परम सत्य क्या है : Satya Ka Kya Arth Hai, उद्देश्य, परिभाषा
सत्य क्या है, Satya Ka Kya Arth Hai
: 1.सत्य शाश्वत है, धर्म है 2.जन्म व मृत्यु सत्य है 3.दया व कर्तव्यों का पालन सत्य है 4.सत्य परमेश्वर
परम सत्य क्या है : Satya Ka Kya Arth Hai,
परम सत्य को जानने से पहले आपको परम सत्य के ज्ञान को समझना जरुरी है। जिससे तीन रूपों में व्यक्त किया गया हैं, ब्रह्म, परमात्मा तथा भगवन, के रूप व्यक्त किया गया हैं। इन तीन दिव्य पक्षों को सूर्य के हष्टान्त द्वारा समझ सकते हैं।
क्योंकि उनके भी तीन अलग अलग पक्ष हैं। – जैसे धुप (प्रकाश), सूर्य की सतह तथा सूर्यलोक स्वयं। जो सूर्य के प्रकाश का अध्ययन करता…
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राम नाम सत्य है क्यों बोला जाता है?
राम नाम सत्य है क्यों बोला जाता है?
इस नश्वर संसार में कोई भी इंसान अमर नहीं है। हर जन्म लेने वाले प्राणी को आखिरकार इस दुनिया से विदा लेना पड़ता है। जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो आपने देखा होगा कि शव यात्रा के दौरान साथ में चलने वाले लोग राम नाम सत्य है बोलते हैं। ऐसा लोग क्यों करते हैं और इसके पीछे की वजह क्या है, आइए जानते हैं।
राम नाम सत्य हैं क्यों कहा जाता हैं?
हमारे हिंदू धर्म में…
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ये रिश्ता क्या कहलाता है स्पॉयलर अलर्ट 2 जून 2022 अक्षराला अभिमन्यूच्या सत्याबद्दल माहिती मिळाली
ये रिश्ता क्या कहलाता है स्पॉयलर अलर्ट 2 जून 2022 अक्षराला अभिमन्यूच्या सत्याबद्दल माहिती मिळाली
ये रिश्ता क्या कहलाता है स्पॉयलर अलर्ट २ जून २०२२: स्टार प्लसची दमदार मालिका ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ सध्या खूप गाजत आहे. प्रणाली राठोड आणि हर्षद चोप्रा यांच्या शोमध्ये सतत येणारे ट्विस्ट्स आणि टर्न्सने लोकांची उत्कंठा सातव्या आसमानावर नेली आहे. दिवस निघून गेले ‘या नात्याला काय म्हणतात?‘ (ये रिश्ता क्या कहलाता है) दाखवते की अक्षरा कौटुंबिक भांडणात अडकते आणि यामुळे अभिमन्यूला राग येतो. मात्र,…
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सम्भोग जीवन का सत्य हैं ?
एक औरत कितनी प्यासी कितनी कामवासनाओं से भरी है एक औरत अपने मन के अश्लील और कामुक विचार को
सिर्फ बिस्तर पर किसी मर्द की बाहों में लिपट कर अपनी अदाओं से व्यक्त करती है
जो मर्द उसकी इन अदाओ को समझ जाता है सिर्फ वही मर्द चरमसुख पाने का हकदार होता हैं
तुम कामुक लगती सुंदर सी यौवन आकर्षण करते हैं कामुक सी कोई हूर लगे देखें तो जलते रहते हैं
मेरी इतनी सी कसक मेरे पावन मन में अभी बाकी है मुझे सपने आते रातों में संभोग को तडपते हैं
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता हैं रोता है दिल जब वो पास नहीं होताहै
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता हैं
वासना उम्र नही देखती,चेहरा बता देता है प्यास कितनी है
वैसे बड़ी उम्र की स्त्रियां उनका शरीर बहुत चंचल और कामुक होती है
बड़ी उम्र की औरते छोटी उम्र के मर्दों को आनंद देना और लेना दोनो जानती है
भरा हुआ बदन बता देता है कि इमारत अभी मजबूत है
यह जिस्म लगे सुलगे शोला चिंगारी किसने भडकाई बस सहलाने की आदत है ठंडी चलती जब पुरवाई
हर तरफ़ फिजाओं में महके खुशबू गोरे गोरे तन की गली सडक बाजारें और जन मानस भी महकते हैंबहुत खूबसूरत है तेरे इन्तजार का आलम बेकरार सी आँखों में इश्क बेहिसाब लिए बैठे है
महिलाएं संभोग के दौरान उन पुरुषों को पंसद नही करती है जो पुरुष उन्की तुलना
किसी दूसरी महिलाओं से करते है महिलाएं सिर्फ अपनी तारीफ करने वाले को पंसद करती है
जंग में कागज़ी अफ़रात से क्या होता है हिम्मतें लड़ती हैं तादाद से क्या होता है
आपके होठों को चूमने का आदमी करता है आपके साथ जिंदगी जीने का मन करता है
आपके जैसा हजारो होंगे इस दुनिया में लेकिन रात आपके साथ गुज़रने का मन करता है
प्यार की परीक्षा कहाँ होती है खुशी एक छोटा सा स्पर्श है!
कुछ पल तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ बाकी बल कहा किया गया है ...
क्या आपको किसी से बेइंतहा प्यार है इनमें से थोड़ा सा बाजार में बिक जाता है!
भले ही आप दे सकते हैं और अगर आप दे नहीं सकते तो भी मुझे जो एहसास है,
क्या मैं अपने सामने पैदा हो सकता हूँ मेरे पास खुशी नहीं है अब मेरे पास कोई है,
पहले जैसा प्यार अब कहा किया जाता है सुख हो या दुख हाथ से छू रहा है
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#गीता_तेरा_ज्ञान_अमृत_Part_26
क्या गुरू बदल सकते हैं?
धर्मदास ने प्रश्न किया:-
प्रश्न 52 (धर्मदास जी का):- हे प्रभु क्या गुरु बदल सकते हैं?
सुना है सन्तों से कि गुरु नहीं बदलना चाहिए। गुरु एक, ज्ञान अनेक।
उत्तर (सत्यपुरुष का):- जब तक गुरु मिले नहीं साचा, तब तक गुरु करो दस पाँचा।
कबीर झूठे गुरु के पक्ष को, तजत न लागै वार। द्वार न पावै मोक्ष का, रह वार का वार।।
भावार्थ: जब तक सच्चा गुरु (सतगुरु) न मिले, तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए। चाहे कितने ही गुरु क्यों न बनाने पड़ें और बदलने पड़ें। झूठे गुरु को तुरन्त त्याग देना।
कबीर, डूबै थे पर उभरे, गुरु के ज्ञान चमक। बेड़ा देखा जरजरा, उतर चले फड़क।।
भावार्थ: जिस समय मुझे सत्य गुरु मिले, उनके ज्ञान के प्रकाश से पता चला कि हमारा ज्ञान और समाधान (साधना) गलत है तो ऐसे गुरु बदल दिया जैसे किसी डर से पशु फड़क कर बहुत तेज दौड़ता है और जैसे रात्रि में सफर कर रहे यात्रियों को सुबह प्रकाश में पता चले कि जिस नौका में हम सवार हैं, उसमें पानी प्रवेश कर रहा है और साथ में सुरक्षित और साबुत नौका खड़ी है तो समझदार यात्री जिसने कोई नशा न कर रखा हो, वह तुरंत फूटी नौका को त्यागकर साबुत (Leak Proof) नौका में बैठ जाता है। मैंने जब काशी में कबीर जी सच्चे गुरु का यह ज्ञान सुना जो आपको सुनाया है तो जाति, धर्म को नहीं देखा। उसी समय सत्यगुरु की शरण में चला गया और दीक्षा मन्त्र लेकर भक्ति कर रहा हूँ। सतगुरु ने मुझे दीक्षा देने का आदेश दे रखा है। हे धर्मदास! विचार कीजिए यदि एक वैध से रोगी स्वस्थ नहीं होता तो क्या अन्य डाॅक्टर के पास नहीं जाता?
धर्मदास ने कहा कि जाता है, जाना भी चाहिए, जीवन रक्षा करनी चाहिए। परमेश्वर ने कहा कि इसी प्रकार मनुष्य जन्म जीव कल्याण के लिए मिलता है। जीव को जन्म-मरण का दीर्घ रोग लगा है। यह सत्यनाम तथा सारनाम बिना समाप्त नहीं हो सकता। दोनों मंत्र काशी में सतगुरु कबीर रहते हैं, उनसे मिलते हैं, पृथ्वी पर और किसी के पास नहीं हैं। आप काशी में जाकर दीक्षा लेना, आपका कल्याण हो जाएगा क्योंकि सत्यगुरु के बिना मेरा वह सत्यलोक प्राप्त नहीं हो सकता।
धर्मदास जी ने कहा कि आप स्वयं सत्य पुरूष हैं। अब मैं धोखा नहीं खा सकता। आप अपने को छुपाए हुए हैं। हे प्रभु! मैंने गुरु रुपदास जी से दीक्षा ले रखी है। मैं पहले उनसे गुरु बदलने की आज्ञा लूँगा, यदि वे कहेंगे तो मैं गुरु बदलूंगा परन्तु धर्मदास की मूर्खता की हद देखकर परमेश्वर छठी बार अन्तध्र्यान हो गए। धर्मदास जी फिर व्याकुल हो गए। पहले रुपदास जी के पास गए जो श्री कृष्ण अर्थात् श्री विष्णु जी के पुजारी थे। जो वैष्णव पंथ से जुड़े थे।
धर्मदास जी ने सन्त रुपदास जी से सर्व घटना बताई तथा गुरु बदलने की आज्ञा चाही। सन्त रुपदास जी अच्छी आत्मा के इन्सान थे। उन्होंने कहा बेटा धर्मदास! जो ज्ञान आपने सुना है जिस जिन्दा बाबा से, यह ज्ञान भगवान ही बता सकता है। मेरी तो आयु अधिक हो गई है। मैं तो इस मार्ग को त्याग नहीं सकता। आप की इच्छा है तो आप उस महात्मा से दीक्षा ले सकते हो।
तब धर्मदास जी काशी में गए, वहाँ पर कबीर जुलाहे की झोंपड़ी का पता किया। वहाँ कपड़ा बुनने का कार्य करते कबीर परमेश्वर को देखकर आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। खुशी भी अपार हुई कि सतगुरु तथा परमेश्वर यही है। तब उनसे दीक्षा ली और अपना कल्याण कराया। कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी को फिर दो अक्षर (जिस में एक ओम् ऊँ म���्त्रा है तथा दूसरा तत् जो सांकेतिक है) का सत्यनाम दिया। फिर सारनाम देकर सतलोक का वासी किया।
कलयुग में परमात्मा अन्य निम्न अच्छी आत्माओं (दृढ़ भक्तों) को मिलेः-
संत मलूक दास (अरोड़ा) जी को मिले।
संत दादू दास जी (आमेर, राजस्थान वाले) को मिले।
संत नानक देव जी को सुल्तानपुर शहर के पास बह रही बेई नदी पर मिले जहाँ गुरू द्वारा ’’सच्चखण्ड साहेब’’ यादगार रूप में बना है।
संत गरीब दास जी गाँव छुड़ानी जिला झज्जर (हरियाणा) वाले को मिले, उस स्थान पर वर्तमान में यादगार बनी हुई है।
संत गरीब दास जी 10 वर्ष के बच्चे थे। अपने ही खेतों में अन्य कई ग्वालों के संग गऊएं चराने जाया करते थे, परमेश्वर जिन्दा बाबा के रूप में सत्यलोक (सच्चखण्ड) से चलकर आए। यह लोक सर्व भवनों के ऊपर ही जहाँ परमात्मा रहते हैं, सन्त गरीब दास जी की आत्मा को ऊपर अपने लोक में परमेश्वर लेकर गए। बच्चे को मृत जानकर शाम को चिता पर रखकर अंतिम संस्कार करने वाले थे। तत्काल परमात्मा ने सन्त गरीबदास जी की आत्मा को ऊपर ब्रह्माण्डों का भ्रमण कराकर सत्य ज्ञान बताकर शरीर में प्रवेश कर दिया, बालक जीवित हो गया। यह घटना फाल्गुन शुद्धि द्वादशी संवत 1784 सन् 1727 की है। संत गरीब दास जी को परमात्मा ने तत्वज्ञान प्रदान किया। उनका ज्ञान योग खोल दिया। जिस कारण से संत गरीब दास जी ने 24 हजार वाणी बोली जो संत गोपाल दास जी द्वारा लिखी गई। उन अमृतवाणियों को छपवाकर ग्रन्थ रूप दे दिया है। यह दास (संत रामपाल दास) उसी से सत्संग किया करता है।
संत गरीब दास जी ने अमृत वाणी में कहा है:-
गरीब, हम सुलतानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जु��ाहा भेद ना पाया, काशी मांहे कबीर हुआ।।
गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरू पुरूष कबीर हंै, कुल के सिरजनहार।।
भावार्थ:- संत गरीब दास जी ने परमात्मा से प्राप्त दिव्य दृष्टि से देखकर भूत-भविष्य का ज्ञान कहा है, बताया है कि जो काशी नगर (उत्तर प्रदेश) में जुलाहा कबीर जी थे। वे सर्व ब्रह्माण्डों के सृजनहार हैं। सर्व ब्रह्माण्डों को अपनी शक्ति से ठहराया है। परमेश्वर कबीर जी पर उनका कोई भार नहीं है। जैसे वैज्ञानिकों ने हवाई जहाज, राॅकेट बनाकर उड़ा दिये, स्वयं भी बैठ कर यात्रा करते हैं, इस प्रकार संत गरीब दास जी ने परमेश्वर जी को आँखों देखकर उनकी महिमा बताई है।
संत घीसा दास जी गाँव-खेखड़ा जिला बागपत (उत्तर प्रदेश) को मिले थे। पुस्तक विस्तार को मध्यनजर रखते हुए अधिक विस्तार नहीं कर रहा हूँ, अधिक जानकारी के लिए www.jagatgururampalji.org से खोलकर अधिक ज्ञान ग्रहण कर सकते हैं।
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प्रश्न:- क्या प्रारब्ध कर्म जो भाग्य में लिखा है, बदला जा सकता है।
उत्तर:- जब पूर्ण संत जो परमेश्वर कबीर जी स्वयं या उनका कृपा पात्र संत मिल जाता है तो पाप कर्म जो प्रारब्ध में हैं या संचित कर्मों में हैं, वह सत्य साधना से समाप्त हो जाता है।
कबीर, जब ही सतनाम हृदय धर्यो, भयो पाप को नाश।
जैसे चिनगी अग्नि की, पड़ै पुरानै घास।।
गरीब, मासा घटै न तिल बधै, विधना लिखे जो लेख।
साच्चा सतगुरू मेटि कर, ऊपर मारै मेख।।
गरीब, जम जौरा जा से डरें, मिटे कर्म के लेख।
अदली असल कबीर हैं, कुल के सतगुरू एक।।
जब तक पूर्ण संत कबीर जी की भक्ति नहीं करता और करवाता है। तब तक (कबीर जी ने कहा है) कर्म रेख टारी न टरे।
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कुछ भी बन बस कायर मत बन
कुछ भी बन बस कायर मत बन,
ठोकर मार पटक मत माथा तेरी राह रोकते पाहन।
कुछ भी बन बस कायर मत बन।
युद्ध देही कहे जब पामर,
दे न दुहाई पीठ फेर कर
या तो जीत प्रीति के बल पर
या तेरा पथ चूमे तस्कर
प्रति हिंसा भी दुर्बलता है
पर कायरता अधिक अपावन
कुछ भी बन बस कायर मत बन।
ले-दे कर जीना क्या जीना
कब तक गम के आँसू पीना
मानवता ने सींचा तुझ को
बहा युगों तक खून-पसीना
कुछ न करेगा किया करेगा
रे मनुष्य बस कातर क्रंदन
कुछ भी बन बस कायर मत बन।
तेरी रक्षा का ना मोल है
पर तेरा मानव अमोल है
यह मिटता है वह बनता है
यही सत्य कि स��ी तोल है
अर्पण कर सर्वस्व मनुज को
न कर दुष्ट को आत्मसमर्पण
कुछ भी बन बस कायर मत बन।
~नरेंद्र शर्मा
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Sadhna TV Satsang 13-05-2024 || Episode: 2926 || Sant Rampal Ji Maharaj ...
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Sant Rampal Ji Maharaj
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👉🏽🙏📚सृष्टि रचना के आदिकाल में एकमात्र सनातन धर्म महान था!
जिसका मुख्य लक्ष्य मानव धर्म था !
अन्य किसी प्रकार का धर्म नहीं था!
यह विषय विचारणीय है !
👉🏽मनुष्य जन्म में परमेश्वर ने इतनी सद्बुद्धि विवेक दिया है कि हम इस विषय को विचार सकें और अपनी मानव जन्म का लक्ष्य तय कर सकें!
अपने धर्म ग्रंथो से ही
हम अपने मानव जीवन को के लक्ष्य को तय करने के लिए _सत्य और असत्य की पहचान कर सकते हैं + संत और असंत की पहचान कर सकते हैं + हमारा मानव धर्म क्या है ? इसकी पहचान कर सकते हैं + सृष्टि को रचने वाला और हम आत्माओं को रचने वाला वह सर्वश्रेष्ठ सर्वोत्तम सम्राट सुखसागर परमपिता परमेश्वर हम आत्माओं का मालिक कौन है ? जो परम दयालु है, कृपालु है, क्षमाशील है , सर्वगुण संपन्न है, जिसके शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं है !
👉🏽इसका अर्थ यह है कि वह अपनी आत्माओं को सर्व सुख दे सकता है!
और देना चाहता है ! क्या हम उसकी शरण में हैं?
क्या हम उसका ध्यान कर रहे हैं ? इस सब की पहचान हमें हमारे धर्म ग्रंथो से होगी ?
कृपया अपने धर्म ग्रंथो की पहचान के लिए_
👉🏽 अवश्य सुने !
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग के मंगल प्रवचन !
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🙏मानव जीवन अनमोल है !
मोक्ष के लिए प्राप्त हुआ है!
सत भक्ति करने से ही मोक्ष मिल सकता है!
कृपया विवेक विचार कीजिए!
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गुरु बिना मोक्ष असंभव
महावीर स्वामी जी ने अपने प्रथम उपदेश में अहिंसा, करुणा और सत्य की शिक्षा दी। महावीर जी का जीवन भगवान की भक्ति में ही बीता परंतु उन्होंने कोई गुरु नहीं बनाया और बिना गुरु के जीवन सफल नहीं माना जाता। गुरु नहीं बनाए जाने और मनमुखी साधना करने के कारण ही उनका मोक्ष नहीं हुआ ऐसा कबीर भगवान ने सूक्ष्मवेद में बताया है। सभी महावीर स्वामी जी के वचनों पर चलने वाले साधकों से निवेदन कि सत्य भक्ति और मोक्ष मार्ग वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के पास है उनकी शरण में आए और अपने जीवन का कल्याण करवाएं।
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महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि विशेष…
🔱 महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे?
❀ महा शिवरात्रि - Maha Shivaratri
महा शिवरात्रि मंत्र:
❀ श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र
❀ लिङ्गाष्टकम्
❀ शिव तांडव स्तोत्रम्
❀ सौराष्ट्रे सोमनाथं - द्वादश ज्योतिर्लिंग
❀ महामृत्युंजय मंत्र, संजीवनी मंत्र
❀ शिवाष्ट्कम्
❀ दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं
❀ शिव स्वर्णमाला स्तुति
❀ कर्पूरगौरं करुणावतारं
❀ बेलपत्र / बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र
महा शिवरात्रि आरतियाँ:
❀ शिव आरती: जय शिव ओंकारा
❀ शिव आरती: ॐ जय गंगाधर
❀ हर महादेव आरती: सत्य, सनातन, सुंदर
❀ श्री पार्वती माँ की आरती
❀ जय अम्बे गौरी आरती
❀ ॐ जय जगदीश हरे आरती
महा शिवरात्रि भजन:
❀ इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी
❀ शीश गंग अर्धंग पार्वती
❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
❀ हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ
❀ ॐ शंकर शिव भोले उमापति महादेव
❀ शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
❀ चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो
❀ हे भोले शंकर पधारो
❀ सुबह सुबह ले शिव का नाम
❀ शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर
❀ मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा
❀ शिव भजन
महा शिवरात्रि चालीसा:
❀ शिव चालीसा
❀ पार्वती चालीसा
शिव नामावली:
❀ श्री शिवसहस्रनामावली
❀ श्रीरुद्राष्टकम्
❀ शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम्!
महा शिवरात्रि कथा:
❀ महा शिवरात्रि पूजन कथा
❀ श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा
❀ श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा
❀ श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा
❀ श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति पौराणिक कथा
❀ हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा
❀ गोपेश्वर महादेव की लीला
शिव मंदिर:
❀ द्वादश(12) शिव ज्योतिर्लिंग
❀ दिल्ली के प्रसिद्ध शिव मंदिर
❀ सोमनाथ के प्रमुख सिद्ध मंदिर
❀ भुवनेश्वर के विश्व प्रसिद्ध मंदिर
ब्लॉग:
❀ रुद्राभिषेक क्या है?
❀ महाशिवरात्रि को महासिद्धिदात्री क्यों कहा जाता है?
❀ महाशिवरात्रि में क्यों उजागर रहते हैं लोग?
आज की तिथि | आज का विचार | वंदना | प्रेरक कहानियाँ..
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🔮मानव कल्याण हेतु संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष व त्याग🔮
17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी महाराज को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से दिक्षा मिली।
इस शुभ दिन को संत भाषा में आध्यात्मिक जन्म दिवस ( बोध दिवस) कहा गया है।
सन 1994 में अपने प���ज्य गुरु देव स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से नामदान करने की आज्ञा प्राप्त हुई। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण, मानव कल्याण के लिए संत रामपालजी महाराज ने अपनी जे.ई. की सरकारी पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया था।
संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष शुरू होता है। सन 1994 के बाद संत रामपाल जी महाराज जी जूनियर इंजीनियर की नौकरी और खुशहाल परिवार को छोड़ कर पूरे विश्व की आत्माओं को जगाने में लग गए। उसके बाद संत रामपाल जी महाराज जी ने दिन रात एक करके भक्त समाज को जागरूक किया और भटकी हुई आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखाते हुए कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
सत्य ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी ने गांव-गांव, नगर-नगर शहर में दिन रात कभी पैदल, कभी साईकिल, कभी बस, ट्रेन, बाईक, कार में चलकर सत्संग किये व नकली गुरुओं द्वारा फैलाये गए अज्ञान को जनता के रूबरू किया। जिससे उन्हें नकली गुरुओं के बहकावे में आये श्रद्धालुओं के घोर विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने इस अनमोल मिशन को जारी रखा व सत्य ज्ञान को मानने पर भक्त समाज को मजबूर कर दिया।
आसानी से जनता तक सत्य प्रमाणित ज्ञान पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी संतों को आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए निमंत्रण भेजे ताकि सत्य क्या है, जनता इसे खुद अपनी आंखों से देखे। लेकिन किसी भी संत ने इस निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया जिसके कारण प्रोजेक्टर के माध्यम से लोगों को सच्चाई से परिचित करवाने में संत रामपाल जी महाराज जी को लंबा समय लगा।
मानव समाज पर परोपकार करते हुए 20-20 घंटों तक दिन रात कार्य करके सत्यज्ञान युक्त अनमोल पुस्तकें लिखी और करोड़ों पुस्तकें आम समाज में मुफ़्त वितरित की ताकि भोली जनता भगवान की सत्य महिमा जानकर, उसे पहचानकर अपना कल्याण करा सके।
अलग-अलग पंथों द्वारा फैलाये गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी को घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े। आज उनका ज्ञान भारत देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जोरों शोरों पर फैल रहा है जिससे आज सर्व भगत समाज को सतभक्ति सुलभ हुई।
बेटियों को सुखी करने के लिए दहेज प्रथा रूपी दानव को समाप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर उनके हज़ारों शिष्य दहेज मुक्त शादी कर रहे हैं। जिससे बेटियाँ दहेज प्रथा के कारण प्रताड़ित होने से बचेंगी।
वर्तमान में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही हैं जो शास्त्र अनुकूल सतभक्ति विधि से भक्त समाज को दहेज, नशा, पाखंड, भ्रष्टाचार, छुआछूत, रिश्वतखोरी व काल के दुखों से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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क्या किसी भी मंत्र से भगवान प्राप्त किया जा सकता है | Factful Debates
सच्चे गुरू की पहचान उसके ज्ञान से होती है सत्य और असत्य की जानकारी शास्त्रो के ज्ञान से ही हो सकती है हमारे धर्म गुरु जो ज्ञान बताते है यदि वह हमारे पवित्र शास्त्रों से नही मैल खाता है तो वह हमे नही मानना है l
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क्या हमारे पवित्र शास्त्रों में देवी दुर्गा को ही अष्टांगी, प्रकृति, सनातनी, त्रिदेव जननी कहकर संबोधित किया गया है?
#माँ_को_खुश_करनेकेलिए पढ़ें ज्ञान गंगा
अधिक जानकारी के लिए देखें SA True Story सत्य घटनाओं पर
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#GodMorningTuesday
प्रश्न:- क्या प्रारब्ध कर्म जो भाग्य में लिखा है, बदला जा सकता है।
उत्तर:- जब पूर्ण संत जो परमेश्वर कबीर जी स्वयं या उनका कृपा पात्र संत मिल जाता है तो पाप कर्म जो प्रारब्ध में हैं या संचित कर्मों में हैं, वह सत्य साधना से समाप्त हो जाता है। #TuesdayThoughts
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