बगहा के रामनगर में तस्करों के पास से कारतूस समेत हथियारों का जखीरा बरामद, तीन गिरफ्तार
बगहा। रामनगर थाना अंतर्गत योगिया देवराज गांव में जंगली जानवरों के मांस का तस्करी करनेवाले एक गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए तस्करों के पास से अवैध हथियार और कारतूस का जखीरा बरामद किया है। पुलिस की यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
बगहा पुलिस अधीक्षक किरण कुमार गोरख जाधव ने प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस को एक गुप्त सूचना मिली कि देवराज के मो कैसर, जावेद, मोहम्मद इरफान…
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पूर्णिया में पागल कुत्ते के काटने से युवक हुआ पागल डॉक्टरों ने भी दिया जवाब
पूर्णिया में पागल कुत्ते के काटने से युवक हुआ पागल डॉक्टरों ने भी दिया जवाब
Bihar: पूर्णिया जिले में एक युवक को पागल कुत्ते ने काट लिया जिसके बाद युवक कुत्ते की तरह हरकतें करने लगा लोगों को काटने के लिए दौड़ने लगा, दरअसल पूर्णिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक युवक पागल जैसी हरकत कर रहा था युवक के कुत्ते जैसी हरकत करते देख वहां लोगों की भीड़ लग गई वह कुत्ते के जैसा भौंक रहा था और लोगों काटने के लिए तैयार था परिजनों ने युवक कि हाथ पैर गमछे से बांध रखे थे, युवक ने अपना दिमागी…
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#Wayofliving_Part220
भक्ति आचार संहिता || भाग-N (14)
कर्म कांड के बारे में एक वास्तविक कहानी (समारोह)
मेरे (संत रामपाल दास के) परम पूज्य गुरुदेव स्वामीरामदेवानंद जी महाराज 16 वर्ष की आयु में सत्संग सुनकर विभक्त हो गए
महात्मा जी । एक दिन वो खेतों में गया था। पास ही एक जंगल था। वन में गया, अपने कपड़े फाड़कर मृत पशु की हड्डियों के पास फेंक दिया, और स्वयं थीहत्मा जी के साथ चला गया।
उसकी तलाशी ली तो परिजनों ने देखा कि जंगल में हड्डियों के पास फटे कपड़े पड़े हैं। उन्हें लगा कि कोई जंगली जानवर खा गया। वे कपड़े और हड्डियां घर लेकर आए और अंतिम संस्कार किया। इसके बाद उन्होंने तेराहवीन (मरने के तेरह दिन बाद संस्कार), छहमाही (मरने के छह महीने बाद संस्कार), बरसोड़ी (मरने के एक वर्ष बाद संस्कार) और फिर श्राद्ध करने लगे (हर साल बरसोड़ी के बाद मृत व्यक्ति के लिए किया जाता था)।
जब मेरे पूज्य गुरदेव बहुत बूढ़े हो गए थे तब एक बार घर चले गए थे। तब उन घर वालों को पता चला कि वो जिंदा है और घर से निकल गया है। उन्होंने बताया कि जब वह घर से निकला तो हमने उसकी तलाश की। हमें जंगल में उसके कपड़े मिले। कुछ हड्डियां उनके बगल में पड़ी थीं। हमने सोचा कि किसी जंगली जानवर ने उसे खा लिया है और उन कपड़े और हड्डियों को घर लाया और ��्रदर्शन किया है
अंतिम संस्कार
तब मैंने (संत रामपाल दास) अपने पूज्य गुरुदेव के छोटे भाई की पत्नी से पूछा कि उनकी अनुपस्थिति में आपने क्या किया? शेटोल्ड, "जब मेरी शादी हुई, तो मैंने पाया कि उनके श्राद्ध निकाले जा रहे थे। मैंने उनके लगभग 70 श्राद्ध अपने हाथों से किए हैं। "उसने बताया कि जब भी कोई नुकसान होता था; जैसे भैंस दूध न दे रही हो, चूल्हे में कोई समस्या हो, कोई अन्य नुकसान आदि हो, तब हम लोग बाहरी लोगों के पास जाते थे। कहते थे आपके घर में कोई अविवाहित मर गया है भूत बन गया है इसलिए परेशान कर रहा है। तब हम उसके कपड़े आदि बाहरी को दे देते थे।
फिर मैंने कहा, "वह दुनिया को बचा रहा है। किसको परेशान कर रहा था ये
वह अब खुशी का दाता है। " तो मैं (संत रामपाल जी महाराज)
उस बुढ़िया से कहा, "अब वो तुम्हारे सामने है, अब तो रुक जाओ
इन बेकार साधनाओं को करना जैसे,श्राद्ध करना। " फिर उसने जवाब दिया, " पुराना रिवाज़ है। मैं इसे कैसे छोड़ सकता हूँ? " दूसरे शब्दों में,
हम अपने पुराने रिवाजों में इतने मशगूल हो गए हैं कि अपनी आँखों से देख कर भी हम गलत कर रहे हैं तो छोड़ नहीं सकते
यह तो है ही. इस बात से स्पष्ट होता है कि श्राद्ध और पूजन-
पिंग पितृस आदि सब बेकार है।
11. संतान के जन्म पर शास्त्र विरुद्ध पूजा अर्चना करना वर्जित है:- संतान के जन्म पर कोई छठाती (जन्म के बाद छठा दिन) आदि नहीं मनाना है। सूतक के कारण (बच्चे के जन्म के बाद किसी के घर में रहने वाली अशुद्धता की स्थिति) )' नित्य पूजा, भक्ति, आरती, दीप प्रज्वलन आदि का समापन नहीं करना चाहिए।
इस प्रसंग में आपको एक लघु कथा सुनाता हूँ। एक व्यक्ति को एक बच्चा मिला
उसकी शादी के दस साल बाद। पुत्र रत्न प्राप्ति की खुशी में खूब मनाया उसने पच्चीस गाँव भोजन पर आमंत्रित किए और वहाँ बहुत नाच गाना हुआ। दूसरे शब्दों में, उसने बहुत पैसा खर्च किया। फिर एक साल बाद वो बेटा गुजर गया। फिर वही परिवार नर्क की तरह रोया, और अपने दुर्भाग्य को दोष दिया। इसलिए भगवान
कबीर हमें बताते हैं कि -
Kabir, beta jaaya khushi hui, bahut bajaaye thaal |
aana jaana lag raha, jyon keedi ka naal ||
Kabir, patjhad aavat dekh kar, ban rovae man maahi |
oonchi daali paat the, ab peele ho ho jaahin ||
Kabir, paat jhadanta yoon kahae, sun bhai taruvar raay |
ab ke bichhude nahin mila, na jaane kahaan gireinge jaay ||
Kabir, taruvar kehta paat se, suno paat ek baat |
yahaan ki yaahey reeti hai, ek aavat ek jaat ||
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आध्यात्मिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर रोजाना शाम 7:30-8:30 बजे से संत रामपाल जी महाराज के मंगल आध्यात्मिक प्रवचन जरूर सुने। संत रामपाल जी महाराज ही इस दुनिया में एकमात्र पूर्ण गुरु है। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि बिना एक सेकंड बर्बाद किए संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा लें, और अपने मानव जीवन को सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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Nature Walk Vocabulary
वन, जंगल - forest (masculine)
वन्य, जंगली - wild (adjective)
पर्यावरण, वातावरण - environment (masculine)
पर्यावरणीय - environmental (adjective)
प्रकृति - nature (feminine)
प्राकृतिक - natural (adjective)
अरण्य - forest, wilderness (masculine)
वन्य अभयारण्य - wildlife sanctuary (masculine)
संरक्षित प्रकृतिक्षेत्र - nature reserve (masculine)
उद्यान - park (masculine)
तृणभूमि - grassland (feminine)
रास्ता, पथ - way, road, path (masculine)
पगडंडी - trail, footpath (feminine)
पथ पर चलना - to walk the path (intransitive)
मुड़ना - to turn, bend (intransitive)
सीधे जाना - to go straight (intransitive)
दृश्यों का आनंद लेना - to enjoy scenery (transitive)
Greenery and plants
वनस्पतिजात - flora (masculine)
वनस्पति - vegetation (masculine)
पौधा - plant (masculine)
पुष्प, फूल - flower (masculine)
* a flower can be खिलता हुआ (blooming) or मुरझाया (wilted, withered)
तिपतिया - clover (masculine)
पोस्ता, पोस्त - poppy (masculine)
बाबूना - chamomile (masculine)
सिंहपर्णी - dandelion (masculine)
गुलबहार - daisy (masculine)
झाड़ी - bush, shrub (feminine)
* a bush can be for example कांटेदार (thorny) or बौनी (dwarf, miniature)
पेड़, वृक्ष, दरख़्त - tree (masculine)
* trees can be described as being हरे-भरे, full of green or सदाबहार, evergreen.
कोणधारी / शंकुधारी वृक्ष - coniferous tree (masculine)
चीड़ - pine tree (feminine)
सरल - spruce (masculine)
विलो - willow (masculine)
भुर्ज - birch (masculine), also सन्टी (feminine)
बलूत, बाँज - oak (masculine)
मेपल - maple tree (masculine)
दलदल - swamp, marsh (masculine)
दलदली पौधा - marsh plant (masculine)
कुकुरमुत्ता, छत्रक - mushroom, fungus (masculine)
घास - grass (feminine)
काई - moss (feminine)
लाइकेन - lichen (masculine)
पत्थर - stone, rock (masculine)
कंकड़ - pebble, gravel stone (masculine)
रेत, बालू - sand (feminine)
पत्ती, पंखुड़ी - small leaf, petal (feminine)
पत्ता - big leaf (masculine)
पत्तेदार - leafy (adjective)
ठूंठ - tree stump (masculine)
लट्ठा - log (masculine)
टहनी, डाली - twig, tree branch (feminine)
तना - trunk, stem (masculine)
जड़ - root (feminine)
छाल - bark (feminine)
Forest Animals
प्राणी, जीव - being, creature, living thing (masculine)
जानवर - animal, beast (masculine)
पशुवर्ग, प्राणिजात - fauna (masculine)
स्तनधारी - mammal (masculine)
सरीसृप - reptile (masculine)
पशुप्रेमी - animal lover (masculine)
पक्षी - bird (masculine), also परिंदा or चिड़िया (feminine), the latter also meaning specifically a sparrow.
बाज़ - hawk (masculine)
उल्लू - owl (masculine)
कठफोड़वा - woodpecker (masculine)
गरुड़ - eagle (masculine)
कौआ - crow (masculine)
अधेला - magpie (masculine)
कबूतर - pigeon (masculine)
चहचहाना - to chirp, tweet (intransitive)
घोंसला - nest (masculine)
कीड़ा - insect, bug (masculine)
चींटी - ant (feminine)
मकड़ा - spider (masculine)
तितली - butterfly (feminine)
भौंरा - bumble bee (masculine)
ततैया - wasp (feminine)
केंचुआ - earthworm (masculine)
घोंघा - snail (masculine)
मेंढक, टर्रू - frog (masculine)
छिपकली - lizard (feminine)
साँप - snake (masculine)
चूहा - mouse (masculine)
गिलहरी - squirrel (feminine)
ख़रगोश - rabbit (masculine)
लोमड़ी - fox (feminine)
हिरण - deer (masculine)
भेड़िया - wolf (masculine)
भालू - bear (masculine)
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सेल्फी लेने आए लोगों पर हाथी को गुस्सा आया
सोशल मीडिया जंगली जानवरों के वीडियो से भरा पड़ा है. कभी-कभी, जानवर उग्र और प्रेमपूर्ण दोनों प्रतीत हो सकते हैं। सबसे आम हैं बंदर और हाथी। हाथी अपनी शांति के लिए जाने जाते हैं, जबकि बंदर अपनी शरारतों के लिए जाने जाते हैं। हालाँकि, अगर हाथी पागल हो जाए तो उससे ज्यादा खतरनाक कोई जानवर नहीं है। गुस्से में हाथी का एक वीडियो इस समय वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सेल्फी लेने आए लोगों पर हाथी को गुस्सा आया.
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चचेरा भाई ही निकला हत्यारा, पत्थरों से वार कर की थी युवक की निर्मम हत्या
थाना क्लेमेन्टाउन/ देहरादून,
*संदिग्ध परिस्थितियों में दूधली के जंगल से युवक का शव मिलने की गुत्थी दून पुलिस ने सुलझाई,
*अभियुक्त द्वारा युवक की हत्या कर उसे जंगली जानवर द्वारा हमला किया जाना दर्शाने का किया गया था प्रयास,
*जगंल में शराब पीने के दौरान किसी बात को लेकर हुआ था दोनो का विवाद,
*मृतक के परिजनों द्वारा घटना में जंगली जानवर के हमले की आशंका जताई गई थी परंतु प्रथमदृष्टया मामला संदिग्ध…
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सक्ती: सर्व आदिवासी समाज के नेतृत्व में निकाली हसदेव बचाओ रैली, मुख्यमंत्री के नाम सक्ती एसडीएम को ज्ञापन सौंपा
सर्व आदिवासी समाज के नेतृत्व में सक्ती में हसदेव बचाओ रैली निकाली गई , मुख्यमंत्री के नाम सक्ती एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।ज्ञापन में लिखा है की हसदेव के पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे छत्तीसगढ़ में पर्यावरण का पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ जाने से तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाने की संभावना है। पेड़ों की कटाई से जंगल में रहने वाले जंगली जानवर शहरों में प्रवेश करेंगे जिससे आम लोंगों का जीवन खतरे में आ…
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029 राजा
एक राज्य में राजवंश समाप्त हो गया था, राज्य का उत्तराधिकार किसे मिलता? तो दशकों से एक बड़ी विचित्र व्यवस्था चली आ रही थी। वे जन सामान्य में से ही किसी को राजा चुनते और पाँच वर्ष बाद उसे दूर घने जंगल में छोड़ देते, जहाँ जंगली जानवर उसे फाड़ कर खा जाते।कौन मरना चाहेगा? इसीलिए अपनी खुशी से कोई राजा न बनता, और जो बनता, वह खाने पीने और मौज करने में ही समय बिता देता।एक बार एक संतसेवी युवक को राजा बनाया…
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तेंदुए का आतंक:चंबल के बीहड़ किनारे गांवों में दहशत, दुधारू पशुओं का कर रहा शिकार; घरों में कैद ग्रामीण - Panther Panic In Villages On Rugged Banks Of Chambal Hunting Of Milch Animals Villagers Imprisoned In Homes
तेंदुए का आतंक
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा के पिनाहट क्षेत्र से सटी चंबल नदी के बीहड़ में खूंखार जंगली जानवर तेंदुए का आतंक देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। ग्रामीणों के मुताबिक सप्ताह भर में तेंदुआ दो दर्जन पशुओं पर हमला कर अपना शिकार बना चुका है। तेंदुए के आतंक से ग्रामीणों ने रात के समय खेतों पर जाना बंद कर दिया है। रात के समय जागकर गांव में ग्रामीण पहरा लगा रहे हैं।…
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https://besttopets.com/blog/10-wild-animals-name/
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भगवानपुर के पहाड़ी क्षेत्र में युवक पर किया जंगली जानवर ने हमला, मौत
भगवानपुर के पहाड़ी क्षेत्र में युवक पर किया जंगली जानवर ने हमला, मौत
Bihar: कैमूर जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत खडिहां गांव में एक युवक पर पहाड़ी क्षेत्र में एक जंगली जानवर के हमले से युवक की मौत हो गई, कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड का एक हिस्सा पहाड़ी इलाके में आता है, वही कैमूर पहाड़ी के पर्वत श्रृंखला भगवानपुर से लेकर अधौरा तक फैली है।
भगवानपुर थाना
बताया जा रहा है कि सोमवार को मृतक विकास कुमार जंगल के रास्ते अकेले ही जा रहे थे इसी दौरान एक हिंसक जंगली…
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जंगली जानवर - Wild Animals in Bhojpuri & English
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ईस्टर बनी को कभी क्रूस पर न चढ़ाएं [#mf12]
ईस्टर बनी को क्रूस पर चढ़ाना वास्तव में स्मार्ट क्यों नहीं है ?
इससे मुझे सचमुच बदबू आ रही थी, इसलिए मैंने ईस्टर बनी को क्रूस पर चढ़ा दिया। लेकिन कुछ ही समय बाद मुझे एहसास हुआ कि यह इतना चतुर नहीं है।
#ईस्टरबनी #क्रूसिफ़िकेशन #पूजा #इंजीलवाद #ईस्टरक्रॉस
सामने आँगन में गाय
कल्पना कीजिए कि आप शहर के बाहरी इलाके में एक अच्छे एकल-परिवार वाले घरेलू समुदाय में रहते हैं और एक दिन एक भारतीय आपके पड़ोस में रहने आता है। ख़ैर, यह शायद अपने आप में कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर वह सजावटी दरों और गुलाब के गुलदस्ते के बजाय अपने सामने के आँगन में एक पालतू जानवर के रूप में गाय के साथ एक जंगली घास का मैदान रखता है, तो यह आपको अजीब लग सकता है। हालाँकि, हाल ही में जब आपको एहसास होगा कि यह अच्छा पड़ोसी हर सुबह अपनी प्रार्थना गलीचा लाता है और अपनी गाय की पूजा करता है, तो यह आपके लिए काफी मज़ेदार होगा। #गौपूजा #प्रार्थना गलीचा #काउगार्डन
मैंने एक बार व्यक्तिगत रूप से स्वयं से यह प्रश्न पूछा था: इन दिनों आपको वास्तव में क्या करना है ताकि आपका सामाजिक वातावरण यीशु में आपके विश्वास के बारे में आपसे संपर्क कर सके? मेरे अनुभव में, पड़ोस में कोई भी उस अच्छे पड़ोसी से उसकी आस्था के बारे में नहीं पूछेगा जिसके पास गाय है। और यीशु में आपके विश्वास के साथ भी ऐसा ही होगा, शायद किसी को भी आपके विश्वास में दिलचस्पी नहीं होगी। #आस्था #सुसमाचार प्रचार
मेरे आस-पास के लोगों को मुझसे सिर्फ इसलिए संपर्क क्यों करना चाहिए क्योंकि मैं भोजन से पहले प्रार्थना करता हूं, हर सार्थक अवसर पर "यीशु को धन्यवाद" कहता हूं, या अपने दैनिक जीवन में कुछ और कन्फेशनल को एकीकृत करता हूं? नहीं, हमारे दिनों में "विश्वास एक निजी मामला है" जैसा कि बिशप लेस्ली न्यूबेगिन ने कहा था। यीशु पर इतने सार्वजनिक रूप से विश्वास करना कि आपको सकारात्मक रूप से चुनौती दी जाए और संबोधित किया जाए, हमारे दिनों में लगभग असंभव है। #फेथिसप्राइवेट #नयाशुरूआत
सड़क पार करने वाला लकड़ी का क्रॉस
एक युवा ईसाई के रूप में, मैं इससे बहुत अधिक निराश हो गया था। बार-बार, काम पर या अपने सामाजिक परिवेश में, मैंने इस तरह से रहने की कोशिश की थी कि मुझसे मेरे विश्वास के बारे में पूछा जाए, लेकिन मुझे यह महसूस करना पड़ा: किसी को परवाह नहीं है। अपनी हताशा में मैंने स्वयं को और अधिक उकसाने के लिए बहकने दिया। इसलिए मैंने ईस्टर शनिवार को (बिना अनुमति के) हमारे शहर के एक केंद्रीय चौराहे पर लगभग 3-4 मीटर बड़ा लकड़ी का एक सार्वजनिक दृश्य क्रॉस बनाया। मैं बिल्कुल जानता था, सुई की इस सुई से आज सुबह उन सभी को गुजरना होगा जिन्हें अभी भी कुछ प्राप्त करना है, और …. यहां उन्हें धीरे-धीरे गाड़ी चलानी होगी क्योंकि यह पैदल चलने वालों के लिए एक शांत क्षेत्र है। #ईस्टर #क्रॉस #उकसावे
ईस्टर बनी का सूली पर चढ़ना
लेकिन ईस्टर शनिवार को एक लकड़ी का क्रॉस सड़क पर होने वाली गतिविधि के रूप में मेरे लिए पर्याप्त ध्यान खींचने वाला नहीं था। चूँकि कोई भी उदासीन नहीं रहता और मुझसे बातचीत करना चाहता है। इसलिए मैंने अपने लिए यथासंभव बड़ा ईस्टर बन्नी खरीदा और इसे लकड़ी के क्रॉस पर बाहें फैलाकर कील ठोक दिया। अब मैंने कार से या पैदल आने वाले हर किसी से ध्यान की गारंटी ले ��ी थी। मेरा ध्यान था - लेकिन उतना नहीं जितना मैंने सोचा था। #ईस्टर बनी #ईस्टर बनी सूली पर चढ़ना
प्रतिक्रियाएँ
कार में अपने बच्चों के साथ कई माता-पिता इस बात से बेहद परेशान थे कि मैं इस ईस्टर बनी के साथ उनके बच्चों पर क्या बीत रही थी। कुछ बस ड्राइवरों ने मुझे एक पक्षी दिखाया और जाहिर तौर पर मुझे लगा कि मैं पागल हूं। यहां तक कि प्रेस में भी मेरे ईस्टर बन्नी को सूली पर चढ़ाए जाने के बारे में रिपोर्ट आई। ईस्टर के बाद मंगलवार को अखबार में मेरी "मेरी" कहानी थी और उसके तुरंत बाद मेरे "बिशप" का फोन आया।
इसलिए मैंने उन दिनों "मुझे बिल्कुल भी परवाह नहीं है" प्रतिक्रिया और "क्रोधित अस्वीकृति" के बीच सीखा - कुछ भी नहीं। और आज 25 साल से भी ज्यादा समय बाद भी ये वैसा ही है. "विश्वास एक निजी मामला है" और कोई भी बिना सोचे-समझे हर चीज की इजाजत देता है जब तक कि वह परेशान न कर दे और फिर उस पर लड़ाई की जाती है। यह सिद्धांत सभी आस्थाओं और धर्म की दिशाओं के लिए मान्य है।
हम अभी भी अपने विश्वास को कैसे देख सकते हैं
ऐसी परिस्थितियों में यीशु ने "अपने गवाह होने" की कल्पना कैसे की? #साक्षी होना
परन्तु तुम पवित्र आत्मा पाओगे, और उसकी शक्ति से यरूशलेम और यहूदिया, सामरिया और सारी पृय्वी पर मेरे गवाह होगे।" - प्रेरितों 1:8
इस बाइबल पाठ में हमारी प्रभावी गवाही की कुंजी निहित है: "पवित्र आत्मा की शक्ति में"। हम इसे प्रथम शिष्यों के कार्य में पहले से ही देख सकते हैं। पवित्र आत्मा उचित परिस्थितियों की शुरुआत करता रहा और शिष्यों ने इन अवसरों को पहचाना और उनका उपयोग किया। #पवित्रआत्मा #शक्तिकी भावना
एक ईसाई के रूप में अपने जीवन के बाद के वर्षों में, मैं अधिक से अधिक देख सका कि यह वास्तव में यीशु का गवाह बनने का एकमात्र प्रभावी और टिकाऊ तरीका है। पवित्र आत्मा के आवेगों को प्राप्त करके, अवसरों को पहचानकर और उनका अनुसरण करके। इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण के माध्यम से कुछ दिनचर्या की आवश्यकता होती है, लेकिन हम निश्चिंत हो सकते हैं कि यह तरीका प्रभावी है। #ईश्वर #यीशु से #निकटता
हम इन स्थितियों में लोगों को यीशु के पास कैसे ले जा सकते हैं, मैं इस निम्नलिखित पोस्ट में समझाऊंगा:
Climbing the heavenly ladder #evangelization
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Palamu: नौ दिनों से लापता महिला और उसकी पांच महीने की बच्ची का मिला कंकाल, ससुराल पक्ष फ़रार
Medininagar: मनातू थाना क्षेत्र के मंझौली गांव के टोला भदईबथान से गायब उर्मिला देवी (22) और उसकी पाचं महीने की बेटी अनुष्का यादव का कंकाल गौरेया जंगल से मिला है। दोनों पिछले एक जून से लापता थे। कंकाल को जंगली जानवर नोच खाए थे। पुलिस और परिजन उनकी खोजबीन में लगे हुए थे। इसी बीच जंगल से क्षत-विक्षत कंकाल बरामद हुआ।
महिला के ससुराल पक्ष के लोग फरार बताए जाते हैं। इस संबंध में चार जून को महिला के…
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~ आदिमानव
हमारी पृथ्वी का उद्भव आज से करोड़ो वर्ष पूर्व हुआ ऐसा माना जाता हैं. पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर निरंतर शोध होते रहे हैं. वैज्ञानिकों ने इस विषय पर गहन सर्च के बाद इस निर्णय पर पहुंचे कि आज के चालीस लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी पर मानव का उद्भव हुआ, जिन्हें हम आदिमानव के रूप में जानते हैं. उस समय के इन मानव को जीवन के रहन सहन खान पान का कोई विशिष्ट ज्ञान नहीं था.
आदिमानव का जीवन एक जंगली प्राणी की भांति था, उसे किसी प्रकार के संसाधन के उपयोग का ज्ञान नहीं था. वह न तो आग से परिचित था न ही कृषि आदि से. वह सुरक्षा के लिए झुण्ड बनाकर समूह में रहने लगा तथा एक साथ ही विचरण करते हुए भोजन की तलाश में जंगल में जाते तथा वन्य जीवों का आखेट कर जीवन का निर्वहन करते थे, यही उनकी आजीविका का मुख्य साधन था. वे अपने तन को सर्दी गर्मी तथा बरसात से बचाने के लिए ताड़ के पत्ते या जानवरों की खाल से ढकते थे, उन्हें कपड़े के सम्बन्ध में कोई ज्ञान नहीं था.
आदिमानव के विकास के प्रथम काल को पाषाणकाल कहा जाता हैं. इस काल में आदिमानव ने अपनी जरूरत की वस्तुओं को पत्थर से बनाया. उनके खाने पीने के बर्तन से लेकर हथियार तक पत्थर के हुआ करते थे. वे गुफाएं बनाकर रहते थे. उस काल के कुछ गुफाओं में स्थित शिलालेख भी मिले है जिससे उस समय के जीवन को समझने में सहायता मिलती हैं. पाषाणकाल में मानव ने अपनी जरूरत को पूरा करने के साधनों का निर्माण तो किया ही साथ ही उसने ठंड तथा जंगली जानवरों के आक्रमण से बचने के लिए गुफा के मुहाने पर आग जलाना भी शुरू कर दिया जिसमें में जानवरों को पकाकर भी खाने लगे.
मानव इतिहास की पहली खोज आग की मानी जाती हैं. आदिमानव ने पत्थरों के टकराने के बाद आग को जलाना सीखा, जिनसे स्वयं की जानवरों से सुरक्षा में मदद मिलने के साथ ही भोजन पकाने में भी काम आई. कालान्तर में इन्होने अपनी रक्षा तथा भोजन के प्रबंध की सुविधाओं के लिए कृषि कर्म तथा पहिये का आविष्कार कर दिया.
इस तरह आदिमानव का जीवन बेहद कठिनाइयों से भरा हुआ था. जीवन निर्वहन में सुविधा के कोई साधन नहीं थे. जीवन रक्षा के लिए उन्होंने सर्वप्रथम पत्थर के तथा बाद में ताबें के हथियारों का निर्माण किया. सम्भवतः आदिमानव द्वारा खोजी गई प्रथम धातु ताम्बा ही थी, जिससे उन्होंने अन्य जीवनउपयोगी यंत्रों का निर्माण किया जिनमें कृषि औजार भी शामिल थे.
आदिमानव अपने जीवन की सुरक्षा के कारण ही समूह में रहा करते थे. उनके जीवन का सबसे बड़ा खतरा जंगली जानवर ही थे. जिन्सें वे मिलकर बचाव किया करते थे. दुनिया के विभिन्न देशों में आदिमानव के जीवन से जुड़े अस्थि कंकाल प्राप्त हुए है जिससे उनकी आयु के बारे में अनुमान लगाने में सहायता मिली हैं.
मानव विकास की यात्रा का प्रारम्भिक बिंदु आदिमानव ही हैं. जिन्हें आज की जीवन शैली में असभ्य माना जाता हैं उनके जीवन का एक ही ध्येय रहता था अपने पेट का निर्वहन करना तथा जंगली जानवरों से बचाव करना, इस कारण वे समूह में रहने लगे. मानव का यही सामूहिक सुरक्षा का स्वभाव परिवार तथा समाज के रूप में देखने को मिलता हैं.
उस दौर का आदिमानव रहने के लिए घर बनाने की तकनीक से परिचित नहीं था, अतः उन्होंने पत्थरों को काट कर गुफाओं में रहना शुरू किया. कालान्तर में वह विभिन्न प्रकार के आवासों के निर्माण में दक्ष हुआ. निरंतर विकास के साथ ही साथ आदिमानव की आबादी में भी उत्तरोतर वृद्धि होती गई तथा कबीलाई समूहों का निर्माण हुआ, वह वस्त्रों का उपयोग करने लगा, अपने समस्त बर्तन एवं औजारों का निर्माण सीखा तथा पहिये के आविष्कार के बाद गाड़ी चलाना तथा पशुओं को पालने लगा
~ आदिमानव .....
#satnam
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इलाके में फैला दहशत का माहौल…तेंदुए ने गाय को बनाया अपना शिकार
NCG NEWS DESK पाण्डुका। जिले के वन परिक्षेत्र पांडुका के अंतर्गत जंगल से लगे ग्राम पंचायत तौरेंगा में एक बार फिर तेंदुए ने एक गाय को अपना शिकार बनाया है। इस जंगल से जंगली जानवरों का परंपरागत शिकार खत्म हो गया है। या कहा जाय की खत्म होने के कगार पर है। और बीते कुछ साल में तेंदुए के संख्या में इजाफा हुआ है। जिस कारण यहा जंगली जानवर अब पालतू मवेशियों को अपना शिकार बना रहे हैं। पांडुका के तौरेंगा…
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