बैलन डी'ओर 2022 लाइव अपडेट: बेंजेमा, लेवांडोव्स्की सबसे आगे; रोनाल्डो 20वें स्थान पर; लाइव स्ट्रीमिंग जानकारी; रैंकिंग; प्रत्याशियों
बैलन डी’ओर 2022 लाइव अपडेट: बेंजेमा, लेवांडोव्स्की सबसे आगे; रोनाल्डो 20वें स्थान पर; लाइव स्ट्रीमिंग जानकारी; रैंकिंग; प्रत्याशियों
बैलन डी’ओर 2022 पुरस्कार समारोह के स्पोर्टस्टार के लाइव कवरेज में आपका स्वागत है। सभी बैलन डी’ओर 2022 संबंधित समाचारों के लाइव अपडेट प्राप्त करें।
बैलन डी’ओर 2022 नवीनतम रैंकिंग
रैंक 11: सोन हेंग-मिन (टोटेनहम हॉटस्पर)
रैंक 12: रियाद महरेज़ (मैनचेस्टर सिटी)
रैंक 13: सेबस्टियन हॉलर (बोरुसिया डॉर्टमुंड)
रैंक 14: फैबिन्हो (लिवरपूल)
रैंक 14: राफेल लियो (एसी मिलान)
रैंक 16: वर्जिल वैन डिज्क…
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बैलन डी'ओर नामांकितों की घोषणा की, लियोनेल मेस्सी 2005 के बाद पहली बार कट से चूके
बैलन डी’ओर नामांकितों की घोषणा की, लियोनेल मेस्सी 2005 के बाद पहली बार कट से चूके
रॉबर्ट लेवांडोव्स्की, कियान म्बाप्पे, करीम बेंजेमा, एरलिंग हैलैंड और पांच बार के विजेता क्रिस्टियानो रोनाल्डो सभी को बैलोन डी’ओर नामांकितों की 30-सदस्यीय सूची में शामिल किया गया था, लेकिन लियोनेल मेस्सी पेरिस सेंट-जर्मेन के साथ धीमी शुरुआत के बाद चूक गए।
रॉबर्ट लेवांडोव्स्की, कियान म्बाप्पे, करीम बेंजेमा, एरलिंग हैलैंड और पांच बार के विजेता क्रिस्टियानो रोनाल्डो सभी को बैलोन डी’ओर नामांकितों की…
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DAILY LANGUAGE MERGE 4:
SWEDISH - DEVANAGARI
Sample text:
अलला मॉननिसखोर ऑर फ़ॣददा फ़रिा ओकह लिखा इ वॉरदे ओकह रॉततिगहेतेर
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Alla människor är födda fria och lika i värde och rättigheter
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Comics Review - Professor Ashwatthama - Eat Or Be Eaten - Cheeseburger Comics
कॉमिक्स समीक्षा: प्रोफेसर अश्वत्थामा - ईट ऑर बी ईटेन - चीज़बर्गर कॉमिक्स - (Comics Review - Professor Ashwatthama - Eat Or Be Eaten - Cheeseburger Comics)
Cheese Burger Comics
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आज 29 अगस्त 2023 को जिला स्तरीय विधालय कबड्डी प्रतियोगिता 2023 । लोकेशन स्थल - राजनगर थाना के सामने मधुबनी मे । डीपीएस राजनगर ऑर रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल जयनगर स्कूल पटना स्कूल ऑर भी जगह से इस प्रतियोगिता मे स्कूल ने भाग लिया । रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल खिलाड़ी का नाम - 1) दयानन्द कुमार 2) गोपाल कुमार 3) शिवम कुमार 4) दिवयनशु कुमार 5) अंकुश कुमार 6) आयुष कुमार 7) अदित्या कुमार 😎 गोविंद कुमार 9) मनीष कुमार 10) आजाद कुमार 11) बलराम कुमार 12) दीपेश कुमार 13) रमन कुमार ने भाग लिया । टीचर राहुल सर , रामपरवेश सर , मीठेलेश सर , निशा मैडम , श्री राज कुमार सिंह (सरकारी रिटार टीचर) प्रिन्सिपल अस्मिता सिंह उपस्थित रहे । साथ ही बच्चों ने सर्टिफिकेट ऑर स्कूल मेडल लिया । धनवाद (शहीद भगत सिंह काबड्डी अकेडमी राजनगर मधुबनी )
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Post#9
सातवीं में ही पढ़ रहा था, तब एक बार तीन-पत्ती खेलने पर मारुति अण्णा ने मुझे सज़ा दी, इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया। अपने इस घोर अपमान का बयान करने जब माँ के पास गया, तो पता चला की सासवड़ जाने के लिए वह एस.टी. स्टैंड पर गई हैं। स्टैंड पर पहुँच कर उनसे शिकायत की, कि - मारुति अण्णा ने मुझे मारा है। उन्होंने मुझे समझाया, ‘पत्ता खेलना बुरी बात है।’ इस बीच एस.टी. बस आ गई, वह ज़्यादा समझा-बुझा नहीं सकीं और सासवड़ के लिए रवाना हो गई। बारह-तेरह साल का मैं, वट-वृक्ष के नीचे बैठकर काफ़ी देर तक एस.टी. बस की गति से उठे धूल के गुबार को देखता रहा। आँख में आंसू आ गए। मुझे माँ के साथ रहना था। नंगे पैर मैं एस. टी. बस की दिशा में पैदल चलने लगा। कच्चे रास्ते पर चार-पाँच घंटे चलकर, मैं २० किलोमीटर दूर सासवड़ पहुँच गया।
सासवड़ में माँ के पंचायत-समिति के दफ़्तर के बाहर पहुँचा। सभा-गृह में बैठक चल रही थी। वहाँ माँ को देखकर मैं निश्चिंत हो गया। माँ की सहेली और सहयोगी श्रीमती गायकवाड़ ने अचानक जब बाहर देखा, तो मुझे ध्वजके डंडे को पकड़कर गोल-गोल घूमते खेलते देखा। उन्होंने माँ के कान में कुछ खुसफुसाया। वे घबराकर बाहर आयीं, तो मैं सिर झुकाए खड़ा था। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था, क्योंकि मेरी दशा ही कुछ इस तरह की थी। हाथ-पैर, कपड़े सब धूल में सने थे, मानो आटे की चक्की में श्रीरंग खड़ा हो। प्यास के मारे मेरे होंठ सूख गए थे। उन्होंने आँखें दिखाते हुए पूछा, ‘कैसे आया?’ मैंने कहा, ‘एस.टी. बस के पीछे-पीछे चलते आया।’ उनको क्या यातना हुई होगी ये तो उन्हीं को मालूम! बड़बड़ाते हुए उन्होंने मेरी धूल झाड़ी। बगीचे के नल के नीचे मेरे हाथ-पैर धोए और बी.डी.ओ. साहब से अनुमति लेकर दोनों मुझे श्रीमती गायकवाड़ के घर ले आयीं। उधर परिंचे में दादा-दादी ने मारुति अण्णा की जमकर ख़बर ली। सभी हकबका गए थे। उन्होंने मुझे आस-पास खोजा तो बस स्टैंड तक ट्रैक निकला। अण्णा और तीन-चार मित्र, परिंचे से सासवड़ तक की यात्रा में आँखों में तेल डालकर खिड़की से बाहर देख रहे थे कि, मैं कहीं दिख जाऊं। मेरी तलाश करते-करते, वे सासवड़ में सुरेश मामा के घर पहुँचे। तब तक हम भी वहाँ पहुँच गए थे। मुझे लगता है कि पुलिस अकादमी की फ़ुल मैराथन का एप्टीट्यूड टेस्ट, मैंने बारहवें साल में परिंचे से सासवड़ की हाफ़ मैराथन चलकर दिया था।
स्कूल में शिक्षक छात्रों से ग़लतियाँ होने पर सज़ा देते थे, लेकिन कोई अतिरिक्त शुल्क लिए बिना दसवीं के विद्यार्थियों को रोज़ रात अध्ययन करवाते थे। रात में पढ़ाते नहीं थे, लेकिन स्कूल की एक कक्षा को खुला रखकर, बारी-बारी से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर नज़र रखते थे और उनकी शंकाओं का निवारण करते थे। उस समय तक शिक्षकों में निजी क्लास का संचालन करने का चलन नहीं था।
जब एस.एस.सी. बोर्ड की परीक्षा का फ़ॉर्म निकला, तब हॉल-टिकट पर चिपकाने के लिए फ़ोटो चाहिए थी तो सबके लिए सासवड़ से फोटोग्राफर बुलवाया गया। मेरा नंबर सी-१७३१९ था। इसे मैंने इतना रट लिया था कि आज भी याद है। परीक्षा केंद्र सासवड़ में था। परीक्षा ख़त्म होने तक वहाँ रहना था, इसलिए माँ ने लाल रंग का सूटकेस खरीद दिया था। एक वर्ग-मित्र के मामा ने सासवड़ में रहने के लिए हमें कमरा दिया। उस समय परीक्षा से लगभग एक महीना पहले नवनीत प्रकाशन की हर विषय के लिए ‘२१ संभावित प्रश्न गाइड’ का प्रकाशन किया जाता था। कुछ छात्र इनके सहारे पढ़ाई करने पर ज़ोर देते थे। हालाँकि, मैं पाठ्यक्रम की पुस्तकों और उनके आधार पर तैयार किए गए नोट्स के सहारे पढ़ाई करता था। कोई खतरा न मोल लेने की मंशा से मित्रों की २१ संभावित प्रश्नों का संचय भी पढ़ लिया था। जिस दिन पेपर नहीं होता, उस दिन राजा शितोले के साथ, दौलत टॉकीज़ के पीछे स्थित आम के बगीचे में पढ़ाई करने जाता था। परीक्षा ख़त्म हो गई और सौभाग्य से पेपर अच्छे गए। अब छुट्टी और भविष्य की चिंता एक साथ शुरू हो गई। राजा पारखी के पास एक पुस्तक थी ̶‘दसवीं के बाद क्या?’ बस उसे अच्छी तरह खंगाल लिया। बाक़ी सब परीक्षा-परिणाम और नसीब पर निर्भर था।
दसवीं का परीक्षा परिणाम लाने के लिए, पुणे गए शिक्षक जब लौटे तो एस.टी. के दरवाज़े के बाहर हम सभी खड़े मिले। मोहन जगताप ७५%, राजा पारखी ७३% और अनपेक्षित रूप से जयंत नाईकनवरे को ७१% अंक मिले थे। दूसरे दिन फ़लक पर नाम लिखा गया। भले ही स्कूल का सही, लेकिन बोर्ड पर झलकने का मौक़ा मिला था। ‘अच्छे नंबर हैं, इसे साइन्स में डालो’, इस तरह की सलाहें मिली। ग्यारहवीं कॉमर्स में छात्रों की ज़रूरत को ध्यान में रखकर आसानी से स्कूल से दाख़िला नहीं मिलता था। स्कूल के बोर्ड पर नाम आने से दाख़िला मिल गया।
डेन्मार्क के राजपुत्र हैमलेट के ‘टू बी ऑर नॉट टू बी’ के अस्तित्व के डिलेमा की तरह दसवीं की बोर्ड परीक्षा के बाद ग्रामीण विद्यार्थियों के सामने भी असमंजस की स्थिति होती थी। करियर का समीकरण बदलने वाला यह परिणाम नव-प्रवर्तन की दिशा तय करने वाला सिद्ध होता था। इस परिणाम से तय होता कि अपना स्थानांतरण होगा या नहीं। हुआ तो कहाँ होगा? ̶तहसील, जिला या कार्पोरेशन स्तर पर?
तालाब के ठहरे पानी में, कंकड़ मारने पर उठी तरंगों की तरह बच्चे गाँव से दूर छिटक जाते थे। केवल लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि लड़कों के लिए भी यह सोलहवां साल धोखे से भरपूर होता था! मूल व्यक्तित्व में फिर कभी वापस न आने के लिए अज्ञात विश्व के कृष्णविवर में छलांग लगाने, जैसी लिखाई वैसी ही बोलीवालों की भाषा को प्रमाण मानकर, बोलचाल की भाषा और लहज़ा बदलने के लिए, विरासत में मिले ठेठ लहज़े को जानबूझ कर बदलने के लिए निकल पड़ते। अँग्रेज़ी सीखकर व्यक्तित्व परिवर्तन की यह प्रक्रिया दुनिया जीतने के लिए!
ज्ञानेश्वर माऊली की दिंडी के सभी वारकरी, प्रति साल ज्येष्ठ की अष्टमी को आलंदी से प्रस्थान करते हैं। दो सौ तीस किलोमीटर की, इक्कीस दिवसीय पैदल यात्रा के बाद आषाढ़ की एकादशी को पंढरपुर पहुंचते हैं। इतनी दूर पैदल चलना शहर के लोगों के लिए अचंभा हो सकता है, लेकिन वारकरियों के लिए यह साधारण बात होती है। इसी तरह हर साल हजारों विद्यार्थियों का झुंड गाँव से शहर की ओर करियर की यात्रा करने निकल पड़ता। सभी को कुछ कम-ज़्यादा मात्रा में लगभग एक समान समस्याओं, त्रासदियों का सामना करना पड़ता। इसलिए किसी एक का संघर्ष किसी दूसरे के संघर्ष से ज़्यादा है, जैसी बात नहीं होती थी। बुद्धिमता के बजाय जिसमें ज़्यादा लगन होती, उसे ‘लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन’ के अनुसार सफलता मिलती थी। यह सफलता जिनके सिर पर सवार नहीं हुई, जिनके पैर सदा ज़मीन पर टिके रहे और जो मिली सफलता के प्रति कृतज्ञता के भाव से भरे रहे - वे और आगे गए।
गाँव-खलिहान से दूर गए ये बच्चे, कुछ समय तक सस्पेंडेड ॲनिमेशन में रहते। यहीं से स्वावलंबन की शुरुआत होती थी। अलग-अलग रोल मॉडल्स की ‘सक्सेस स्टोरीज़’ की तरह अपनी सफलता के स्वप्न देखने से लेकर, हक़ीक़त का एहसास होने तक स्वावलंबन की यह यात्रा करने - जाति, वंश, धर्म के बजाय, कर्म को प्रधानता देने वाले शहरों में, अपनी पहचान बनाने - शून्य से शुरुआत कर अपनी योग्यता साबित करने के लिए संघर्ष करने निकल पड़ना। सब्र का इम्तिहान लेती परीक्षाएँ, ग्लैडिएटर की तरह, हर लड़ाई ‘आर या पार’ की यानी, अस्तित्व के साथ जुड़ी होती। सांप-सीढ़ी के पैटर्न पर करियर को आगे बढ़ाने, दिंडी में चलते वारकरियों क�� स्टेप्स जैसे दो कदम आगे, एक कदम पीछे... ग्यानबा-तुकाराम...
हर लड़ाई में मिले और पूरी तरह से भरे नहीं हुए मन के अदृश्य घाव बाल-बच्चों को दिखाई नहीं देंगे। संघर्ष के समय जो साथ थे वे ही जानते हैं। हम अपने बच्चों को पोमेरिरन्स की तरह पालते हैं। इस बात का ध्यान रखते हैं कि उन्हें आर्चिन्स का सामना न करना पड़े। मन रह-रहकर उसी सोलह साल वाले दौर में चला जाता है। ‘या सत्तेत जीव रमत नाही’(इस सियासत में मन नहीं लगता) ̶नामदेव ढसाल की इस कविता की तरह इस समृद्धि में मन नहीं लगता ऐसा लगता रहता है।
-Jayant Naiknavare,IPS
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Hansi Parmer: बालिका वधू' एक्ट्रेस हंसी परमार शादी के बंधन में बंधीं, जानिए क्या करते हैं दूल्हे
मशूर एक्ट्रेस हंसी परमार जो कि बालिका वधू या गीत हुई सबसे पराई जैसे टीवी शो की एक्ट्रेस हंसी ने हाल ही में ग्वालियर में अपने बॉयफ्रेंड आकाश श्रीवास्तव के साथ शादी कर ली है।
हंसी परमार ने 27 जनवरी को साथ फेरे लिये ऑर इसके आगे हम देखेंगे इनकी लव स्टोरी ऑर शादी की कुछ तस्वीर।
धीरे धीरे बॉलीवुड एक्ट्रेस और एक्टर्स शादी कर रहे हैं, तो हमारी बालिका वधु की एक्ट्रेस हंसी परमार ने भी अपने बॉयफ्रेंड आकाश के साथ शादी में बंधन में बंध गई है. उनके ग्वालियर में अपने परिवार ऑर दोस्तों की मदद में 7 फेरे लिए है।
दोनो एक दूसरे को काफी समय से एक दूसरे को डेट कर रहे हैं ऑर दोनो में अब जाके धूम से शादी करने का फैसला लिया।
सिर्फ बालिका वधू से ही हांसी परमार "गीत हुई सबसे पराई" जेसे टीवी शो में कम किया है।
हंसी साथ ही कुछ मूवी में भी काम किया है जैसे 'रन बेबी रन', 'खिलाड़ी 201' या भी बहुत फिल्म है।
केसे हंसी परमेर ऑर आकाश श्रीवास्तव मिले?
Hansi Parmer की आकाश श्रीवास्तव से पहली मुलाकात कोविड के लॉकडाउन के दूर हुई है। फिर दोनो आपस में जाने लगे।
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उन्होन डीएनए इंडिया को बताएं कि जब वो महाराष्ट्र में कम के सिलसिले में भटक रही थी तब उनकी मुलाकात आकाश से हुई या तब हंसी के पास घर तक नी था रहने के लिए।
तब धीरे-धीरे वो एक दूसरे को जाने लगे ऑर बता का सिलसिला चलता गया। लॉकडाउन के डोरन आकाश ने हंसी की काफी मदद क्री या इस कारण से उनका रिश्ता बहुत गहरा होता चला गया।
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बॉलीवुड की साड़ी जानकारी के लिए हमारे पेज LatestinBollywood को फॉलो करें या बने रहें हमारे साथ।
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बैलन डी'ओर ने सामाजिक मुद्दों से निपटने वाले खिलाड़ियों के लिए सुकरात पुरस्कार जोड़ा
बैलन डी’ओर ने सामाजिक मुद्दों से निपटने वाले खिलाड़ियों के लिए सुकरात पुरस्कार जोड़ा
बैलोन डी’ओर आयोजकों ने बुधवार को कहा कि वे इस साल के समारोह में एक मानवीय पुरस्कार जोड़ रहे हैं, जिसका नाम सुकरात के नाम पर रखा गया है, जो कि ब्राजील के शानदार मिडफील्डर हैं, जिनके पास मेडिकल की डिग्री भी थी।
बैलोन डी’ओर पुरस्कार देने वाली फ़्रांस फ़ुटबॉल पत्रिका के एक बयान में कहा गया है, “सुकरात पुरस्कार प्रतिबद्ध चैंपियन द्वारा सर्वश्रेष्ठ सामाजिक पहल की पहचान करेगा।”
उन पहलों में सामाजिक…
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बैलन डी'ओर नामांकितों की घोषणा की, लियोनेल मेस्सी 2005 के बाद पहली बार कट से चूके
बैलन डी’ओर नामांकितों की घोषणा की, लियोनेल मेस्सी 2005 के बाद पहली बार कट से चूके
रॉबर्ट लेवांडोव्स्की, कियान म्बाप्पे, करीम बेंजेमा, एरलिंग हैलैंड और पांच बार के विजेता क्रिस्टियानो रोनाल्डो सभी को बैलोन डी’ओर नामांकितों की 30-सदस्यीय सूची में शामिल किया गया था, लेकिन लियोनेल मेस्सी पेरिस सेंट-जर्मेन के साथ धीमी शुरुआत के बाद चूक गए।
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जाने-माने फिल्म संपादक श्रीकर प्रसाद ने 53वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के मास्टरक्लास में 'टू कट ऑर नॉट टू कट' में संपादन की बारीकियों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए
जाने-माने फिल्म संपादक श्रीकर प्रसाद ने 53वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के मास्टरक्लास में ‘टू कट ऑर नॉट टू कट’ में सं���ादन की बारीकियों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए
जाने-माने फिल्म संपादक श्रीकर प्रसाद ने 53वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के मास्टरक्लास में ‘टू कट ऑर नॉट टू कट’ में संपादन की बारीकियों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए
जाने-माने फिल्म संपादक ए श्रीकर प्रसाद ने 53वे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के अवसर पर आज गोवा में आयोजित मास्टरक्लास ‘टू कट ऑर नॉट टू कट’ में फिल्म संपादन की बारीकियों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
श्री प्रसाद ने…
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उत्तराखंड ब्रेकिंग : मोरबी की घटना के बाद टूटी नींद, प्रदेश के सभों पुलों का होगा सेफ्टी ऑडिट
उत्तराखंड ब्रेकिंग : मोरबी की घटना के बाद टूटी नींद, प्रदेश के सभों पुलों का होगा सेफ्टी ऑडिट
देहरादून : प्रदेश में सभी पुलों का सेफ्टी ऑडिट किया जायेगा इससे सम्बन्धित शासनादेश प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने जारी किया है। इस सम्बन्ध में पूर्व में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ऑर से लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये गये थे।
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प्रमुख सचिव आर.के.सुधांशु की ऑर से जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में सेतुओं का उचित अनुरक्षण न होने, मानकानुसार Periodically…
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आज 29 अगस्त 2023 को जिला स्तरीय विधालय कबड्डी प्रतियोगिता 2023 । लोकेशन स्थल - राजनगर थाना के सामने मधुबनी मे । डीपीएस राजनगर ऑर रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल जयनगर स्कूल पटना स्कूल ऑर भी जगह से इस प्रतियोगिता मे स्कूल ने भाग लिया । रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल खिलाड़ी का नाम - 1) दयानन्द कुमार 2) गोपाल कुमार 3) शिवम कुमार 4) दिवयनशु कुमार 5) अंकुश कुमार 6) आयुष कुमार 7) अदित्या कुमार 😎 गोविंद कुमार 9) मनीष कुमार 10) आजाद कुमार 11) बलराम कुमार 12) दीपेश कुमार 13) रमन कुमार ने भाग लिया । टीचर राहुल सर , रामपरवेश सर , मीठेलेश सर , निशा मैडम , श्री राज कुमार सिंह (सरकारी रिटार टीचर) प्रिन्सिपल अस्मिता सिंह उपस्थित रहे । साथ ही बच्चों ने सर्टिफिकेट ऑर स्कूल मेडल लिया । धनवाद (शहीद भगत सिंह काबड्डी अकेडमी राजनगर मधुबनी )
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