600 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी द्वारा इस लोक में ऐसे कई चमत्कार किए गए हैं जो मात्र ईश्वर द्वारा किए जा सकते हैं। किसी मायावी अथवा साधारण व्यक्ति द्वारा यह संभव नहीं हैं जैसे भैंसे से वेद मंत्र बुलवाना, सिकंदर लोदी के जलन का रोग ठीक करना, मुर्दे को जीवित करना, यह शक्ति मात्र ईश्वर के पास होती है तथा इसके अतिरिक्त काशी में बहुत विशाल भंडारे का आयोजन करना।
शेखतकी ने काशी के सारे हिन्दू, मुसलमान, पीर पैगम्बर, मुल्ला काजी और पंडितो को इकट्ठा करके कबीर परमेश्वर के खिलाफ षडयंत्र रचा। सोचा कबीर निर्धन व्यक्ति है। इसके नाम से पत्र भेज दो की कबीर जी काशी में बहुत बड़े सेठ हैं। वह काशी शहर में तीन दिन का धर्म भोजन-भण्डारा करेंगे। सर्व साधु संत आमंत्रित हैं। पूरे हिंदुस्तान में झूठी चिट्ठियां भेजकर खूब प्रचार करवा दिया की प्रतिदिन प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर (कीमती कम्बल) और एक सोने की मोहर दक्षिणा में देगें। एक महीने पहले ही प्रचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरे हिंदुस्तान से 18 लाख भक्त तथा संत व अन्य व्यक्ति लंगर खाने काशी में चौपड़ के बाजार में आकर इकट्ठे हो गए। जब संत रविदास जी को यह खबर लगी तो कबीर जी से पूरा हाल बयां किया। परमात्मा कबीर जी तो जानीजान थे। फिर भी अभिनय कर रहे थे। रविदास जी से कहा कि रविदास जी झोपड़ी के भीतर आ जाओ और कुंडी लगा लो हम सुबह होते ही यहां से निकल लेंगें इस बार तो हमारे ऊपर बड़ा जुल्म कर दिया है इन लोगों ने।
एक तरफ तो परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी अपनी झोपड़ी में बैठे थे और दूसरी तरफ परमेश्वर कबीर जी अपनी राजधानी सतलोक में पहुँचे। वहां से केशव नाम के बंजारे का रूप धारण करके कबीर परमात्मा 9 लाख बैलों के ऊपर बोरे (थैले) रखकर उनमें पका-पकाया भोजन (खीर, पूड़ी, हलुवा, लड्डू, जलेबी, कचौरी, पकोडी, समोसे, रोटी दाल, चावल, सब्जी आदि) भरकर सतलोक से काशी नगर की ओर चल पड़े। सतलोक की हंस आत्माएं ही 9 लाख बैल बनकर आए थे। केशव रूप में कबीर परमात्मा एक तंबू में डेरा देकर बैठ गए और भंडारा शुरू हुआ। बेईमान संत तो दिन में चार-चार बार भोजन करके चारों बार दोहर तथा मोहर ले रहे थे। कुछ सूखा सीधा (चावल, खाण्ड, घी, दाल, आटा) भी ले रहे थे।
इस भंडारे की खास बात यह थी कि परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पापनाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय-3 श्लोक-13 में है।
धर्म यज्ञ बहुत श्रेष्ठ होती हैं भोजन भंडारा करवाना धर्म यज्ञ में आता है भंडारे से वर्षा होती है वर्षा से धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता और पुण्य मिलता है।
ऐसे पुण्य के कार्य वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज जी द्वारा किए जा रहे हैं उनके सानिध्य में 10 जगहों पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है इस भंडारे में शुद्ध देशी घी के पकवान जैसे रोटी, पूरी, सब्जी, लड्डू, जलेबी, हलवा, बूंदी आदि–आदि बनाए जाते हैं। जो पूर्ण परमेश्वर को भोग लगाने के पश्चात भंडारा करवाया जाता है। इस समागम में लाखों की संख्या में देश विदेश से आए श्रद्धालुों का तांता लगा रहा रहता है। परमेश्वर की अमर वाणी का अखंड पाठ, निःशुल्क नामदीक्षा चौबीसों घंटे चलती रहेगी। जिसमें आप सभी सादर आमंत्रित हैं।
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26-27-28 नवंबर 2023
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
यहाँ जनवरी में बारिश आम नहीं है, बढ़ती ठंड में शायद ये भी शामिल होने आयी है, खेर सुबह से ही मन के गलियारों में स्मृतियाँ गोते खा रही है, अब बारिश की आवाज़ से उनको एक धुन मिल जाएगी। अक्सर मैं सोचता हूँ कैसे तीन या चार दिन शांति और सुकून में निकलने के बाद मैं फिर अपने को अनुभूतियों के किसी तूफ़ान में फँसा पता हूँ, ये किसी चक्र में घूमते रहने जैसा है और इससे निकलना उतना ही मुश्किल। अलास्का को लगता है किसी भी भूलभुलैया से निकलने का सबसे आसान तरीक़ा है “straight and fast” लेकिन शायद ज़्यादा बेहतर होगा माफ़ कर देना; खुदको, हालातों को, शिकायतों को क्योंकि हम किसी और की वजह से कहीं नहीं फँसते है, हम रुक जाते है क्योंकि हम खुद से उदास होते है, हम खुदको वो नहीं दे पाते जो हमें लगता है, हमें मिलना चाहिए। पर छोड़ो सेजल की बात पर इसको ख़त्म करते है “जो मिला है शायद वही माँगा होगा, सोच कर देखो”
मेरा नाम समीर है मैं बहराइच शहर का रहने वाला हूँ. मैं पाँच फिट ग्यारह इंच लम्बा हूँ और मेरे बाल काफ़ी लम्बे हैं.
मैं अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा स्मार्ट हूँ.
सेक्स मेरी कमज़ोरी है.
किसी भी लड़की को देखता हूँ तो अपने पर कंट्रोल नहीं कर पाता और मौक़ा मिलते ही मुठ मार लेता हूँ.
मैं अपने दोस्त जुनैद खान की शादी में ना जा सका था.
उस दिन किसी काम के सिलसिले में फंस गया था.
उसके बाद मैं अपने कामों में ऐसा फंसा कि क़रीब पाँच साल तक दोस्ती यारी सब भूल गया.
जब मैं काम से थोड़ा आजाद हुआ तो दोस्तों की याद आई.
मगर अब दोस्त भी सब अपने अपने कामों में लगे हुए थे.
फिर एक दिन अचानक से जुनैद से यहीं मार्केट में मुलाक़ात हुई.
उसके साथ उसकी बीवी भी थी.
हम दोनों दोस्त अपनी बातों में मस्त हो गया.
कुछ देर में मेरी नज़र जुनैद की बीवी पर पड़ी.
वह बड़ी मस्त माल थी. यह Xxx सेक्सी हिंदी कहानी उसी के साथ की है.
उसके 36 साइज़ के चूचे और 38 इंच की गांड एकदम आग बरपा रही थी.
मैंने भाभी से हैलो की और सॉरी बोलते हुए कहा- सॉरी भाभी, मैंने आप पर ध्यान ही नहीं दिया. हम दोनों दोस्त अपनी पुरानी यादों में मस्त हो गए, माफ़ी चाहता हूँ!
जुनैद की बीवी ने जवाब दिया- आपने मुझ पर ध्यान नहीं दिया, कोई बात नहीं. पर आप शादी में भी नहीं आए. जुनैद हमेशा आपकी बातें करते रहते थे. मैं भी आपसे मिलने को उतावली थी.
ये कहती हुई उसने मेरे हाथ को दबा दिया.
मैं समझ गया कि भाभी चालू माल है.
मैंने बात को खत्म करते हुए हंसते हुए कहा- अरे भाभी, यहीं सब बातें कर लेंगी या कभी घर भी बुलाएंगी.
फिर हमारी बातें ख़त्म हुईं.
भाभी ने जाते वक्त कहा- आपका घर है, जब चाहें आ जाएं. जुनैद तो रात को दो के बाद ही आते हैं. आपकी जब मर्ज़ी हो, आ जाइए.
मैं भाभी का इशारा समझ गया और वहां से निकलते हुआ बोला- ओके भाभी, आपसे जल्दी ही मिलता हूँ.
मैं वहां से निकल गया.
इस बात को दो दिन हो गए थे.
मैं घर पर आराम कर रहा था.
उसी वक्त व्हाट्सैप पर अनजान नम्बर से एक मैसेज आया ‘क्या कर रहे हो मेरी जान!’
मेरे दोस्त अक्सर मैसेज से मुझे परेशान करते रहते हैं तो मैंने इस मैसेज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया कि किसी दोस्त ने अनजान नंबर से मैसेज करके मुझसे शैतानी की होगी.
मैं उस मैसेज का बिना कोई जवाब दिए सो गया.
सुबह जब उठा तो देखा कि उसी नंबर से काफ़ी मैसेज आए हुए थे और दो मिस्ड कॉल भी थीं.
मैंने उसी नंबर पर कॉलबैक की, तो उधर से एक सुरीली सी आवाज़ आई- हैलो मिस्टर समीर, गुड मॉर्निंग. कैसी कटी आपकी रात!
मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे सीधा बोल दिया कि अपनी भाभी के साथ सपने में कबड्डी खेलता रहा.
मेरी इस बात से उस तरफ से ज़ोर ज़ोर की हंसी के साथ आवाज आई- सही पहचाना, मैं ही हूँ आपकी कबड्डी खेलने वाली भाभी.
मैंने एकदम से अपने कहे पर खेद जताते हुए उनसे पूछा- सॉरी मेम, आप कौन?
‘मैं नादिया भाभी बोल रही हूँ.’
मैंने अब स्क्रीन पर उनका नंबर और ट्रू कॉलर पर आया हुआ नाम देखा.
फिर कहा- जी हां मुझे पता लग गया है. ट्रू कॉलरपर आपका नाम लिखा हुआ आया है. आप बताएं भाभीजान … सुबह सुबह अपने देवर को कैसे याद कर लिया?
वह बोली- सुबह सुबह तो छोड़िए, मैं तो सारी रात से आपको काफ़ी याद कर रही थी. कई मैसेज किये और दो बार कॉल भी किया, पर आपने फ़ोन ही नहीं उठाया. लगता है मुझसे नाराज��� हैं?
मैंने कहा- अरे भाभी जान, आपसे नाराज़ होकर कहां जाऊंगा. अपन तो दिल से ही आपके ही पास हैं.
वह हंसती हुई कहने लगी- काफ़ी अनुभव है आपको बात करने का … लगता है काफ़ी गर्लफ़्रेंड पटा रखी हैं.
मैं बोला- गर्लफ्रेंड तो नहीं, हां आप जैसी कुछ भाभियां हैं. जो समय समय पर अनुभव करवा देती हैं.
नादिया भाभी मेरी बात को क़ाटती हुई बोली- अच्छा वो सब छोड़ो … ये बताओ कि क्या आप मेरे घर आ सकते हैं?
मैंने कहा- कोई ज़रूरी काम हो, तो अभी आ जाऊं?
उधर से जवाब आया- अरे यार समीर … कल से जुनैद घर पर है नहीं. मैं अकेले बोर हो रही हूँ. आप आ जाएंगे तो आपसे जरा दिल बहला लूँगी.
मैं खुश होते हुए बोला- भाभी अभी तो सुबह हुई है, रात को आता हूँ.
उसने कहा- चलो मैं आपका इंतजार करूंगी.
कुछ देर और इधर उधर की बातचीत के बाद मैंने फ़ोन कट कर दिया.
अब मुझे और भाभी को रात का बेसब्री से इंतज़ार था कि कब रात हो और हम दोनों का मिलन हो.
मैं सोच रहा था कि बस कैसे भी करके नादिया भाभी को चोद लूं.
तो मैं नहाने गया तो झांटें साफ कर लीं.
रात होते ही मैंने मेडिकल से दो पैकेट कंडोम के ले लिए और भाभी के घर चला आया.
उनके घर पहुंचते ही मैंने दरवाजे की घंटी बजाई.
कुछ पल बाद दरवाज़ा खुला. दरवाजा खुलते ही मैं भाभी को देखता रह गया.
भाभी तो कहीं से शादीशुदा लग ही नहीं रही थी. उसने शॉर्ट्स और टॉप पहना था.
उसका रेड कलर का टॉप एकदम पारदर्शी था.
उस टॉप में से भाभी के दोनों चूचे और उन पर तने हुए गुलाबी निप्पल साफ़ दिख रहे थे.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
सीन देख कर तो दिल कर रहा था कि अभी ही इसे पकड़ कर चोद दूँ. पर ऐसा करना ठीक नहीं होता है.
सेक्स का जो मज़ा आराम से करने में है, वह ज़बरदस्ती में नहीं है.
हालांकि मेरा मुँह खुला का खुला रह गया था.
भाभी ने इतराते हुए कहा- अन्दर आ जाओ, फिर इस खुले हुए मुँह का इलाज भी कर देती हूँ.
मैं झेंप गया.
अन्दर जाते ही मैंने अपनी पैंट एडजस्ट की क्योंकि मेरा लंड खड़ा हो गया था.
भाभी ने बैठने को कहा और बोली- क्या लोगे, चाय कॉफ़ी!
मैंने कहा- भाभी आप जो देंगी, प्यार से ले लूँगा. वैसे दूध मिल जाता तो और अच्छा होता.
भाभी मुस्कुराती हुई अपने दूध हिला कर बोलीं- ठीक है, मैं लाती हूँ.
वह किचन जाने के लिए मुड़ी ही थी कि मैंने हाथ बढ़ाया और भाभी को अपनी ओर खींच लिया.
हम दोनों बेड पर गिर गए.
भाभी ने कहा- अरे, ये क्या कर रहे हो देवर जी?
मैंने कहा- भाभी, मैं तो दूध ताज़ा वाला ही पीता हूँ.
ये कहते हुए मैंने भाभी का टॉप तेज़ी से खींचा और उसको बाहर निकाल फेंका.
मैं उसके दोनों रसभरे चूचों पर टूट पड़ा.
भाभी की 36 साइज़ की चूचियां मेरे हाथों में नहीं आ रही थीं.
नादिया भाभी को अपने नीचे दबा कर उसकी दोनों चूचियों को हाथ से पकड़ कर मसलने लगा और एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर खींच खींच कर चूसने लगा.
भाभी की मादक आहें और कराहें निकलना शुरू हो गईं.
मैंने क़रीब दस मिनट तक भाभी के दोनों चूचे चूसे … और चूस चूस लाल कर दिए.
अब हम दोनों का किस चालू हुआ.
मैं भाभी के पूरे बदन पर किस करता रहा.
वह आपे से बाहर हो रही थी.
किस करते करते मैं नीचे को सरकने लगा और भाभी की चूत पर आ गया.
भाभी की चूत शॉर्ट्स से ढकी हुई थी.
मैंने झटके से शॉर्ट्स को उतारा और चूत के अन्दर अपनी ज़ुबान डाल कर चूसने लगा.
अपनी चूत पर मेरी जुबान का अहसास पाते ही भाभी एकदम से सिहर उठी और छटपटाने लगी.
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने हाथों से दबोचा और चूत को चाटना शुरू कर दिया.
भाभी की चिकनी चूत एकदम कचौड़ी सी फूली हुई थी और रस छोड़ रही थी.
उसकी चूत का नमकीन रस चाटने से मुझे नशा सा आ गया और मैं पूरी शिद्दत से उसकी चूत को चाटने में तब तक लगा रहा, जब तक चूत का पानी नहीं निकल गया.
मैं चूत का रस चाटने लगा और चाट चाट कर भाभी की चूत को वापस कांच सा चमका दिया.
अब वह एकदम से निढाल हो गई थी और तेज तेज सांसें भर रही थी.
कुछ देर के बाद मैं उसके चेहरे को चूमने लगा तो वह बोली- सच में बड़े जानवर हो तुम … तुमने मेरी चूत में से पानी निकाल कर इसमें दोगुनी आग लगा दी है.
मैंने कहा- नादिया मेरी जान … अभी फायर बिर्गेड वाला पाइप खड़ा है … कहो तो तत्काल पाइप घुसेड़ कर आग बुझा दूँ.
वह बोली- आग तो बुझवानी ही है, पर उसके पहले मुझे उस पाइप को प्यार करना है जो मेरी आग बुझाएगा.
मैंने कहा- हां हां कर लो प्यार!
ये कहते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया.
उसने लंड मसलते हुए कहा- ये तो बड़ा अकड़ रहा है. इसे पहले मेरे मुँह में डालो … मैं इसकी अकड़ निकालती हूँ.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
नादिया भाभी ने मेरे लंड को बहु�� प्यार से चूसा और उसे एकदम गर्म लोहे से तप्त सरिया बना दिया.
वह मेरे लौड़े को गले के आखिरी छोर तक लेकर चूस रही थी.
मैंने आह भरते हुए कहा- आह भाभी … मेरी जान और चूसो.
उधर भाभी भी दुबारा से गर्मा गई थी.
उससे रहा ना गया और वह बोली- समीर, मैं बहुत प्यासी हूँ. पहले मेरी चूत की प्यास मिटा दो. जुनैद के साथ कभी ऐसा मज़ा नहीं आया. वह तो मेरे ऊपर चढ़ता है और दो मिनट में झड़ कर सो जाता है. आज तक न तो उसने कभी मुझे ओरल सेक्स का सुख नहीं दिया.
मैंने कहा- अरे मेरी भाभी जान … अभी तो ये शुरुआत है. अगर आपको मुझसे चुदवाने में मज़ा ना आया, तो मेरा नाम भी समीर नहीं.
बस ये कह कर मैंने भाभी को अपनी तरफ़ खींचा और लंड पर कंडोम लगा कर अपने लंड को भाभी की मखमली चूत पर सै�� कर दिया.
लौड़े को सैट करते ही मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा. मेरा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया.
एकदम से लौड़े ने चूत को फाड़ा, तो भाभी की चीख निकल गई.
भाभी की आंख से आंसू निकल आए और वह चिल्लाने लगी- समीर, मेरी चूत फट गई है, प्लीज़ निकाल लो.
लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और दोबारा झटका मार कर अपने लंड को पूरा अन्दर तक डाल दिया.
फिर मैं थोड़ी देर रुक गया.
Xxx सेक्सी भाभी दर्द से चीखती रही और छटपटाती रही.
कुछ देर बाद जब भाभी के चेहरे पर थोड़ा बदलाव आया और वह अपनी गांड को थोड़ा थोड़ा हिलाने लगी, तो मैं समझ गया कि भाभी को मज़ा आने लगा है.
अब मैंने भाभी को और तेज़ी से चोदना चालू कर दिया.
भाभी का सुर बदल गया था और वह बार बार कह रही थी- समीर, और तेज चोदो … और तेज.
यही सब कहते हुए वह अपने सर को इधर से उधर पटक रही थी.
हम दोनों की चुदाई का यह सिलसिला क़रीब बीस मिनट तक चला.
उसके बाद वह झड़ गई और उसके झड़ते ही मैं भी कंडोम में निकल ग���ा.
झड़ने के बाद काफी थकान हो गई थी तो हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
आधा घंटा बाद उठे और वापस चुदाई चालू हो गई.
उस रात हम दोनों ने चार बार सेक्स किया.
यह सिलसिला अभी तक चल रहा है.
मैं आगे बताऊंगा कि भाभी की बहन को सेक्स की गोली खिला कर उसकी सील पैक चूत को कैसे चोदा.
खुशियों के पलो को गहने समझ कर उनकी गठड़ी बना कर संभाल कर रखना, जब मन करे उन्हें निकाल कर खुद पर मुस्कुराहटो के तौर पर सजाना।
दुःख और दर्द को मेहंदी के रंग की तरह समझना... जैसे वो शुरुआत में गहरा होता है फिर वक्त के साथ हल्का और फीका होने लगता है और धीरे धीरे वक्त के साथ चला जाता है बिल्कुल वैसे ही ये मुश्किलें भी आज ज्यादा है, धीरे धीरे ये गम कम हो जाएगा और एक दिन चला जायेगा।
बस इतना ही, मुझसे तुम तक एक सर्द सुबह वो नवंबर। ~ सिमरन।
एक दिन इस दास (रामपाल दास) ने अपने पूज्य गुरूदेव स्वामी रामदेवानंद जी से पूछा कि हे गुरूवर! यह सारनाम क्या है? जिसके विषय में बार-बार सतग्रन्थ साहेब तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वाणी में आता है। तब उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने मेरे से इस विषय में नहीं पूछा। लाखों का समूह है। परंतु ये प्रभु नहीं चाहते ये तो माया चाहते हैं या प्रभुत्ता। गुरु जी ने कहा कि आपके दादा गुरु जी ने मुझे कहा था कि आपसे कोई एैसी बात पूछे तो उसे यह वास्तविक मन्त्र तथा सारशब्द का भेद देना। वह पूर्ण संत होगा तथा कबीर परमेश्वर का वास्तविक भक्ति मार्ग प्रारम्भ होगा। ऐसा कह कर पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानन्द जी महाराज ने उनके पास उपस्थित संगत को अपनी कुटिया से बाहर कर दिया तथा सर्व भेद समझाया और कहा कि रामपाल तेरे समान संत इस पृथ्वी पर नहीं होगा। मुझे तेरा ही इंतजार था। सतलोक प्रस्थान करने से पूर्व सर्व आश्रम त्याग कर मुझ दास के पास जीन्द(हरियाणा) कुटिया में स्वामी जी चालीस दिन रहे तथा कहा कि किसी को नहीं बताना कि मैंने तेरे को सारनाम तथा सारशब्द दिया है। क्योंकि तेरे दादा गुरु जी की आज्ञा थी कि जो शिष्य सारशब्द के विषय में पूछे केवल उसी को बताना। वह एक ही होगा। अन्य को सारशब्द नहीं देना। इसलिए अन्य जो शिष्य हैं वे अधिकारी नहीं हैं। उन्हें पता चलेगा तो वे द्वेष करेंगे तथा पाप के भागी हो जाएंगे। यदि ये सर्व इसी जन्म में या अगले जन्मों में तेरे (रामपाल दास के) बनेंगे तो इनका उद्धार होगा।
मुझ दास के पास चालीस दिन जीन्द कुटिया में ठहर कर स्वामी जी 24 जनवरी 1997 को पंजाब में बने आश्रम कस्बा तलवण्डी भाई में गए। वहाँ पर 26 जनवरी 1997 को सुबह 10 बजे सतलोक प्रस्थान किया। सन् 1994 को मुझ दास को नाम दान करने का आदेश दिया तथा अपने सर्व शिष्यों से कह दिया कि आज के बाद यह रामपाल ही तुम्हारा गुरु है। आज के बाद मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूँ। जिसने कल्याण करवाना हो, इस रामपाल से उपदेश प्राप्त करो। इन शब्दों द्वारा पूज्य गुरुदेव ने भी नकली शिष्यों का भार अपने सिर से डाल दिया। यह सारशब्द अभी तक पूर्ण रूप से गुप्त रखना था।
पूज्य गुरुदेव के सतलोक सिधारने के पश्चात् यह दास(रामपाल दास) बहुत अकेलापन महसूस करने लगा। बहुत चिंतित रहने लगा। अब मेरे साथ कौन रहेगा ? मैं क्या करूँ ? इतनी बड़ी जिम्मेवारी को यह अकेला दास कैसे निभा पाएगा ? परमेश्वर कबीर साहेब जी ने सारनाम व शब्द देना मना किया हुआ है। मेरी यह चिंता गहन होने लगी। मार्च 1997 में फाल्गुन शुक्ल एकम संवत् 2054 को दिन के दस बजे परमेश्वर कबीर साहेब जी अपने वास्तविक रूप में मुझे मिले तथा कहा कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। अब सारनाम तथा सारशब्द प्रदान करने का समय आ गया है तथा कहा कि संत गरीबदास से भी मैंने ही कहा था कि आप की परम्परा में केवल एक संत को सारनाम व शब्द बताना है। उसे कसम दिलाना है कि केवल एक ही शिष्य को वह भी सारनाम व शब्द बताए जो ऐसे प्रश्न पूछे। यह परम्परा संत गरीबदास जी से संत शीतल दास जी को तथा अब केवल तेरे(रामपाल दास) तक पहूँची है। यह रहस्य जान बूझ कर रखा था। कहा पुत्र निश्ंिचत हो कर मेरा गुनगान कर। अब सारी पृथ्वी पर तत्व ज्ञान फैलेगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा कि अभी किसी से मत कहना कि मुझे कबीर प्रभु मिले थे। आप पर कोई विश्वास नहीं करेगा। तुझे कुछ समय उपरांत फिर मिलूँगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी दास को ��मय-समय पर दर्शन देकर कृत्यार्थ करते रहते हैं। अब परमेश्वर का स्पष्ट संकेत हो गया है। इसलिए दास वर्णन कर रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आदरणीय गरीबदास जी की वाणी “सुमरण का अंग” में लिखा है कि ‘सोहं ऊपर और है, सत सुकृत एक नाम‘। जो अभी तक संत गरीबदास पंथ में उस सारनाम का ज्ञान नहीं था। अब इस दास (रामपाल दास) से विमुख हुए गुरु द्रोही ही उन्हें बताने लगे हैं। लेकिन अब शिक्षित समाज है, इनकी दाल नहीं गलने देगा। कुछे बातें ऐसी होती हैं जो गुप्त रखनी होती है। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने स्वामी रामानन्द जी को भी यही कसम दिलाई थी कि मेरा भेद मत देना।
आप मेरे गुरु बने रहो तथा संत धर्मदास जी को भी यही कहा था कि -
“गुप्त कल्प तुम राखो मोरी, देऊं मकरतार की डोरी”
भावार्थ है कि अन्य किसी को मेरे विषय में मत बताना। क्योंकि कोई आप पर विश्वास नहीं करेगा और जो भक्ति मार्ग मैं तुझे बता रहा हूँ यह किसी को मत बताना। मैं तुझे सतलोक जाने की वह(मकरतार अर्थात् मकड़ी के तार की तरह अभेद भक्ति मार्ग जिस के सहारे प्राणी भ्रमित न होकर सतलोक चला जाता है वह प्रभु पाने की) विशेष विधि बताता हूँ जिसके द्वारा आप सतलोक पहुँच जाओगे। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपने प्रिय शिष्य धर्मदास जी साहेब से कहा था कि यह सारशब्द मैं तुझे प्रदान करता हूँ। परंतु आप यह सारशब्द अन्य किसी को नहीं देना। तुझे लाख दुहाई है अर्थात् सख्त मना है। यदि यह सारशब्द किसी अन्य के हाथ में पड़ गया तो आने वाले समय में जो बिचली(मध्य वाली) पीढ़ी पार नहीं हो पावेगी। धर्मदास जी ने शपथ ली थी कि प्रभु आपके आदेश की अवहेलना कभी नहीं होगी। इसलिए धर्मदास जी ने अपने किसी भी वंशज को यह वास्तविक नाम जाप तथा सारशब्द नहीं बताया। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि संत धर्मदास जी ने पुरी(जगन्नाथ पुरी) में शरीर त्यागा। जहाँ कबीर परमश्वेर ने एक पत्थर चैरा(चबुतरा) जिस पर बैठ कर समुंद्र को रोक कर श्री जगन्नाथ जी के मन्दिर की रक्षा की थी। संत धर्मदास जी तथा धर्मपत्नी भक्तमति आमिनी देवी दोनों की यादगार वहाँ पुरी में बनी है। यह दास कई सेवकों सहित इस तथ्य को आँखों देख कर आया है। बाद में श्री चुड़ामणी जी को (जो संत धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर की कृपया से नेक संतान प्राप्त हुई थी।) कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी पुत्र चूड़ामणी जी को केवल प्रथम मन्त्र जो सात नामों का है, प्रदान किया। वह प्रथम वास्तविक नाम भी धर्मदास की सातवीं पीढ़ी में काल का दूत महंत बना उसने काल के बारह पंथों में एक टकसारी पंथ भी है, उसके प्रवर्तक की बातों में आकर प्रथम नाम छोड़कर जो वर्तमान में दामाखेड़ा (छत्तीसगढ़) की गद्दी वाले महंत एक पूरा श्लोक अजर नाम, अमर नाम पाताले सप्त सिंधु नाम दीक्षा में देते हैं, नामदान करने प्रारम्भ कर दिये। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री चूड़ामणी जी की महंत परम्परा में यह वास्तविक मंत्र नहीं दिया जाता केवल मनमुखी नाम दिए जाते हैं जो अजर नाम, अमर नाम, पाताले सप्त सिंधु नाम, आदि... हैं। इससे सिद्ध हुआ कि यह भी मनमुखी साधना तथा गद्दी
परम्परा चला रहे हैं।
सतलोक आश्रम बरवाला (हिसार) में मुझ दास(रामपाल दास) से उपदेश लेने से सर्व सुख व लाभ भी प्राप्त होंगे तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त होगा। कहते हैं - आम के आम, गुठलियों के दाम।
कृप्या निःशुल्क प्राप्त करें।
गरीब, समझा है तो शिर धर पाव। बहुर नहीं है ऐसा दाव।।
मुझ दास की प्रार्थना है कि मानव जीवन दुर्लभ है, इसे नादान संतों, महंतों व आचार्यों, महर्षियों तथा पंथों के पीछे लग कर नष्ट नहीं करना चाहिए। पूर्ण संत की खोज करके उपदेश प्राप्त करके आत्म कल्याण करवाना ही श्रेयकर है। सर्व पवित्र सद्ग्रन्थों के अनुसार अर्थात् शास्त्र अनुकूल यथार्थ भक्ति मार्ग मुझ दास(रामपाल दास) के पास उपलब्ध है। कृपया निःशुल्क प्राप्त करें।
सर्व पवित्र धर्मों की पवित्र आत्माऐं तत्वज्ञान से अपरिचित हैं। जिस कारण नकली गुरुओं, संतों, महंतों तथा ऋषियों तथा पंथों का दाव लगा हुआ है। जिस समय पवित्र भक्त समाज आध्यात्मिक तत्वज्ञान से परिचित हो जाएगा उस समय इन नकली संतों, गुरुओं व आचार्यों को छुपने का स्थान नहीं मिलेगा। सर्व प्रभु प्रेमियों का शुभ चिन्तक तथा दासों का भी दास।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
लखनऊ, 05.04.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, गोमती नगर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 39 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अलका निवेदन, शिक्षक/ शिक्षिकाओं एवं रेड ब्रिगेड से तन्ज़ीम अख्तर, महिमा शुक्ला ने दीप प्रज्वलित किया |
भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अलका निवेदन ने हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “आज महिलाएं इस विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है । आज हमारा समाज कई मायनों में पुरानी रूढ़िवादी सोच से बाहर आ चुका है लेकिन फिर भी अगर हम समाज में लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा की बात करें तो हमें मायूसी ही हाथ लगती है | आए दिन हम अखबारों में कभी किसी लड़की कभी किसी महिला और तो और बुजुर्ग महिलाओं के साथ हुई छेड़छाड़ या बलात्कार के विषय में पढ़ते रहते हैं | यह हमारे लिए कितने शर्म की बात है कि सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने हेतु इतनी सारी योजनाएं चलाने के बावजूद भी आज महिलाओं को उनकी सुरक्षा तक के लिए लड़ना पड़ रहा है | चाहे घर पर हो या सड़क पर हर महिला के साथ मनचले और शोहदे कुछ ना कुछ ऐसी हरकत कर देते है जो उन्हें पसंद नहीं होती लेकिन समाज के डर से उन्हें चुप रहना पड़ता है | मेरे विचार से यह हर महिला का अधिकार है कि वह अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठाए तथा अपने साथ होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करे | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समय-समय पर हमारे कॉलेज में महिला जागरूकता हेतु कार्यक्रम कराता रहता है जिससे हमारी छात्राओं को बहुत कुछ सीखने को मिलता है | आज की इस कार्यशाला में आप निश्चित ही आत्मरक्षा के गुर सीख कर अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का डटकर मुकाबला करने हेतु तैयार हो पाएंगी ऐसा मेरा विश्वास है |”
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तन्ज़ीम अख्तर, महिमा शुक्ला ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में भारतीय विद्या भवन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अलका निवेदन एवं शिक्षक/ शिक्षिकाओं डॉ. संदीप बाजपेयी, डॉ. नीतू सक्सेना, डॉ. छवि निगम, डॉ. प्रियंका सिंह, सुश्री पलक सिंह, सुश्री श्वेता विश्वकर्मा, सुश्री नजमा शकील, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तन्ज़ीम अख्तर, महिमा शुक्ला तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
*मजे लीजिए और*
*पढ़ने के बाद आगे धकेल दीजिए...😉🤪*
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बर्बाद होने के लिए जरूरी नहीं कि
शराब या जुआ खेला जाय!
बर्बाद होने के लिए आप 2024 में Congress को वोट भी दे सकते है !
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पागल वो नहीं जिसे भूत पिशाच दिखाई देते हैं!
पागल तो वो है जिसे राहुल गाँधी में
देश का भविष्य दिखाई देता है!
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"भारत रत्न" का मज़ाक तो तब बना था
जब नेहरू ने चीन से युद्ध हारने के बाद भी
खुद को भारत रत्न दिया था!
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आपका एक गलत वोट आपके घर तक
आतंकवादी ला सकता है !
और एक सही वोट उन्हें सीमा पर ही
निबटा सकता है !
जीवन आपका और निर्णय भी आपका!
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"प्रियंका" विश्व की पहली ऐसी नेता हैं,
जिसका "मायका" और "ससुराल"
दोनों जमानत पर चल रहे हैं!
मगर फिर भी उनकी पार्टी
नारे लगाती है कि चौकीदार चोर है!
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बाबर का बाप उजबेकिस्तान का,
मां मंगोलिया की,
वह मरा अफगानिस्तान में और
उसका मकबरा काबुल में मगर
"बाबरी मस्जिद चाहिये अयोध्या में ?
मजे की बात ये कि समर्थन भी
काग्रेस ही कर रही है!
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रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आएगा!
माँ बाप की शादी चर्च में होगी और
बेटा "ब्राह्मण” कहलाएगा !
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धर्म बदला, जाति बदली,
बदल दिया है गोत्र!
"दादा गड़े कब्र में,
पंडित बन गया पौत्र!
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एक जमाना था
जब जनता आंदोलन करती थी,
और नेता घर बैठ के मजे लेते थे!
मगर आज मोदी जी ने
एसी परिस्थिती कर दी है की
भ्रष्ट नेता आंदोलन कर रहे हैं,
और जनता शाँत बैठकर घर पर
मज़े ले रही है !
इसे कहते हैं अच्छे दिन !
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विदेश के नेता मोदी के पीछे पागल हैं,
और भारत के नेता मोदी के कारण पागल हैं !
कोई शक !
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केवल फेविकोल ही नहीं जोड़ता,
मोदी का डर भी जोड़ता हैं !
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चौकीदार को वोट देना पक्का नही था,
लेकिन जिस तरह चोरों को
इकठ्ठा होते हुए देखा,
तो प्रण कर लिया कि
चौकीदार रखना जरूरी है।
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गद्दारी के किले ढह गए राष्ट्रवाद की तोप से,
सांप - नेवले एक हो गए, मोदी तेरे खौफ से !
देश बेचने वाले एक हो सकते हैं,
तो देश बचाने वाले क्यों नहीं एक हो सकते ?
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77-इमर्जेंसी,
84-सिक्ख ,
90-कश्मीरी हिंदु नरसंहार
तब तक संविधान सुरक्षित था!
7 वर्षों में 1300 आतंकी मरने से
संविधान खतरे में आ गया!
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जिस प्रियंका वाड्रा को कांग्रेसी
माँ दुर्गा का अवतार बता रहे हैं,
उसके बच्चों का नाम 'रेहान और मारिया' है!
सोचा सबको बता ही दें !
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भाजपा का विरोध करने वाले
22 दलों की कुल पारिवारिक संपत्ति
सिर्फ-300 लाख करोड़ रुपये है,
जो कि देश का 10 साल का बजट है !
सोचा बता दूँ…
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एक बार गलती की थी,
तो 10 साल के लिए बिना आवाज का
प्रधानमंत्री मिला था!
इस बार गलती करेंगे,
तो बिन दिमाग का प्रधानमंत्री मिलेगा !
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विकास पागल हो सकता है,
परन्तु पागल का विकास नहीं हो सकता!
इसलिए मोदी और योगी है देश के लिए उपयोगी...
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नमो को वोट दिया जा सकता है,
परन्तु नमूने को नहीं!
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हमारे प्रधानमंत्री के चाहे
कितने ही कार्टून बना लो,
कोई फर्क नहीं पड़ता।
लेकिन एक कार्टून को प्रधानमंत्री
कभी नहीं बनाया जा सकता है।
मैसेज को डकारना नहीं है,आगे भेजना है...
*नए भारत का वैश्विक संकल्प...*
*सनातन वैदिक धर्म...विश्व धर्म*
*अखंड हिंदु राष्ट्र भारत...विश्व गुरु भारत*
*धर्मो रक्षति रक्षितः...*🚩
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए।
माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था. उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था. वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था. जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया और क्र��ध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली. उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं. उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर तका वध कर देवताओं की रक्षा की.