नोएडा के ट्विन टावर्स विध्वंस पर 'कुंडली भाग्य' के अभिनेता मनित जोरा
नोएडा के ट्विन टावर्स विध्वंस पर ‘कुंडली भाग्य’ के अभिनेता मनित जोरा
नई दिल्ली: ‘कुंडली भाग्य’ के अभिनेता मनित जौरा ने इस बारे में खोला है कि कैसे ट्विन टावर्स के ढहने का उन पर और उनके पिता पर गहरा प्रभाव पड़ा, खासकर जब उन्होंने इसे अपने और अपने भाई हिमांशु के लिए कई सपनों से जोड़ा।
28 अगस्त को, नोएडा के ट्विन टावर्स- सिएन और एपेक्स- को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया, जिससे लगभग 915 फ्लैट प्रभावित हुए।
मनित कहते हैं: “वे संरचनाएं नहीं बल्कि भावनाएं…
View On WordPress
0 notes
टुडे टीव्ही न्यूज 3 सप्टेंबर 2022: हिना खानला सिद्धार्थ शुक्ला अली गोनी जस्मिन भसीनची आठवण येते प्रत्येक ओहटरच्या ताज्या टीव्ही बातम्या आणि गप्पाटप्पा
टुडे टीव्ही न्यूज 3 सप्टेंबर 2022: हिना खानला सिद्धार्थ शुक्ला अली गोनी जस्मिन भसीनची आठवण येते प्रत्येक ओहटरच्या ताज्या टीव्ही बातम्या आणि गप्पाटप्पा
टुडे टीव्ही न्यूज 3 सप्टेंबर 2022: हिना खानला सिद्धार्थ शुक्ला अली गोनी जस्मिन भसीनची आठवण झाली
,
View On WordPress
0 notes
Kundali Bhagya: धीरज धूपर की पत्नी की बेबी शॉवर पार्टी, फोटोज में देखिए कैसे जमकर हुई मौज मस्ती
Kundali Bhagya: धीरज धूपर की पत्नी की बेबी शॉवर पार्टी, फोटोज में देखिए कैसे जमकर हुई मौज मस्ती
Kundali Bhagya Show Update: धीरज धूपर की पत्नी विन्नी की बेबी शॉवर पार्टी की ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। कुंडली भाग्य फेम एक्टर की पत्नी इन तस्वीरों में काफी खूबसूरत लग रही हैं।
Source link
View On WordPress
0 notes
चैरिटी (दान) और कर्म 🌺
दान आप करना चाहे लेकिन सामने वाला लेना ना चाहे तो भी वो दान नहीं हो सकता। दान भी आपके कर्मों पर ही निर्भर करता है। 🤲🌟
आज जिसे हम उदार हाथों से दे रहे हैं, हो सकता है कि किसी भव में हमारी जरूरत पर उन्होंने दिया हो, वो ही चढ़ा हुआ ऋण हम वापस चुका रहे हैं। 🔄
इस भावना के साथ, जो दान देते हैं, उन्हें कुछ छोटी बातें ध्यान में रखनी चाहिए ताकि उनके पुण्य कर्म में तत्काल बढ़ोतरी हो:
आपसे यदि कोई दान स्वीकार करता है, तो उसमें अपने पिछले जन्मों का चढ़ा हुआ ऋण उतारने की भावना होनी चाहिए। 🔄
दान स्वीकार करने वालों को प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि वे आपका ऋण उतारने में सहायक हैं। 🙏
दान करते समय तस्वीरें खींचने की बजाय, अपनी कृति को दिखाना चाहिए ताकि दान का उद्दीपन सही दिशा में बढ़ सके। 📸
दान पूरा होने पर स्वकर्म करने का प्रयास करें ताकि कोई दोष न लगे। 💪
पुण्य कर्मों के बाद अपने इष्ट देव के दर्शन करने के लिए धन्यवाद देना चाहिए। 🌸
जिस किसी पर ऋण बाकी है, उसी के निमित्त से लेन-देन होता रहता है। इसलिए, अभिमान नहीं लेना चाहिए कि "मैंने इतना दान किया"। 🙌
कर्म कब, कैसे, किस स्वरूप में आते हैं, यह मनुष्य की सोच के बाहर है। जो सामने है, उसे स्वीकार करें और कर्मों के ऋण से मुक्त हों।
यदि आपके पास कोई प्रश्न है और आप अपने जीवन और अचूक उपायों के बारे में जानना चाहते हैं तो एस्ट्रो गुरु दीपक जैन से संपर्क करें
धन्यवाद 🙏
एस्ट्रो गुरु दीपक जैन 🪷🌹🙏🌹🪷
0 notes
कुंडली में महा भाग्य योग कब बनता है?
महा भाग्य योग" एक ज्योतिषीय योग है जो कुंडली में बन सकता है और व्यक्ति को समृद्धि, धन, और सुख-शांति की प्राप्ति में मदद कर सकता है। यह योग कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति और संयोजन पर निर्भर करता है।
महा भाग्य योग बनाने के लिए निम्नलिखित कुछ सामान्य योग कारक शरीर व्यक्ति की कुंडली में एक साथ एक खास भाव में होने चाहिए:
लग्नेश (आरोही राशि के स्वामी) या चंद्र (चंद्रमा):इस योग के लिए लग्नेश या चंद्र को कुंडली के लग्न स्थान में होना चाहिए। लग्न या चंद्र की महादशा या अंतरदशा के समय यह योग अधिक प्रभावी हो सकता है।
भाग्यस्थान (9वां भाव):महा भाग्य योग के लिए कुंडली में लग्न स्थान से नौवां भाव में लगे ग्रहों का महत्वपूर्ण होना चाहिए, विशेषकर बृहस्पति (गुरु)। नौवां भाव धन और सुख के लिए महत्वपूर्ण होता है।
बृहस्पति (गुरु) का प्रभाव:गुरु का अच्छा स्थिति महा भाग्य योग के लिए आवश्यक है। गुरु धन, विद्या, और सामाजिक स्थिति के प्रति शुभ प्रभाव के लिए जाना जाता है।
केंद्र स्थान (1वां, 4वां, 7वां, और 10वां भाव):महा भाग्य योग के लिए कुंडली में चारों केंद्र भावों में किसी भी ग्रह की स्थिति महत्वपूर्ण है। इससे व्यक्ति को स्थिरता, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति हो सकती है।
पंचम भाव (बच्चों और शिक्षा का स्थान):ज्योतिष में महा भाग्य योग का महत्वपूर्ण हिस्सा इसमें है कि कुंडली में पंचम भाव में कोई दृष्टि या स्थिति होनी चाहिए।
महा भाग्य योग का प्रभाव किसी व्यक्ति की कुंडली के आधार पर भी बदल सकता है, और यह केवल विशेष योगों के संयोजन पर नहीं बल्कि ग्रहों की दशाओं और अंतरदशाओं के परिणामों पर भी निर्भर करेगा।
किसी की कुंडली में महा भाग्य योग की जांच के लिए, एक अच्छे और अनुभवी ज्योतिषी से संपर्क 8595675042 करना सबसे उत्तम है जो व्यक्तिगत रूप से आपकी कुंडली का विश्लेषण कर सकता है।
3 notes
·
View notes
PANDIT ISHANT VATSA (Astro)
🚩⚛️🔯🙏 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र 28 अप्रैल को और देवताओं के गुरु बृहस्पति 7 मई अस्त हो गए है और हमारी कुंडली मै इन दोनो ग्रह का बहुत महत्व है जहां एक पुरुष की कुंडली मै शुक्र पत्नी को दिखाता है वही एक महिला की कुंडली देव गुरु बृहस्पति पति को दिखाते है और ये दोनो ग्रह अभी अस्त है| इसलिए जो भी शादी या जो भी शुभ काम इस 🕛 Time Period मैं होगा वो सफल नहीं होगा क्योंकि हम आजकल शादी के अलावा कोई शुभ काम हो तो हम पंडित जी से सब पूछेंगे पर जब शादी की बात आती है तो वहा हम Yang Age इसको Ignore कर देते है| जो बाद मै एक असफल Relestionship कहलाती है So Please जिनको भी कोई शुभ काम करना है या शादी करनी है उनको जुलाई तक का इंतज़ार करना होगा | जहां 🕉️ शुक्र ग्रह ➡️ भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग, वीर्य, पत्नी का कारक ग्रह है वही 🕉️ देव गुरु बृहस्पति ➡️ पति, कारोबार, बच्चे, शिक्षा, गुरु, ज्ञान, सुख-दुख, उतार-चढ़ाव,भाग्य, ऐश्वर्य, संतान, विवाह, धार्मिक कार्य, धन, दान-पुण्य आदि के कारक ग्रह हैं |🕉️🔯⚛️🚩🙏
🕉️ SHREE RAM LALLA ASTRO KENDRAA, WHITEFIELD, BANGALORE, KARNATAKA-560066 (INDIA)
CALL :~ +91-7599915573 (WhatsApp)
1 note
·
View note
कुंभ लगन मकर राशि में सूरय राहू 9 घर तुला राशि में प्रभाव क्या होगा।?
कुंभ लग्न में जन्मे व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और राहू नौवें भाव में हैं, और तुला राशि में स्थित हैं। इस स्थिति में सूर्य और राहू का प्रभाव निम्नलिखित हो सकता है:
सूर्य (नौवें भाव में): नौवें भाव धर्म, यात्रा, धन, भाग्य, गुरुजनों, धार्मिक आस्था और अध्ययन का भाव होता है। सूर्य का यहां स्थित होना जीवन में धार्मिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा और धर्मिक गतिविधियों में सक्रियता की प्रेरणा देता है। व्यक्ति को धर्म के प्रति उत्साही बनाता है और उसे अच्छे कर्मों के माध्यम से अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
राहू (नौवें भाव में): राहू का नौवें भाव में स्थान धर्म, भाग्य, यात्रा, विदेश जाने की प्रवृत्ति, और धार्मिक विचारों को संदर्भित करता है। यह स्थिति व्यक्ति को अनुभव से सीखने और आध्यात्मिक या धार्मिक संस्कृति में अध्ययन करने की प्रेरणा देती है। हालांकि, राहू की नकारात्मक प्रभावों को भी ध्यान में रखना चाहिए, जैसे कि अस्थिरता, असंतुलन, और अनियमितता।
तुला राशि में: तुला राशि विचारशीलता, सामंजस्य, और संतुलन की राशि है। इसका प्रभाव विचारशीलता, कल्पना, कलात्मकता, और सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देता है। इस स्थिति में सूर्य और राहू को तुला राशि की संवेदनशील और कल्पनाशील शक्ति का प्रभाव मिलता है।
इस प्रकार, यह स्थिति व्यक्ति को धार्मिकता, धार्मिक अनुभव, और धर्मिक यात्राओं की ओर आकर्षित कर सकती है, साथ ही उसे विचारशीलता, कल्पनाशीलता, और सामंजस्यपूर्ण संबंधों में सामर्थ्य भी दे सकती है। यहाँ भी, यहां दी गई जानकारी केवल सामान्य लक्षण हैं और व्यक्ति की पूर्ण कुंडली का विश्लेषण करने के लिए http://Thekundli.com परामर्श लेना हमेशा उत्तम होता है।
0 notes
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन
कारकांश कुंडली क्या होती है?
कारकांश कुंडली एक विशेष प्रकार की जन्मकुंडली है जिसमें कारकांश लग्न के आधार पर फलकथन किया जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है जो वैदिक ज्योतिष शास्त्र से ली गई है। कारकांश लग्न वह लग्न बिंदु होता है जिससे सभी ग्रहों के कारक अर्थात् फलादेश निर्धारित किए जाते हैं।
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन एक अनूठा और गहन विधि है। इसमें सबसे पहले कारकांश लग्न की गणना की जाती है। यह मूल लग्न से कुछ अंश आगे या पीछे होता है। फिर इस कारकांश लग्न से सभी ग्रहों के कारक बनाए जाते हैं। इन कारकांशों पर विशेष महत्व दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि कारकांश लग्न मिथुन राशि में है तो वृषभ राशि से पुत्र कारक बनेगा, मिथुन से धन कारक और इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए। इन कारकों के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पक्षों जैसे संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि का फलादेश किया जाता है।
इस प्रकार कारकांश लग्न फलित कुंडली कहीं अधिक गहन और विस्तृत होती है। इसमें व्यक्ति के भाग्य की सटीक भविष्यवाणी की जाती है। हालांकि यह जटिल विधि है और इसके लिए गहन ज्ञान एवं अनुभव की आवश्यकता होती है।
Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/by-ascendant-karkans-flkthan-5344
0 notes
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन
कारकांश कुंडली क्या होती है?
कारकांश कुंडली एक विशेष प्रकार की जन्मकुंडली है जिसमें कारकांश लग्न के आधार पर फलकथन किया जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है जो वैदिक ज्योतिष शास्त्र से ली गई है। कारकांश लग्न वह लग्न बिंदु होता है जिससे सभी ग्रहों के कारक अर्थात् फलादेश निर्धारित किए जाते हैं।
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन
कारकांश लग्न द्वारा फलकथन एक अनूठा और गहन विधि है। इसमें सबसे पहले कारकांश लग्न की गणना की जाती है। यह मूल लग्न से कुछ अंश आगे या पीछे होता है। फिर इस कारकांश लग्न से सभी ग्रहों के कारक बनाए जाते हैं। इन कारकांशों पर विशेष महत्व दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि कारकांश लग्न मिथुन राशि में है तो वृषभ राशि से पुत्र कारक बनेगा, मिथुन से धन कारक और इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए। इन कारकों के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पक्षों जैसे संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि का फलादेश किया जाता है।
इस प्रकार कारकांश लग्न फलित कुंडली कहीं अधिक गहन और विस्तृत होती है। इसमें व्यक्ति के भाग्य की सटीक भविष्यवाणी की जाती है। हालांकि यह जटिल विधि है और इसके लिए गहन ज्ञान एवं अनुभव की आवश्यकता होती है।
Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/by-ascendant-karkans-flkthan-5344
0 notes
सजे पंडालों से लेकर मोदक तक: टीवी सेलेब्स ने किया गणपति का घर में स्वागत
सजे पंडालों से लेकर मोदक तक: टीवी सेलेब्स ने किया गणपति का घर में स्वागत
मुंबई: गणेश चतुर्थी के साथ ही, हर किसी की तरह, मशहूर हस्तियां भी हर साल इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ देखते हैं और घर में बप्पा की मूर्ति लाकर 10 दिवसीय उत्सव मनाते हैं। यह मूर्ति को किसी नदी या समुद्र जैसे पास के जल निकाय में विसर्जित करके समाप्त होता है, जिसे विसर्जन कहा जाता है।
टीवी अभिनेताओं ने इस बारे में खुलकर बात की कि वे इस साल त्योहार कैसे मनाने की योजना बना रहे हैं और कुछ यादगार पल…
View On WordPress
0 notes
'गम है किसी की प्यार में' 'अनुपमा'साठी डोकेदुखी ठरली, 'ये रिश्ता क्या कहलाता है'ला मिळाले हे स्थान
‘गम है किसी की प्यार में’ ‘अनुपमा’साठी डोकेदुखी ठरली, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ला मिळाले हे स्थान
टीआरपी लिस्ट 34 वा आठवडा 2022: ‘मिसिंग किसी की प्यार में’ ‘अनुपमा’साठी डोकेदुखी ठरली, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ला मिळाले हे स्थान
,
View On WordPress
0 notes
Kundali Bhagya: क्या धीरज धूपर मानेंगे फैंस की बात? करण लूथरा बनकर शो में करेंगे वापसी!
Kundali Bhagya: क्या धीरज धूपर मानेंगे फैंस की बात? करण लूथरा बनकर शो में करेंगे वापसी!
मुंबईः टीवी के पॉपुलर सीरियल ‘कुंडली भाग्य’ (Kundali Bhagya) को बीते दिनों धीरज धूपर (Dheeraj Dhoopar) ने अलविदा कह दिया था. अभिनेता ने खुद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए फैंस तक ये सूचना पहुंचाई थी. धीरज इन दिनों अपने नए शो की शूटिंग में व्यस्त चल रहे हैं. शो में वह ‘इश्कबाज’ फेम सुरभि चंदना के साथ स्क्रीन शेयर करते नजर आएंगे. अभिनेता ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें आप…
View On WordPress
0 notes
राहु का लग्न में होने से क्या परिणाम होता है ?
ज्योतिष शास्त्र में, राहु ग्रह का लग्न (Ascendant) में होना एक विशेष योग है और इसका प्रभाव जातक के जीवन पर होता है। यह ग्रह कर्म, भाग्य, और अज्ञान को प्रतिष्ठित करता है। यहां कुछ परिणाम दिए जा रहे हैं, लेकिन ये सामान्य निरूपन हैं और व्यक्ति की कुंडली और दशा के आधार पर इसका विशेष प्रभाव हो सकता है:
भौतिक और आत्मिक उन्नति: राहु का लग्न में होना व्यक्ति को अध्ययन, योग्यता, और उच्च शिक्षा में उन्नति प्रदान कर सकता है। व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समर्पित हो सकता है।
विद्या और बुद्धि: राहु का लग्न में होना व्यक्ति को विद्या, बुद्धि, और विचारशीलता में रुचि प्रदान कर सकता है। यह विद्यार्थी और शिक्षावान बनने में मदद कर सकता है।
अनौपचारिक समृद्धि: इस स्थिति में व्यक्ति को अनौपचारिक क्षेत्रों में समृद्धि हो सकती है, जैसे कि तकनीकी क्षेत्र, आईटी, और अन्य विज्ञान क्षेत्रों में।
विचारशीलता और आत्मविश्वास: राहु का लग्न में होना व्यक्ति को विचारशीलता, आत्मविश्वास, और अद्भुत विचारों की प्रवृत्ति प्रदान कर सकता है।
Note: यदि आपको अपनी जन्म कुंडली में जाना है की। आपकी कुंडली में क्या दोष है। या आपकी कुंडली से संबधी कोई भी जानकारी चाहिए। तो आप Kundli Chakra 2022 Professional सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। जो आपको बेहतर जानकरी दे सकता है।
0 notes
चलित कुंडली और गोचर कुंडली दोनो क्या होता है और दोनो के क्या अंतर होता है ?
चलित कुंडली (Transit Chart) और गोचर कुंडली (Natal Chart) दोनों ही ज्योतिष में महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं, और ये दोनों अलग-अलग प्रकार के कुंडलियों होते हैं।
चलित कुंडली (Transit Chart): चलित कुंडली या गोचर कुंडली वह कुंडली होती है जिसमें ग्रहों की वर्तमान स्थिति का विवरण होता है। यानी, यह बताता है कि ग्रह वर्तमान समय पर किस स्थान पर हैं और कैसे वे जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों को प्रभावित कर रहे हैं। चलित कुंडली के माध्यम से ज्योतिषाचार्य व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की घटनाओं के बारे में विवेचन करते हैं और संभावित प्रभावों का अनुमान लगाते हैं।
गोचर कुंडली (Natal Chart): गोचर कुंडली, जिसे जन्म कुंडली भी कहा जाता है, व्यक्ति के जन्म के समय की स्थिति का विवरण देती है। यह कुंडली व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं, भाग्य, स्वभाव, और क्षमताओं को विवेचित करने में मदद करती है। ज्योतिषाचार्य इस कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य में होने वाली घटनाओं और उनके प्रभावों का अध्ययन करते हैं।
अंतर: चलित कुंडली और गोचर कुंडली में मुख्य अंतर यह है कि चलित कुंडली वर्तमान समय की स्थिति का विवरण देती है, जबकि गोचर कुंडली व्यक्ति के जन्म के समय की स्थिति को विवेचित करती है। इसका मतलब है कि चलित कुंडली व्यक्ति के वर्तमान समय में किस तरह के प्रभावों को दर्शाती है, जबकि गोचर कुंडली व्यक्ति के पुराने प्रभावों को बताती है जो उसके जन्म के समय पर होते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र में, चलित कुंडली को ज्यादातर वर्तमान में होने वाले प्रभावों का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि गोचर कुंडली को व्यक्ति के जीवन के भविष्य में होने वाले प्रभावों का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
1 note
·
View note
Navamsha Kundli: लग्न कुंडली में नवमांश कुंडली क्या है महत्व, क्यों है इतनी जरूरीNavmansh Kundali: आप सभी को ज्ञात है कि कुंडली में नवें भाव को भाग्य का भाव कहा गया है। यानि आपका भाग्य नवां भाव है। इसी प्रकार भाग्य का भी भाग्य देखा जाता है ,जिसके लिए नवमांश कुंडली की आवश्यकता होती है।
0 notes