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#सातवीं बार
todaypostlive · 2 years
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भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने सातवीं बार जीता एशिया कप का खिताब, फाइनल में श्रीलंका को 8 विकेट से हराया
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने सातवीं बार जीता एशिया कप का खिताब, फाइनल में श्रीलंका को 8 विकेट से हराया
सिलहट (बांग्लादेश)।  गेंदबाजों के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत भारत ने महिला एशिया कप टी-20 के फाइनल में श्रीलंका को 8 विकेट से हराकर रिकॉर्ड सातवीं बार खिताब अपने नाम किया। श्रीलंका ने इस मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 9 विकेट पर 65 रन बनाए, जवाब में भारत ने 8.3 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 71 रन बनाकर मैच जीत लिया। 66 रनों के छोटे लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को…
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naveensarohasblog · 1 year
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#गहरीनजरगीता_में_part_304 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#गहरीनजरगीता_में_part_305
हम पढ़ रहे है पुस्तक "गहरी नजर गीता में"
पेज नंबर 599-600
सतलोक आश्रम बरवाला (हिसार) में मुझ दास (रामपाल दास) से उपदेश लेने से सर्व सुख
व लाभ भी प्राप्त होंगे तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त होगा। कहते हैं - आम के आम, गुठलियों के
दाम। कृप्या निःशुल्क प्राप्त करें।
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गरीब, समझा है तो शिर धर पाव। बहुर नहीं है ऐसा दाव।।
मुझ दास की प्रार्थना है कि मानव जीवन दुर्लभ है,
इसे नादान संतों, महंतों व आचार्यों, महर्षियों तथा पंथों के पीछे लग कर नष्ट नहीं करना चाहिए। पूर्ण संत की खोज करके उपदेश प्राप्त करके आत्म कल्याण करवाना ही श्रेयकर है।
सर्व पवित्र सद्ग्रन्थों के अनुसार अर्थात शास्त्र अनुकूल यथार्थ भक्ति मार्ग मुझ दास (रामपाल दास) के पास उपलब्ध है। कृपया निःशुल्क प्राप्त करें।
सर्व पवित्र धर्मों की पवित्र आत्माऐं तत्वज्ञान से अपरिचित हैं। जिस कारण नकली गुरुओं, संतों, महंतों तथा ऋषियों तथा पंथों का दाव लगा हुआ है। जिस समय पवित्र भक्त समाज
आध्यात्मिक तत्वज्ञान से परिचित हो जाएगा उस समय इन नकली संतों, गुरुओं व आचार्यों को छुपने का स्थान नहीं मिलेगा। सर्व प्रभु प्रेमियों का शुभ चिन्तक तथा दासों का भी दास।
“सत् साहेब”
संत रामपाल दास
सतलोक आश्रम बरवाला, जिला हिसार (हरियाणा)।
दूरभाष: 8222880541, 8222880542
‘‘संत धर्मदास जी के वंशों के विषय में‘‘
प्रश्न: संत धर्मदास जी की गद्दी दामा खेड़ा वाले कहते हैं कि इस गद्दी से नाम प्राप्त
करने से मोक्ष संभव है ?
उत्तर: संत धर्मदास जी का ज्येष्ठ पुत्र श्री नारायण दास काल का भेजा हुआ दूत था।
उसने बार-बार समझाने से भी परमेश्वर कबीर साहेब जी से उपदेश नहीं लिया। पुत्र प्रेम में व्याकुल संत धर्मदास जी को परमेश्वर कबीर साहेब जी ने नारायण दास जी का वास्तविक
स्वरूप दर्शाया। संत धर्मदास जी ने कहा कि हे प्रभु ! मेरा वंश तो काल का वंश होगा। यह कह कर संत धर्मदास जी बेहोंश (अचेत) हो गए। काफी देर बाद होश में आए। फिर भी
अतिचिंतित रहने लगे। उस प्रिय भक्त का दुःख निवारण करने के लिए परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा कि धर्मदास वंश की चिंता मत कर। यह काल का दूत है। उसका वंश पूरा नष्ट हो जाएगा तथा तेरा बियालीस पीढी तक वंश चलेगा। तब संत धर्मदास जी ने पूछा कि हे दीन
दयाल ! मेरा तो इकलौता पुत्र नारायण दास ही है। तब परमेश्वर ने कहा कि आपको एक शुभ संतान पुत्र रूप में मेरे आदेश से प्राप्त होगी। उससे केवल तेरा वंश चलेगा। तब धर्मदास जी
ने कहा था कि हे प्रभु ! आप का दास वृद्ध हो चुका है। अब संतान का होना असंभव है। आपकी शिष्या भक्तमति आमिनी देवी का मासिक धर्म भी बंद है। परमेश्वर कबीर साहेब ने कहा कि मेरी आज्ञा से आपको पुत्र प्राप्त होगा। उसका नाम चुड़ामणी रखना। यह कह कर परमेश्वर
कबीर साहेब ने उस भावी पुत्र को धर्मदास के आंगन में खेलते दिखाया। फिर अन्तध्र्यान कर दिया। संत धर्मदास जी शांत हुए। कुछ समय पश्चात् भक्तमति आमिनी देवी को संतान रूप
में पुत्र प्राप्त हुआ उसका नाम श्री चुड़ामणी जी रखा। बड़ा पुत्र नारायण दास अपने छोटे भाई चुड़ामणी जी से द्वेष करने लगा। जिस कारण से श्री चुड़ामणी जी बांधवगढ़ त्याग कर कुदरमाल
नामक शहर (मध्य प्रदेश) में रहने लगा। कबीर परमेश्वर जी ने संत धर्मदास जी से कहा था कि धार्मिकता बनाए रखने के लिए अपने पुत्र चुड़ामणी को केवल प्रथम मन्त्र (जो यह दास/
रामपाल दास प्रदान करता है) देना जिससे इनमें धार्मिकता बनी रहेगी तथा तेरा वंश चलता रहेगा। परंतु आपकी सातवीं पीढ़ी में काल का दूत आएगा। वह इस वास्तविक प्रथम मन्त्र को भी समाप्त करके मनमुखी अन्य नाम चलाएगा। शेष धार्मिकता का अंत ग्यारहवां, तेरहवां तथा
सतरहवां गद्दी वाले महंत कर देंगे। इस प्रकार तेरे वंश से भक्ति तो समाप्त हो जाएगी। परंतु तेरा वंश फिर भी बियालीस (42) पीढ़ी तक चलेगा। फिर तेरा वंश नष्ट हो जाएगा।
प्रमाण पुस्तक “सुमिरण शरण गह बयालिश वंश” लेखक: महंत श्री हरिसिंह राठौर, पृष्ठ 52 पर -
वाणी:सुन धर्मनि जो वंश नशाई, जिनकी कथा कहूँ समझाई।।93।।
काल चपेटा देवै आई, मम सिर नहीं दोष कछु भाई।।94।।
सप्त, एकादश, त्रायोदस अंशा, अरु सत्राह ये चारों वंशा।।95।।
इनको काल छलेगा भाई, मिथ्या वचन हमारा न जाई।।96।।
जब.2 वंश हानि होई जाई, शाखा वंश करै गुरुवाई।।97।।
दस हजार शाखा होई है, पुरुष अंश वो ही कहलाही है।।98।।
वंश भेद यही है सारा, मूढ जीव पावै नहीं पारा।।99।।
भटकत फिरि हैं दोरहि दौरा, वंश बिलाय गये केही ठौरा।।100।।
सब अपनी बुद्धि कहै भाई, अंश वंश सब गए नसाई।।101।।
उपरोक्त वाणी में कबीर परमेश्वर ने अपने निजी सेवक संत धर्मदास साहेब जी से कहा
कि धर्मदास तेरे वंश से भक्ति नष्ट हो जाएगी वह कथा सुनाता हूँ। सातवीं पीढ़ी में काल का दूत उत्पन्न होगा। वह तेरे वंश से भक्ति समाप्त कर देगा। जो प्रथम मन्त्र आप दान करोगे
उसके स्थान पर अन्य मनमुखी नाम प्रारम्भ करेगा। धार्मिकता का शेष विनाश ग्यारहवां, तेरहवां तथा सतरहवां महंत करेगा। मेरा वचन खाली नहीं जाएगा भाई। सर्व अंश वंश भक्ति हीन हो जाएंगे। अपनी.2 मन मुखी साधना किया करेंगे।
पाताले सप्त ��िंधु नाम, आदि... हैं। इससे सिद्ध हुआ कि यह भी मनमुखी साधना तथा गद्दी परम्परा चला रहे हैं।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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winajit007 · 1 year
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बहुत दिनों से मैं इंतजार कर रहा था कि कोई मुझे रेणु की मैला आँचल किताब भेंट में दें। मै अपने कई मित्रो के सामने भी इस विचार को रखा। लेकिन सब के सब निठल्ले निकले। अंत में हार कर सोचा, जाने भी दो मेरी ही गलती है। मेरे मित्रगण मेरे मज़ाकिया व्यवहार को कभी गंभीरता से लिए ही नहीं। वो मेरी इस मांग को भी मज़ाक ही समझ लिए हो। कुछेक दिन पहले भैया से बात हो रही थी, उन्होंने मुझे बताया कि वो रेणु को पढ़ रहे हैं वो भी मैला आँचल। मुझसे रहा न गया, मै झट से अमेज़न से किताब को आर्डर कर दिया। किताब मुझे कल मिली। जब मै लिफाफा को खोलकर किताब को पकड़ा तो नास्टैल्जिया हुआ। महज मै कक्षा छठी या सातवीं का विद्यार्थी रहा हूँगा। मेरे छोटे वाले मामाजी जो मेरे बड़े भैया से एकाध साल के ही बड़े होंगे, को शायद पढ़ने का शौक़ रहा होगा। वो पहली बार हमसबकों, मेरे तीनो भाई-बहन और माँ को बैठाकर, संवदिया, जो कि रेणु के ही लिखी हुई कहानी है, पाठ किया और हरेक गद्यांश को सरलता से समझाया। हालाँकि रेणु भाषावली हमलोगो के लिए जटिल बिलकुल भी नहीं है क्योंकि वो जिन बोली से अपने भाषावली बनाते थे वो हमारे लिए अनजान नहीं था ब्लकि हम ऐसे शब्दों और कहावतों को आम दिनों में जीते थे। लेकिन, साहित्य या यों कहे कि किसी भी कला कृति से वास्ता नहीं होने से, हममे वो कल्पान्तक भाव को पहचानना जटिलता जैसे ही लगाती थी। मामाजी ने उसे इतने सरल से बताया कि जब सवांदिया बड़ी बहुरानी के पाँव पकड़ कर, अंत में, रो रहा था तो मेरी माँ की भी आँखे नम हो गई थी। मै भी भावुक हो गया था पर रोया नहीं। मैं अपने आप को मर्द बनाने की ट्रेनिंग जो दे रहा था। ख़ैर, संवदिया की शब्दावली, भावुकता से सराबोर और बरौनी जंकशन का जिक्र, मुझे रेणु से आत्मीय रूप से करीब लेकर आया। तब से रेणु की लिखी कहानियां हिंदी के टेक्सटबुक्स में ढूंढते रहता। और जो भी कहानी मिल जाती, उसे मैं छुप-छुपाकर पढ़ लेता। छुपाना इसलिए पड़ता था, क्योंकि घरवाले को लगता था कि कहानी या साहित्य पढ़ने के बदले कुछ रसायन भौतिक गणित पढ़े तो जिंदगी में कुछ कर पावे। जो कभी स्कूल की चौखट न देखे हो, और जीवन मजूरी में बीत रही हो तो शिक्षा रोटी-पानी का एक सम्मानपूर्ण जरिया बनकर रहा जाता है। परन्तु मैं इस मामले में, अपनेआप को सौभग्यपूर्ण मानता हूँ की, बिना ज्यादा पढ़े लिखे मैं अपने कक्षा में ठीक-ठाक कर लेता था, घर वालो की सिर्फ फ़िक्र थी तो वो मेरी लिखावट की, जो अभी तक बनी रही है। इसी वजह से मैं कहानी और साहित्य में रूचि बनवाने में अपवाद रहा हूँ। जो भी हिंदी की किताब मिल जाती उसे मैं किसी कमरे के एक अकेलेपन वाले कोने जाकर पढ़ लेता। उसी समय महादेवी वर्मा, प्रेंचन्द, राहुल संकृत्यायन आदि के लिखे कहानियां और लेख पढ़ने का मौका मिला। कवितायेँ भी पढ़ी, लेकिन कहानियों के और झुकाव काफी था। दिल्ली आने के बाद हिंदी से लगभग वास्ता ही नहीं रह गया था। फिर चतुर सेन की वैशाली की नगरवधू हाथ लगी, और फिर से हिंदी पढ़ना शुरू किया। रेणु की मैला आँचल शायद मै स्कूल समय में पढ़ रखा हूँ। लेकिन यह ठीक से याद नहीं है कि पूरी पढ़ी थी या नहीं। शायद पूरी पढ़ ली थी क्योंकि, कल जब मै ऐसे ही पन्ने पलट रहा था, 'चकई के चक-धूम' वाले गान, जिसे रेणु ने मैला आँचल में जगह दिए, पर नजर गई। तब मुझे याद आया कि मै इसे पहले भी पढ़ा हूँ। हालाँकि, उस उसमे इसे समझने का न ही तजुर्बा था न ही उम्र और साथ ही साथ यादास्त भी आजकल धोखा देती रहती है। इसलिए कल फिर से इसे पढना शुरू किआ। मेरीगंज की कहानी पढ़कर आँखे भर आयी और लगा मतलबी दुनिया प्यार के पागलपन को कांके का ही पागलपन समझेगा।
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kanpur-business · 1 month
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फिनलैंड लगातार सातवीं बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश
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n7india · 3 months
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actress-turned-politician जया प्रदा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश
Rampur(UP): रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने पुलिस अधीक्षक को अभिनेत्री से नेता बनी जया प्रदा को गिरफ्तार कर 27 फरवरी को अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। पुलिस अधीक्षक को विशेष टीम गठित कर पूर्व सांसद को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया है। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि पूर्व सांसद के खिलाफ सातवीं बार गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी वह सोमवार को सुनवाई के…
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sharpbharat · 3 months
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Tata workers union election : टाटा वर्कस यूनियन का चुनावी माहौल गर्माया, नामांकन पत्र लेने के लिए लगी भीड़, एलडी 2 से राजेश झा सातवीं बार बनेंगे कमेटी मेंबर, कई विभागों में रस्साकसी
जमशेदपुर : टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव में नामांकन पत्र का वितरण गुरुवार को हुई. इस दौरान लोगों में काफी उत्साह देखा गया. नामांकन पत्र लेने वालों के लिए लंबी कतारें लगी रही. टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव पदाधिकारी श्रीनिवास राव समेत चुनाव संचालन समिति के तमाम सदस्यों की देखरेख में नामांकन पत्र का वितरण किया गया. सारे 214 कमेटी मेंबरों के सीट के लिए नामांकन पत्र दिया…
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hkrsna · 4 months
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dgnews · 4 months
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने प्रदान किया स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023
इंदौर लगातार सातवीं बार सबसे स्वच्छ शहर के रूप में सम्मानित मध्यप्रदेश को मिला स्वच्छ राज्य श्रेणी का द्वितीय पुरस्कार भोपाल : राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार समारोह में वर्ष 2023 का सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार इंदौर शहर को प्रदान किया। गार्बेज फ्री शहर में 7-स्टार रेटिंग के साथ इंदौर ने लगातार सातवीं बार यह उपलब्धि हासिल की…
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dainiksamachar · 4 months
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चीन की धमकी का डर नहीं, भारत के साथ ऊर्जा समझौता करेगा नेपाल, जयशंकर जाएंगे काठमांडू
काठमांडू: नेपाल ने चीन की धमकियों के बावजूद भारत के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा समझौता करने का ऐलान किया है। इस समझौते पर भारतीय विदेश मंत्री की आगामी नेपाल यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाएंगे। इसके अलावा हाई इम्पैक्ट कम्यूनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स (HICDPs) के लिए फंडिंग बढ़ाने के भारत के प्रस्ताव पर भी हस्ताक्षर किया जाएगा। जयशंकर गुरुवार को काठमांडू की एक छोटी यात्रा पर जा रहे हैं। वह भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी कर रहे हैं, जो भारत और नेपाल के बीच उच्च स्तर का द्विपक्षीय तंत्र है। यह आयोग द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण स्थिति की समीक्षा करने का काम करता है। गुरुवार को काठमांडू पहुंचेंगे जयशंकर काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, की औपचारिक घोषणा अभी बाकी है। लेकिन, अखबार ने नेपाली सूत्रों के हवाले से बताया कि जयशंकर गुरुवार सुबह काठमांडू पहुंचेंगे और नेपाली विदेश मंत्री के साथ आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। बैठक में नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एनपी सऊद करेंगे। जयशंकर ने आखिरी बार 2019 में काठमांडू का दौरा किया था। इस दौरे पर जयशंकर के साथ भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा, संयुक्त सचिव (उत्तर, नेपाल, भूटान के प्रभारी) अनुराग श्रीवास्तव, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची और सीमा प्रबंधन मुद्दों से निपटने वाले विदेश मंत्रालय के अन्य अधिकारी साथ होंगे। एजेंडा फाइनल करने की तैयारी में नेपाल नेपाली अधिकारियों के मुताबिक, यात्रा का अंतिम एजेंडा मंगलवार शाम तक तैयार होने की उम्मीद है, लेकिन योजना दो समझौतों पर हस्ताक्षर करने की है। नेपाली ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नेपाली पक्ष अभी भी पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना की विस्तृत परिय��जना रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने कहा, ''हमारे बीच कुछ मतभेद हैं, जिन्हें राजनीतिक स्तर पर सुलझाने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है और प्रधानमंत्री, ऊर्जा मंत्री और विदेश मंत्री सहमत होते हैं तो यात्रा के दौरान पंचेश्वर परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा सकता है।' किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा विदेश मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संयुक्त आयोग की बैठक में सीमा, व्यापार, वाणिज्य, आर्थिक सहयोग और बिजली व्यापार सहित दोनों देशों के बीच सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। अधिकारी के मुताबिक, लेकिन केवल कुछ समझौतों पर ही हस्ताक्षर किए जाएंगे। विदेश मंत्री सऊद ने पोस्ट को बताया कि उन्होंने एजेंडे को लगभग अंतिम रूप दे दिया है और बैठक में ठोस प्रगति होगी। पिछले साल मई-जून में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की भारत यात्रा के बाद से दीर्घकालिक ऊर्जा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने के मुद्दे पर बातचीत चल रही है। जून में ऊर्जा समझौते पर सहमत हुए थे भारत-नेपाल दहल की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देश ऊर्जा पर एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हुए थे, जिसके तहत भारत दस वर्षों में नेपाल से 10,000 मेगावाट का आयात करेगा। हाल ही में 22 दिसंबर को एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री दहल ने कहा, "हम जल्द ही भारत के साथ एक दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। काठमांडू में एक मध्यावधि और दीर्घकालिक ऊर्जा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।" पिछले साल 1 जून को द्विपक्षीय वार्ता के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दहल के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान घोषणा की थी कि भारत दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते के तहत नेपाल से 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट बिजली खरीदेगा। भारत के साथ समझौते का विरोध करता है चीन चीन शुरू से ही भारत-नेपाल ऊर्जा समझौते का विरोध करता रहा है। पिछले साल सितंबर में नेपाल में चीनी राजदूत चेन सोंग ने इस समझौते के खिलाफ जमकर जहर उगला था। चीनी राजदूत ने दावा किया था कि नेपाल के प्रति भारत की नीतियां अक्सर म���त्रवत नहीं होती हैं ��र नेपाल के लिए पूरी तरह से फायदेमंद नहीं हैं। उन्होंने नेपाल को कृषि क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ चीनी आर्थिक संरचनाओं के अनुरूप आर्थिक पुनर्गठन सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने चीन के साथ नेपाल के रिश्तों को मजबूत करने पर जोर देते हुए भारत को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दे दी। http://dlvr.it/T0sk1m
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ashfaqqahmad · 7 months
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इश्क़ अनलिमिटेड
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'इश्क़ अनलिमिटेड' एक ऐसा कहानी संग्रह है जो रोमांस में डूबी दस कहानियों को अपने आप में समेटे है। कुछ कहानियां मुकम्मल हुए इश्क़ की दास्तान कहती हैं, तो कुछ ऐसी हैं जो अधूरी रह गई मुहब्बत के साथ मन में एक कसक छोड़ जाती हैं।
पहली कहानी 'इश्क़ दोबारा' बिछड़ने के बाईस साल बाद एक शादी में वापस टकराये एक कपल की कहानी है, जो उस इत्तेफाक पर अपना अतीत याद करते उसी दौर को जीने लगते हैं। दूसरी कहानी 'संय्या बेईमान', प्रेमिका द्वारा छोड़े गये ऐसे युवक की कहानी है, जो ख़ुद को साबित करने के लिये ग़लत रास्ता अख्तियार कर लेता है और उस पथ पर हर लड़की उसके लिये शिकार हो जाती है।
इस संग्रह की तीसरी कहानी है 'सात दिन का इश्क़', जो बताती है कि सपने देखने वाले प्रेमियों का जब विपरीत सच्चाई से सामना होता है तो कैसे उनका प्यार हवा हो जाता है और वे अलग रास्तों पर बढ़ जाते हैं। चौथी कहानी 'प्रेम में पड़ी लड़की' मोबाईल गेम के सहारे एक लड़के के चक्कर में पड़ गई लड़की की कहानी है, जो अपने प्रेमी के पास पहुंचने के लिये घर से भाग निकलती है, लेकिन उस तक पहुंचने से पहले ही उसकी ज़िंदगी में एक अलग रास्ते की गुंजाइश बन जाती है।
पांचवी कहानी है 'वह पहला सा इश्क़', जो एक ऐसे युवक की कहानी है, जिसे कच्ची उम्र से ही एक लड़की से प्यार हो गया था और इत्तेफाक से पांच साल बाद वह उसे एक ऐसे सफ़र पर टकरा जाती है, जहां ख़राब हालात के चलते दोनों को एक जगह रुकना पड़ता है। छठी कहानी 'तुम वह तो नहीं' उस साहित्यप्रेमी युवक की दास्तान है, जिसे एक खास लम्हे में एक लड़की से प्यार हो जाता है और उसे पाने के लिये वह नैतिक-अनैतिक सभी रास्ते अख्तियार करता है, लेकिन जब हासिल कर पाता है तो पता चलता है कि वह लम्हा ही मात्र एक भ्रम था, जिसके भरोसे उसका इश्क़ टिका हुआ था।
इस कहानी संग्रह की सातवीं कहानी 'लिखे जो खत तुझे' उस 'पेन लवर' की कहानी है जो एक लेखक के शब्दों से ही प्रभावित हो उसे दिल दे बैठती है और हर हफ्ते उसे एक चिट्ठी लिखती है, लेकिन अंततः उसे यह भान होता है कि वह एक भ्रम में थी। आठवीं कहानी 'कसक' बिछड़ गये उस इश्क़ का फसाना है जहां जातिवाद से जकड़े समाज में मिल पाना मुमकिन ही नहीं था— लेकिन बिछड़ने के बाद भी प्रेमी न अपनी मुहब्बत भूलता है और न ही अपना फ़र्ज।
'बंसी वाला इश्क़' इस संग्रह की नवीं कहानी है जो सिर्फ बांसुरी की धुन सुन कर बांसुरी वाले के प्रेम में पड़ जाने वाली लड़की की दास्तान है, जो एक बार इस इश्क़ में पड़ने के बाद फिर इस इश्क़ से उबर ही नहीं पाती। 'ऑनलाइन इश्क़' सिर्फ सोशल मीडिया के सहारे पनपी वह प्रेम कहानी है जहां एक मोड़ पर पहुंच कर लड़का एक भ्रम का शिकार हो कर अलग रास्ता पकड़ लेता है मगर लड़की वहीं टिकी रह जाती है और वहीं ख़त्म हो जाती है।
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newswave-kota · 8 months
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फिजिक्स वाला विद्यापीठ द्वारा PWNSAT स्कॉलरशिप टेस्ट में 200 करोड़ रू की बम्पर छात्रवृत्ति
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अवसरः कक्षा-6 से 12वीं के स्टूडेंट्स के लिये 1 से 15 अक्टूबर तक निःशुल्क टेस्ट, शीर्ष रैंक प्राप्त करने वालों को मिलेंगे 1.5 करोड़ रू के नकद पुरूस्कार भी न्यूजवेव @कोटा देश के अग्रणी यूनिकॉर्न एड-टेक संस्थान पीडब्ल्यू (फिजिक्सवाला) ने कक्षा-6 से 12वीं में अध्ययनरत तथा ड्रॉपर्स विद्यार्थियों को अपनी योग्यता परखने के लिये PW NSAT-2023 (फिजिक्स वाला नेशनल स्कॉलरशिप कम एडमिशन टेस्ट) लांच किया है। यह निशुल्क परीक्षा ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों मोड में आयोजित की जायेगी। पीडब्ल्यू विद्यापीठ ऑफलाइन के सीईओ अंकित गुप्ता ने पत्रकारों को बताया कि पीडब्ल्यू एनएसएटी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स को 200 करोड़ रू की मेगा स्कॉलरशिप दी जायेगी। इसके लिये देशभर में कक्षा-6 से 12वीं तक स्टूडेंट्स पीडब्ल्यू सेंटर, वेबसाइट या एप के माध्यम से 30 सितंबर तक अपना निशुल्क रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। यह परीक्षा संस्थान के सभी परीक्षा केंद्रों पर 1, 8 एवं 15 अक्टूबर,2023 रविवार को ऑफलाइन मोड में आयोजित की जायेगी। स्टूडेंट्स आगामी 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक घर बैठे अपने शहर से ही ऑनलाइन मोड में यह परीक्षा दे सकते हैं। इस राष्ट्रीय परीक्षा का रिजल्ट 20 अक्टूबर, 2023 को घोषित किया जायेगा। पीडब्ल्यू विद्यापीठ के कोटा सेंटर हेड कुन्दन कुमार ने पत्रकार वार्ता में बताया कि पीडब्ल्ूयू एनएसएटी-2023 में कक्षा-6 से 12वीं तक एवं ड्रॉपर्स सहित 10 लाख स्टूडेंट्स को जोडने का लक्ष्य है, जिससे प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी को अपने स्कोर के आधार पर अपनी योग्यता व नेशनल रैंक का पता लग सकेगा। इसमें प्रत्येक कक्षा में सिलेबस के अनुसार एनसीईआरटी आधारित 40 बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जायेंगे। पेपर 160 अंकों का होगा। किसे कितना नकद पुरूस्कार राजीव रस्तोगी सर ने बताया कि पीडब्ल्ूयू एनएसएटी-2023 का उद्देश्य स्कूली बच्चों के टेलेंट को नर्चर करना है। कक्षा-8वीं, 9वीं एवं 10वीं के स्टूडेंट्स को इस परीक्षा में रैंक-1 प्राप्त करने पर 1 लाख नकद पुरूस्कार,रैंक-2 पर 75 हजार रू, रैंक-3 पर 50 हजार रू तथा रैंक-4 से 10 तक 7 स्टूडेंट्स को 35 हजार रू सहित रैक-160 तक आकर्षक नकद पुरूस्कार दिये जायेंगे। इसी तरह, इस स्कॉलरशिप टेस्ट में मेडिकल व इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के इच्छुक कक्षा-11वीं एवं 12वीं के स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप के अतिरिक्त रैंक-1 पर 1.50 लाख, रैंक-2 पर 1 लाख, रैंक-3 पर 75 हजार, रैंक-4 से 10 तक 7 स्टूडेंट्स को 50-50 हजार रू., रैंक-11 से 25 तक 15 स्टूडेंट्स को 35-35 हजार रू, रैंक-26 से 50 तक 25 स्टूडेंट्स को 20-20 हजार रू जीतने का अवसर भी मिलेगा। नीट डिवीजन के हेड हितेश शर्मा ने बताया कि पहली बार कक्षा-छठी व सातवीं के 50 स्टूडेंट्स को रैंक-1 से 50 तक प्राप्त करने पर कोचिंग शुल्क में 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप दी जायेगी। रैंक-51 से 200 तक 150 स्टूडेंट्स को 75 प्रतिशत, रैंक-201 से 500 तक 300 स्टूडेंट्स को 50 प्रतिशत, रैंक-501 से 1000 तक 500 स्टूडेंट्स को 25 प्रतिशत स्कॉलरशिप लेने का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि संस्थान ने हर वर्ग के स्टूडेंट्स का ध्यान रखते हुये विद्यापीठ रेजीडेंशियल प्रोग्राम (VPR) भी लांच किया है, जिसमें हॉस्टल में ही टीचिंग व मैस सुविधा भी रहेगी। प्री-फाउंडेशन हेड राजीव रंजन ने बताया कि पीडब्ल्यू में कक्षा-6 से ही बच्चों को एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग दी जा रही है। वे जो क्लास में पढते हैं, उसे आत्मविश्वास के साथ करके दिखाते भी हैं। इससे रूचि के अनुसार, उनमें टेलेंट विकसित हो रहा है। उन्हें सभी क्षेत्रों के लिये काउंसलिंग दी जा रही है। इसलिये पीडब्ल्यू है देश में नंबर-1
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संस्थान के फाउंडर डायरेक्टर अलख पांडे के अनुसार, भारत के शीर्ष 101वें यूनिकॉर्न ‘फिजिक्स वाला विद्यापीठ’ देश के लाखों विद्यार्थियों के लिये यूपीएससी, गेट, कैट, सीए, सीडीएस, एसएससी, रेलवे, बैंकिंग, सीटीईटी सहित जेईई-मेन, एडवांस्ड, नीट-यूजी सहित सभी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिये नंबर-1 प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। पीडब्ल्यू के देश में 60 स्टडी सेंटर्स हैं, जहां ऑनलाइन व हाईब्रिड कोचिंग के विकल्प मौजूद हैं। पीडब्ल्यू का स्टडी मैटेरियल हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, मराठी, तेलगू व गुजराती भाषाओं में उपलब्ध होने से सभी माध्यमों के स्टूडेट्स की फर्स्ट च्वाइस बन चुका है। इसके 61 यूट्यूब चैनलों में 31 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स की सबसे बड़ी फॉलोइंग है। पीडब्ल्यू मोबाइल ऐप 10 मिलियन से अधिक यूजर्स द्वारा डाउनलोड किया जा चुका है। गूगल प्ले स्टोर पर 4.6 की शानदार रेटिंग के साथ यह सबसे विश्वसनीय कोचिंग प्लेटफॉर्म बन चुका है। Read the full article
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sadbhawnapaati · 9 months
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इन्दौर के स्वच्छता अभियान पर लगा गंदा दाग, कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ी से बनाया बेशर्म वीडियो
इन्दौरियों को महापौर और निगमायुक्त के एक्शन का इंतजार Indore News in Hindi | स्वच्छता में लगातार छह बार नंबर वन रहकर देश दुनिया में नम्बर वन शहर के रूप में पहचान बना चुके इन्दौर शहर के बाशिंदे नगर निगम के साथ मिलकर जहां सातवीं बार नम्बर वन का खिताब जीत सातवां आसमान छूने की तैयारी जी जान से कर रहे हैं वहीं निगम के कुछ लापरवाह और गैर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी शहर के इस स्वच्छता अभियान की वाट लगा…
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newzupdatecom · 10 months
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Indore:इंदौर का वार्ड स्वच्छता रैंकिंग माॅडल स्वच्छता मिशन ने अपनाया, तिलक नगर वार्ड को मिला पहला पुरस्कार - Indore's Ward Cleanliness Ranking Model Adopted By Swachhata Mission, Tilak Nagar Ward Got First Prize
सर्वश्रेष्ठ वार्ड का पुरस्कार लेते पार्षद राजेश उदावत – फोटो : amar ujala digital विस्तार नगर निगम ने सातवीं बार स्वच्छता रैंकिंग के लिए कमर कस ली है। शहरभर मेें समान सफाई हो, इसलिए नगर निगम ने शहर को स्वच्छता रैंकिंग दी। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि इस माॅडल को स्वच्छ भारत मिशन ने अपनाया और देशभर के शहरों को वार्डों मेें इसे लागू करने को कहा है। सोमवार को रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित…
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igamravatirange · 10 months
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Post#9
सातवीं में ही पढ़ रहा था, तब एक बार तीन-पत्ती खेलने पर मारुति अण्णा ने मुझे सज़ा दी, इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया। अपने इस घोर अपमान का बयान करने जब माँ के पास गया, तो पता चला की सासवड़ जाने के लिए वह एस.टी. स्टैंड पर गई हैं। स्टैंड पर पहुँच कर उनसे शिकायत की, कि - मारुति अण्णा ने मुझे मारा है। उन्होंने मुझे समझाया, ‘पत्ता खेलना बुरी बात है।’ इस बीच एस.टी. बस आ गई, वह ज़्यादा समझा-बुझा नहीं सकीं और सासवड़ के लिए रवाना हो गई। बारह-तेरह साल का मैं, वट-वृक्ष के नीचे बैठकर काफ़ी देर तक एस.टी. बस की गति से उठे धूल के गुबार को देखता रहा। आँख में आंसू आ गए। मुझे माँ के साथ रहना था। नंगे पैर मैं एस. टी. बस की दिशा में पैदल चलने लगा। कच्चे रास्ते पर चार-पाँच घंटे चलकर, मैं २० किलोमीटर दूर सासवड़ पहुँच गया।
सासवड़ में माँ के पंचायत-समिति के दफ़्तर के बाहर पहुँचा। सभा-गृह में बैठक चल रही थी। वहाँ माँ को देखकर मैं निश्चिंत हो गया। माँ की सहेली और सहयोगी श्रीमती गायकवाड़ ने अचानक जब बाहर देखा, तो मुझे ध्वजके डंडे को पकड़कर गोल-गोल घूमते खेलते देखा। उन्होंने माँ के कान में कुछ खुसफुसाया। वे घबराकर बाहर आयीं, तो मैं सिर झुकाए खड़ा था। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था, क्योंकि मेरी दशा ही कुछ इस तरह की थी। हाथ-पैर, कपड़े सब धूल में सने थे, मानो आटे की चक्की में श्रीरंग खड़ा हो। प्यास के मारे मेरे होंठ सूख गए थे। उन्होंने आँखें दिखाते हुए पूछा, ‘कैसे आया?’ मैंने कहा, ‘एस.टी. बस के पीछे-पीछे चलते आया।’ उनको क्या यातना हुई होगी ये तो उन्हीं को मालूम! बड़बड़ाते हुए उन्होंने मेरी धूल झाड़ी। बगीचे के नल के नीचे मेरे हाथ-पैर धोए और बी.डी.ओ. साहब से अनुमति लेकर दोनों मुझे श्रीमती गायकवाड़ के घर ले आयीं। उधर परिंचे में दादा-दादी ने मारुति अण्णा की जमकर ख़बर ली। सभी हकबका गए थे। उन्होंने मुझे आस-पास खोजा तो बस स्टैंड तक ट्रैक निकला। अण्णा और तीन-चार मित्र, परिंचे से सासवड़ तक की यात्रा में आँखों में तेल डालकर खिड़की से बाहर देख रहे थे कि, मैं कहीं दिख जाऊं। मेरी तलाश करते-करते, वे सासवड़ में सुरेश मामा के घर पहुँचे। तब तक हम भी वहाँ पहुँच गए थे। मुझे लगता है कि पुलिस अकादमी की फ़ुल मैराथन का एप्टीट्यूड टेस्ट, मैंने बारहवें साल में परिंचे से सासवड़ की हाफ़ मैराथन चलकर दिया था।
स्कूल में शिक्षक छात्रों से ग़लतियाँ होने पर सज़ा देते थे, लेकिन कोई अतिरिक्त शुल्क लिए बिना दसवीं के विद्यार्थियों को रोज़ रात अध्ययन करवाते थे। रात में पढ़ाते नहीं थे, लेकिन स्कूल की एक कक्षा को खुला रखकर, बारी-बारी से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर नज़र रखते थे और उनकी शंकाओं का निवारण करते थे। उस समय तक शिक्षकों में निजी क्लास का संचालन करने का चलन नहीं था।
जब एस.एस.सी. बोर्ड की परीक्षा का फ़ॉर्म निकला, तब हॉल-टिकट पर चिपकाने के लिए फ़ोटो चाहिए थी तो सबके लिए सासवड़ से फोटोग्राफर बुलवाया गया। मेरा नंबर सी-१७३१९ था। इसे मैंने इतना रट लिया था कि आज भी याद है। परीक्षा केंद्र सासवड़ में था। परीक्षा ख़त्म होने तक वहाँ रहना था, इसलिए माँ ने लाल रंग का सूटकेस खरीद दिया था। एक वर्ग-मित्र के मामा ने सासवड़ में रहने के लिए हमें कमरा दिया। उस समय परीक्षा से लगभग एक महीना पहले नवनीत प्रकाशन की हर विषय के लिए ‘२१ संभावित प्रश्न गाइड’ का प्रकाशन किया जाता था। कुछ छात्र इनके सहारे पढ़ाई करने पर ज़ोर देते थे। हालाँकि, मैं पाठ्यक्रम की पुस्तकों और उनके आधार पर तैयार किए गए नोट्स के सहारे पढ़ाई करता था। कोई खतरा न मोल लेने की मंशा से मित्रों की २१ संभावित प्रश्नों का संचय भी पढ़ लिया था। जिस दिन पेपर नहीं होता, उस दिन राजा शितोले के साथ, दौलत टॉकीज़ के पीछे स्थित आम के बगीचे में पढ़ाई करने जाता था। परीक्षा ख़त्म हो गई और सौभाग्य से पेपर अच्छे गए। अब छुट्टी और भविष्य की चिंता एक साथ शुरू हो गई। राजा पारखी के पास एक पुस्तक थी ̶‘दसवीं के बाद क्या?’ बस उसे अच्छी तरह खंगाल लिया। बाक़ी सब परीक्षा-परिणाम और नसीब पर निर्भर था।
दसवीं का परीक्षा परिणाम लाने के लिए, पुणे गए शिक्षक जब लौटे तो एस.टी. के दरवाज़े के बाहर हम सभी खड़े मिले। मोहन जगताप ७५%, राजा पारखी ७३% और अनपेक्षित रूप से जयंत नाईकनवरे को ७१% अंक मिले थे। दूसरे दिन फ़लक पर नाम लिखा गया। भले ही स्कूल का सही, लेकिन बोर्ड पर झलकने का मौक़ा मिला था। ‘अच्छे नंबर हैं, इसे साइन्स में डालो’, इस तरह की सलाहें मिली। ग्यारहवीं कॉमर्स में छात्रों की ज़रूरत को ध्यान में रखकर आसानी से स्कूल से दाख़िला नहीं मिलता था। स्कूल के बोर्ड पर नाम आने से दाख़िला मिल गया।
डेन्मार्क के राजपुत्र हैमलेट के ‘टू बी ऑर नॉट टू बी’ के अस्तित्व के डिलेमा की तरह दसवीं की बोर्ड परीक्षा के बाद ग्रामीण विद्यार्थियों के सामने भी असमंजस की स्थिति होती थी। करियर का समीकरण बदलने वाला यह परिणाम नव-प्रवर्तन की दिशा तय करने वाला सिद्ध होता था। इस परिणाम से तय होता कि अपना स्थानांतरण होगा या नहीं। हुआ तो कहाँ होगा? ̶तहसील, जिला या कार्पोरेशन स्तर पर?
तालाब के ठहरे पानी में, कंकड़ मारने पर ��ठी तरंगों की तरह बच्चे गाँव से दूर छिटक ज��ते थे। केवल लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि लड़कों के लिए भी यह सोलहवां साल धोखे से भरपूर होता था! मूल व्यक्तित्व में फिर कभी वापस न आने के लिए अज्ञात विश्व के कृष्णविवर में छलांग लगाने, जैसी लिखाई वैसी ही बोलीवालों की भाषा को प्रमाण मानकर, बोलचाल की भाषा और लहज़ा बदलने के लिए, विरासत में मिले ठेठ लहज़े को जानबूझ कर बदलने के लिए निकल पड़ते। अँग्रेज़ी सीखकर व्यक्तित्व परिवर्तन की यह प्रक्रिया दुनिया जीतने के लिए!
ज्ञानेश्वर माऊली की दिंडी के सभी वारकरी, प्रति साल ज्येष्ठ की अष्टमी को आलंदी से प्रस्थान करते हैं। दो सौ तीस किलोमीटर की, इक्कीस दिवसीय पैदल यात्रा के बाद आषाढ़ की एकादशी को पंढरपुर पहुंचते हैं। इतनी दूर पैदल चलना शहर के लोगों के लिए अचंभा हो सकता है, लेकिन वारकरियों के लिए यह साधारण बात होती है। इसी तरह हर साल हजारों विद्यार्थियों का झुंड गाँव से शहर की ओर करियर की यात्रा करने निकल पड़ता। सभी को कुछ कम-ज़्यादा मात्रा में लगभग एक समान समस्याओं, त्रासदियों का सामना करना पड़ता। इसलिए किसी एक का संघर्ष किसी दूसरे के संघर्ष से ज़्यादा है, जैसी बात नहीं होती थी। बुद्धिमता के बजाय जिसमें ज़्यादा लगन होती, उसे ‘लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन’ के अनुसार सफलता मिलती थी। यह सफलता जिनके सिर पर सवार नहीं हुई, जिनके पैर सदा ज़मीन पर टिके रहे और जो मिली सफलता के प्रति कृतज्ञता के भाव से भरे रहे - वे और आगे गए।
गाँव-खलिहान से दूर गए ये बच्चे, कुछ समय तक सस्पेंडेड ॲनिमेशन में रहते। यहीं से स्वावलंबन की शुरुआत होती थी। अलग-अलग रोल मॉडल्स की ‘सक्सेस स्टोरीज़’ की तरह अपनी सफलता के स्वप्न देखने से लेकर, हक़ीक़त का एहसास होने तक स्वावलंबन की यह यात्रा करने - जाति, वंश, धर्म के बजाय, कर्म को प्रधानता देने वाले शहरों में, अपनी पहचान बनाने - शून्य से शुरुआत कर अपनी योग्यता साबित करने के लिए संघर्ष करने निकल पड़ना। सब्र का इम्तिहान लेती परीक्षाएँ, ग्लैडिएटर की तरह, हर लड़ाई ‘आर या पार’ की यानी, अस्तित्व के साथ जुड़ी होती। सांप-सीढ़ी के पैटर्न पर करियर को आगे बढ़ाने, दिंडी में चलते वारकरियों की स्टेप्स जैसे दो कदम आगे, एक कदम पीछे... ग्यानबा-तुकाराम...
हर लड़ाई में मिले और पूरी तरह से भरे नहीं हुए मन के अदृश्य घाव बाल-बच्चों को दिखाई नहीं देंगे। संघर्ष के समय जो साथ थे वे ही जानते हैं। हम अपने बच्चों को पोमेरिरन्स की तरह पालते हैं। इस बात का ध्यान रखते हैं कि उन्हें आर्चिन्स का सामना न करना पड़े। मन रह-रहकर उसी सोलह साल वाले दौर में चला जाता है। ‘या सत्तेत जीव रमत नाही’(इस सियासत में मन नहीं लगता) ̶नामदेव ढसाल की इस कविता की तरह इस समृद्धि में मन नहीं लगता ऐसा लगता रहता है।
-Jayant Naiknavare,IPS
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loktantraudghosh · 1 year
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स्वच्छता के सातवें आसमान को छूने की तैयारी में इंदौर नगर निगम
 लापरवाही से कचरा फेंकना भारी पड़ा एक टाइल्स शो रूम संचालक को लोकतंत्र उद्घोष अंकितसिंह गिल इंदौर नगर पालिक निगम स्वच्छता में लगातार सातवीं बार देश में नंबर वन आने के प्रयासों में जी जान से जुटा हुआ है । यहां तक कि कचरा फेंकने में जरा सी भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा रही है … इसी के चलते शालीमार टाउनशिप स्थित हाउस ऑफ जॉनसेंस टाइल्स शोरूम संचालक पर 5000 रु का चालान अर्थ दंड के रूप में वसूला गया…
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n7india · 9 months
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पीवी सिंधु फिर पहले राउंड में बाहर, लक्ष्य, सात्विक-चिराग अगले दौर में पहुंचे
Tokyo: शीर्ष भारतीय शटलर पीवी सिंधु का खराब फॉर्म जारी रहा और उन्हें बुधवार को यहां योयोगी नेशनल जिम्नेजियम में जापान ओपन 2023 बैडमिंटन टूर्नामेंट के पहले दौर में हार का सामना करना पड़ा। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता सिंधु, महिला एकल बैडमिंटन रैंकिंग में 17वें स्थान पर, चीन की झांग यी मान से 12-21, 13-21 से हार गईं और इस साल 13 बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर 2023 टूर्नामेंट ���ें सातवीं बार शुरुआती दौर से…
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