" Ye dil tumhare liye hi dhadakta hai "
Kuch sawalon ke jawab milna zaruri nahi hai
Kuch logon ka humesha apke saath rehna zaruri nhi hai
Kuch kahanion ka pura hona zaruri nhi hai
Kuch raaston ka manzil tak le jana zaruri nhi hai
Kya zaruri hai kya nahi ye is dil se pucho
Sab pta hoke bhi jhooth bolna koi is dil se seekho
Yun to ye dil tumhein bhulane ki koshish krta hai
Par fir bhi ye dil tumhare liye hi dhadakta hai
Par fir bhi ye dil tumhare liye hi dhadakta hai
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तुम दूर क्या चले गए इस शहर से,
हर एक पेड़ मुरझाया सा लगने लगा है।
वह नदी जो रोज हमारे आने का इंतजार करती थी,
आज पूछ रही है मुझसे की "वह कहा है?"
मेरी डायरी अब मुझे डांटने लगी है की "तुम ये लिखती किसके बारे में हो?"
जब छत पे जाती हूं टहलने रोज की तरह,
मुझसे सवाल करते है वह तारे सारे की "वह कहा है?"
आजकल तेरी गलियों से गुजरने लगी हूं रोज,
पर तेरे दरवाजे पर लगे ताले भी मुझे पूछने लगे है की "वह कहा है?"
अब उनके सवालों के जवाब देते देते मैं थक गई हूं।
पर तुम बताओ, कैसे हो? और वापिस आने का क्या इरादा है?
वैसे अब मुझसे भी इस शहर में रहा नही जाता,
मैं अब जिस भी शहर जाऊ तू उस शहर का लगता है।
तुझसे यह नाता मेरा कुछ पिछले जन्म का लगता है।
मैं जिस भी गली भटकूं लगता है तू यही कही है
हां क्युकी तुम यही कही हो मेरा दिल जानता है।
तुम यहां से चले क्या गए लगने लगा है मेरा मकान टूट गया हो कोई
एक यही वजह है मैं जारही हूं ये शहर छोडके
और ये बात तुमको छोड़के ये सारा शहर जानता है
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रेलगाड़ियों में मेरे शब्द दागे जाते हैं
डायमंड स्टोन नोंक याद रख कर अपरिवर्तनीय के रूप में निर्वाण बोझ है हमेशा के लिए
खुशी हडसन के पास बुलेवार्ड अपने तनाव में बह रही है थूक रही है गुलाब के घाव
पर आप सो रही हैं उग्र प्रौद्योगिकी
और फटी हुई शहतूत सिल्क साड़ी पहने
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…..और चाँद रूठकर गुम हो गया!
मैं चाँद से मेरा चाँद मुझ से कहीं दूर हो गया
घने बादलों में न जाने कहाँ रूठकर खो गया
जानता हूँ वो तो दस्तूर अब भी निभाता होगा
रोज़ शब भर चमकने फलक पर आता होगा
ये मैं ही था जो अब्र के हाथों मजबूर हो गया
जो अपना वजूद था मेरा जाने कहाँ खो गया
ग़र चाँद बादलों के पार देख पाता इक दफ़ा
न यूँ सहनी पड़ती कोई भी मुझे उसकी जफ़ा
तस्दीक़ न करवानी पड़ती मुझे वादा-ए-वफ़ा
नहीं शुमार मेरी फ़ितरत में कभी होना बेवफ़ा
वैसे तो चाँद और मेरा बस अफ़साना यही है
उसके हिस्से है आसमाँ ठिकाना मेरा ज़मीं है
उसकी सूरत देखने को फिर भी तरसा पड़ा हूँ
काश चाँद जान पाता मैं अब भी वहीं खड़ा हूँ
नहीं रक्खी है दिल में कोई चाँद से शिकायत
ख़्वाब टूटे सही दिल में रहे उसी की हिमायत
न चाँद समझा मजबूरी न ही दिल के हालात
सोचा खामोश रहूँगा तभी क़ाबू रहेंगे जज़्बात
अपनी सफ़ाई में मुझे अब कुछ नहीं है कहना
कहाँ कोई समझेगा मुझे अब ऐसे ही है रहना
कैसे मानेगा चाँद ख़्याल ज़हन में यूँही चलेगा
हो उससे मुलाक��ात इंतज़ार वो शब का रहेगा
चाँदनी चाँद का साथ कहाँ छोड़ कर जाएगी
अमावस भी बताती है चाँद रात लौट आयेगी।
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यदि 'मित्र' शब्द को एक छवि की आवश्यकता है
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#yqdidi #lovepoetry
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#निहारा
सुंदर सलोनी तेरी सूरत
मुझको कितना भाती है।
बसकर मेरी आंखों में
मोती बन बह जाती है।
फूलों जैसी मुस्कान तेरी
मेरे सारे गम भुलाती है।
जब तू आकर लिपटें मुझसे
मेरी रूह भी खिल जाती है।
नन्हें – नन्हें पैरों से तू
आंगन में खेलें आंख मिचौली।
पलभर भी ओझल होती तू
तो धड़कन मेरी रूक जाती है
माथे पे तेरे कुमकुम की बिंदी
लगती जैसे चाँद सितारा
मेरे दिल का टुकड़ा है तू
“मेरी बिटिया, मेरी निहारा”
– डॉ. मुल्ला आदम अली
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नवरात्रि पर कविता l Poem On Navratri In Hindi l माता के नव रूपों का वर्ण...
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याद
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लोग कहते हैं नया अच्छा है, पर यार पुराना भी तो बुरा नहीं है
ये घर पुराना हो गया है नया घर खरीदते हैं पर यार अपनों के प्यार से बना, अपनों के दुलार से सजा और सबकी यादों से भरा ये घर भी तो थोड़ी मुरम्मत के बाद बुरा नहीं है
इतने बड़े होगे हो अभी तक अपने मां बाप के साथ रहते हो, खुद का घर क्यों नही खरीदा अभी तक? पर यार जिन्होंने इतना बड़ा किया है और घर खरीदने लायक बनाया है उनके साथ उनके घर में रहना भी तो बुरा नही है
अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए अपनों को पीछे छोड़ना ही पड़ेगा पर यार अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए अपनों को साथ में लेके चलना भी तो बुरा नहीं है
नई पीढ़ी के हो नए ख्यालातों को अपनाओ पर यार नई पीढ़ी का होकर पुराने ख्यालात रखना भी तो बुरा नहीं है
आजकल के डेटिंग, कैजुअल हुकअप के दौर में रहकर राधा कृष्णा जैसे प्रेम की उम्मीद रखना भी तो बुरा नहीं है
लोग कहते हैं बदलाव अच्छा है पर ठहराव भी तो बुरा नहीं है
इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में दो पल रुक के चीज़ों की सुंदरता को निहारना भी तो बुरा नहीं है
अपने कल को बेहतर बनाने के लिए आज में भाग दौड़ करना अच्छा है पर यार उसी आज में से अपने लिए ही कुछ वक्त चुराना भी तो बुरा नहीं है
दिशा
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एक समय ऐसा भी
जिसे कभी-कभी नहीं, रोज़ ही कोई खयाल आता हो, उससे कभी सपनों के बारे मे पूछना। अतरंगी जवाब न मिले, ऐसा हो ही नहीं सकता। आज का ये मेरा खयाल ऐसे ही सोच के कुएँ से निकला है।
कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। पर उस चाहत की राह के गुण तभी गाने चाहिए जब खुद को साबित करने की क्षमता हो। वरना फिर वही बात हो जाती है कि, “अधजल गागरी छलकत जाए”। इतने सालों की मेहनत और अभ्यास के बाद, अब मैं ये कह सकती हूँ कि मैं हिंदी भाषा के क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ खड़ी हूँ। मुझे उम्मीद है आपको पसंद आएगा!
कई सालों पहले साहिर लुधियानवी जी ने लिखा था, “कभी-कभी मेरे दिल मे खयाल आता है”। पर…
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तुम चांद हो, तुम रात हो, तुम मेरे मन का राग हो मैं शब्द हू, तुम गीत हो, तुम एक प्रसिद्ध संगीत हो
मैं अश्क हू, तुम झील हो, चिंतित के मन की जीत हो मैं पंक्ति हू, तुम काव्य हो, तुम एक कवि का ख्वाब हो
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जन्नत!
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कल लिखता है, छल लिखता है
सुना है इन दिनों तू कविता और ग़ज़ल लिखता हैआजकी बात नहीं करता, कल ही कल लिखता है ।
अतीत की गहराइयों में नहीं मिला करते हैं मोतीक्यों आज के सवालों पर कल के हल लिखता है ?
निज़ाम ने हाथ में क्या थमा दी तेरे कलम सोने कीउनके स्याह दिनों को भी स्वर्णिम पल लिखता है ।
बड़ा ऊंचा दाम होगा इंडिया और भारत में भेद कातभी एक को कंवल व दूजे को दलदल लिखता है ।
कहीं तेरे लिए ही फंदे ना हो जाये नये…
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आप लेखक समाचार चैनलों की शक्ति को नहीं जानते हैं। मैं किसी से भी डरता नहीं हूं जो नकारात्मकता के लिए काम करता है कुछ हद तक रेंज में रहें
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