जगन्नाथ मंदिर में मूर्ति स्थापना हो जाने के कुछ दिन पश्चात् लगभग ४० फुट ऊँचा समुद्र का जल उठा जिसे समुद्री तुफान कहते हैं तथा बहुत वेग से मन्दिर की ओर चला।
सामने कबीर परमेश्वर चबुतरे पर बैठे थे। अपना एक हाथ उठा या जैसे आशीर्वाद देते हैं, समुद्र उठा का उठा रह गया तथा पर्वत की तरह खड़ा रहा, आगे नहीं बढ़ सका।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा अब आप आगे से कभी भी इस जगन्नाथ मन्दिर को तोड़ने का प्रयत्न नहीं करना।
ऐसी आज्ञा प्रभु की मान कर प्रणाम करके मन्दिर से दूर लगभग डेढ़ किलोमीटर हट गया। ऐसे श्री जगन्नाथ जी का मन्दिर अर्थात् धाम स्थापित हुआ।
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This day almost always comes with a bit of rain, a flood of memories from my childhood.....The nakuldana and batasha prasad, decorating the ratha and rather mela....and the beginning of the anticipation for Durga Pujo as Kumartuli artisans start building the frameworks of the Durga idols.
जगन्नाथ मंदिर में मूर्ति स्थापना हो जाने के कुछ दिन पश्चात् लगभग ४० फुट ऊँचा समुद्र का जल उठा जिसे समुद्री तुफान कहते हैं तथा बहुत वेग से मन्दिर की ओर चला।
सामने कबीर परमेश्वर चबुतरे पर बैठे थे। अपना एक हाथ उठा या जैसे आशीर्वाद देते हैं, समुद्र उठा का उठा रह गया तथा पर्वत की तरह खड़ा रहा, आगे नहीं बढ़ सका।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा अब आप आगे से कभी भी इस जगन्नाथ मन्दिर को तोड़ने का प्रयत्न नहीं करना।
ऐसी आज्ञा प्रभु की मान कर प्रणाम करके मन्दिर से दूर लगभग डेढ़ किलोमीटर हट गया। ऐसे श्री जगन्नाथ जी का मन्दिर अर्थात् धाम स्थापित हुआ।
पवित्र यादगारें आदरणीय हैं, परन्तु आत्म कल्याण तो केवल पवित्र गीता जी व पवित्र वेदों में वर्णित तथा परमेश्वर कबीर जी द्वारा दिए तत्वज्ञान के अनुसार भक्ति साधना करने मात्र से ही सम्भव है, अन्यथा शास्त्र विरुद्ध होने से मानव जीवन व्यर्थ हो जाएगा।