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#मूंगफली
omprakashdhuri · 9 months
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मूंगफली की खेती 2023
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kisanofindia · 9 months
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कम उपजाऊ भूमि में सरगुजा की खेती कैसे करें? जानिए किन बातों का रखें ध्यान
सरगुजा की खेती बरसात के मौसम में ही की जाती है
मूंगफली, तिल, असली की तरह ही सरगुजा भी एक तिलहनी फसल है, जो मुख्य रूप से झारखंड के आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाती है। इसका तेल बहुत फ़ायदेमंदहोता है जिसे खाने से लेकर दवा बनाने तक में इस्तेमाल किया जाता है। जानिए सरगुजा की खेती से जुड़ी अहम बातें।
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सरगुजा की खेती: मूंगफली, तिल, सूरजमुखी, सोयाबीन, सरसों और असली के तेल के बारे में तो आपने सुना ही होगा और खाते भी होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सरगुजा के बारे में सुना है? दरअसल, ये झारखंड के आदिवासी समुदाय की प्रमुख तिलहनी फसल है, जिसका इस्तेमाल वो खाद्य तेल के रूप में करते हैं।
सरगुजा का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड और लिनेलोइक एसिड से भरपूर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। खाने के अलावा, इस तेल का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। मगर इतना फ़ायदेमंद होने के बाद भी इसका तेल बाकी तेल की तरह लोकप्रिय नहीं है। भारत के तिलहन उत्पादन में सरगुजा तेल का योगदान सिर्फ़ 3 प्रतिशत ही है और इसकी वजह है जानकारी का अभाव।
सरगुजा के बारे में जागरुकता फैलाकर और किसानों को सरगुजा की खेती के लिए प्रेरित करके उनकी आमदनी में इज़ाफ़ा किया जा सकता है, क्योंकि सरगुजा कीखेती विपरित परिस्थितियों में भी की जा सकती है। इसलिए कम उपजाऊ और पानी वाले इलाकों के लिए भी ये फसल उपयुक्त है।
कहां होती है सरगुजा की खेती
सरगुजा की खेती झारखंड के साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्रस मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है। इसकी खेती मुख्य रूप से झारखंड के जनजातीय समुदाय द्वारा की जाती है। वो इसे आमतौर पर कम उपजाऊ भूमि में लगाते हैं और खाद व उर्वरकों का भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते हैं जिससे उपज कम होती है। अगर वैज्ञानिक पद्धति से इसकी खेती की जाए, तो किसानों को अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है।
जलवायु और मिट्टी
सरगुजा की खेती 13 से 23 डिग्री तापमान में की जा सकती है। सरगुजा के लिए हल्की बलुई मिट्टी से लेकर भारी काली मिट्टी जिसका पी.एच. मान 5.2 से 7.3 तक हो अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती लवणीय मिट्टी में भी की जा सकती है, इसमें पौधों का विकास अच्छी तरह होता है।
खेत की तैयारी
इसकी खेती के लिए पहले देसी हल से खेत में दो बार गहरी जुताई कर पाटा लगा दें। अंतिम जुताई के समय 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 5% एल्ड्रिन धूल या 10% बी.एच.सी. मिट्टी में मिला दें। इससे दीमक का असर कम हो जाता है।
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merafarmhouse · 1 year
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rudrjobdesk · 2 years
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यूरिक एसिड बढ़ने पर मूंगफली खाना सही या गलत? जानिए
यूरिक एसिड बढ़ने पर मूंगफली खाना सही या गलत? जानिए
Pea Nuts In Uric acid– शरीर में यूरिक एसिड लेवल का कम या ज्यादा होना बहुत सी शारीरिक स्थितियों का कारण बन सकता है. यह तभी संभव है जब यूरिन से ज्यादा यूरिक एसिड या कम यूरिक एसिड पास हो. आपके लिए पहले यह जानना जरूरी है कि यूरिक एसिड बनता कैसे है? दरअसल प्यूरिन नामक एक केमिकल सब्सटेंस, बॉडी में और कुछ फूड में कुदरती रूप से होता है. मेडिकल न्यूज़ टुडे के मुताबिक जब इस प्यूरिन का ब्रेकडाउन होता है तो…
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trendingwatch · 1 year
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कार्टूनिस्ट शनिवार के मज़ेदार पन्नों में 'मूंगफली' निर्माता का सम्मान करते हैं
कार्टूनिस्ट शनिवार के मज़ेदार पन्नों में ‘मूंगफली’ निर्माता का सम्मान करते हैं
द्वारा एसोसिएटेड प्रेस न्यूयार्क: देश भर के कार्टूनिस्ट “पीनट्स” के निर्माता चार्ल्स एम. शुल्ज का 100वां जन्मदिन मना रहे हैं, जैसा कि वे कर सकते हैं – कार्टून के साथ। 75 से अधिक सिंडिकेटेड कार्टूनिस्टों ने चार्ली ब्राउन, स्नूपी एंड कंपनी के निर्माता को सम्मानित करने के लिए शनिवार के मज़ेदार पत्रों में श्रद्धांजलि, ईस्टर अंडे और “मूंगफली” के संदर्भों को शामिल किया है। 700 समाचार पत्रों के लिए…
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merikheti · 2 years
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खेती-किसानी के हर क्षेत्र में कृषि उपकरण उपलब्ध करा रही परफुरा टेक्नोलॉजीज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड|
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जैसे-जैसे समय में बदलाव हुआ है वैसे-वैसे कृषि- किसानी में उल्लेखनीय उन्नति देखने को मिल रही है। आज आधुनिक कृषि यंत्रों की भरमार है, जिस कारण किसानों को खेती-किसानी में काफी आसानी हुई है। ऐसे-ऐसे कृषि यंत्र हैं जिनकी सहायता से हजारों हेक्टेयर फसल को कुछ ही घंटों में बो दिया जाता है ओर उसकी फसल को पकने पर कुछ ही घंटों में काट भी दिया जाता है। आज कई ऐसी मशीनें हैं, जो अनाज की कटाई के बाद प्रसंस्करण के लिए उचित गुणवत्ता के साथ कम लागत में किसानों को मिल रही हैं।
ऐसी ही एक कंपनी है परफुरा टेक्नोलॉजीज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड (Perfura Technologies (India) Private Limited), जो किसानों को कृषि यंत्र की आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कंपनी का मुख्य व्यापार आस्ट्रेलिया में है।
जानिए कंपनी के बारे में
परफुरा टेक्नोलॉजीज कंपनी की स्थापना वर्ष 2014 में कोयंबटूर, तमिलनाडु (भारत) में अपनी परिचालन इकाई के साथ एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी उद्यम के रूप में हुई थी। कंपनी का उद्देश्य वैश्विक कृषि क्षेत्र में अनाज की कटाई के बाद प्रसंस्करण के लिए उचित गुणवत्ता के साथ लागत प्रभावी मशीनें उपलब्ध कराना है। जानकारी मिली है कि फर्म के पास अनुभवी कर्मचारी हैं, जो संसाधनों के इष्टतम उपयोग के साथ ग्राहकों की मांगों के अनुसार सामानों को संसाधित करने में मदद करते हैं।ये भी पढ़े: धान की कटाई के बाद भंडारण के वैज्ञानिक तरीका
कंपनी के पास उत्पादों की विशाल श्रृंखला
कंपनी ने बताया कि उनसे पास उत्पादों की विशाल श्रृंखला है। उनके उत्पादों की विशाल श्रृंखला में बाजरा प्रसंस्करण इकाई, दाल प्रसंस्करण इकाई, परफुरा पल्वराइजऱ, मिलर डीहुलर्स और कई अन्य शामिल हैं।
यह है कंपनी का बुनियादी ढांचा
परफुरा टेक्नोलॉजीज कंपनी के पास एक अच्छी तरह से सुसज्जित और आधुनिक बुनियादी ढांचा सुविधा है जो एक विशाल क्षेत्र में फैली हुई है। कंपनी ने उचित संचालन के लिए अपने बुनियादी ढांचे में गुणवत्ता विभाग, भंडारण, पैकेजिंग, आदि जैसी विभिन्न इकाइयां पेश की हैं। उचित लेबलिंग और वर्गीकरण के तहत उत्पादों की श्रृंखला को विभिन्न इकाइयों में सुरक्षित रूप से संग्रहीत करते हैं जो वितरण को सुव्यवस्थित करते हैं। कंपनी पेशेवरों की टीम द्वारा समर्थित हैं, जो कार्यक्षमता के इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। बाजार में कंपनी की एक मजबूत स्थिति है, जिसे कर्मचारियों की उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है। बाजार में लॉन्च किए गए उत्पादों की रेंज कंपनी की कड़ी मेहनत करने वाली टीम और काम के प्रति उनके प्रयास का परिणाम है।ये भी पढ़े: भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण
आटा प्रसंस्करण और पल्वराईजर मशीन
परफुरा कंपनी कई उन्नत कृषि यंत्रों को खेतों तक पहुंचाती है, जिसका उपयोग कर किसान खेती- किसानी में उन्नति कर रहे हैं। कंपनी बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट, दाल प्रोसेसिंग यूनिट, परफुरा पल्वराईजर, मिलर डीहुलर्स और कई अन्य उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला पेश करती है।
मूंगफली डेस्किनर और डेकोर्टिकेटर
कंपनी के उत्पाद श्रृंखला में मूंगफली डेस्किनर स्प्लिट कम ग्रेडर, मूंगफली डेकोर्टिकेटर, मूंगफली डेकोर्टिकेटर सह ग्रेडर, मूंगफली डेस्किनर सह ग्रेडर और मूंगफली डेस्किनर की विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
बाजरा प्रसंस्करण इकाई
कोयंबटूर की प्रमुख और अग्रणी निर्माता कंपनी मिलेट्स डेस्टोनर कम ग्रेडर कम एस्पिरेटर, ग्रेन पॉलिशिंग मशीन, डबल स्टेज मिलेट डीहुलर, ग्रेन ग्रेडर कम विनोवर्स और मूंगनऊली डेस्कनर होल कम ग्रेडर प्रदान करी है। कंपनी के पास अनाज चमकाने की मशीन भी उपलब्ध है।
दाल प्रसंस्करण इकाई
कंपनी दालों के लिए डेस्टोनर मशीन, दाल तेल अनुप्रयोग मशीन, दलहन दाल डीहस्किंग मशीन और दाल स्प्लिटर सह ग्रेडर प्रदान करती है।
बाजरा डीहुलर
कंपनी डबल स्टेज मिलेट डीहुलर, सिंगल स्टेज मिलेट डीहुलर और मिलेट डीहुस्कर भी किसानों के लिए उपलब्ध कराती है।
औद्योगिक ग्रेडर
कंपनी हूपर के साथ ग्रेडर, सीड ग्रेडर और बिना हॉपर के ग्रेडर की पेशकश भी करती है।ये भी पढ़ें: धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी
आटा सिफर
कंपनी कोयंबटूर से आटा सिफ्टर मशीन और आटा छलनी मशीन परिपत्र की अग्रणी निर्माता भी है। वहीं कंपनी के पास डेस्टोनर मशीन, डेस्टोनर कम एस्पिरेटर और डेस्टोनर कम ग्रेडर कम एस्पिरेटर शामिल हैं। कंपनी के पास आटा ब्लेंडर मशीन, आटा मिश्रण मशीन और सूखा आटा ब्लेंडर शामिल हैं।
कोल्ड प्रेस्ड ऑयल एक्सट्रैक्शन यूनिट
कंपनी के उत्पादों में वुडन ऑयल एक्सपेलर और डेस्टोनर सह ग्रेडर सह एस्पिरेटर शामिल हैं। इसमें लकड़ी का तेल निकालने वाली मशीन, डेस्टोनर कम ग्रेडर कम एस्पिरेटर। अनाज हैंडलिंग उपकरण भी प्रदान करती है।
Source खेती-किसानी के हर क्षेत्र में कृषि उपकरण उपलब्ध करा रही परफुरा टेक्नोलॉजीज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड
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khetikisani · 2 years
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मूँग की खेती | मूंग उत्पादन की उन्नत तकनीक | मूंग की लाभकारी खेती
मूँग की खेती | मूंग उत्पादन की उन्नत तकनीक | मूंग की लाभकारी खेती
भारत देश मे दलहनी फसल में मूंग एक महत्वपूर्ण है जिसकी खेती समस्त राजस्थान में की जाती है। मिट्टी का चुनाव | Soil सिलेक्शन in Moong ki kheti  उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली तराई क्षेत्रों की मृदा- बुवाई के पूर्व 3 कि.ग्रा. जिंक (15 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट हेप्टा हाइड्रेट या 9 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट मोनो हाइड्रेट) प्रति हेक्टर की दर से तीन वर्ष के अन्तराल पर दें।  कम कार्बनिक पदार्थ वाली पहाड़ी बलुई दोमट…
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medixic · 3 months
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आप मूंगफली को भूनकर खा सकते हैं। जानें, भुनी हुई मूंगफली खाने के फायदे-
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scribblersobia · 7 months
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मैं उस बचपन को फिर से जीना चाहती हूं,
बुग्नी में पैसों के साथ अपने सपने भी जमा करना चाहती हूं,
किच�� सेट लेकर मैं फिर से घर घर खेलना चाहती हूं,
गर्मी की शाम को दोस्तों के साथ पकड़न पकड़ाई, आंख मिचौली,और वो सब गेम्स फिर से खेलना चाहती हूं,
मैं फिर से टॉफी चॉकलेट चिप्स खाने की माँ से जिद करना चाहती हूं,
वो संडे को सुबह सुबह टीवी पर फिर से वो बचपन वाले कार्टून देखना चाहती हूं,
वो खुशबू वाले रबर और अतरंगी से पेंसिल फिर से इकठी करना चाहती हूं,
मैं उस बचपन को फिर से जीना चाहती हूं।
नानी के घर में गर्मियों की छुट्टियाँ फिर से मानना चाहती हूं,
तारों के नीचे, छत पे, भाई बहनों के साथ बाते फिर से करना चाहती हूं,
वो यादों में जो रह गए हैं, मैं उन चेहरों को फिर से देखना चाहती हूं,
मैं उस बचपन को फिर से जीना चाहती हूं।
वो बूढ़ी के बाल, जिसे खा कर खुश हो जाती थी,
वो खिलौने जिनसे अपना कमरा सजाती थी,
अब रहा कहां है वो सब वैसा,
पर मैं उस वक्त में वापिस जाना चाहती हूं,
मैं उस बचपन को फिर से जीना चाहती हूं।
वो सर्दियों मे रजाई में बैठ कर मूंगफली खाना,
साथ अंताक्षरी में वो फिल्मी गाने गाना,
वो पापा से ऑफिस से आते वक्त, "कुछ खाने को लाने" की डिमांड करना,
वो सर्दी की शाम को मम्मी पापा के साथ कैरम और लूडो खेलना,
मैं उस उमर में वापिस जाना चाहती हूं,
मैं जिस बचपन को छोड़ कर आई थी,
मैं उस बचपन को फिर से वैसे ही जीना चाहती हूं।
_सोबिया।
@scribblersobia
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nishthaskitchen · 1 year
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Peanut Masala in Hindi | बेसन पीनट मसाला रेसिपी | मसाला मूंगफली
पीनट मसाला रेसिपी | peanut masala in hindi | मसाला मूंगफली | मूंगफली मसाला – नट क्रेकर्स – Masala Peanut Recipe – Nut Crackers Recipe Title Excerpt:  पीनट मसाला के बारे मे , चावल के आटे के साथ बनाए,  पीनट मसाला का स्वाद, बनाने मे समय,  सर्विनग / SERVING,  पीनट मसाला के लिए लगने वाली सामग्री, ,बनाने की विधि, सुझाव,विडिओ लिंक, एफ ए कउ , रिव्यू । पीनट मसाला के बारे मे चटपटे मसालेदार मसाला मूंगफली…
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vellhighbandi · 1 year
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Humne bed par मूंगफली to kha li...
Par ab bed saaf kon karega...
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todaymandibhav · 2 days
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मंडी भाव 29 अप्रैल 2024: जीरा, गेहूं, जौ, चना, सरसों, मेथी, ईसबगोल जिंसों का दाम
Mandi Bhav 29 April 2024 : देखें आज राजस्थान और हरियाणा प्रदेश की मंडियों में मेथी, जीरा, ग्वार, चना, मूंग, मोठ, गेहूं, जौ, तिल, तारामीरा, मूंगफली, अरंडी और भारतीय कपास (नरमा) इत्यादि सभी प्रमुख फसलों का ताज़ा मंडी भाव की जानकारी । Aaj Ka taza Mandi Bhav | Mandi Bhav Today 2024 Haryana Mandi Bhav 29 April 2024 ऐलनाबाद मंडी का भाव 29 अप्रैल 2024मेथी 5000-5200 रू/क्विंटलजौ 1750-1868…
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dehaat-india · 9 days
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छोटी/कम जमीन में अधिक पैदावार तथा कमाई वाली फसलें - DeHaat गाइड
भारतीय कृषि (Indian Agriculture) की बात करें तो छोटी जमीन पर खेती करना एक आम चुनौती है। लेकिन, इस चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता भी हमारे पास है। ‘DeHaat: Seeds to Market’ आपको इस दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए सदैव तत्पर है। हम आपको अपनी कम जमीन के माध्यम से अच्छी पैदावार वाली फसलों की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यदि आप भी एक किसान हैं और अपनी खेती की आय को बढ़ने के इच्छुक हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है। 
छोटी जमीन पर खेती की चुनौतियाँ और संभावनाएँ 
Challenges and Opportunities in Farming on Small Land: -
छोटी जमीन पर खेती करते समय किसानों को अक्सर उत्पादन (Production) में सीमितता का सामना करना पड़ता है। लेकिन, उचित योजना और तकनीकों के उपयोग से इस सीमित जगह को भी अधिकतम उत्पादकता का स्थान बनाया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming), मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-layer Farming), और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) जैसी नवीन तकनीकें इसमे�� सहायक हो सकती हैं।
अधिक पैदावार और आय के लिए नवीन तकनीकों का महत्व
Importance of Innovative Techniques for Higher Yield and Income:-
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान न केवल अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation), हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), और एक्वापोनिक्स (Aquaponics) जैसी तकनीकें जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी सुधार लाती हैं। इन तकनीकों को अपनाकर किसान बाजार (Farmer Market) में बेहतर स्थान प्राप्त कर सकते हैं और अपने उत्पादों को उचित मूल्य (Fair Price Sale) पर बेच सकते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपको छोटी जमीन पर अधिक पैदावार और आय (Higher production and income on small land) प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीकों से परिचित कराएंगे। पढ़ें, DeHaat’ का यह ब्लॉग पूरा और अपने खेती के सपनों को साकार बनायें। 
उन्नत बुआई तकनीकें और फसल चयन
कृषि क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के साथ, उन्नत बुआई तकनीकें (Advanced Sowing Techniques) और सही फसल चयन (Crop Selection) का महत्व बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि कैसे ये तकनीकें और चयन आपकी खेती को लाभकारी बना सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की फसलें जो कम जमीन में अधिक लाभ देती हैं।
छोटी जमीन पर अधिकतम उत्पादन (Maximizing Production) और लाभ (Profit) प्राप्त करने के लिए, फसलों का सही चयन अत्यंत आवश्यक है। ऐसी फसलें जो कम जगह में उगाई जा सकती हैं और अच्छी आय देती हैं, उनमें शामिल हैं:
मूली (Radish): यह तेजी से उगने वाली फसल है जो कम समय में तैयार होती है और बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है।
बैंगन (Eggplant): यह फसल विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकती है और इसे वर्ष भर बोया जा सकता है।
मिर्च (Chili): यह उच्च मूल्य वाली फसल है जो छोटे क्षेत्र में भी अच्छी आय दे सकती है।
धनिया (Coriander): यह फसल जल्दी उगती है और इसकी पत्तियों का उपयोग मसाले के रूप में होता है।
केला (Banana): यह फसल लंबे समय तक फल देती है और इसकी खेती से नियमित आय हो सकती है।
पपीता (Papaya): यह फसल कम समय में उगती है और इसके फलों की बाजार में अच्छी मांग होती है।
मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों का चयन।
फसलों का चयन करते समय मौसम (Weather) और मिट्टी के प्रकार (Soil Type) का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए:
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) में बाज��ा और मूंगफली अच्छी उपज देती हैं।
दोमट मिट्टी (Loamy Soil) में गेहूं और चना जैसी फसलें बेहतर उपज देती हैं।
बीजों की गुणवत्ता और उनका प्रबंधन।
बीजों की गुणवत्ता (Seed Quality) और उनके प्रबंधन (Management) से फसलों की उपज में काफी अंतर आता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना और उन्हें सही तरीके से भंडारित (Storage) करना फसल की सफलता के लिए अनिवार्य है।
इन तकनीकों और चयनों का उपयोग करके आप अपनी कम जमीन से भी अधिकतम उत्पादन (Maximum production from less land) और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। खेती की और अधिक उन्नत तकनीकों और फसलों के चयन के बारे में जानने के लिए, हमारे इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें। 
सिंचाई और जल प्रबंधन
जमीन चाहे छोटी हो या बड़ी, अच्छी फसल के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन (irrigation and water management) बेहद अहम है। पारंपरिक सिंचाई विधियों में 50% से भी ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है! आइए देखें कैसे हम जल संरक्षण की तकनीकों (water conservation techniques) और आधुनिक सिंचाई पद्धतियों (modern irrigation methods) को अपनाकर कम पानी में भी अच्छी पैदावार (high yield) ले सकते हैं।
जल संरक्षण
फलों और सब्जियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी देना ही समझदारी है। हर फसल को अलग मात्रा में पानी चाहिए।
जल संरक्षण की तकनीकें:
फसल जरूरत के अनुसार सिंचाई (मिट्टी जांच उपकरण) (crop water requirement, soil moisture meter)
मल्चिंग (सूखी घास/पुआल) - 30% तक पानी की बचत (mulching)
जल निकास - जमीन की सेहत के लिए जरूरी (drainage)
वर्षा जल संचयन (खेत के आसपास गड्ढे/तालाब) (rainwater harvesting)
आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ
पानी बचाना ही पैसा बचाना है! आधुनिक सिंचाई पद्धतियां कम पानी में ज़्यादा फसल उगाने में मदद करती हैं।
सिंचाई पद्धति (Irrigation method)
विवरण (Description)
लाभ (Benefits)
ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation)
पौधों की जड़ों के पास पानी की बूंदें टपकती रहें 
50% तक पानी की बचत, कम खरपतवार (water saving, weeds)
स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler irrigation)
पानी को हवा में छिड़का जाता है
पारंपरिक सिंचाई से कम पानी बर्बादी (water waste)
फरो सिंचाई (Furrow irrigation)
खेत में छोटी-छोटी नालियां बनाकर पानी बहे 
कम लागत (low cost)
दिलचस्प बात ये है कि दुनिया में उपयोग होने वाले मीठे पानी का 70% सिंचाई में ही खर्च हो जाता है। इसलिए जल संरक्षण और आधुनिक सिंचाई अपनाना बहुत ज़रूरी है।
फसलों की देखभाल और बाजार तक पहुँच 
फल लगने से लेकर बाजार तक पहुंचाने तक फसल की देखभाल अहम है। कीटों और रोगों से बचाव (pest and disease management), जैविक खेती (organic farming) अपनाना और सही बाजार का चुनाव अधिक पैदावार (high yield) और कमाई (income) सुनिश्चित करता है।
कीट और रोग प्रबंधन 
नियमित जांच से शुरुआत करें ताकि शुरुआती अवस्था में ही कीटों और रोगों का पता लगाया जा सके। रासायनिक दवाओं (chemical pesticides) के अत्यधिक प्रयोग से बचें। जैविक कीटनाशकों (organic pesticides) का इस्तेमाल करें, लाभकारी कीटों (beneficial insects) को बढ़ावा दें और फसल चक्र (crop rotation) अपनाकर रोगों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करें।
गौर करें (Fact): भारत में फसल नुकसान का 30-40% हिस्सा कीटों और रोगों के कारण होता है। प्रभावी प्रबंधन से इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जैविक खेती 
पर्यावरण के अनुकूल खेती, स्वस्थ भोजन का उत्पादन, उर्वर भूमि (fertile soil) का निर्माण और बेहतर मुनाफा - ये हैं जैविक खेती के कुछ लाभ। साथ ही मिट्टी के जैविक पदार्थों (organic matter) में वृद्धि से जलधारण क्षमता (water holding capacity) बढ़ती है, जिससे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
जानें (Did You Know?): जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और पारंपरिक उत्पादों की तुलना में 20-30% अधिक कीमत मिलती है। जैविक खेती अपनाकर आप न सिर्फ पर्���ावरण बचाते हैं बल्कि अच्छी कमाई भी करते हैं।
"किसानों की सफलता ही देश की सफलता है" - देहात (DeHaat)
अपनी फसल बेचने के लिए सही बाजार का चुनाव फायदेमंद है। आइए देखें कैसे बाजार अनुसंधान (market research) और सही चैनल चुनकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है
निष्कर्ष
छोटी जमीन में भी अधिक पैदावार और कमाई संभव है! सही फसल चयन, उन्नत खेती विधियों को अपनाने और फसल को उचित बाजार तक पहुँचाने से आप अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। देहात (DeHaat) हर कदम पर आपका साथी है। हम आपको बीजों से लेकर बाजार तक हर जरूरी जानकारी और सहायता प्रदान करते हैं।
DeHaat - Seeds to Market Imp Links:
देहात की वेबसाइट (URL HERE) पर जाएं और अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त फसलों की जानकारी प्राप्त करें।
देहात विशेषज्ञों से जुड़ें (Connect with DeHaat experts) - हमारे हेल्पलाइन नंबर HELPLINEHERE पर कॉल करें या हमारी वेबसाइट पर चैट करें।
देहात ऐप डाउनलोड करें (Download the DeHaat app) - URL HERE
आप सफल किसान बन सकते हैं! देहात के साथ जुड़ें और अपनी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
“अस्वीकरण (Disclaimer): इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।
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foodwithrecipes · 16 days
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Peanut and Water Chestnut Dhokli . Peanuts are a good source of protein, healthy fats, fiber, vitamins (such as niacin, folate, thiamin, riboflavin, vitamin E), and minerals. Read full recipe
https://foodrecipesoffical.com/wp-admin/post.php?post=4047&action=edit
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gaurav34 · 28 days
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भारत में मिट्टी के प्रकार (Soil Types in India)
मिट्टी, धरती का वह ऊपरी भाग है जिसमें पौधे उगते हैं। यह चट्टानों, खनिजों, और जैविक पदार्थों से बनती है। भारत में, विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती हैं, जो जलवायु, वनस्पति, और भूगर्भीय संरचना के आधार पर भिन्न होती हैं।
यहाँ भारत में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख मिट्टी के प्रकारों का विवरण दिया गया है:
1. जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil): यह भारत में सबसे व्यापक रूप से पाया जाने वाला मिट्टी का प्रकार है। यह नदियों द्वारा लाए गए गाद से बनती है और गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, और सिंधु नदी के मैदानी इलाकों में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। जलोढ़ मिट्टी उपजाऊ और कृषि के लिए उपयुक्त होती है।
2. काली मिट्टी (Black Soil): यह मिट्टी बेसाल्ट चट्टानों के अपक्षय से बनती है और इसे 'रेगुर' भी कहा जाता है। यह मिट्टी काली, भारी और चिकनी होती है और इसमें जल धारण क्षमता अधिक होती है। काली मिट्टी कपास, बाजरा, और सोयाबीन जैसी फसलों के लिए उपयुक्त ��ोती है।
3. लाल मिट्टी (Red Soil): यह मिट्टी ग्रेनाइट, शेल, और गनीस चट्टानों के अपक्षय से बनती है। यह मिट्टी लाल रंग की और रेतीली होती है। लाल मिट्टी में जल धारण क्षमता कम होती है और यह धान, चना, और मूंगफली जैसी फसलों के लिए उपयुक्त होती है।
4. लैटेराइट मिट्टी (Laterite Soil): यह मिट्टी गर्म और आर्द्र जलवायु में बनती है। यह मिट्टी लाल, भूरी, या पीले रंग की होती है और इसमें लोहे और एल्यूमीनियम का उच्च प्रतिशत होता है। लैटेराइट मिट्टी चाय, कॉफी, और रबर जैसी फसलों के लिए उपयुक्त होती है।
5. रेगिस्तानी मिट्टी (Desert Soil): यह मिट्टी शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। यह मिट्टी रेतीली, ढीली, और कम उपजाऊ होती है। रेगिस्तानी मिट्टी में जल धारण क्षमता कम होती है और यह बाजरा, ज्वार, और मूंगफली जैसी फसलों के लिए उपयुक्त होती है।
6. बलुई मिट्टी एक प्रकार की मिट्टी है जो अपेक्षाकृत रेतीली और मानव गतिविधियों के फलस्वरूप उत्तेजित होती है।बलुई मिट्टी कहां पाई जाती है ? यह उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है, जैसे कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली आदि। इसमें अधिकतर रेत का होना इसे पहचानी जाती है। यह मिट्टी खेती में उपयुक्त होती है लेकिन इसमें अधिक संकरण की आवश्यकता होती है।
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trendingwatch · 2 years
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