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यज्ञोपवीत धारणा कैसे बदलें, मंत्र
उपनिषद एक महत्वपूर्ण संस्कार है, एक हिंदू का कर्तव्य है ।
तीन वर्ण, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ने उनके लिए यह समारोह किया होगा ।
संस्कार पर मेरी पोस्ट पढ़ें।
पवित्र धागे के पहनने से आंतरिक आंख खुल जाती है ।
एक द्विज बन जाता है, दूसरी बार पैदा होता है
उपनिषद एक महत्वपूर्ण संस्कार है, एक हिंदू का कर्तव्य है । तीन वर्ण, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ने उनके लिए यह समारोह किया होगा । संस्कार पर मेरी पोस्ट पढ़ें।पवित्र धागे के पहनने से आंतरिक आंख खुल जाती है । एक द्विज बन जाता है, दूसरी बार पैदा होता है । उपवीडा साफ रहना चाहिए । इसे समय-समय पर बदलना होगा । इसे विवाह,होमास,पूजा,अपरा क्रिया जैसे विशेष अवसरों के लिए भी बदला जाता है । उपवेदा को बदलने का…
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i want a girl who can
"तू मेरा जानू है, तू मेरा दिलबर है.."
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मन के मेरे ये भ्रम कच्चे, मेरे ये कर्म लेके चले है कहाँ मैं तो जानू ही ना
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ओ रे केमरे वाले,
खिच ले मेरी तस्वीर यादगार के लिये |
मैंने तो बसा लिया है तुझे अपनी आँखों में,
अगली मुलाक़ात के लिये |
ना नाम जानू मैं तेरा …
जानू में ना तेरा घर |
बस तेरा फ़ोटोग्राफी का शौक़ मालूम ,
बना कर अपनी मल्लिका …
ले चल मुझे अपने संग |
इस मोहब्बत की मूरत में …
टकराया तू मुझसे ऐसा ,
ले गया तू मेरा नज़ारे देखने का मौक़ा |
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अक्टोबर
कुइरो लागेको बल्कोनी,
जहा बौलाएझैं गर्न खोज्छ असक्षम जिन्दगी
विभाजित हुदै किरण आउँछ, आवाज आउँछ र एक्लोपन आउँछ
त्यसैमा बिना माटो पुरिदै जानू,
हरेक समय आफ्नै छालासँग विद्रोह गर्नु... कोतार्नु
बल्कोनीमा वास्तविकता छुटिदै जान्छ, मस्तिष्कको आकाश साघुरिन्छ..
ती भनिरहन्छ, जाऔं
निलो समुद्रको गहिराइमा विसर्जित हौं
ठिक तिम्रो ऐंठन जस्तै...
महिना फेरिन्छ, धर्तिलाई फेरि सुम्सुम्याउनु पर्ने थियो
विस्मृतप्राय घटनाहरु घाटिमा गाठो पर्न थाल्छ..
कति रुझ्नु.. कति सुक्नु
मनभरि केही खसिरहेको जस्तो लाग्छ
मलाई आवाज आउदैन, मलाई पहिचान छैन
फेरि यस ऋतुमा म मानिदिन्छु कि यो सबै फगत पर्खाइ हो ।
के तिम्रो सारा शोकहरु विपनाभरि असुरक्षित र दिशाहिन हिडेको देख्छौं?
खेतको आली-आलीमा आघातको गन्ध चुहिन थाल्दछ
बर्तमन तिम्रो छायामा लुक्न खोज्छ..
अनि निलो रंग टासिंएको तिम्रो अप्राप्य आँखा..
कुनै रातको अमूर्त मृत्युु ... रगतविहिन.. आगोविहिन..
मात्र छातिभरि अभावको अंश बनी रहिरहन्छ ।
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Lord Hanuman chalisa
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजै
संकर सुवन केसरीनंदन
तेज प्रताप महा जग बन्दन
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचंद्र के काज संवारे
लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोबिद कहि सके कहां ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेस्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डर ना
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोइ अमित जीवन फल पावै
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि क�� दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम-जनम के दुख बिसरावै
अन्तकाल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरि भक्त कहाई
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप.
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#GodMorningTuesday
कबीर,पाँच तत्व का धड नही मेरा, जानू ज्ञान अपारा l सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा ll
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दिल की जो बातें हैं, बातें जो दिल की हैं,
दिल ही में रखना पिया|
लब तो ना खोलूँ मैं, खोलूँ ना लब तो पर,
आँखों से सब कह दिया|
पियू बोले, पिया बोले,
क्या ये बोले जानू ना।
the things your heart needs to say, keep them to your heart.
though i haven't said a word, your eyes have heard me.
my sweetheart says something, but i don't understand a thing.
—Piyu Bole, Parineeta, 2005.
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जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई ���ावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
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a vewy joyous vewy peaceful birthday full of lov 2 da bestest character ever n ever n ever n ever..! ( ྀི ೀ o̴̶̷᷄ o̴̶̷̥᷅ ) everyone wanting to giv him a bdai kissie pwz line up in orderly fashion ! ! tho … may i trouble u n’ ask that i go first :3 ?? hehe
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राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो..
राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो
श्यामा तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो
करना कृपा श्री राधे, हम आ गए हैं देखो,
राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो
1- चुन – चुन के फूल लाया, राधे मैं तेरी खातिर
मोर पंख साथ लाया, राधे मैं तेरी खातिर
द्वारे खड़ा हूं कब से, हम आ गए हैं देखो
राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो..
2- चुनरी भी साथ लाया, राधे मैं तेरी खातिर
कंगन भी साथ लाया, राधे मैं तेरी खातिर
बस एक नज़र तो डालो, हम आ गए हैं देखो
राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो..
3- बंशी की धुन पे राधे, नाचेंगे तेरी खातिर
सारी उमर ऐ राधे, गायेंगे तेरी खातिर
थोड़ा तो मुस्कुरा दो, हम आ गए हैं देखो।
राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो
करना कृपा श्री राधे, हम आ गए हैं देखो
राधे तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो
श्यामा तेरी शरण में, हम आ गए हैं देखो।
-आकाश त्रिपाठी जानू
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AISA KYUN HOTA HAI BAAR BAAR @Ishq Vishk
AISA KYUN HOTA HAI BAAR BAAR Hindi Lyrics #Alka Yagnik @Ishq Vishk
Song Credits:Song: Aisa Kyun Hota HaiMovie: Ishq VishkSinger: Alka YagnikLyricist: Sameer
Hindi Lyrics:मेरे दिल को ये क्या हो गया।मैं न जानू कहां खो गया,क्यों लगे, दिन में भी रात है,धूप में जैसे बरसात है।ऐसा क्यों होता है बार बार,क्या इसको ही कहते हैं प्यार?
मेरे दिल को ये क्या हो गया।मैं न जानू कहां खो गया,क्यों लगे, दिन में…
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क्या हो रहा क्यूं हो रहा ना जानू मैं क्या हो Best of kya ho raha hai kyu...
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कबीर, एक राम दशरथ का बेटा
एक राम घट घट में बैठा।
एक राम का सकल पसारा,
एक राम त्रिभुवन से न्यारा।।
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तीन राम को सब कोई धयावे,
चतुर्थ राम को मर्म न पावे।
चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे,
कहे कबीर सो हमपर आवे।।
अटपटा ज्ञान कबीर का,झटपट समझ न आए।
झटपट समझ आए तो,सब खटपट ही मिट जाए ।।
साचा शब्द कबीर का,सुनकर लागै आग ।
अज्ञानी सो जल जल मरे, ज्ञानी जाए जाग ।।
"कबीर" शब्द का अर्थ सर्वश्रेष्ठ,सर्वोतम,सबसे बड़ा,महान, है।
गौर कीजिए, असली भगवान को पहचानिए।
क का केवल नाम है ,ब से बरन शरीर।
र से रम रहा संसार ,ताका नाम कबीर॥
कबीर :-
हम ही अलख अल्लाह है, कुतुब गौस और पीर।
गरीबदास खालिक धणी, हमरा नाम कबीर॥
गरीब :-
अनंत कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हैं, ये कुल के सृजनहार॥
दादू:-
जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, वो कबीर सृजनहार॥
कबीर :-
ना हमरे कोई मात-पिता, ना हमरे घर दासी।
जुलाहा सुत आन कहाया, जगत करै मेरी हाँसी॥
कबीर :-
पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर।
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर॥
कबीर :-
ना हम जन्मे गर्भ बसेरा, बालक होय दिखलाया।
काशा शहर जलज पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया॥
कबीर :-
सतयुग में सत्यसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरा, द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया
कबीर :-
अरबों तो ब्रह्मा गये, उन्नचास कोटि कन्हैया ।
सात कोटि शम्भू गये, मोर एक पल नहीं पलैया॥
कबीर :-
नहीं बूढा नहीं बालक, नहीं कोई भाट भिखारी।
कहै कबीर सुन हो गोरख, यह है उम्र हमारी॥
कबीर :-
पाँच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानू ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा॥
कबीर :-
हाड- चाम लहू नहीं मेरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी॥
कबीर :-
अधर द्वीप ( सतलोक ) भँवर गुफा, जहाँ निज वस्तु सारा।
ज्योति स्वरूपी अलख निरंजन भी, धरता ध्यान हमारा॥
कबीर :-
जो बूझे सोई बावरा, पूछे उम्र हमारी।
असंख्य युग प्रलय गई, तब का ब्रह्मचारी॥
कबीर :-
अवधू अविगत से चल आया, मेरा कोई मर्म भेद ना
पाया ॥
#Real_Lord_Kabir
God on Earth
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