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#साथ विश्राम
naveensarohasblog · 1 year
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#गीता_तेरा_ज्ञान_अमृत_Part_2
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जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
श्रीमद्भगवत गीता का ज्ञान जिस समय (सन् 2012 से लगभग 5550 वर्ष पूर्व) बोला गया, उस समय कोई धर्म नहीं था। हिन्दू धर्म यानि आदि शंकराचार्य द्वारा चलाई गई पाँच देव उपासना वाली परंपरा को अपनाने वाले हिन्दू कहे जाने लगे। (वास्तव में यह सनातन पंथ है जो लाखों वर्षों से चला आ रहा है।) उस (हिन्दू धर्म) की स्थापना आदि (प्रथम) शंकराचार्य जी ने सन् 2012 से 2500 वर्ष पूर्व की थी। आदि शंकराचार्य जी का जन्म ईसा मसीह से 508 वर्ष पूर्व हुआ था। आठ वर्ष की आयु में उन्हें उपनिषदों का ज्ञान हो गया। सोलह वर्ष की आयु में आदि शंकराचार्य जी ने एक विरक्त साधु से दीक्षा ली जो गुफा में रहता था। कई-कई दिन बाहर नहीं निकलता था। उस महात्मा ने आदि शंकराचार्य जी को बताया कि ‘‘जीव ही ब्रह्म है।‘‘ (अयम् आत्मा ब्रह्म) का पाठ पढ़ाया तथा चारों वेदों में यही प्रमाण बताया। लोगों ने आदि शंकराचार्य जी से पूछा कि यदि जीव ही ब्रह्म है तो पूजा की क्या आवश्यकता है? आप भी ब्रह्म, हम भी ब्रह्म (ब्रह्म का अर्थ परमात्मा) इस प्रश्न से आदि शंकराचार्य जी असमंजस में पड़ गए। आदि शंकराचार्य जी ने अपने विवेक से कहा कि श्री विष्णु, श्री शंकर की भक्ति करो।
फिर पाँच देवताओं की उपासना का विधान दृढ़ किया - 1) श्री ब्रह्मा जी 2) श्री विष्णु जी 3) श्री शिव जी 4) श्री देवी जी 5) श्री गणेश जी।
परंतु मूल रूप में इष्ट रूप में तमगुण शंकर जी को ही माना है। यह विधान आदि शंकराचार्य जी ने 20 वर्ष की आयु में बनाया अर्थात् 488 ईशा पूर्व हिन्दू धर्म की स्थापना की थी। उसके प्रचार के लिए भारत वर्ष में चारों दिशाओं में एक-एक शंकर मठ की स्थापना की। आदि शंकराचार्य जी ने
गिरी साधु बनाए जो पर्वतों में रहने वाली जनता में अपने धर्म को दृढ़ करते थे।
पुरी साधु बनाए जो गाँव-2 में जाकर अपने धर्म को बताकर क्रिया कराते थे।
सन्यासी साधु बनाए जो विरक्त रहकर जनता को प्रभावित करके अपने साथ लगाते थे।
वानप्रस्थी साधु बनाए जो वन में रहने वाली जनता को अपना मत सुनाकर अपने साथ जोड़ते थे।
वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) तथा गीता व पुराणों, उपनिषदों को सत्यज्ञानयुक्त पुस्तक मानते थे जो आज तक हिन्दू धर्म के श्रद्धालु इन्हीं धार्मिक ग्रन्थों को सत्य मानते हैं। इस प्रकार हिन्दू धर्म की स्थापना ईसा से 488 वर्ष पूर्व (सन् 2012 से 2500 वर्ष पूर्व) हुई थी। आदि शंकराचार्य जी 30 वर्ष की आयु में असाध्य रोग के कारण शरीर त्यागकर भगवान शंकर के लोक में चले गए क्योंकि वे शंकर जी के उपासक थे, उन्हीं के लोक से इसी धर्म की स्थापना के लिए आए माने गए हैं। उस समय बौद्ध धर्म तेजी से फैल रहा था। उसको उन्हांेने भारत में फैलने से रोका था। यदि बौद्ध धर्म फैल जाता तो चीन देश की तरह भारतवासी भी नास्तिक हो जाते।
ईसाई धर्म की स्थापना:-
श्री ईसा मसीह जी से ईसाई धर्म की स्थापना हुई। ईसा जी की जब 32 वर्ष की आयु थी, उनको क्रश पर कीलें गाढ़कर विरोधी धर्म गुरूओं ने गवर्नर पर दबाव बनाकर मरवा दिया था।
ईसा जी को उसी प्रभु ने ‘‘इंजिल‘‘ नामक ग्रन्थ देकर उतारा था जिसने गीता तथा वेदों का ज्ञान दिया था। ‘‘इंजिल‘‘ पुस्तक में भिन्न ज्ञान नहीं है क्योंकि आध्यात्मिक ज्ञान तो पहले गीता, वेदों में बताया जा चुका था। वह किसी धर्म विशेष के लिए नहीं है। वह गीता तथा वेदों वाला ज्ञान मानव मात्र के लिए है। ईसा जी के लगभग छः सौ वर्ष पश्चात् हजरत मुहम्मद जी ने इस्लाम धर्म की स्थापना की। मुहम्मद जी को पवित्र ‘‘र्कुआन् शरीफ‘‘ ग्रन्थ उसी ब्रह्म ने दिया था। इसमें भी भक्ति विधि सम्पूर्ण नहीं है, सांकेतिक है क्योंकि भक्ति का ज्ञान वेदों, गीता में बता दिया था। इसलिए र्कुआन् शरीफ ग्रन्थ में पुनः बताना अनिवार्य नहीं था। जैसे गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में, यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 10 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा जिसने सर्व सृष्टि की रचना की है, उसके विषय में किसी तत्वदर्शी सन्त से पूछो, वे ठीक-ठीक ज्ञान तथा भक्तिविधि बताऐंगे।
जो सन्त उस पूर्ण परमात्मा का ज्ञान जानता है तो वह सत्य साधना भी जानता है।
बाईबल ग्रन्थ का ज्ञान भी गीता ज्ञान दाता ने ही दिया है, (बाईबल ग्रन्थ तीन पुस्तकों का संग्रह है - 1. जबूर, 2. तौरत, 3. इंजिल) बाईबल ग्रन्थ के उत्पत्ति ग्रन्थ में प्रारम्भ में ही लिखा है कि परमेश्वर ने मनुष्यों को अपनी सूरत अर्थात् स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया है, नर-नारी करके उत्पत्ति की है। छः दिन में सृष्टि की रचना करके परमेश्वर ने 7वें दिन विश्राम किया।
र्कुआन् शरीफ:- पुस्तक र्कुआन् शरीफ में सूरति फूर्कानि नं. 25 आयत नं. 52 से 59 में कहा है कि अल्लाह कबीर ने छः दिन में सृष्टि रची, फिर ऊपर आकाश में तख्त (सिंहासन) पर जा विराजा। उस परमेश्वर की खबर किसी बाहखबर अर्थात् तत्वदर्शी सन्त से पूछो। र्कुआन् के लेख से स्पष्ट है कि र्कुआन् शरीफ का ज्ञान दाता भी उस पूर्ण परमात्मा अर्थात् ��ल्लाहु अकबर (अल्लाह कबीर) के विषय में पूर्ण ज्ञान नहीं रखता।
र्कुआन् शरीफ की सूरति 42 की प्रथम आयत में उन्हीं तीन मन्त्रों का सांकेतिक ज्ञान है जो गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में हैं। कहा है कि ब्रह्मणः अर्थात् सच्चिदानन्द घन ब्रह्म की भक्ति के ’’ऊँ-तत्-सत्’’ तीन नाम के स्मरण करो। र्कुआन् शरीफ में सूरति 42 की प्रथम आयत में इन्हीं को सांकेतिक इस प्रकार लिखा हैः- ’’अैन्-सीन्-काॅफ’’
’’अन्’’ हिन्दी का ‘‘अ‘‘ अक्षर है जिसका संकेत ओम् की ओर है। अैन् का भावार्थ ओम् से है, सीन् = स अर्थात् जो गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में दूसरा तत् मन्त्र है, उसका वास्तविक जो मन्त्रा है, उसका पहला अक्षर ’’स’’ है, यही ओम + सीन् या तत् मिलकर सतनाम दो मन्त्र का बनता है और र्कुआन् शरीफ में जो तीसरा मन्त्र ’’काफ’’ = ’’क’’ है जो गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखे तीन नामों में अन्तिम ’’सत्’’ मन्त्र है। (जैसे गुरू मुखी में क को कका, ख को खखा तथा ग को गगा, ऊ को ऊड़ा, ई को इड़ा कहते तथा लिखते हैं। इसी प्रकार कुरान में अ, स, क को लिखा है।)
‘‘सत्‘‘ मन्त्र सांकेतिक है परन्तु वास्तविक जो नाम है, उसका पहला अक्षर ’’क’’ है, (वह ‘‘करीम’’ मंत्र है) जिसे सारनाम भी कहते हैं। जिन भक्तों को मेरे (संत रामपाल दास) से तीनों मन्त्रों का उपदेश प्राप्त है, वे उन दोनों सांकेतिक मन्त्रों के वास्तविक नामों को जानते हैं।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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pranav-priyadarshi · 2 years
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✍️कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है
एक समय की बात है गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे। रास्ता काफी लंबा था चलते – चलते सभी थक से गए थे। अब उन्हें विश्राम करने की इच्छा हुई , किंतु अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती। इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे। रास्ते में एक नाला आया जिस को पार करने के लिए लंबी छलांग लगानी थी। सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार किया। किंतु गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया। सभी शिष्य परेशान हुए एक शिष्य गोपाल कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया। अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे , योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए ?
गुरु जी परेशान होने लगे
क्योंकि गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था। उनकी सिख पर कोई भी शिष्य अमल नहीं कर रहा है। अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ , ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए। एक शिष्य मदन उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा , किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया। क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल लेकर ऊपर आ गया।
गुरु जी ने अपने शिष्य मदन की खूब प्रशंसा की और भरपूर सराहना की उसने तुरंत कार्य को अंजाम दिया और गुरु द्वारा पढ़ाए गए पाठ पर कार्य किया। तभी शिष्य गोपाल जो सफाई कर्मचारी को ढूंढने गया था वह भी आ पहुंचा , उसे अपनी गलती का आभास हो गया था।
कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है , अपना काम स्वयं करना चाहिए।
किसी भी संकट में होने के बावजूद भी दूसरे व्यक्तियों से मदद कम से कम लेना चाहिए।
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#Motivation #Thoughts #Success #JoshTalks #Aim #Target #Growth #Personality #Development #Stories #Hindi #English
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raghunathsstuff · 2 years
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#Myth_Vs_Fact
Sant Rampal Ji Maharaj
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धारणा- सृष्टिका रचयिता ब्रह्मा, विष्णु, शिव हुन्।
खण्डन- सन्त रामपालजी महाराज जीले पवित्र कुरान शरीफ तथा बाइबलमा प्रमाणका साथ बताउनुभयो कि सृष्टिका रचयिता पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर हुन्।
कुरान शरीफ सुरत फुरकान 25 आयत नम्बर 52 देखि 59 सम्म कबीर अल्लाहले छ दिनमा सृष्टिको रचना गर्नुभयो तथा सातौं दिन सिंहासनमा गएर विराजमान हुनुभयो।
तथा
बाइबल उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 मा आ.1:20- 2:5 मा प्रमाण छ कि परमेश्वरले छ दिनमा सृष्टिको उत्पत्ति गरे र सातौं दिनमा विश्राम गर्नुभयो।
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chandramurty · 2 years
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तिनचुले की यात्रा
तिनचुले,उत्तरी बंगाल के पहाड़ों में 5800 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित,एक खूबसूरत,छोटा सा गांव है।न्यू जलपाईगुड़ी से इसकी दूरत्व करीब 75 kms की होगी।
कोलकाता के अपने कार्यकाल के दौरान सहकर्मियों से इसकी बहुत तारीफ सुनी थी। बंग बंधुओं के संगत में मुझमें भी हिम्मत जाग उठी और एक दिन तिनचुले जाने हेतु न्यू जलपाईगुड़ी का टिकट ले ही लिया।
चार दिनों की छुट्टी थी। बंधुओं ने बताया था का चार दिन तिनचुले और आस पास के दर्शनीय स्थलों के भ्रमण हेतु काफी होंगे। मैंने रहने के लिये वहां के एक Homestay में online बुकिंग भी करवा ली।
प्रस्थान का दिन भी आ गया। अल-सुबह हावड़ा स्टेशन से अपनी ट्रेन के चेयर कार में "उठ" गया।फिर सोते-जागते, पीते-खाते रात्रि के 10 बजे करीब न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन में "नाम"गया। स्टेशन के पास के ही एक होटल में बुकिंग किया हुआ था।गरमा-गरम "माछ-भात" पाने के बाद रात्रि विश्राम वहीं हुआ।
Homestay वालों से ही अनुरोध किया था एक गाडी भेज देने के लिए।सुबह 9 बजे उनकी गाड़ी होटल में पहुंच गई और तिनचुले का सफर शुरू हो गया।
"सिवोक खोला" Bridge पार करते करते भूख लग आई। वहीं एक Restaurant में स्वादिष्ट आलू पराठा और दही का नाश्ता कर फिर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर।तीस्ता नदी के किनारे-किनारे बल खाती हुई सडक पर हमारी गाड़ी सरपट भाग रही थी।
मनोरम पहाड़ियों और घाटियों को देखते देखते झटका लगा..हमारी गाड़ी मुख्य मार्ग से एकाएक बायें मुडकर तीखी चढाई चढने लगी थी।मैं खुद भी Drive करता हूँ पर मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि वैसी तीखी चढाई और वैसे तीखे मोड पर Driving,मेरे Capability level से काफी उपर की चीज थी।
अब हम घने जंगलों के बीच से गुजर रहे थे।बारिश में भींगे जंगलों की एक अलग सी खुशबू मदमस्त कर रही थी।Driver जंगल मे पाये जाने वाले जड़ी बूटियों के बारे में बता रहा था।सर्दी,खांसी,बुखार, बदन दर्द,रक्त चाप आदि अनेक तकलीफों का इलाज ये लोग इन्ही जड़ी- बूटियों से करते हैं।सच में मुझे देख कर ये आश्चर्य हुआ कि रास्ते में कोई दवा की दुकान नहीं दिखी!
3 घंटे के मनोरम सफर के बाद एक छोटे से शांत गांव, तिनचुले,अपने गंतव्य पर, पहुंच गया।जो रूम मेरे लिये आरक्षित था उसमें कुछ समस्या होने के कारण उसी Tariff पर एक Deluxe रूम उन्होंने आवंटित कर दिया!
रूम काफी बड़ा एवं सुसज्जित था। First Floor होने के कारण सुदूर पर्वत श्रृंखला का अति मनोरम View मिल रहा था।बारिशों का मौसम था और बादल उमड़-घुमड़ कर कमरे के अंदर चले आ रहे थे। कुछ देर तक तो मंत्रमुग्ध हो सामने चल रही दृश्यावली निहारता ही रह गया।
ये Homestay 3 तलों पर बना हुआ था।एक तल रोड के बराबर था, एक रोड से नीचे तल में और एक प्रथम तल पर।तीनों तल से View मनोरम था।
लंच का समय हो चुका था। Dining Hall सबसे नीचे वाले तल पर था।सीढियां उतर कर वहां पहुंचा।अति स्वादिष्ट भोजन सामने था।चावल, दाल,रोटी,फिश करी, आलूद��,बेगुन भाजा, सलाद,पापड़,भुत-जोलकिया मिर्च का अचार,साथ में पहाड़ी गाय की घी!ये मिर्च सबसे ज्यादा तीखी मानी जाती है और वहां मान्यता है कि इसके साथ घी खाना आवश्यक है।
खाना Homestay परिवार के लोग ही मिल कर बनाते हैं और बहुत ही प्यार से खिलाते हैं। ताजी मछली देख कर मुझे आश्चर्य हुआ कि ये 6000 फीट की ऊंचाई पर मछलियाँ कैसे मिली? पता चला कि नीचे आने-जाने वाली गाड़ीयों से ये Supply Chain संचालित होता है।
स्वादिष्ट भोजन और खिलाने वालों के प्यार से मन तृप्त हो गया।थकावट और भर पेट भोजन के कारण कमरे में आ कर गहरी नींद में सो गया।
शाम को नींद खुली तो सामने दार्जिलिंग की चाय और चिकेन मोमो की प्लेट थी। चाय पी कर बाहर निकल पड़ा।शाम के सुरमई उजाले में तिनचुले गांव में 2/3 kms घूम आया। स्थानीय लोग थोड़े संकोची पर मिलनसार लगे। जरूरत का सारा सामान मिल जाता है, दवाईयां छोड कर!
लौटा तो पूरा अंधकार हो चुका था।Bonfire की तैयारियां चल रही थी।एक ग्रुप गिटार पर कुछ मनोरम धुन छेड़ रहा था। मैं भी उधर ही बैठ गया।Barbecue का भी सरंजाम था। Chicken और पनीर की व्यंजन तैयार हो रहे थी, लकड़ी के कोयले के मद्धम आंच में। ठंड बढ रही थी।कुछ देर के बाद मैं कमरे मे चला आया।उधर Bonfire की पार्टी अपने शबाब पर थी।
रात्रि भोजन अन्य dishes के साथ Barbecued Chicken, Fried Fish भी परोसा गया। अब कल सुबह local sight seeing के लिये जाना था।कार बुक हो गई थी।9 बजे तक निकल जाने का सोचा था।
सुबह 7 बजे उठा और चाय बिस्कुट ले कर रेडी होने लगा।नाश्ते में छोले- भटूरे और Boiled Eggs मिले।ठीक 9 बजे Lover's Meet Point के लिये निकल गया। ये "तीस्ता" एवं "रंगीत" नदी का संगम है।वहां एक View Point बना हुआ है जिस पर सैलानियों की भीड़ जमा रहती है।नीचे नदी के तीर पर Rafting का भी इंतजाम है। रास्ते में कई View Points और कई प्रसिद्ध चाय बागान भी हैं, Peshoke Tea Garden, Runglee Rungliot,Lopchu Tea Estate,आदि। एक नारंगी का बागान भी है,Nirmal's Orchard। Season नही था तो नारंगी तो नहीं दिखे पर Preserve किये हुए कई खाद्य उत्पाद उचित मूल्य पर वहां उपलब्ध थे।
Kalimpong शहर की छटा भी View Points से देखने को मिलती है। मौसम बारीशाना होने के कारण Kanchenjunga की चोटियां नजर नहीं आईं। सिक्किम का भी कुछ हिस्सा View Points से देखने को मिलता है।लौटते समय Tinchuley Monastery तथा Orchid Garden भी देख लिया। तिनचुले,असल में "तीन" और "चूल्हे" शब्दों के मेल से बना है।तिनचुले तीन चूल्हाकार पहाडियों से घिरा हुआ है।इसलिए इसका नाम तिनचुले पड़ गया।
3 बजे तक घूम फिर कर लौट आया।भूख लगी थी और Homestay kitchen ने शानदार खाना लगाया था। रोटी,चावल,दाल,चिकन करी, माछ भाजा,आलू चुरी भाजा,पापड़ उपर से शुद्ध घी और भुत-जोलकिया मिर्च का अचार..विशुद्ध तृप्तिकारी भोजन! भोजनोपरांत कमरे में पहुंचते ही बिस्तर पे गिरा और सो गया। शाम में चाय-पकौड़े का आनंद ले ही रहा था कि देखा कि कई Missed calls के Notifications आये हुए थे। असल में वहां पर Mobile Networks काफी कमजोर रहते हैं।काॅल किया तो पता चला कि कुछ आवश्यक कार्यवश कल ही वापस लौटना पड़ेगा। क्या करता..लौटने की तैयारी में लग गया। लेकिन दिल और दिमाग बार बार कह रहे थे..
WE'LL BE BACK..😎😎
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dainiksamachar · 3 days
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दिल्ली के टाउन हॉल की कहानी जहां पहली बार MCD ने की थी मीटिंग, ब्रिटेन के राजकुमार से लेकर दलाई लामा तक आ चुके
नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम की 161वीं वर्षगांठ पर, पुराने दिल्ली में टाउन हॉल भवन में एक हैरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। वहीं से जहां से इस नगर निकाय का सफर शुरू हुआ था। ये इमारत, जो मूल रूप से दिल्ली इंस्टीट्यूट की थी। 1858 में उत्तर-पश्चिमी प्रांतों से पंजाब प्रांत में दिल्ली के स्थानांतरण के बाद 1861 से 1866 के बीच बनाई गई थी। एमसीडी की पहली बैठक 1 जून, 1863 को हुई थी। उस वक्त इसे दिल्ली नगर पालिका कहा जाता था और इसकी अध्यक्षता निकाय के उद्घाटन आयुक्त, डब्ल्यूजी हैमिल्टन ने की थी। दिल्ली इंस्टीट्यूट बनने से पहले, यह जगह पहले से ही एक महत्वपूर्ण स्थल था जिसे करवां सराय के नाम से जाना जाता था। यह मुगल सम्राट शाहजहां की बेटियों में से एक विश्राम गृह के रूप में बनवाया था। चांदनी चौक की मुख्य सड़क के अंत की ओर स्थित टाउन हॉल परिसर में कई इमारतें शामिल थीं- नगरपालिका का हॉल: यह आधिकारिक समारोहों के लिए इस्तेमाल होता था।दरबार हॉल: इसका इस्तेमाल सामाजिक कार्यक्रमों और बैठकों के लिए किया जाता था।पूर्व और उत्तर दिशा में बने कार्यालय भवन: इनमें विभिन्न विभागों के दफ्तर हुआ करते थे।MCD के विरासत प्रकोष्ठ के कार्यकारी अभियंता संजीव कुमार सिंह ने बताया कि दिल्ली इंस्टीट्यूट की इमारत को मूल रूप से भारतीय नागरिकों के चंदे के रूप में 30,000 रुपये के प्रांतीय धन से बनाया गया था। 1866 में, दिल्ली नगर पालिका ने विशेष प्रयासों के बाद 1,35,475 रुपये में इमारत को खरीद लिया। शुरुआत में इस जगह पर एक उच्च शिक्षा संस्थान, सार्वजनिक पुस्तकालय, क्लब और शहर के विकास से संबंधित मामलों पर चर्चा करने के लिए टाउन हॉल बनाने का विचार था।दिल्ली नगर निगम में शुरुआती दिन क्या होता था?दिल्ली नगर पालिका के पहले साल में ही जन्म और मृत्यु का रजिस्टर करने की व्यवस्था शुरू हो गई थी। साथ ही कई सार्वजनिक परियोजनाओं को भी चलाया गया, जैसे कच्ची सड़कों की मरम्मत, नालियों और गटरों की सफाई, और सदर बाजार में एक शाखा औषधालय खोलना, जहां उन लोगों के लिए एक भारतीय हकीम मौजूद था जो पारंपरिक इलाज करवाना पसंद करते थे। टाउन हॉल के मुख्य द्वार पर रानी विक्टोरिया की एक कांस्य की प्रतिमा थी, जिसे बाद में स्वतंत्रता के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया।1958 में हो गया दिल्ली नगर निगम 1863 में, जनवरी से दिसंबर तक दिल्ली नगर पालिका का राजस्व 98,276 रुपये था। 1958 में दिल्ली नगर पालिका का नाम बदलकर दिल्ली नगर निगम कर दिया गया और पीआर नायक को इसका आयुक्त नियुक्त किया गया। टाउन हॉल ने कई प्रसिद्ध हस्तियों को भी देखा है, जिनमें ब्रिटेन के राजकुमार अल्बर्ट विक्टर, इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा शामिल हैं।हालांकि, समय बीतने के साथ, चांदनी चौक का यह ऐतिहासिक Victorian शैली का शानदार ���वन, रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गया। इसकी वजह ये थी कि MCD अपना मुख्य कार्यालय मिन्टो रोड पर बने आधुनिक सिविक सेंटर में ले गया। अतिक्रमण के डर से मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया है और MCD ने इस विरासत भवन की रक्षा के लिए लोहे की जाली लगा दी है। इमारत के जीर्णोद्धार के कई प्रयासों के बावजूद, यह प्रतिष्ठित ढांचा जर्जर होता चला गया। सिंह ने बताया कि टाउन हॉल और आसपास की इमारतों और पार्कों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई गई है। हम इसे चरणों में पूरा करेंगे। http://dlvr.it/T7k1yc
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jyotis-things · 7 days
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( #Muktibodh_Part290 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part291
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 555
”पवित्र बाईबल तथा पवित्र कुरान शरीफ में सृष्टि रचना का प्रमाण“
इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुरान शरीफ में भी है।
कुरान शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टि रचनहार तथा उसका वास्तविक
नाम क्या है।
पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)
छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :
अन्य प्राणियों की रचना करके 26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा।
27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
29. प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, (माँस खाना नहीं कहा है।)
सातवां दिन :- विश्राम का दिन :
परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टि की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।
पवित्र बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुर्कानि 25, आयत नं. 52, 58, 59)
आयत 52 :- फला तुतिअल् - काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा (कबीरन्)।।52।
इसका भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी का खुदा (प्रभु) कह रहा है कि हे पैगम्बर ! आप काफिरों (जो एक प्रभु की भक्ति त्याग कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि की पूजा करते हैं) का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते। आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना (लड़ना नहीं) अर्थात् अडिग रहना।
आयत 58 :- व तवक्कल् अलल् - हरिल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही
बिजुनूबि अबादिही खबीरा (कबीरा)।।58।
भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो
तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा, वह कबीर
अल्लाह (कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।
आयत 59 :- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन्
सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।
भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी (बाखबर) तत्त्वदर्शी संत से पूछो
उस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे होगी तथा वास्तविक ज्ञान तो किसी तत्त्वदर्शी संत (बाखबर) से पूछो, मैं नहीं जानता।
उपरोक्त दोनों पवित्र धर्मों (ईसाई तथा मुसलमान) के पवित्र शास्त्रों ने भी मिल-जुल कर प्रमाणित कर दिया कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।
आदरणीय धर्मदास जी ने पूज्य कबीर प्रभु से पूछा कि हे सर्वशक्तिमान ! आज तक यह तत्त्वज्ञान किसी ने नहीं बताया, वेदों के मर्मज्ञ ज्ञानियों ने भी नहीं बताया। इससे सिद्ध है कि चारों पवित्र वेद तथा चारों पवित्र कतेब (कुरान शरीफ आदि) झूठे हैं। पूर्ण परमात्मा ने कहा :-
कबीर, बेद कतेब झूठे नहीं भाई, झूठे हैं जो समझे नाहिं।
भावार्थ है कि चारों पवित्र वेद (ऋग्वेद - अथर्ववेद - यजुर्वेद - सामवेद) तथा पवित्र चारों कतेब (कुरान शरीफ - जबूर - तौरात - इंजिल) गलत नहीं हैं। परन्तु जो इनको नहीं समझ पाए वे नादान हैं।
क्रमशः_____
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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ram-kuti · 11 days
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रामकुटी पुष्कर : आध्यात्मिक शांति के साथ बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराने वाला एक शानदार गेस्ट हाउस
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पुष्कर पूरी दुनिया में भगवन ब्रह्मा की पवित्र नगरी के रूप में विख्यात है। यहां वर्ष भर तीर्थयात्री आध्यात्म और मानसिक शांति की खोज में आते हैं। ऐसे तीर्थयात्रियों के लिए शहर की हृदयस्थली में बसा रामकुटी किसी अनमोल उपहार से कम नहीं। रामकुटी विश्व प्रसिद्द ब्रह्मा मंदिर से सिर्फ 1.20 मील और पुष्कर झील से सिर्फ एक मील की दूरी पर स्थित होने की वजह से सैलानियों और तीर्थयात्रियों के लिए पसंदीदा विश्राम स्थल बन चुका है।
दिव्य एवं शांतिपूर्ण वातावरण समेटे रामकुटी में सैलानियों को बेहद कम कीमत पर बेहतरीन सुविधाएं मिलती हैं। यहां बेहद सस्ते दर पर ठहरने के लिए एसी कमरों और खाना-पीना के साथ-साथ निःशुल्क प्राइवेट पार्किंग और वाई-फाई की सुविधा भी उपलब्ध है। आरामदायक व साफ़-सुथरे कमरे, प्राइवेट बाथरूम, प्राइवेट पार्किंग शुद्ध और शाकाहारी भोजन, ध्यान और साधना के लिए अलग स्थान, हरियाली से भरा कैम्पस यहाँ आने वाले यात्रियों को बिलकुल अपने घर जैसा महसूस कराते हैं। वराह मंदिर से टहलते हुए सिर्फ 14 मिनट में रामकुटी पहुँच सकते हैं।
बरसों पहले पुष्कर में पूज्य संत रणछोड़दास जी महाराज ने रामधन नाम के आश्रम की स्थापना की थी. उसी आश्रम के ठीक सामने गुरुदेव के भक्त हरिभाई नाथवानी और भागीरथभाई नाथवानी ने रामकुटी नाम के एक मकान का निर्माण कराया. रामकुटी के बेसमेंट में रणछोड़दास जी महाराज विश्राम और साधना किया करते थे.
गुरुदेव के निधन के बाद रामकुटी का स्वामित्व ज्योतिबेन मनुभाई फाउंडेशन के पास चला गया. इस फाउंडेशन की स्थापना मनुभाई माधवानी ने अपनी पत्नी ज्योतिबेन मनुभाई माधवानी की स्मृति में की थी। ज्योतिबेन फाउंडेशन ने रामकुटी का विस्तार कराया और इसके परिसर में एक अतिथि गृह का निर्माण कराया, जहाँ ठहरने के लिए बहुत ही उत्तम व्यवस्था की गई, जिसकी वजह से रामकुटी पुष्कर में बहुत जल्द प्रसिद्ध हो गया। चेक-इन की आसान प्रक्रिया, यात्रियों का गर्मजोशी भरा स्वागत और यहाँ मिलने वाली उत्कृष्ट सर्विस की वजह से पुष्कर आने वाले यात्रियों में रामकुटी की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। आज स्थिति ये है कि पुष्कर की यात्रा पर आने वाले यात्री बजट होटल के ऊपर रामकुटी को तरजीह देते हैं।
रामकुटी की सारी व्यवस्था और देखभाल ज्योतिबेन मनुभाई फाउंडेशन द्वारा ही किया जाता है. अब वहां सिर्फ संत रणछोड़दास जी महाराज के अनुयायी ही नहीं, बल्कि पुष्कर की धार्मिक यात्रा पर आये अन्य तीर्थयात्री भी ठहरते हैं. अगर आप भागदौड़ भरी व्यस्त शहरी जीवनशैली से छुटकारा पाने के लिए शांति की खोज में पुष्कर जाने की योजना बना रहे हैं तो रामकुटी आपके लिए एक आदर्श विश्राम स्थल साबित होगा।
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sharpbharat · 16 days
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Horoscope Know Your Day Tuesday 21st May 2024 - राशिफल, जानें कैसा होगा आपका दिन- मंगलवार 21 मई 2024
मेष राशिथोड़ा विश्राम करें और काम के बीच-बीच में जितना हो सके, उतना आराम करते रहें। आज के दिन आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, संभव है कि आप आवश्यकता से अधिक खर्च करें या आपका पर्स खो भी सकता है। ऐसे मामलों में सावधानी की कमी आपको आर्थिक क्षति पहुंचा सकत�� है। दोस्त और रिश्तेदार साथ में अधिक समय व्यतीत करने की बात करेंगे, लेकिन यह सभी दरवाजे बंद करके राजसी आनंद लेने का समय है।…
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dgnews · 18 days
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पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं जबलपुर विधायक लखन लाल घनघोरिया जी ने पीतांबरा पीठ पर पूजा पाठ एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं से की मुलाकात
दतिया । मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं जबलपुर विधायक लखन घनघोरिया जी ने आज दिनांक 17/05/2024 को माँ पीताम्बरा के दर्शन कर एवं मोटल होटल मे कांगेस पदाधिकारीगण एवं समस्त कार्यकर्ताओ से भेंट कर राजनीति की गहन चर्चा की। कल 16 मई को मोटल होटल में रात्रि विश्राम किया उनके साथ सागर ग्रामीण कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश तोमर,सागर शहर कांग्रेस अध्यक्ष रामकुमार पचौरी,शैलेन्द तोमर सागर आदि…
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विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर डॉ. एम.डी. फ़रहान शिकोह के साथ
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विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), सभी से अपने हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रखने का आग्रह करते हैं। उच्च रक्तचाप, जिसे अक्सर हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है, एक खामोश कातिल है जो लाखों लोगों को प्रभावित करता है। समय पर पहचान और सही प्रबंधन से दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के प्रमुख सुझाव:
नियमित रूप से अपने रक्तचाप की जांच करें।
कम नमक और फलों व सब्जियों से भरपूर स्वस्थ आहार लें।
अपने दिल को मजबूत रखने के लिए नियमित व्यायाम करें।
शराब का सेवन सीमित करें और धूम्रपान से बचें।
तनाव को कम करने के लिए ध्यान और योग जैसे विश्राम तकनीकों का उपयोग करें।
यदि आपको अपने रक्तचाप या हृदय स्वास्थ्य के बारे में कोई चिंता है, तो बिना झिझक डॉ. एम.डी. फ़रहान शिकोह से संपर्क करें। उनका क्लिनिक, सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर स्थित है। आप उन्हें 6200784486 पर कॉल कर सकते हैं या अधिक जानकारी और अपॉइंटमेंट बुकिंग के लिए drfarhancardiologist.com पर विजिट कर सकते हैं।
सचेत रहें, स्वस्थ रहें, और मिलकर उच्च रक्तचाप को हराएं!
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naveensarohasblog · 1 year
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#ज्ञानगंगा_Part22
पवित्र बाईबल तथा पवित्र कुरान शरीफ में सृष्टि रचना का प्रमाण
Srishti Rachna Bible Quran
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इसी का प्रमाण पवित्र बाईबल में तथा पवित्र कुरान शरीफ में भी है।
कुरान शरीफ में पवित्र बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्र सद्ग्रन्थों ने मिल-जुल कर प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टि रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है।
पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)
छटवां दिन:- प्राणी और मनुष्य:
अन्य प्राणियों की रचना करके 26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, (माँस खाना नहीं कहा है।) सातवां दिन:- विश्राम का दिन:
परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टि की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।
पवित्र बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।
पवित्र कुरान शरीफ (सुरत फुर्कानि 25, आयत नं. 52, 58, 59)
आयत 52:- फला तुतिअल् - काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा (कबीरन्)।।52।
इसका भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी का खुदा (प्रभु) कह रहा है कि हे पैगम्बर ! आप काफिरों (जो एक प्रभु की भक्ति त्याग कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि की पूजा करते हैं) का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते। आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष करना (लड़ना नहीं) अर्थात् अडिग रहना।
आयत 58:- व तवक्कल् अलल् - हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा (कबीरा)।।58।
भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्र महिमा) का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह (कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।
आयत 59:- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम���मस्तवा अलल्अर्शि अर्र��्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।
भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भी विद्यमान है सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी (बाखबर) तत्वदर्शी संत से पूछो
उस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे होगी तथा वास्तविक ज्ञान तो किसी तत्वदर्शी संत (बाखबर) से पूछो, मैं नहीं जानता।
उपरोक्त दोनों पवित्र धर्मों (ईसाई तथा मुसलमान) के पवित्र शास्त्रों ने भी मिल-जुल कर प्रमाणित कर दिया कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।
आदरणीय धर्मदास जी ने पूज्य कबीर प्रभु से पूछा कि हे सर्वशक्तिमान ! आज तक यह तत्वज्ञान किसी ने नहीं बताया, वेदों के मर्मज्ञ ज्ञानियों ने भी नहीं बताया। इससे सिद्ध है कि चारों पवित्र वेद तथा चारों पवित्र कतेब (कुरान शरीफ आदि) झूठे हैं। पूर्ण परमात्मा ने कहा:-
कबीर, बेद कतेब झूठे नहीं भाई, झूठे हैं जो समझे नाहिं।
भावार्थ है कि चारों पवित्र वेद (ऋग्वेद - अथर्ववेद - यजुर्वेद - सामवेद) तथा पवित्र चारों कतेब (कुरान शरीफ - जबूर - तौरात - इंजिल) गलत नहीं हैं। परन्तु जो इनको नहीं समझ पाए वे नादान हैं।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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abhinews1 · 26 days
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जगद्गुरु शंकराचार्य दो दिवसीय यात्रा पर जयपुर पहुंचेंगे
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जगद्गुरु शंकराचार्य दो दिवसीय यात्रा पर जयपुर पहुंचेंगे यह सोभाग्य है कि पूज्यगुरुदेव भगवान का 12 मई को भगवान बद्रीनाथ के कपाट खुलने के पश्चात राजस्थान के जयपुर में उनका आगमन होना है, शंकराचार्य का सनातनियों द्वारा एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया जाएगा। भक्तों द्वारा दर्शन कर ढोल बाजे और पुष्पवर्षा कर स्वागत किया जाएगा। फिर सीधे आत्माराम भवन के लिए प्रस्थान करेंगे। आगमन पश्चात पुनः ढोल व बाजे आतिशबाजी पुष्प वर्षा करते हुए घर में प्रवेश कराएंगे। ततपश्चात शंकराचार्य गुरु परम्परा अनुसार वैदिक मंत्रों उच्चार के साथ शंकराचार्य जी का पदुकापुजन सम्पन्न होगा, जिसके पश्चात शंकराचार्य जी रात्रि विश्राम करेंगे। शंकराचार्य जी का 13 मई को शहर के विभिन्न स्थानों पर पदुकापुजन संपन्न कराया जाएगा। शाम 05 बजे महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम पहुंचेंगे, जहां भव्य स्वागत अभिनंदन कर ऑडिटोरियम हाल में प्रवेश होगा।
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desikhoj · 1 month
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वजन बढ़ाने के उपाय:
सही आहार: अपने आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें, जैसे कि प्रोटीन और सही मात्रा में पोषक तेल।
बढ़ते भोजन: अपने भोजन में अधिक कैलोरीज़ और पोषणयुक्त आहार शामिल करें, जैसे कि ड्राइड फ्रूट्स, डेट्स, मुरमुरे, और घर की बनी आलू पराठे।
नियमित भोजन: नियमित अंतराल पर भोजन करें और उसे बढ़ाएं।
व्यायाम: मसल्स बनाने के लिए व्यायाम करें, जैसे कि वेट लिफ्टिंग, योग, और उच्च भारतीय दंड बैठक।
प्रोटीन शेक: प्रोटीन शेक या ड्रिंक का सेवन करें, जो वजन बढ़ाने में मदद कर सकता है।
नींद: प्रतिदिन पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी वजन बढ़ाने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
विश्राम: संतुलित जीवनशैली बनाए रखें और विश्राम का समय लें।
डॉक्टर से परामर्श: वजन बढ़ाने की सहायता के लिए डॉक्टर से सलाह लें, विशेषज्ञ के साथ संपर्क में रहें।
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gurujitmshastri · 2 months
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Today's Horoscope-
मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ):-नई योजनाओं पर काम करना भविष्य में आप के लिए लाभदायक रहेगा। राजनीति के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को एक लाजवाब मौका मिल सकता है। मन में उत्साह एवं सकारात्‍मकता के कारण सभी कार्य बनेंगे। आज का दिन लाभकारी सिद्ध हो सकता है। किसी पर भी आंखें मूंद कर भरोसा न करें। आपका कोई काम लंबे समय से जो रुका था। बनने की राह आसान होगी। किसी प्रकार की धन हानि के योग बन सकते हैं।
वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो):- अपनी सोच सकारात्मक रखें। दिन सामान्य रहेगा। आकस्मिक धन लाभ होने के योग बन रहे हैं। आप अतीत में अटके रहने के बजाय इन मौजूदा पलों का आनंद उठाने की भरपूर कोशिश कीजिए। मानसिक रूप से आज आप बहुत हल्कापन महसूस कर सकते हैं। कई दिनों से जिस बात को लेकर आप चिंतित थे वह चिंता आपकी दूर हो सकती हैं।
मिथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को, हा) :-आपको किसी की बातों से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी की बात या नियत पर शक हो तो अपने अंतर्मन की आवाज़ अवश्य सुनें और उस कर अमल करें। अपनी सोच पर नियंत्रण रखें। परिस्थिति का समय के साथ हल मिल जाएगा, जितना उसके लिए परेशान होंगे उतना ही अपने लिए बाधाएं उत्पन्न करेंगे।
कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो):- आज मन में कुछ उलझन की स्थिति रहेगी। किसी प्रेरक व्यक्ति की सलाह से जीवन में परिवर्तन के योग बन सकते हैं। कुछ बातों को लेकर आज आपका मन चिंता ग्रस्त रह सकता है। व्यर्थ की बातों को इग्नोर करने की कोशिश करें। पुराने रुके हुए कामों को पूरा करें। सकारात्मक दृष्टि और ऊर्जा के साथ विभिन्न् स्थितियों में अच्छा बदलाव लाएंगे।
सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे) :- किसी भी विषय पर तर्क-वितर्क अपने स्तर के व्यक्ति से ही करें। जोश में आकर किसी से कोई वादा भी न करें। किसी की कहीं भी बातें आपके मन को ठेस जा सकती है। कार्यक्षेत्र में बहुत सारे बदलावों के बावजूद आप ��्रभावशाली भूमिका में रहेंगे। वित्तीय सौदे और प्रॉपर्टी से जुड़े मामले आपसे थोड़े प्रयासों की मांग करेंगे। दुर्घटना के योग बन सकते हैं।
कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो) :-किसी के अनुचित व्यवहार के कारण आज आप कुछ चिंतित रह सकते हैं। कुछ बातों को समय पर छोड़ कर बेफिक्र रहने का प्रयास करें। सुनिश्चित करें कि आप को आराम और विश्राम के लिए पर्याप्त समय मिलता रहे। आपके प्रियतम से वार्तालाप, आपको चिंता मुक्त करेगा जिससे आपके दिल को सुकून मिलेगा।
तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते) :- ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें जो लोग आपकी प्रतिष्ठा को हानि पहुंचा सकते हैं। आपके परिवार में भौतिक सुख-सुविधाएं बढ़ेंगी। वाहन-भवन भी खरीदने के योग बन रहे हैं। आय के साधन बढ़ने से सुविधाएं जुटाना आसान होगा। दांपत्य जीवन मधुर होगा। विवाह में आ रही बाधाएं दूर होंगी। प्रेम संबंध सफल होंगे। स्थायी सुखों में वृद्धि होगी
वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु) :-युवाओं की कोई दुविधा दूर होने से वे राहत की सांस लेंगे तथा कोई बड़ा फैसला लेने की भी हिम्मत आएगी। किसी अनजान व्यक्ति से मुलाकात आपके लिए भाग्योदय संबंधी कोई द्वार खोल सकती हैं। बातचीत के दौरान ध्यान रखें कि आपकी किसी तीखी बात से कोई नाराज हो सकता हैं। संतान को लेकर चिंतित रहेंगे।
धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे) :- मन में कुछ नया सीखने की उत्सुकता बनी रहेगी। परिवार का सहयोग मिलेगा। कुछ न कुछ नया करने की इच्छा हो सकती है। धन की स्थिति में सुधार होने के योग हैं। आपके रूके हुए कार्यों में थोड़ी-सी कोशिश में ही सफलता मिल सकती है।
मकर(भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि):- मन में अज्ञात भय रहेगा और उधेड़बुन रहेगी। शांत चित्त रहकर मंथन करना आपके लिए बेहतर रहेगा। जीवनसाथी का अनुशासित स्वभाव घर को व्यवस्थित बनाकर रखेगा। जिससे बच्चे तथा परिवार में पॉजिटिव माहौल रहेगा।
कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा) :-आपके लिए आज का दिन किसी अच्छी योजना पर काम करने के लिए उपयुक्त हैं। खुद पर भरोसा करते हुए अपने कामकाज को बेहतर दिशा देने का प्रयत्न करें। भविष्य में आर्थिक लाभ बढ़ेगा। शेयर्स व सट्टा मार्केट से ताल्लुक रखने वाले लोग सावधानी से काम करें। रुपए पैसे के मामले में किसी पर भरोसा या विश्वास करना आपके लिए नुकसानदेह रहेगा। जिन महत्वपूर्ण कार्यों में बार-बार विलंब हो रहा है उन्हें अच्छे से करने के लिए कार्यों की सूची बनाये और मामलों को सुलझाएं। मेहमानों के आने से व्यस्तता बढ़ेगी।
मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि) :- व्यर्थ के खर्चे आपके बजट को खराब कर सकते हैं। मन में नकारात्मकता रहेगी। कोशिश करें कुछ खर्चों को अभी कुछ समय के लिए टाल दें तो बेहतर रहेगा। आप अपने व्यवसाय और कैरियर को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे। मन में कुछ भावुकता रहेगी। पुरानी घटनाओं के स्मरण से मन को कष्ट संभव है। नए लोगों से मेलजोल भी बढ़ेगा किंतु कार्य पूर्ण होने में थोड��ी बाधाएं जरूर आएंगी फिर भी अंततः आप सफल रहेंगे। वैवाहिक वार्ता में थोड़ा और विलंब होगा। धर्म और अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो। समस्या चाहे कैसी भी हो 100% समाधान प्राप्त करे:- स्पेशलिस्ट- मनचाही लव मैरिज करवाना, पति या प्रेमी को मनाना, कारोबार का न चलना, धन की प्राप्ति, पति पत्नी में अनबन और गुप्त प्रेम आदि समस्याओ का समाधान। एक फोन बदल सकता है आपकी जिन्दगी। Guru Ji T M Shastri Ji Call Now: - +91-9872539511 फीस संबंधी जानकारी के लिए #Facebook page के message box में #message करें। आप Whatsapp भी कर सकते हैं। #famousastrologer #astronews #astroworld #Astrology #Horoscope #Kundli #Jyotish #yearly #monthly #weekly #numerology #rashifal #RashiRatan #gemstone #real #onlinepuja #remedies #lovemarraigespecilist #prediction #motivation #dailyhoroscope #TopAstrologer
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prakhar-pravakta · 2 months
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भंडारा प्रसाद के साथ कथा महोत्सव का विश्राम आज संस्कृति सरिता सदा प्रवाहित रहे-श्रीमद जगतगुरु
सतना। श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के विश्राम दिवस के अवसर पर पूर्णाहुति एवं हवन में पधारे पुरानीलंका आश्रम चित्रकूट पीठाधीश्वर रामानुजाचार्य श्रीमद जगतगुरु जी महाराज का किटहा ग्राम के खेर माता प्रांगण में जयघोष के साथ पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत हुआ। व्यासपीठ से अपने आशीर्वचन संदेश में श्री स्वामी जी ने कहा कि कथा श्रवण कर रहे सभी सौभाग्यशाली धर्मप्रेमीजनों बड़ा दुःख का विषय है संस्कृति सरिता सूख रही…
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naturalhealingcentre · 2 months
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आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या
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आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो हमें शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन के लिए एक संपूर्ण दृष्टि प्रदान करती है। इस पद्धति के अनुसार, एक स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए नियमित दिनचर्या अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिनचर्या हमें ताजगी, ऊर्जा, और स्थिरता प्रदान करती है तथा रोगों से बचाव करने में मदद करती है। इस लेख में, हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार सही दिनचर्या क्या होती है और इसे अपनाने के क्या लाभ होते हैं।
प्रातः काल की शुरुआत: प्रातः के समय में उठकर एक शुद्ध और स्वच्छ मन से दिन की शुरुआत करना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुसार, ब्रह्ममुहूर्त को उठने का सर्वोत्तम समय माना गया है। इस समय में शरीर के ऊर्जा केंद्र सक्रिय ह���ते हैं और मन शांत और प्रसन्न रहता है। उठते ही कुछ गर्म पानी पीना और मुख्यालय करना शुभ माना जाता है। इसके बाद, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करना चाहिए जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
आहार: आहार खाने का समय और प्रकार भी आयुर्वेद में महत्वपूर्ण माना गया है। संतुलित आहार हमारे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और संतुलित रूप से हमारे शरीर के अनुसार होना चाहिए। आयुर्वेद में सत्त्विक, राजसिक, और तामसिक आहार की बात की गई है। सत्त्विक आहार जैसे कि फल, सब्जियां, और अनाज हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और हमें स्वस्थ रखता है। राजसिक और तामसिक आहार जैसे कि तला हुआ, तीखा, और अधिक मसालेदार आहार हमें थका देता है और अन्य रोगों का कारण बन सकता है।
व्यायाम: आयुर्वेद में व्यायाम का महत्व अत्यंत उच्च माना जाता है। व्यायाम से हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है। आयुर्वेद में व्यायाम के रूप में योग, प्राणायाम, और ध्यान को अधिक जोर दिया जाता है। योगासन और प्राणायाम हमारे शरीर को लचीला बनाते हैं और मानसिक तनाव को कम करते हैं। इसके अलावा, व्यायाम से हमारी शारीरिक क्षमता बढ़ती है और शारीरिक रोगों को भी दूर किया जा सकता है।
विश्राम: निद्रा का महत्व आयुर्वेद में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शरीर को विश्राम देती है और उसे नई ऊर्जा प्रदान करती है। सही समय पर सोना और समय से उठना हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। निद्रा के दौरान हमारे शरीर के कोशिकाओं की मरम्मत होती है और ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, सही समय पर सोने से आध्यात्मिक और मानसिक शांति बनी रहती है और हमारी दिनचर्या में नियमितता आती है।
स्नान: नियमित स्नान करना हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्नान से शरीर की त्वचा की सभी अवशेष और कीटाणुओं को साफ किया जाता है, जिससे हमारा शरीर स्वच्छ और सुरक्षित रहता है। इसके अलावा, स्नान करने से शरीर की संतुलित तापमान बनी रहती है और रक्त संचारित होता है, जिससे हमारी सामान्य स्वास्थ्य बनी रहती है। स्नान करने से आत्मविश्वास और उत्साह भी बढ़ता है और हमें अच्छा महसूस होता है। इसलिए, नियमित स्नान करना हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मनोविज्ञान: आयुर्वेद में मन को अत्यधिक महत्व दिया गया है। स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर की आवश्यकता है क्योंकि मन का स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। ध्यान, प्रार्थना, और मनोरंजन मन की शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक हैं। योग और ध्यान अभ्यास मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करते हैं और ध्यान करने से मन की शक्ति और ऊर्जा बढ़ती है। इसके साथ ही, मनोरंजन करने से हमारा मन स्वस्थ और प्रसन्न रहता है, जो हमें जीवन की चुनौतियों को सहने में मदद करता है।
समापन: आयुर्वेद के अनुसार, सही दिनचर्या को अपनाने से हम स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते हैं। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और समय पर निद्रा लेना हमें ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने से हम बीमारियों से बच सकते हैं और एक सुखी जीवन जी सकते हैं। इसलिए, आयुर्वेद के सिद्धांतों को अपनाकर हम एक स्वस्थ, सकारात्मक, और उत्तम जीवन जी सकते हैं।
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