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#हिंदी साहित्य
shyam-kariya · 4 months
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पापा मैन by निखिल सचान
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the-sound-ofrain · 11 months
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कलयुग की कल्पना
कनक कटाक्ष कंगन सी, कोमल सी तेरी काया,
कादम्बनी के कलम से कल्पित तेरी काया ।
कंकर कंकर डाल काग ने, शिक्षक का स्वांग रचाया,
काल का रहस्य जानकर, समय का चक्कर लगाया ।
कर्ण में माँ कुंती कण कण में थी,
किंतु कुरुक्षेत्र की कहानी में एक अनकही अनबन भी थी ||
कपीश किशन के कानुश अर्जुन ही थे,
किंतु कौरव के साथ खड़े इस कौनतय के लिए कानून कुछ अलग थे |।
कब, क्यों, कौन, कहा और कैसे हर कहानी किशन के कनवी में कंठित थी ||
कर्म की कुंजी हो या धर्म की पूंजी,
चंद्रमा के कुरपता का राज़ को या काले पथ पर बिछा कांच हो,
हर कथा उन कृष्ण नैनो में अंकित थी ||
काम की कामना, ख्याति की वासना,
किरण्या की काशविनी में नाचना, यही तो है, इस कलयुग की विडंबना |
नारी का तिरस्कार, पुरुषो के अधिकारों का बहिष्कार,
पूज्य है तो केवल अंधकार,
तू नग्नता जानता है, तो तू है बहुत बड़ा कलाकार,
यह कलयुग है मेरे दोस्त,
निरर्थक – निराकार |
– अय्यारी
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vickyis-o · 3 months
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"कोटि कोटि हिंदू जन का हम ज्वार उठाकर मानेंगे।
सौगंध राम की कहते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे।।
जय घोष हो रहा उसे सुने, कण कण में ज्वाला भर दी है।
राम लला के चरणों पर मुंडों की माला भर दी है।।
नर नारी बालक संत सभी, मिलकर अवधपुरी को जाएंगे।
फि‍र भी अधि‍कार न मिल पाया, हम उसे छीनकर मानेंगे।
है बलिदानों की कसम हमे, हम मंदिर वही बनाएंगे।
सौगंध राम की कहते है, हम मंदिर वही बनाएंगे ।।
..."
~विष्णुचंद्र गुप्ता
२ दिसंबर १९९२
आचार्य राममनोहर मिश्रा बताते हैं कि यह शब्द विष्णुचंद्र गुप्ता के मुंह से निकले जिन्होंने आंदोलन को धार देने का काम किया "सौगंध राम की खाते है, हम मंदिर वही बनाएंगे " इन शब्दो को विष्णीचंद्र गुप्ता ने उसी रात काव्य के रूप मैं नई जान दी जो आगे चल के प्रसिद्ध हुई जिसका पाठ संघ के कई कार्यक्रमों मैं किया गया।
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oyeevarnika · 1 year
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यहाँ मरुस्थल में
जब तेज़ सर्दियाँ दस्तक दे चुकी हैं
और फूलों का मौसम भी
कह चुका है विदा
तुमसे मिलने पर
मैं क्या दे सकती हूँ तुम्हें ?
मेरी ये सारी भेड़ें तुम्हारी
इनकी ऊन भी ,जब तक तुम चाहो
अबके बरस अपने लिए
आसमानी रंग का एक स्वेटर बनवा लो ईश्वर
______
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मरुस्थल - desert
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तुम्हारे कंधे पे जो सुकून मिला है वो
किसी तकिए ने कहां दिया है,
तुम्हारी आस में को खयाली पुलाव पकाए
वैसा किसी बावर्ची ने कहां बनाया है
और,
तुम्हारी बातों में जब जब डूबी हूं
तो बचने का मौका कहां मिला है,
तुम्हारी रंग में जो घुली है,
तो खुद को अलग करने का जरिया कहां दिखा है।
jaan ae bahara ✨
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vlogrush · 1 month
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हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें, ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम
हिंदी साहित्य का अनमोल धरोहर है, जिसमें पुस्तकों का विशेष स्थान है। “हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें: ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम” इस विषय पर आज हम चर्चा करेंगे। यह लेख हमें हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं और प्रसिद्ध पुस्तकों के बारे में जानकारी देगा, जो ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। हिंदी साहित्य अपनी समृद्ध परंपरा और विविधता के लिए जाना जाता है। अनेक प्रतिभाशाली लेखकों ने…
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drmullaadamali · 2 years
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हिंदी साहित्य में किन्नर समाज का चित्रण : पूनम सिंह
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disuv · 6 months
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वनगणना
पेड़ अब पेड़ बने रहना नही चाहते हैं
घास फूस उगे
और वे चुपचाप देखते रहें
अपने सुख के लिए
ना कुछ कहें ना लड़ें !
पंछियों के झुंड घोंसले बना जाते हैं
गिलहरी बंदर कभी भी चढ़ जाते हैं
झूलझूल कर टहनियां तोड़ जाते हैं
पेड़ों को शिकायत है भगवान से
अब पेड़ चाहते हैं कि वे भी चल सकें
जैसे मनुष्य चलता है
आसपास जो भी मिले उसे
योजनाबद्ध तरीके से गिराता है
अपने अपने स्तर पर
नंबर वन बन जाता है
कुछ भी कर गुजरने से नहीं घबराता
कमजोर जहां भी दिखे उसे दबाता है !
अब पेड़ भी चाहते हैं
अगल बग़ल मे उग रहे बढ़ रहे
पौधों को कुचल डालना
धीरे धीरे हर एक उगते घास फूस पर
प्रगतिशील नियम लागू करना
यदि कभी दो वनस्पतियों के बीच सौहार्द बिगड़े
सीमाओं को लेकर मतभेद उत्पन हो तो
शांति के लिए वे भी करेंगे उपाय
भेजेंगे खाद्य पदार्थ और उपचार दवाय
ठीक वैसे ही जैसे सभी मनुष्य
स���ायता कर रहे हैं यूक्रेन, इजराइल और फिलिस्तीन की l
अब पेड़ चाहते हैं
पेड़ों को काटकर अपना काम निकालना
हरएक प्रजातियों की सटीक वन-गणना
पेड़ों को शिकायत है भगवान से
मज़ा नहीं है जड़ से जुड़े रहने में
एक ही जगह पर खड़े रहने में
सामने पेड़ों पर फल लगते हैं
उसके सामने भी फल लगते हैं
आमने सामने सब पेड़ों पर फल लगते हैं
और हम अभागे एकदूसरे को देखते रह जाते हैं
चलना होता तो एकदूसरे को नोंचते
कभी इस जंगल कभी उस जंगल लूटते
परंतु चलन नहीं है तभी तो चरण नहीं है!!
क्या पता कभी भगवान सुन लें
प्रसन्नचित्त हो कर कभी कह दें
"तथास्तु - ले चरण ले, जा चल ले, ll
- दिशव
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ashaseth · 8 months
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१४ लोकप्रिय हिंदी पुस्तकें हिंदी दिवस पर ज़रूर पढ़ें  
नमस्कार पाठकों। हिंदी दिवस के इस शुभ अवसर पर, हम एक खास ब्लॉग पोस्ट लेकर आए हैं, जिसमें हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी सर्वश्रेष्ठ हिंदी किताबें, जो आपके पठनीय सूची में होनी चाहिए। हमारी भाषा, हिंदी, हमारी पहचान का हिस्सा है और इसका महत्व अत्यधिक है। इसलिए, इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको हिंदी साहित्य की दुनिया के उत्कृष्ट रचनाओं के बारे में जानकारी देंगे, जो हिंदी भाषा के प्रति आपकी गहरी स्नेहभावना को…
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countryinsidenews · 9 months
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पटना /साहित्य सम्मेलन में काव्य-संग्रह 'अधूरे ख़्वाब' का हुआ लोकार्पण, जयंती पर याद किए गए कवि जगत नारायण प्रसाद 'जगतबंधु', आयोजित हुई कवि-गोष्ठी
पटना, 23जुलाई। उर्दू और हिन्दी की विदुषी कवयित्री तलत परवीन की शायरी में उनके दिल का ही नहीं सारे जमाने का दर्द दिखाई देता है। वो समाज की चिंता करने वाली एक संवेदनशील कवयित्री हैं, जिनमे शब्दों से कविता की सुंदर काया निर्मित करने का कौशल भी है उसके ऋंगार का भी। ग़ज़ल और गीत पढ़ने का उनका अंदाज़ भी खूबसूरत और प्रभावशाली होता है।यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में स्मृति-शेष…
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hindishala · 1 year
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भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण-युग क्यों कहा जाता है ?
भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्ण-युग भक्तिकाल : एक स्वर्ण युग साहित्य के संदर्भ में स्वर्ण युगीन साहित्य से अभिप्राय उस साहित्य से होता जिसका संबंध सार्वकालिक, सार्वभौमिक तथा सार्वदेशिक हो। जिसमें सभ्यता और संस्कृति का निचोड़ हो, जो अपने भावों विचारों तथा भाषा के द्वारा सर्वकालीन साहित्य से उत्कृष्ट हो । स्वर्णयुगीन साहित्य सदैव सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की त्रिवेणी में स्नान करता है। उसमें आदर्श और…
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yasau · 1 year
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...
कुछ लालसायें जीवन की
जो पग-पग खंडित हैं
मन के किसी कोने में
भीतरी सतह भेदकर
जो ठहर चुकी हैं अंतःकरण में
तृष्णा के आभाव लिये
जो दरक रही हैं दीवारों पर
खोखली बंजर जमीं बन
बिख़र चुकी हैं
अवशेष बन धरा में ...!!
#यासौ
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apnaran · 2 years
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जामिया के डॉ. आसिफ़ उमर की पुस्तक 'हिंदी साहित्य में मुस्लिम साहित्यकारों का योगदान' का विमोचन
जामिया के डॉ. आसिफ़ उमर की पुस्तक ‘हिंदी साहित्य में मुस्लिम साहित्यकारों का योगदान’ का विमोचन
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आसिफ उमर की पुस्तक ‘हिंदी साहित्य में मुस्लिम साहित्यकारों का योगदान’ का विमोचन 29 जुलाई, 2022 को लोधी रोड स्थित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर में किया गया। पुस्तक का प्रकाशन ख़ुसरो फाउंडेशन ने किया है। पुस्तक विमोचन का आयोजन ख़ुसरो फाउंडेशन एवं इण्डिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य…
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samata · 2 years
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बाल साहित्य
Dear Aflatoon Bhai, With the help of many friends we were able to translate over 40 Children’s books translated in Hindi in the month of June 2022.I hope you like them. It will be kind if you can share them with those who may cherish them. We are deep into translating good books into Hindi. Many thanks. love and peace arvind अबाबील के गीत (सचित्र), हिंदी, पुरुस्कृत पुस्तक, बालसाहित्य, लियो…
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oyeevarnika · 2 years
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मैं हिन्दी की वो बेटी हूँ, जिसे उर्दू ने पाला है
अगर हिन्दी की रोटी है, तो उर्दू का निवाला है
मुझे है प्यार दोनों से, मगर ये भी हकीकत है
लता जब लडखडाती है, तो हया ने संभाला है
मैं जब हिन्दी से मिलती हूँ, तो उर्दू साथ आती है
और जब उर्दू से मिलती हूँ, तो हिन्दी घर बुलाती है
मुझे दोनों ही प्यारी है, मैं दोनों की दुलारी हूँ.
इधर हिन्दी-सी माई है, उधर उर्दू-सी खाला है,
यहीं थीं बेटियाँ दोनों, यहीं पे जन्म पाया है.
सियासत ने इन्हें हिन्दू और मसलिम बनाया है.
मुझे दोनों की हालत एक-सी मालूम होती है,
कभी हिन्दी पे बंदिश है, तो कभी उर्दू पे ताला है.
भले अपमान हिन्दी हो, या तौहीन उर्दू की
खुदा की है कसम हर हिज्र, हया ये सह नहीं सकती
मैं दोनों के लिए लडती हूँ, और दावे से कहती हूँ
मेरी हिन्दी भी उत्तम है, मेरी उर्दू भी आला है.
~ लता हया
हिंदी दिवस की शुभकामनायें 🫀
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aedilkisikiyaadmein · 2 years
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तुम वो कविता हो जिसे पूरा होने के लिए मेरे ख्वाबों की जरूरत है,
और वो कहानी हूं जिससे पूरा होने के लिए तुम्हारी जरूरत है।
जान ए बहरा
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