ऋषि सनक अभी भी इष्ट हैं क्योंकि लिज़ ट्रस कंजर्वेटिव्स का नेतृत्व करते हैं ...
ऋषि सनक अभी भी इष्ट हैं क्योंकि लिज़ ट्रस कंजर्वेटिव्स का नेतृत्व करते हैं …
एक्सेटर: कंजर्वेटिव टॉप चॉइस सेज वेदी ब्रिटेन के अपदस्थ प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन के पास अपने उत्तराधिकारी की दौड़ में खेलने के लिए सब कुछ है, जो कि स्मार्ट कपड़े पहने और अच्छी तरह से बोलने वाले टोरी सांसदों के अनुसार सोमवार की रात को पैक्ड एक्सेटर की मेजबानी में है, यहां तक कि भारतीय मूल के सांसद भी लिज़ से पीछे हैं। पुलिंदा जो चुनाव का नेतृत्व करता है वह पार्टी का अगला नेता होता है। कई…
View On WordPress
0 notes
ब्रिटेन में पीएम पद की दौड़ में ऋषि सुनक पिछड़े, लिज ट्रस आगे
ब्रिटेन में पीएम पद की दौड़ में ऋषि सुनक पिछड़े, लिज ट्रस आगे
UK Politics: ब्रिटेन में गुरूवार को एक नये सर्वेक्षण में विदेश मंत्री लिज ट्रस (Liz Truss) प्रधानमंत्री पद के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के नेता की दौड़ में पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) से 32 अंकों से आगे चल रही हैं, लेकिन सर्वे में निवर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) भी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों की पसंद बने हुए हैं.
‘स्काई न्यूज’ के लिए यूजीओवी सर्वे में बताया गया है कि…
View On WordPress
0 notes
सनक
15 notes
·
View notes
#Gita tera Gyan Amrit
दो शब्द || भाग- ब
"सभी पवित्र पुस्तकों में कुछ समानता"
पवित्र पुस्तक बाइबिल में, उत्पत्ति के अध्याय में, यह भी रहा है
कहा कि "जब आदम और उसकी पत्नी, ईव, ने पेड़ों के फल खाए
बगीचे के बीच, अच्छे बुरे से हो गए उनको खबर। शाम को जब खुदा चमन में टहलने आया तो जान लिया
एडम और ईव ने पेड़ के फल खाए हैं जिससे कोई जागरूक होता है
अच्छे और बुरे की। फिर उस भगवान ने कहा कि "अच्छा और" के बारे में जागरूक होकर
बुरा", आदम और उसकी पत्नी ईव हम में से एक की तरह हो गए हैं। यह हो सकता है
ताकि वे उन वृक्षों के फल खा सकें जो अमरता का कारण हैं, और
वे अमर हो सकते हैं। इसलिए, आदम और उसकी पत्नी, ईव, थे
स्वर्ग के बगीचे से निकाल कर पृथ्वी पर छोड़ दिया। " (अंश समाप्त होता है। )
व्याख्या :- इससे साबित होता है कि "एक से बढ़कर एक भगवान हैं",
क्योंकि भगवान ने ऊपर कहा कि अच्छे बुरे से अवगत होने के कारण,
वे हम में से एक की तरह हो गए हैं। तो पवित्र पुस्तक बाइबिल में कहा गया है कि
ममरे के पेड़ों के नीचे बैठा था " इब्राहिम " उसने तीन भगवान देखे। वह
उन्हें खाना खिलाया; सजदा किया और उनकी दुआ ली। इससे साबित होता है
बाइबिल में तीन देवताओं को स्वीकार किया गया है।
मुस्लिम धर्म में "चार यारी" माना जाता है
बाल रूप में बने रहें। सुख्म वेद में अर्थात तत्वज्ञान में कहा गया है :-
Vahi Sanak Sanandana, vahi Chaar Yaari |
Tatvgyan jaane bina, bigdi baat saari ||
अर्थ:- हिन्दू धर्म में सनक, सनंदन, सनातन, और
संतकुमार जो बाल रूप में रहते हैं, ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं। अंदर
मुस्लिम धर्म, इन्हें ही "चार यारी" कहते हैं, चार बच्चे
मित्रों।
फिर सुख्म वेद में कहा गया है कि :-
Vahi Mohammad vahi Mahadev, vahi Adam vahi Brahma |
Das Garib doosra koyi nahin, dekh aapne gharma ||
अर्थ:- मुस्लिम धर्म के संस्थापक, पैगंबर मोहम्मद,
एक पुण्य आत्मा थी जो भगवान शिव की दुनिया से आई थी उसने इस्तेमाल किया
गुफा में बैठकर अपनी धार्मिक साधना करना। गणो में से एक
शिव जी के ग्यारह रूद्रा में से एक (हाजिर) मुहम्मद जी से मिले
उस गुफा में। मुहम्मद जी की भाषा (अरबी भाषा) में उन्होंने सुनाई
काल भगवान का आदेश, अर्थात मुहम्मद से ब्रह्म। मुसलमान कहते हैं कि
रूद्रा एंजेल जिबरील के रूप में। यह एक शरीफ फरिश्ता माना जाता है।
यही तो है कि पैगंबर मुहम्मद भी शिव के बच्चे हैं।
मुस्लिम धर्म की पवित्र मज़ार "काबा" की शक्ल में पत्थर है
भगवान शिव के लिंग की मुसलमानों को इसके आगे झुकाना।
2. आदम बाबा :- पुराणों में और जैन धर्म के पवित्र ग्रंथों में,
एक प्रसंग है जो इस प्रकार है :- ऋषभदेव जी के पुत्र थे
King Nabhiraj. Nabhiraj was the king of Ayodhya. Rishabhdev ji had
एक सौ बेटे और एक बेटी। एक दिन, एक संत में सर्वोच्च भगवान
रिषभदेव जी से मिला फॉर्म, भक्ति करने की प्रेरित किया, ज्ञान दिया
उसके लिए कि अगर मनुष्य के जीवन में पूजा के अनुसार नहीं की जाती है
शास्त्र, तो मनुष्य का जीवन व्यर्थ हो जाता है। वर्तमान में जो कुछ भी है
प्राप्त किया, उसने या उसने इसे अच्छे कर्मों और उसके फलस्वरूप प्राप्त किया है
पिछले जन्मों में किए गए पाप। तू राजा है ये तो फलस्वरूप है
आपके एक पिछले पुण्य कार्य का। अब भक्ति नहीं करोगे तो तुम
भक्ति और सद्गुणों की शक्ति से मुक्त हो जायेंगे, और
नर्क में गिरो, फिर दूसरे जीवों के शरीर में कष्ट भोगोगे।
(जैसे कि इनवर्टर की बैटरी चार्ज हो और चार्जर हो
मुख्य से डिस्कनेक्ट हो गया है; फिर भी बैटरी काम कर रही है।
इन्वर्टर से पंखा चल रहा है और बल्ब और ट्यूब भी जल रहे है।
अगर चार्जर को दोबारा कनेक्ट नहीं किया गया और बैटरी दोबारा चार्ज नहीं किया गया तो
थोड़ी देर बाद इनवर्टर सभी कार्यों को करना बंद कर देगा। कोई भी नहीं
क्या पंखा चलेगा, न बल्ब या ट्यूब चलेगा। इसी तरह एक इंसान
शरीर भी एक इन्वर्टर की तरह है। शास्त्र आधारित भक्ति चार्जर है।
परमात्मा की शक्ति से मनुष्य का रिचार्ज होता है अर्थात सद्गुणों और भक्ति की शक्ति से समृद्ध होता है।
यह ज्ञान सुनकर उस भगवान के मुख कम�� से प्रकट हो गए
ऋषि रूप में ऋषभदेव जी ने दृढ़ता से भक्ति करने का निश्चय किया। जब
ऋषभदेव जी ने ऋषि का नाम पूछा, ऋषि ने उनका नाम "कवि देव" बताया,
अर्थात कविर्देव, और उन्होंने भी कहा कि मैं स्वयं ही पूर्ण परमात्मा हूँ।
चारों वेदों में मेरा नाम "कविर्देव" रखा है। मैं हूँ
वह परम अक्षर ब्रह्म है।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज के मंगल आध्यात्मिक प्रवचन अवश्य सुनें Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर रोजाना 7:30-8:30 बजे तक। संत रामपाल जी महाराज ही इस संसार में एकमात्र पूर्ण गुरु है। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा निशुल्क ले एक सेकंड भी व्यर्थ करे,और अपना मानव जीवन सफल करे।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
63 notes
·
View notes
Tumblr सपोर्टर बैज: पित्ज़ाज़ से अपनी वफ़ादारी दिखाएँ
आप में से कई लोगों ने Tumblr को सपोर्ट करने के एक ऐसे तरीके की माँग की है जो नियमित डोनेशन की तरह काम करता हो. तो, ये वही चीज़ है, बस हमने इसमें थोड़ी सी सनक अलग से जोड़ दी है. ज़रा सोचिए. एक ऐसा बैज जो आपके लगातार सपोर्ट से चमकदार से और चमकदार होता जाता है—और Tumblr को Tumblr बने रहने में मदद करता है.
तो पेश है Tumblr सपोर्टर बैज. यह उपयोगकर्ता-संचालित बिज़नेस मॉडल की तरफ़ बढ़ते कदम का एक हिस्सा है. यह एक नया ऑटो-रिन्यूएबल सब्सक्रिप्शन है जो आपको Tumblr के लिए अपने सपोर्ट को स्टाइल से पहनने देता है.
यह कैसे काम करता है:
Tumblr सपोर्टर बैज एक ख़ास बैज है जो रिकरिंग डोनेशन सब्सक्रिप्शन सर्विस की तरह काम करता है. सपोर्टर के तौर पर आपको एक ख़ास तरीके से डिज़ाइन किया गया बैज मिलता है जो इस पर निर्भर करता है कि आप कितने समय से इस तरीके से Tumblr को सपोर्ट करते रहे हैं. आपका सपोर्टर बैज स्टील से शुरू करते हुए कॉपर, गोल्ड, प्लैटिनम और आखिर में ऑइल स्लिक में बदल जाएगा. आपका सपोर्ट जारी रहने के दौरान आप हर माइलस्टोन पर ये बैज इकट्ठा करते रहेंगे जिन्हें आप अपने किसी भी ब्लॉग पर अपनी पसंद के मुताबिक डिसप्ले कर सकते हैं.
इसमें दो सब्सक्रिप्शन हैं, मासिक और वार्षिक:
मासिक: ये स्टील से शुरू होता है और हर माइलस्टोन पर अलग-अलग बैज के साथ आगे बढ़ता रहता है और अंत में लुभावने ऑइल स्लिक तक पहुँच जाता है.
वार्षिक: ये प्लैटिनम से शुरू होता है (ये ऐसा है मानो आप एक झटके में एक साल आगे बढ़ गए हों. वाह-वाह, चीटिंग टाइम.) एक साल बाद अपने अगले भुगतान माइलस्टोन पर आप आगे बढ़ते हुए सीधे ऑइल स्लिक पर पहुँच जाएँगे.
प्राइसिंग:
Tumblr सपोर्टर मासिक: $2.99
Tumblr सपोर्टर 3 महीने: $7.99 ($1 की छूट)
Tumblr सपोर्टर 6 महीने: $15.99 ($2 की छूट)
Tumblr सपोर्टर वार्षिक: $29.99 (15% की छूट)
और जानकारी:
ये मासिक या वार्षिक सब्सक्रिप्शन हर अंतराल पर अपने आप रिन्यू हो जाएगा जब तक आप इसे कैंसल नहीं करते.
अगर आप अपना सब्सक्रिप्शन कैंसल करते हैं या भुगतान विफल हो जाता है, तो भी आपका बैज आपके पास रहेगा, लेकिन ये तब तक दिखाई नहीं देगा जब तक आप अपना सब्सक्रिप्शन फिर से शुरू नहीं करते. अगर/जब आप ऐसा करते हैं, तो/तब आप ठीक उसी बैज लेवल से दोबारा शुरू करेंगे जहाँ आप तब थे जब आपने अपना सब्सक्रिप्शन बंद किया था.
फ़िलहाल इसे अंग्रेज़ी में मोबाइल और वेब के लिए पेश किया जा रहा है. आने वाले हफ़्तों में हम इसे दूसरे क्षेत्रों के लिए भी पेश करने वाले हैं.
अभी के लिए बस इतना ही. उम्मीद है कि आप इस नए बैज का उतना ही आनंद लेंगे जितना आनंद हमें इसे आपके लिए लाते हुए आया ताकि हम आपके आनंद के लिए ऐसी अजीब छोटी-छोटी सजावटी चीज़ें बनाते रह सकें. अजीब बने रहें, Tumblr <3
23 notes
·
View notes
प्रेम ♡
• देह को बेहतर की समझ नहीं
विवश मत करो कि प्रेम करना ही है
यह कोई दैनिक कार्य नहीं
जिसके लिए डायरी बनाई जाए
•
दिन, दिनांक और घटनाओं का स्मरण होना
प्रेम के प्रति समर्पण नहीं दिखाता
बल्कि आंकड़ों के प्रति सनक बतलाता है
•
किसी को प्यार करना
अपनी देह को लम्बी यात्रा के लिए तैयार करना है
•
एक ऐसी यात्रा जिसमें
भूलने के लिए बहुत कुछ है और याद रखने के लिए
मात्र चेहरे पर से बाल हटाता हुआ एक शख़्स
•
आधुनिक हो चुके इस संसार में
किसी को छोड़कर जाने का तरीका
आज भी कितना आदिम है
'तुम्हें कोई बेहतर मिल जाएगा'
•
यात्रा में बदलते हुए स्टेशनों के बीच
बस पानी की बोतलें बदलती हैं
लेकिन प्यास नहीं बदलती
•
इस देह को बेहतर की समझ नहीं
Pic Courtesy - Pinterest
Mood board - by me (समर्पिता)
122 notes
·
View notes
( #Muktibodh_Part255 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part256
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 490-491
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1147- 1169 :-
गरीब, मन को मुरजीवा करैं, गोता दिल दरियाव।
माणिक भरे समुद्र में, बाहिर लेकै आव।।1147।।
गरीब, बैरागर के गंज हैं, ऊंचै शून्य सुमेर।
तापर आसन मार कर, सुन मुरली की टेर।।1148।।
गरीब, बाजै मुरली कौहक पद, बिना कण्ठ मुख द्वार।
आठ बखत सुनता रहै, सुनि अनहद झनकार।।1149।।
गरीब, उस मुरली की लहरि सैं, कहर जरैं ज्यौं घास।
आठ बखत पद में रहै, कोई जन हरि के दास।।1150।।
गरीब, मुरली मधुर अधर बजै, राग छतीसौं बैंन।
इत उत मुरली एक हैं, चरनां बिसरी धैंन।।1151।।
गरीब, मुरली उरली बिधि नहीं, बाजत है परलोक।
सरब जीव अचराचरं, सुनि करि पाया पोष।।1152।।
गरीब, मुरली मदन मुरारि मुख, बाजी नन्द द्वार।
सकल जीव ल्यौलीन गति, सुनिया गोपी ग्वाल।।1153।।
गरीब, बाजत मुरली मुख बिना, सुनियत बिनही कान।
स्वर्ग सलहली गर्ज धुन,फिर भी अबिगत पद निर्वाण।।1154।।
गरीब, मुरली बजै कबीर की, परखो मुरली बिबेक।
ताल ख्याल नहीं भंग होय, बाजैं बजैं अनेक।।1155।।
गरीब, अनंत कोटि बाजै बजैं, ता मधि मुरली टेर।
रनसींगे सहनाईयां, झालरि झांझरि भेर।।1156।।
गरीब, बजैं नफीरी शुन्य में, घट मठ नहीं आकाश।
सो जन भिन्न भिन्न सुनत हैं, जो लीन करैं दमश्वास।।1157।।
गरीब, मुरली गगन गर्ज धुनि, जहां चन्द्र नहीं सूर।
नाद अगाध घुरैं जहां, बाजत अनहद तूर।।1158।।
गरीब, तूर दूर नहीं निकट हैं, तन मन करि ले नेश।
मुरली के मोहे पडे, ब्रह्मा बिष्णु महेश।।1159।।
गरीब, बिष्णु सुनी शंकर सुनी, ब्रह्मा सुनी एक रिंच।
पारब्रह्म कूं मोहिया, और भू आत्म पंच।।1160।।
गरीब, मुरली सरली सुरति सर, जिन सरबर तूं न्हाय।
अनंत कोटि तीरथ बगै, परबी द्यौं समझाय।।1161।।
गरीब, मुरली बजै अगाधि गति, शिब विरंच बिष्णु सुन लीन्ह।
उस मुरली की टेर सुन, नारद डारी बीन।।1162।।
गरीब, नारद शारद सब थके, सनक सनन्दन संत।
अनंत कोटि जुग कलप क्या, बाजत हैं बे अंत।।1163।।
गरीब, सुन्दर मुर्ति मोहनी, पीतांबर पहिरानं।
मुरली जाके मुख बजै, दर दिवाल गलतानं।।1164।।
गरीब, कालंदरी के तीर, बाजी मुरली मुख कबीर।
सुनी ब्रह्मा बिष्णु महेश कुं, और दरिया का नीर।।1165।।
गरीब, सूक्ष्म मूर्ति स्वर्ग में, छत्रासेत शिर शीश।
बाहर भीतर खेलता, है कबीर अबिगत जगदीश।।1166।।
गरीब, भिरंग नाद अगाध गति, राग रूप होय जात।
नूरी रूप हो गया, पिण्ड प्राण सब गात।।1167।।
गरीब, उस मुरली की टेर सुनि, फेरि धरत नहीं जूंनि।
आसन गगन औजूद बिन, बिचरत शून्य बेशुंनि।।1168।।
गरीब, बिन शाखा फूलै फलै, बिना मूल महकंत।
बिना घटा लखि दामनी, बिन बादल गरजंत।।1169।।
सरलार्थ :- जैसे समुद्र में मोती हैं। (मूरजीवा) गोताखोर होकर समुद्र से
मोती लाता है। ऐसे मानव के दिल रूपी दरिया में परमात्मा की शक्ति का खजाना है। सत्य साधना करने से वह भक्त की आत्मा में प्रवेश कर जाती है। जैसे कोई बैंक में नौकरी करता है।
बैंक रूपयों से भरा है, परंतु वह नौकरी करता रहेगा तो बैंक से उसकी तनख्वाह उसे मिल जाएगी, उसके खाते में आ जाएगी।(1147)
(बैरागर) हीरों के (गंज) खजाने हैं, ऊँचे-ऊँचे ढ़ेर लगे हैं। तापर आसन लायकर यानि भक्ति करने से भक्त को अध्यात्मिक शक्ति मिलती है। परमात्मा के पास तो शक्ति के पहाड़ हैं। सुमेरू पर्वत सबसे विशाल माना जाता है। उससे परमात्मा की शक्ति की उपमा की है कि सत्य साधना करने से भक्त की भक्ति की कमाई (धन) अत्यधिक हो जाएगा। उसके कारण शरीर में धुन (संगीत) सुनाई देने लगेगा। वैसे तो परमात्मा के सतलोक में असँख्यों
धुन (संगीत की ध्वनि) हो रही हैं। जब भक्ति कमाई (शक्ति) अधिक हो जाती है, तब मूरली की (टेर) ध्वनि सुनाई देने लगती है। इसलिए उपमात्मक तरीके से समझाया है कि सुमेरू पर्वत जितनी विशाल भक्ति की शक्ति हो जाए, तब उसे सुमेरू जैसी भक्ति के बाद मुरली
सुनाई देगी। तब आपका सत्यलोक जाने का मार्ग खुल गया है। जीवात्मा उसे सुनती-सुनती उस ओर चलती है। सतलोक पहुँच जाती है। वह निरंतर बजती रहती है। उस मुरली की
आवाज सुनने से (कहर) भयंकर दंड देने वाले पाप ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे सूखा घास जलकर भस्म बन जाता है।
श्री कृष्ण जी नंद बाबा के द्वार पर पृथ्वी पर मुरली बजाते थे तो अनेकों गोपियाँ (गौ पालन करने वालों की पत्नियाँ) तथा ग्वाले सुनकर मस्त हो जाते। गोपियाँ रात्रि में अपने पतियों को सोये हुए छोड़कर चुपचाप मुरली सुनने चाँदनी रात्रि में जंगल में श्री कृष्ण के पास चली जाती थी।
परंतु जो मुरली सतपुरूष कबीर जी के सत्यलोक में बज रही है, उसकी मधुरता तथा आकर्षण श्री कृष्ण वाली मुरली से असँख्य गुणा अधिक है। स्वर्ग में बादल की गर्ज जैसी आवाज आती है। (अविगत पद निर्वाण) पूर्ण मोक्ष की पद्यति भिन्न है। कबीर परमात्मा की
मुरली की ध्वनि को परखो जो सत्यलोक में बज रही है। काल ने धोखा देने के लिए ब���रह्मलोक में भी मुरली की ध्वनि चला रखी है ��ो सतपुरूष कबीर जी की सत्यलोक वाली मुरली की ध्वनि की तुलना में बहुत ख��ाब है। सत्यलोक में असँख्यों बाजे बज रहे हैं। संगीत चल रहा है। उनके बीच में ही मुरली की ध्वनि भी चल रही है। जो मुरली काल ब्रह्म ने ब्रह्मलोक में नकली बजा रखी है, परमात्मा कबीर जी ने अपने लोक वाली मुरली ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव को एक-एक बार सुनाई थी। वे उस मुरली की (टेर) ध्वनि पर मोहित हो गए हैं। परंतु उनकी साधना सतलोक वाली नहीं है। इसलिए वे उसे नहीं सुन पा रहे हैं।
परमात्मा कबीर जी अच्छी भक्त आत्माओं को मिलते हैं। इस क्रम में ऋषि नारद को भी मिले थे। उसे भी सतलोक वाली मुरली एक बार सुनाई थी। कुछ समय तक नारद जी सुनते रहे। उस मुरली की सुरीली ध्वनि को सुनकर नारद मुनि ने अपनी मुरली फैंक दी कि यह तो उस मुरली की तुलना में कुछ मायने नहीं रखती।(1148-1164)
जिस समय परमात्मा कबीर जी काशी नगर (भारत) में जुलाहे की भूमिका करके तत्त्वज्ञान प्रचार किया करते थे। उस समय धनी धर्मदास जी को मिले थे। सेठ धर्मदास जी श्री कृष्ण के परम भक्त थे। बाद में तत्त्वज्ञान सुनकर तथा सत्यलोक में परमात्मा कबीर जी
को आँखों देखकर मान गए थे कि समर्थ परमात्मा कबीर जी हैं। एक दिन चलती बात पर धर्मदास जी ने कहा कि हे सतगुरू देव! श्री कृष्ण की मुरली की ध्वनि में इतना आकर्षण था, बताते हैं कि गौएँ, गोपियाँ तथा ग्वाले आकर्षित होकर उसकी ओर स्वतः चले आते थे। ऐसी क्या शक्ति थी उनमें? परमात्मा बोले कि हे धर्मदास! इसका उत्तर जुबानी नहीं दिया जा सकता। कार्यरूप देकर (practically) उत्तर दिया जाएगा। चलो उस स्थान पर जहाँ श्री कृष्ण मुरली बजाया करते थे। परमात्मा कबीर जी अपने प्रिय भक्त धर्मदास जी को साथ लेकर कालंदरी (यमुना) के उस तट पर गए जहाँ श्री कृष्ण मुरली बजाया करते। कबीर
परमात्मा ने आकाश की ओर संकेत किया। एक मुरली उनके हाथ में आ गई। परमात्मा ने मुरली बजानी प्रारम्भ की। आसपास के क्षेत्र के सभी स्त्री-पुरूष, पशु-पक्षी, स्वर्ग लोक के
देवता, स्वर्ग गए हुए ऋषि-मुनि, तीनों ब्रह्मा-विष्णु-महेश भी अपने-अपने लोक त्यागकर मुरली की (टेर) ध्वनि सुनने आए थे।
यमुना नदी का जल भी परमात्मा की मुरली की टेर सुनने के लिए रूक गया। एक पहर यानि तीन घण्टे तक मुरली बजाई। सब यथास्थिति में खड़े रहे। टस से मस भी नहीं हुए। जब मुरली रूकी तो सब कबीर जी की जय-जयकार करने लगे। स्थानीय लोगों ने जानना चाहा कि यह कौन देव है जिसने इतनी मधुर मुरली बजाई है। इनकी शक्ति का कोई वार-पार नहीं है। उन्हें बताया गया कि ये पूर्ण परमात्मा हैं। काशी में जुलाहे का कार्य कर
रहे हैं। सब अपने-अपने स्थान को लौट गए।
संत मलूक दास जी को परमात्मा कबीर जी मिले थे। सत्यलोक दिखाया। अपने से परिचित करवाया था। उन्होंने कहा था :-
एक समय गुरू मुरली बजाई, कालंदरी के तीर।
सुरनर मुनिजन थकत भए थे, रूक गया जमना नीर।
जपो रे मन साहेब नाम कबीर।।(1165)
परमात्मा कबीर जी सूक्ष्म रूप में स्वर्ग में गुप्त निगरानी रखते हैं। सत्यलोक में
सिंहासन पर बैठे हैं। सिर के ऊपर सफेद (white) छत्र लगा रखा है। नराकार है। उस मुरली की टेर सुनकर यदि साधक शरीर त्याग देता है तो वह बहुत समय तक पुनर्जन्म नहीं लेता। उसमें आकाश में उड़ने की सिद्धि आ जाती है। वह ऊपर सुन्न में तथा अन्य शून्य स्थानों में भ्रमता रहता है। उसे कोई (आसन) ठिकाना नहीं होता। उसका स्थूल शरीर भी नहीं होता। सूक्ष्म शरीर में अपनी भक्ति को खा-खर्चकर पुनः पृथ्वी पर मानव जन्म भी प्राप्त कर सकता है। चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में भी जन्म ले सकता है।(1166-1168)
सतलोक में परमात्मा की शक्ति से फूल बिना शाखा के दिखाई देते हैं। यह कुछ क्षेत्र है। बिना घटा बादल के (दामिनि) बिजली देखो। बिना बादल के बादल की गर्जना सुनो। ऐसा दिव्य है सतलोक।(1169)
(अब आगे अगले भाग में)
क्रमशः_____
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
0 notes
प्रेमसागर जी को क्या करना चाहिये?
ब्लॉग:- प्रेमसागर जी को क्या करना चाहिये?
प्रेमसागर को क्या करना चाहिये? मेरे ख्याल से प्रेमसागर को लंबी यात्राओं की परिकल्पना करने की बजाय अपनी गांव की दिनचर्या कुछ इस प्रकार की बनानी चाहिये जिसमें धर्म, आस्था और यायावरी सब सध जाती हो।
अपने संकल्पों की देशाटन यात्राओं से निपट कर लगभग छ महीनों से प्रेमसागर अपने गांव में हैं। बिहार में जीरादेई-सिवान के आसपास, उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा है उनका गांव। मेरे मन में कौतूहल था यह जानने का कि उनके मन में पुन: यात्रा की सनक उठती है या नहीं। उनसे पूछने की देर थी, और उन्होने अपनी सोच उधेड़ कर रखनी शुरू कर दी – “कुछ समय बाद निकलना है भईया। प्रयाग से गुड्डू मिश्रा जी भी कह रहे थे। साल में एक…
View On WordPress
0 notes
राम निरंजन आरती तेरी, अबिगत गति कुछ
समझ पड़े नहीं, क्यूं पहुंचे मति मेरी।1।
नराकार निर्लेप निरंजन, गुणह अतीत तिहूं देवा।
ज्ञान ध्यान से रहैं निराला, जानी जाय न सेवा।2।
सनक सनंदन नारद मुनिजन, शेष पार नहीं पावै।
शंकर ध्यान धरैं निषवासर, अजहूं ताहि सुलझावैं।3।
सब सुमरैं अपने अनुमाना, तो गति लखी न जाई।
कहैं कबीर कृपा कर जन पर, ज्यों है त्यों समझाई।
0 notes
Get to know Rishi Sunak in Hindi. Explore his journey, accomplishments, and vision for the future. Dive into his compelling biography now.
0 notes
सः मां अनादरं कृतवान्।
मूर्ख ! सः केवलं मां एकस्मिन् स्थाने उपविष्टुं निन्दितवान् यदा यदा अहं मम आगामिपरीक्षायाः विषये तस्मै वक्तुं प्रयतमानोऽस्मि!! अहम् एतत् द्वेष्टि। अहं अनादरं अनुभवामि!! मम अनादरं कर्तुं तस्य साहसम् आसीत्!! धनं अर्जयित्वा मम कृते ददाति इति कारणेन एव सः मां अनादरं कर्तुं शक्नोति स्म? इति । अहं कृतोऽस्मि ! अहं तस्य समीपं किमपि परामर्शार्थं अधिकं न गच्छामि यदि मम वास्तविकरूपेण एकस्य आवश्यकता नास्ति। अहं स्वयमेव पठिष्यामि आशासे शीघ्रमेव अहमपि अर्जयिष्यामि। इदान��ं मम कृते अर्जनं कठिनम् अस्ति। अहं च जानामि यत् मया अर्जितव्यम्। अतः अहं चिन्तयामि। किं तस्य सनकं अनुसरणं श्रेयस्करम् ? अथवा बृहत्-प्रौद्योगिकी-कम्पनीनां सनक-अनुसरणं श्रेयस्करम्?? अहं मन्ये बृहत्-प्रौद्योगिकी-कम्पनीषु निर्भरं भवितुं श्रेयस्करम्। अतीव स्फटिकं अविश्वसनीयं च चेदपि। तेषां आश्रित्य अहं भीतः अस्मि। परन्तु तस्य आश्रयः अधिकं अविश्वसनीयः भवति। एकप्रकारेण अधिकं अनादरपूर्णम्। अहं केवलं निगूढं कर्तुम् इच्छामि। अहम् एतावत् असुरक्षितः अस्मि। अहं केवलं निगूढं कर्तुम् इच्छामि। अहं केवलं स्वकक्षे निगूढः भवितुम् इच्छामि। अहं जानामि मा। अहं केवलं न जानामि। अहं हानिम्, अहं असफलः अस्मि 😭। अहं केवलं स्वव्यापारं चिन्तयिष्यामि, किमपि सर्वथा न साझां करिष्यामि। सः तथापि मां श्रोतुम् न इच्छति। आम् तदेव अहं करिष्यामि।
0 notes
Clean Beauty 5 Interactive Tips Clean Beauty
हाल के दिनों में, सौंदर्य उद्योग ने एक उल्लेखनीय परिवर्तन किया है, जो स्वच्छ सौंदर्य के सिद्धांतों की ओर झुक रहा है। यह आंदोलन त्वचा देखभाल और सौंदर्य प्रसाधनों में प्राकृतिक और सुरक्षित सामग्री के उपयोग को रेखांकित करता है। यह सिर्फ एक गुजरने वाला सनक नहीं है; यह उन व्यक्तियों के लिए एक सचेत विकल्प का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव को प्राथमिकता देते हैं। आइए स्वच्छ सौंदर्य के सार में तल्लीन करें और अपनी दैनिक त्वचा देखभाल दिनचर्या में इसे आसानी से एकीकृत करने के तरीकों का पता लगाएं।
Asian woman cleaning face front of mirror, skin care and cosmetic removal concept
Clean Beauty 5 Interactive Tips Clean Beauty
स्वच्छ सौंदर्य सुरक्षित, गैर-विषाक्त सामग्री से तैयार उत्पादों के चयन के आसपास घूमता है, पैराबेंस, सल्फेट्स, फथलेट्स और कृत्रिम सुगंध जैसे हानिकारक पदार्थों से दूर रहता है। इसका उद्देश्य पारिस्थितिक पदचिह्न का ध्यान रखते हुए समग्र कल्याण को बढ़ाना है।
Beauty 5 Interactive Tips Clean Beauty
स्वच्छ सौंदर्य का असली सार पारदर्शिता और स्वास्थ्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में निहित है। स्वच्छ सौंदर्य उत्पादों को चुनना सुनिश्चित करता है कि आपकी त्वचा संभावित हानिकारक तत्वों से सुरक्षित रहे। इसके अतिरिक्त, ये उत्पाद अक्सर नैतिक और स्थायी मूल्यों के साथ संरेखित होते हैं, दोनों क्रूरता-मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
स्वच्छ सौंदर्य के भीतर एक उल्लेखनीय प्रवृत्ति जैविक और पौधे-आधारित सामग्री के लिए बढ़ती प्राथमिकता है। उपभोक्ता तेजी से ऐसे उत्पादों की तलाश कर रहे हैं जो प्रकृति की शक्ति का उपयोग करते हैं, त्वचा को पोषित और पुनर्जीवित करने के लिए वनस्पति, आवश्यक तेल और प्राकृतिक अर्क शामिल करते हैं।
अब, चर्चा करते हैं कि आप अपनी दैनिक त्वचा देखभाल दिनचर्या में स्वच्छ सौंदर्य को कैसे आसानी से शामिल कर सकते हैं:
अपने आप को शिक्षित करें: स्वच्छ सौंदर्य में क्य�� शामिल है और उन सामग्रियों से परिचित हों जिनसे बचना चाहिए, इसकी गहन समझ हासिल करें। उत्पाद लेबलों की जांच करना और ब्रांडों और उनकी घटक सूचियों पर शोध करना सर्वोपरि है।
अपनी दिनचर्या को सुव्यवस्थित करें: अपनी त्वचा देखभाल दिनचर्या को सरल बनाकर शुरू करें। स्वच्छ सौंदर्य अक्सर "कम अधिक है" दर्शन का पालन करता है। एक हल्के क्लींजर, एक हाइड्रेटिंग मॉइस्चराइज़र और प्राकृतिक सामग्री वाले सनस्क्रीन के साथ शुरू करें। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीरम या मास्क जैसे लक्षित उपचारों को धीरे-धीरे शामिल करें।
स्वच्छ सौंदर्य उत्पाद चुनें: ऐसे उत्पादों की तलाश करें जिनके पास जैविक होने, हानिकारक रसायनों से मुक्त होने और क्रूरता-मुक्त होने के प्रमाण पत्र हों। यूएसडीए ऑर्गेनिक, ईडब्ल्यूजी वेरिफाइड या लीपिंग बनी जैसी प्रतिष्ठित प्रमाणपत्रों की तलाश करें।
प्राकृतिक सामग्री को प्राथमिकता दें: एलोवेरा, कैमोमाइल, ग्रीन टी और विभिन्न आवश्यक तेल जैसे प्राकृतिक सामग्री वाले उत्पाद चुनें, जो अपने शांत, पौष्टिक और चिकित्सीय गुणों के लिए जाने जाते हैं।
प्रयोग करें और समायोजन करें: अपनी त्वचा के लिए सबसे उपयुक्त चीज़ों को पहचानने के लिए विभिन्न प्रकार के स्वच्छ सौंदर्य उत्पादों का अन्वेषण करें। यह मानते हुए कि हर किसी की त्वचा अद्वितीय होती है, धैर्य रखें और देखें कि आपकी त्वचा कैसी प्रतिक्रिया करती है।
Close up young woman with smooth skin and towel on head sensually looking in camera over white background
- उत्पाद लेबल जांचें:
खरीदारी करने से पहले सौंदर्य उत्पादों पर घटक सूचियों की जांच करने की आदत विकसित करें। पैराबेंस, सल्फेट्स, phthalates और सिंथेटिक सुगंध जैसे सामान्य हानिकारक अवयवों के लिए सतर्क रहें।
"ऑर्गेनिक," "क्रूरता-मुक्त," या "शाकाहारी" जैसे प्रमाणपत्रों वाले उत्पादों को प्राथमिकता दें, क्योंकि ये स्वच्छ और नैतिक रूप से प्राप्त फॉर्मूलेशन के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं।
- DIY ब्यूटी रेसिपी:
प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करके घर पर अपने स्वयं के सौंदर्य उत्पाद बनाने की रचनात्मकता को अपनाएं। यह हाथों-हाथ दृष्टिकोण आपकी त्वचा पर लगाए जाने वाले पदार्थों की शुद्धता सुनिश्चित करता है।
मास्क, स्क्रब और क्लींजर बनाने के लिए शहद, नारियल तेल, एलोवेरा और ओटमील जैसे सामान्य रसोई के सामान का उपयोग किया जा सकता है। हमेशा सुनिश्चित करें कि आपको किसी भी सामग्री से एलर्जी नहीं है।
- क्लीन ब्यूटी चैलेंज में भाग लें:
ऑनलाइन क्लीन ब्यूटी चैलेंज या अभियानों में शामिल हों, जो प्रतिभागियों को एक निर्दिष्ट अवधि के लिए क्लीनर उत्पादों में संक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अपने अनुभव, खोज और पसंदीदा क्लीन ब्यूटी उत्पादों को साथी प्रतिभागियों के साथ साझा करें।
स्वस्थ ब्यूटी प्रथाओं के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए टिप्स और अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, सक्रिय रूप से क्लीन ब्यूटी समुदाय के भीतर चर्चाओं में भाग लें।
- क्लीन ब्यूटी ब्रांड्स का समर्थन करें:
ऐसे ब्यूटी ब्रांडों का पता लगाएं और समर्थन करें जो स्वच्छ और सतत प्रथाओं को प्राथमिकता देते हैं। उनकी मिशन, घटक स्रोत और उत्पाद विकास प्रक्रियाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए क्लीन ब्यूटी कंपनियों द्वारा आयोजित आभासी कार्यक्रमों में भाग लें।
निरंतरता बनाए रखें: निरंतरता किसी भी स्किनकेयर रूट
link https://majornewshub.com/bigg-boss-17-ankita-lokhande-not-happy-with-vicky-jain-13-nov-2023/
link https://www.cleanbeauty.com/
Read the full article
0 notes
5 निर्माण रुझान जो पूरे उद्योग का नवीनीकरण कर रहे हैं
अंजलि बिल्ड एस्टेट, जो जयपुर में सर्वश्रेष्ठ आवासीय संपत्ति प्रदान करने के लिए जाना जाता है, ने नए और बेहतर जॉब साइट्स से लेकर 3डी प्रिंटिंग और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तक कई अत्याधुनिक बिल्डिंग ट्रेंड्स को अपनाया है। निर्माण तकनीक और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां भारत के पूरे रियल एस्टेट क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं और तेज, सुरक्षित और अधिक किफायती आवासीय विकास के निर्माण को सक्षम कर रही हैं। शीर्ष 5 व्यावसायिक निर्माण रुझान जो भारतीय वाणिज्यिक उद्योग को बदल रहे हैं, न���चे सूचीबद्ध हैं। -
1) भविष्य की नौकरी साइटें - इंटरनेट ऑफ थिंग्स, जिसे IoT के रूप में भी जाना जाता है, एकीकृत कंप्यूटिंग उपकरणों, डिजिटल और मैकेनिकल मशीनरी, लोगों और/या वस्तुओं का एक नेटवर्क है जो डेटा का आदान-प्रदान कर सकता है और बिना आवश्यकता के अद्वितीय पहचानकर्ताओं का उपयोग करके एक दूसरे के साथ संचार कर सकता है। मानव-से-मानव या मानव-से-कंप्यूटर संपर्क के लिए। यह भवन निर्माण में किस प्रकार सहायता करता है? आगे की जांच करो। इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग करना आदर्श समाधान है क्योंकि यह साइट संचालन को बढ़ाएगा। ठेकेदार और आपूर्तिकर्ता लगातार लागत कम करने, दक्षता बढ़ाने और कार्यबल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के तरीकों की तलाश में रहते हैं। IoT बिल्डिंग टेक्नोलॉजी परिदृश्य के कई तत्वों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है, जिनमें शामिल हैं
ए) कर्मचारी और संसाधन प्रबंधन
बी) ड्रोन टोही
ग) पहनने योग्य वस्तुएं
घ) कार्य स्थल के लिए आवश्यक अतिरिक्त विवरण
2) आभासी वास्तविकता और संवर्धित वास्तविकता - हर क्षेत्र में जहां प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है, वीआर और एआर अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। दोनों का उपयोग वाणिज्यिक निर्माण में किया जा रहा है, और वे वास्तव में काम शुरू होने से पहले परियोजना निवेशकों के बीच संबंधों में सुधार कर रहे हैं। इंजीनियर और आर्किटेक्ट वीआर की क्षमताओं का उपयोग न केवल समग्र परियोजना को डिजाइन करने के लिए बल्कि कार्य स्थल पर बने रहने के लिए भी कर रहे हैं। ये उपकरण टीमों को गलतियों की जल्द पहचान करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे चीजों को भौतिक रूप से दोबारा करने से जुड़े समय, धन और श्रम की बचत होती है। चूंकि प्रबंधन और कामकाजी लोग दोनों संभावित सुरक्षा या सुरक्षा खतरों के संपर्क में आए बिना साइट की स्थितियों का आकलन कर सकते हैं, इसलिए प्रौद्योगिकियां नौकरी साइटों को सुरक्षित करने में मदद करने में भूमिका निभाती हैं। इसके समान, प्रौद्योगिकी वरिष्ठ कर्मचारियों को निर्माण उपकरणों के उपयोग और रखरखाव के बारे में श्रमिकों को निर्देश देने में सहायता करती है। हालाँकि अब केवल कुछ ही परियोजनाएँ इन तकनीकों का उपयोग कर रही हैं, जैसे-जैसे अधिक डेवलपर्स इसके फायदे देखेंगे, निकट भविष्य में अधिक से अधिक लोग इनका उपयोग करना शुरू कर देंगे।
3) 3डी प्रिंटिंग - भले ही 3डी प्रिंटिंग तकनीक अभी भी अपेक्षाकृत नई है, कुछ प्रमुख ब्रांडों ने ग्लास और सीमेंट का उपयोग करने वाले विशाल 3डी प्रिंटर तैनात करके इसे पहले ही अपना लिया है। इस तकनीक के प्रमुख लाभ हैं -
ए) सुरक्षा के लिए खतरों को कम करना
बी) स्वास्थ्य जोखिम कम हो गए हैं
ग) सामग्रियों का पुनर्चक्रण
घ) अपशिष्ट में कमी
ई) और स्पष्ट रूप से अकल्पनीय डिजाइन अवधारणाओं को विकसित करने की क्षमता
उद्योग विश्लेषकों का अनुमान है कि भविष्य की कई परियोजनाएं समय और धन की बचत जैसे लाभों के साथ-साथ डिजाइन अवधारणाओं को विकसित करने के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करेंगी। पिछले दशक में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई।
4) हरित भवन - भविष्य के निर्माण में हरित और टिकाऊ भवन प्रथाओं का वर्चस्व होगा, और अधिक से अधिक वाणिज्यिक परियोजना डेवलपर्स अपने डिजाइनों में ऊर्जा-बचत उपायों को शामिल करने के लिए उत्सुक हैं। उदाहरण के लिए, एलईडी लाइटें पारंपरिक बल्बों की जगह ले रही हैं क्योंकि वे सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन और लागत प्रभावी दोनों हैं। जिस तरह पारंपरिक छतों को बदला जा रहा है, उसी तरह हरी छतें भी उभर रही हैं जो इमारत को इन्सुलेशन प्रदान कर सकती हैं। इन सबके अलावा, रोशनदान का उपयोग, ऊर्जा-कुशल बाहरी दरवाजे और डबल-पैन वाली खिड़कियां सभी में वृद्धि हुई है। हरित वास्तुकला जल्द ही एक सनक से अधिक एक मानक बन जाएगी जिसे कुछ लोग अपनाना चुनते हैं।
5) मॉड्यूलर निर्माण - ऑफ-साइट निर्माण, पूर्वनिर्मित निर्माण और मॉड्यूलर निर्माण सभी के अधिक लोकप्रिय रुझान बनने की उम्मीद है जो भविष्य की सोच को लागू कर सकते हैं। हालाँकि यह चलन कुछ समय से है, कई उद्योग विशेषज्ञों ने हाल ही में इसमें रुचि व्यक्त की है। चूंकि सभी कार्य नियंत्रित परिवेश में किए जाते हैं, मॉड्यूलर संरचनाएं LEED प्रमाणन प्राप्त करती हैं, सभी भवन नियमों का अनुपालन करती हैं, और पारंपरिक निर्माण स्थलों की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती हैं। स्कूलों, कार्यालयों, होटलों, अस्पतालों, खुदरा प्रतिष्ठानों और आवासीय भवनों सहित विभिन्न प्रकार की निर्माण परियोजनाएं ऑफ-साइट निर्माण के लिए उपयुक्त हैं। इसके अतिरिक्त, इसकी प्रतिष्ठा और मूल्य में वृद्धि हो रही है क्योंकि अधिक से अधिक संपत्ति डेवलपर्स और मालिकों को पारंपरिक ऑनसाइट निर्माण पर मॉड्यूलर निर्माण के फायदों का एहसास हो रहा है, जिसमें परियोजनाओं को तेजी से और कम पैसे में पूरा करने की क्षमता भी शामिल है।
जयपुर में सर्वश्रेष्ठ अंजलि बिल्ड एस्टेटल प्रॉपर्टी और कई अन्य आवासीय संपत्तियों ने खुली बांहों के साथ नई तकनीकों को अपनाया है। यदि आवासीय निर्माण दृढ़ और अपने विस्तार के प्रति प्रतिबद्ध रहे तो रियल एस्टेट का भविष्य उज्ज्वल और शानदार रहेगा #investment#jaipur#ajmer#vashalinagar#ganganagar#sikar#jodhpur#kishangarh#villas#travelgram#luxury#vacation#interiordesign#dubai#homedecor#holidays#interior#bali#uae#realestate#house#greece#qatar#bahrain#luxurylifestyle#hotel#building#pool#investment#travelgram
0 notes
#गरिमा_गीता_की_Part_66
ब्रह्म (काल) की उत्पत्ति का प्रमाण।।
अध्याय 10 के श्लोक 2 में कहा है कि अर्जुन मेरी उत्पत्ति (जन्म) को न तो देवता जानते हैं, न ही महर्षि जन जानते हैं क्योंकि यह सब मेरे से पैदा हुए हैं। इससे स्वसिद्ध है कि ब्रह्म (काल) की उत्पति तो हुई है परंतु देवता व ऋषि नहीं जानते। जैसे पिता जी की उत्पत्ति को बच्चे नहीं बता सकते, परन्तु दादा जी जानता है। इसी प्रकार इक्कीस ब्रह्मण्ड में सर्व देव-ऋषि आदि ज्योति निरंजन - ब्रह्म अर्थात् काल तथा प्रकृति (दुर्गा) के संयोग से उत्पन्न हुए हैं। इसलिए कह रहा है कि मेरी उत्पत्ति को इक्कीस ब्रह्मण्डों में कोई नहीं जानता, क्योंकि सर्व की उत्पत्ति मेरे से हुई है। केवल पूर्ण ब्रह्म ही काल (ब्रह्म) की उत्पत्ति बता सकता है। क्योंकि ब्रह्म (काल) की उत्पत्ति परम अक्षर ब्रह्म (पूर्ण ब्रह्म) से हुई है। जिसका गीता जी के अध्याय 3 के श्लोक 14,15 में ब्रह्म की उत्पत्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
गीता अध्याय 2 श्लोक 12 अध्याय 4 श्लोक 5-9 में भी स्पष्ट है कि गीता ज्ञान दाता का भी जन्म व मृत्यु होता है। इसलिए यह कहीं पर आकार में भी है। नहीं तो कृष्ण जी तो अर्जुन के सामने ही खड़े थे। वे तो कह ही नहीं सकते कि मैं अनादि अजम (अजन्मा) हूँ। यह सर्व काल (अदृश ब्रह्म) ही श्री कृष्ण मंे बोल कर अपनी प्रतिष्ठा (स्थिति) की सही जानकारी गीता रूप में दे गया।
अध्याय 10 के श्लोक 3 का अनु��ाद: जो मुझ (ब्रह्म) को कभी का (अनादिम्) जन्म न लेने वाला यानि आकार में न आने वाला और काल लोक का महान् ईश्वर इस प्रकार तत्व से जानता है वह (मत्र्येषु) मनुष्यों में विद्वान अर्थात् तत्वदर्शी सन्त है जो तीनों वेदों में कहे शास्त्रानुकूल विचारों को तथा सर्व पापों की सही जानकारी देता है। (तीनों वेद - यजुर्वेद, सामवेद, ऋग्वेद।) वह पूर्ण परमात्मा की भक्ति करके सर्व पापों से मुक्ति पाता है। गीता जी के अध्याय 15 के श्लोक 17 में वर्णन है कि पूर्ण परमात्मा अविनाशी तो अन्य ही है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। गीता अध्याय 15 श्लोक 18 में कहा है कि मुझ (काल) को तो केवल इसलिए पुरुषोत्तम कहते हैं क्योंकि मैं इक्कीस ब्रह्मण्डों में मेरे आधीन स्थूल शरीर में नाशवान प्राणियों तथा अविनाशी जीवात्मा से उत्तम हूँ। इसलिए मुझे लोक वेद के आधार से अर्थात् सुने सुनाए ज्ञान के आधार से पुरुषोत्तम कहा है परंतु वास्तव में अविनाशी या पालनकर्ता तो अन्य परम अक्षर ब्रह्म है। गीता जी के अध्याय नं. 3 के श्लोक 14,15 में कहा है कि सर्वजीव अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न वर्षा से होता है, वर्षा यज्ञ से होती है, यज्ञ शुभकर्मों से, कर्म ब्रह्म से उत्पन्न हुए। ब्रह्म अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ। वही अविनाशी सर्वव्यापक परमात्मा ही यज्ञों में प्रतिष्ठित है, यज्ञों में पूज्य है, वही यज्ञों का फल भी देता है अर्थात् वास्तव में अधियज्ञ भी वही है।
गीता जी के अध्याय 10 के श्लोक नं 2 में कहा है कि मेरी उत्पत्ति (प्रभवम्) को ऋषि व देव जन आदि कोई नहीं जानता। इससे सिद्ध है कि काल (ब्रह्म) भी उत्पन्न हुआ है।
गीता अध्याय 10 श्लोक 4-6:- इन तीनों श्लोकों का भावार्थ है कि काल ब्रह्म ने कहा है कि मेरे अंतर्गत जितने प्राणी हैं, उनको मैं ही नाच नचा रहा हूँ क्योंकि काल का अंश मन है। काल ब्रह्म ने सर्व प्राणियों में मन रूप साॅफ्टवेयर डाल रखा है जिसके माध्यम से सर्व प्राणियों को प्रभावित करता है। उसी कारण से काल ब्रह्म ने कहा है कि निर्णय करने की शक्ति, ज्ञान, शंकारहित करना, क्षमा, दया, सत्य भाषण इन्द्रियों को वश में करना, मन निग्रह तथा सुख-दुःख, उत्पत्ति-प्रलय और भय-अभय तथा अहिंसा, संतोष, दान, कीर्ति और अपकीर्ति, ऐसे ये प्राणियों के भिन्न-भिन्न प्रकार के भाव मुझसे ही होते हैं। जैसे अर्जुन को शक्ति देकर महाभारत के युद्ध में कीर्ति करवा दी। फिर भीलों (जंगली लोगों) से मिटवाकर अपकीर्ति करवा दी। सब छल काल करता है, दयाल परमात्मा नहीं करता। (10:4-5)
श्लोक 6:- सात महर्षि जिन्हें सप्त ऋषि कहते हैं। ये तथा चार (सनक, सनंदन, संत, सनातन, ये चार) सनकादिक इससे पहले उत्पन्न हुए, ये तथा स्वायग्भुव आदि चैदह मनु ये मुझ (काल ब्रह्म) में भाव वाले सबके सब मेरे संकल्प से उत्पन्न हुए हैं जिनकी मेरे में समस्त प्रजा है। भावार्थ है कि काल ब्रह्म गीता ज्ञान दाता तो अपने इक्कीस ब्रह्माण्डों के प्राणियों का उत्पत्तिकर्ता है। इसलिए ये सब ऋषिजन काल ब्रह्म की उत्पत्ति यानि जन्म को नहीं जानते। (10:6)
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
19 notes
·
View notes
चक्रव्यूह by
लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित (से. नि.)
किताब के बारे में...
अपने कालेज के दिनों में मैं अपनी सनक, हालात और घटनाओं का शिकार होकर एक चक्रव्यूह में फंस गया था जिससे निकालना उस समय असंभव सा लगता था। पर परिस्थितियों की समीक्षा और विश्लेषण करके, दृढ़ताऔर आत्मविश्वास के सहारे छोटे-छोटे कदम बढ़ कर मैं ऐसी स्थिति से उबर सका। अपने अनुभवों को मैंने एक कहानी का रूप देकर इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है जिसमें पात्रों और घटनाओं को नाटकीय और रोमांचकारी बनाने के लिए छेड़-छाड़ कर संवार दिया है। यदि कोई और व्यक्ति मेरे इस अनुभव से प्रेरणा पता है या लाभान्वित होता है तो मैं अपने आप को धन्य मानूँगा और मेरे इस पुस्तक को लिखने का प्रयोजन पूरा हो जाएगा। पुस्तक का कथानक उत्तर भारत के एक इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे छात्रों के इर्द-गिर्द घूमता है। यह आज से लगभग चालीस वर्ष पुराने कालखंड की घटनाओं पर आधारित है। परंतु किसी भी कालेज में पढ़ रहे छात्र इस पुस्तक का आनंद ले सकेंगे। मेरा प्रयास रहा है कि कालेज की शिक्षा पूरी कर चुके व्यक्ति भी इसे पढ़ कर अपने पुराने दिनों की याद ताजा कर इससे आनंदित हो सकें।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
1 note
·
View note
ज़रा सा इश्क़
डेढ़ सयानी— कहानी है एक ऐसी मजलूम लड़की एना की, जिसे करोड़ों की प्रापर्टी की मालकिन होने का अभिशाप तब से भुगतना पड़ा था जब उसने ठीक से होश भी नहीं संभाला था। हर तरह ज़ोर-ज़ुल्म और शोषण झेलते वह इस तरह बड़ी हुई थी कि कोई आत्मविश्वास और आत्मसम्मान उसमें बाकी न बचे और वह पिता की इच्छाओं के नाम पर एक कठपुतली जैसा जीवन गुज़ारती रहे... लेकिन फिर भी उसने बग़ावत की थी और हालात को अपने हिसाब से बदलने की कोशिश की थी।
अपनी तकदीर को बदलने और संवारने के लिये उसने डेविड नामी उस मस्तमौला मुंबईया छोकरे का सहारा लिया था जिसकी जिंदगी ही तीन पिलर्स पर टिकी थी... कुदरत से बेपनाह प्यार और अंतहीन यायावरी, दुनिया भर की औरतों को भोगने की अदम्य ख्वाहिश और दुनिया के हर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचाने की सनक— जिसके चलते उसकी ज़िंदगी में हमेशा अनिश्चितता और हंगामा बना रहता था और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी।
लेकिन दोनों को जिस वागले से छीन कर यह आज़ादी हासिल करनी थी— वह न सिर्फ एक रसूख और पैसे वाला शख़्स था, बल्कि अपराधिक मनोवृत्ति वाला, हर तरह के अपराधों से लिप्त एक दबंग शख़्स भी था जिसके पॉलिटिकल कनेक्शंस भी ऐसे थे कि सरकार भी उस पर सीधे हाथ डालने से कतराती थी। जाहिर है कि ऐसे शख्स से अपनी आजादी हासिल कर पाना न एना के लिये आसान था और उससे पार पा पाना डेविड के लिये ही आसान था... मगर जब ठान लिया था तो करना ही था— आखिर उसकी रूह को तस्कीन देने वाली तीनों वजहें एक साथ वहां मौजूद थीं... गोवा का मनमोहक सौंदर्य, एना, एली और जीनिआ जैसी हसीनाओं का सान्निध्य और वागले के रूप में एक ऐसा सशक्त अपराधी, जो उसका भरपूर इम्तिहान लेने वाला था।
अब चूंकि #क्राइम_फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत लोकप्रिय साहित्य के पैटर्न पर कुछ खास किरदारों के साथ सीरीज की कहानियां भी प्रकाशित होनी हैं, तो 'डेढ़ सयानी' से जिस किरादर की शुरुआत होती है, थोड़ा परिचय उससे भी कर लिया जाना चाहिये। यह मुंबई में पला बढ़ा एक हैंडसम हंक डेविड के० फ्रांसिस है, जिसके पिता योरोपियन थे तो माँ महाराष्ट्रियन। एक रोड एक्सीडेंट में दोनों जान गंवा चुके हैं तो घर में कोई रोक-टोक करने वाला नहीं है। पिता के अच्छे-खासे बिजनेस को ठिकाने लगा कर पैसा इधर-उधर इस तरह से इनवेस्ट कर दिया है कि सालाना करोड़ से ऊपर रिटर्न मिलता रहे तो कमाई की कोई टेंशन नहीं— और बिना किसी बाधा या ज़िम्मेदारी के, इत्मीनान से अपने शौक पूरे कर सकता है।
अब शौक क्या हैं— बचपन से जासूसी किताबों और फिल्मों का ऐसा शौक लगा है कि ख़ुद को जेम्स बांड से कम नहीं सम��ता और उसी पैटर्न पर अपने जीवन को गुज़ारना चाहता है। उसका खब्त है कि वह अपने जीवनकाल में ज्यादा से ज्यादा अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दे। दूसरा शौक़ है लड़की का, एक नंबर का ठरकी है और दुनिया के हर हिस्से में पाई जाने वाली, हर नस्ल और वर्ग की लड़की को एक ही जीवन में भोग लेना चाहता है। तीसरा शौक है यायावरी का— पीछे कोई ज़िम्मेदारी नहीं तो क़दम एक जगह नहीं थमते, दुनिया के चप्पे-चप्पे को देख लेना चाहता है और सौंदर्यबोध ऐसा था कि वर्स्ट से वर्स्ट लोकेशन में भी एक अप्रतिम सौंदर्य को खोज लेता था।
अब क़ुदरत भी उसका साथ निभाने में पीछे नहीं थी— उसके मिज़ाज को देखते जैसे उसके क़दम जहां कहीं भी पड़ते थे, उसे किसी न किसी हसीन दोशेजा के दामन में समेट कर एक अदद लफड़ा अदा कर दिया जाता था और उसके भूखे मन को वह गिज़ा मयस्सर हो जाती थी, जिसका वह हमेशा से ख्वाहा था और वह उसी में रम जाता था। डेविड फ्रांसिस सीरीज के कथानकों में यह सभी तत्व अनिवार्य रूप से मिलेंगे।
Amazon Flipkart Kindle
1 note
·
View note