिन किया जायेगा। हिन्दू धर
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हिन्दू नववर्ष 2024
नववर्ष संपूर्ण जगत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के भिन्न-भिन्न स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी भिन्न-भिन्न होती है। भिन्न-भिन्न संप्रदायों के नववर्ष समारोह भी भिन्न-भिन्न होते हैं और भिन्न-भिन्न संस्कृतियों में इसका महत्व भी भिन्न-भिन्न होता ही है।
हिन्दू नववर्ष 2024, विक्रमी संवत 2081.
मंगलवार, 9 अप्रैल 2024.
प्रतिपदा तिथि…
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।